शेयर मार्किट में Option Trading क्या है?

शेयर मार्किट में Option Trading क्या है? ये सवाल मुझसे बहुत लोगों ने पूछा है जिसका मुख्य कारण है कम पैसे में अधिक मुनाफा और लॉस का पता होना कि ट्रेडर्स को कितना अधिकतम लॉस हो सकता है और ऐसा वास्तव में होता भी है और नहीं भी क्योंकि ट्रेडिंग में अगर आप 5000 - 5000 तीन दिन लगातार कमाते हो तो चौथे दिन 20000 गँवा भी देते हो और आप नुक्सान उठाते हैं और ऐसा क्यों होता है आपसे कहाँ गलती हो रही है और उसके दूर करने के क्या उपाए हैं ये हम आज इस पाठशाला में जानेंगे ।

सबसे पहले मै आपको बतादूँ कि मेरी बात शायद आपको बोर करें किन्तु अगर आप वास्तव में सीखने के लिए मेरी साइट पर आए हैं तो यकीन मानिये आपको और कहीं जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी बस मेरे साथ अंत तक बने रहें। यहां आपको सारी चीजें सिखने को मिलेंगे।

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तो आज से हम आज शुरू करने जा रहे हैं ऑप्शन ट्रेडिंग की पाठशाला जिसको पढ़ कर और अच्छे से समझ कर आप ऑप्शन में अच्छे से कम रिस्क में अच्छा प्रॉफिट कमा सकते हैं बस आपको इसको अच्छे से समझने की आवश्यकता है।

मै इस अध्याय को शुरू करूँ उससे पहले मै आपको एक बात बताना चाहती हूँ कि कोई व्यक्ति लॉटरी क्यों नहीं खरीदता - क्योंकि उसे पता है कि इसमें जीतने की संभावना बेहद कम होती है किन्तु अगर आप एक बार लॉटरी जीत जाते हैं तो इसकी संभावना बढ़ जाती है कि आप बार - बार लॉटरी खरीदेंगे।

हम अपने निवेश में भी ऐसा ही करते हैं बिना तैयारी के मार्किट में कूदना शरू में कुछ फायदा होना जिससे हमारा कॉन्फिडेंस बढ़ जाता है किन्तु गलती और पेशन्श न होने की वजह से भरी नुक्सान होता है तो First Learn Then Trade.

तो जैसा हमने ऊपर बताया था कि तीन दिन तक जितना कमाया उतना ही आम ट्रेडर एक ही दिन में पूरा कमाया हुआ पैसा गँवा भी देता है उसका मुख्य कारण है:-

1. पेशंस का न होना कम प्रॉफिट लेकर जब नुक्सान हो रहा होता है तो इस उम्मीद से कि शायद अब उनका लॉस प्रॉफिट में बदल जाये और उसे होल्ड करके रखना।

2. सपोर्ट और रेजिडेंस का ज्ञान न होना या होते हुए भी उनको फॉलो न करना।

3. टेक्निकल एनालिसिस न आना।

4. कैंडल स्टिक की जानकारी न होना।

5. ऑप्शन कैसे काम करता है इसकी सम्पूर्ण जानकारी का न होना।

शेयर मार्किट में Option Trading क्या है?

Option Trade जानने से पहले ये जान लें कि अगर आप इसके बारे में नहीं जानते और सीखने के लिए यहां आये हैं तो मेरे पूरे अध्याय समाप्त होने के बाद ही कोई ट्रेड लें और छोटे से ही शुरू करें अन्यथा आपका P&L खतरे में पड़ सकता है यहां मै आपको डरा नहीं रही बल्कि आपको इसके खतरे से अवगत करा रही हूँ कि ये कितना खतरनाक है।

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ऑप्शन ट्रेडिंग एक प्रकार का अनुबंध होता है जिसमे एक व्यक्ति दूसरे को एक निश्चित प्रीमियम पर ये अनबंध करता है कि मै ये वस्तु एक हफ्ते या एक महीने बाद इतने में खरीदूंगा चाहे उसका दाम कितना भी हो और इसके बदले वो एक छोटी रकम प्रीमियम के रूप में देता है।

इसको एक उदाहरण से समझते है एक व्यक्ति जिसको लगता है कि रिलायंस का रिजल्ट बहुत अच्छा आने वाला है और ये अगले हफ्ते अपने हाई को भी ब्रेक कर सकता है और वहीँ दूसरा व्यक्ति सोचता है कि रिलायंस का रिजल्ट अच्छा तो आएगा किन्तु ये पहले ही 5% भाग चुका है तो रिजल्ट के बाद इसमें प्रॉफिट बुकिंग आएगी।

अब दोनों व्यक्ति आपस में एक अनुबंध कर लेते हैं खरीदने वाला व्यक्ति 10 रुपये की प्रीमियम देकर दूसरे से कहता है कि मै रिलायंस को एक हफ्ते बाद खरीदूंगा तो दूसरा व्यक्ति ये सोच कर सौदा मंजूर करलेता है कि अभी इसका दाम 2000 रूपए है और उसे लगता है कि इसका दाम 2000 से नीचे आ जायेगा और खरीदार स्टॉक को नहीं खरीदेगा तो उसको १० रूपए सीधे बच जायेंगे।

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क्योंकि खरीदार स्टॉक को तब ही खरीदेगा जब स्टॉक का दाम इसके सौदे के टाइम के प्राइस से ज्यादा हो अब यहां दो चीजें हो सकती हैं:-

1. स्टॉक का प्राइस जो आज 2000 का है और अगले हफ्ते 2100 का हो जाता है तो उसको 100 के हिसाब से उसका प्रीमियम का फायदा मिलेगा। किन्तु अगर 2000 के नीचे चाहे वो 1500 ही क्यों न पहुँच जाये उसको सिर्फ प्रीमियम का ही नुक्सान होगा।

2. अगर स्टॉक का प्राइस अगले हफ्ते 2000 के नीचे बंद होता है तो उसको 10 के हिसाब से उसका प्रीमियम का फायदा मिलेगा। किन्तु जितना ऊपर बंद होगा उतना उसका नुक्सान होगा।

जहां तक मै जानती हूँ तक़रीबन 500 तरीके से ऑप्शन ट्रेडिंग की जाती है और कुछ तरीके ऐसे भी होंगे जो बड़े ट्रेडर्स ने या ब्रोकर ने अपने लिए बनाई हो किन्तु इन सबको आपको जानना की आवश्यकता नहीं है। आपको सिर्फ ऑप्शन के बारे में जानने की आवश्यकता है जिससे आप ट्रेड ले कर फायदा ले सकें।

1). बुलिश स्ट्रैटजी, 2). बेयरिश स्ट्रैटजी, 3). न्यूट्रल स्ट्रैटजी

इन सबके अलावा जिन विषयों पर हम चर्चा करेंगे वो हैं :-

1. मैक्स पेन फॉर ऑप्शन राइटिंग,

2. वोलैटिलिटी ओर्बिटोज (डायनामिक डेल्टा हेजिंग)

3. ओपन इंट्रेस्ट

इन सब विषयों पर हम एक-एक करके चर्चा करेंगे (अध्याय वाइज) ताकि आप इसको भली-भांति क्या कॉल ऑप्शन खरीदना बुलिश है समझ जाएँ। बाकी के अध्यायों में इन सबके अलावा जो मै आपको बताने वाली हूँ वो हैं पे ऑफ़, ब्रेक इवेन, और स्ट्राइक प्राइस आदि सब कुछ तो बने रहें मेरे साथ।

जैसा कि हमने ऊपर बताया था कि बहुत से तरीके हैं ऑप्शन ट्रेडिंग के लेकिन इनमे से सारे तरीकों को आपको सीखने की आवश्यकता नहीं है आपको सिर्फ कुछ ही तरीके यहां बताये जायेंगे जिससे आप लगातार अच्छा प्रॉफिट कमा सकते है किन्तु इन्हे आपको क्या कॉल ऑप्शन खरीदना बुलिश है अच्छे से समझने की जरूरत है।

वैसे ऑप्शन स्टॉक में निफ़्टी और बैंक निफ़्टी में की जाती है किन्तु मै यहां पर जो उदाहरण दूंगी वो निफ़्टी को लेकर है तो बने रहें हमारे साथ अगले अध्याय में हम जानेंगे "बुल कॉल स्प्रेड स्ट्रेट्जी" ऑप्शन को - धन्यवाद्

ऐसे जानिए ऑप्शन ट्रेडिंग से जुड़ी हर बात, होगा क्या कॉल ऑप्शन खरीदना बुलिश है क्या कॉल ऑप्शन खरीदना बुलिश है फायदा

Option Trading

पिछले कुछ सालों में हमने भारतीय डेरिवेटिव्स बाजार में ऑप्शन सेगमेंट की ट्रेडिंग गतिविधियों में तेज वृद्धि देखी है। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) फ्यूचर और ऑप्शन (एफ एंड ओ) सेगमेंट में दैनिक कारोबार 4 लाख करोड़ को पार कर गई है और इस इंडेक्स में ऑप्शन का 80% से अधिक योगदान रहा है। यही कारोबार बैंक निफ्टी पर साप्ताहिक और मासिक समाप्ति के दिनों पर 10 लाख करोड़ से अधिक हो गया है। आजकल ऑप्शन सेगमेंट अपनी प्रोफ़ाइल के कारण अधिक लोकप्रिय हो गया है और यह 50 ओवर या टेस्ट सिरीज मैचों की तुलना में आईपीएल या टी-20 मैचों की लोकप्रियता की तरह ही लगता है। इस सेगमेंट में ट्रेडिंग गतिविधियाँ तेजी से बढ़ रही हैं क्योंकि यह सभी प्रकार के बाजार सेंटिमेंट्स का लाभ पाने का अवसर प्रदान करती है चाहे वह बुलिश, बियरिश, रेंज बाउंड या अत्यधिक अस्थिर हो। आइए पहले समझें कि ऑप्शन है क्या जो सभी को अपनी ओर आकर्षित करता है? नकद बाजार, जहाँ शेयर खरीदे या बेचे जाते हैं, के अलावा एक्सचेंज में एक ऐसा सेगमेंट भी होता है जहाँ इन शेयरों या इंडेक्स के भविष्य और विकल्प खरीदे या बेचे जाते हैं।

F&O की कवर्ड कॉल स्ट्रैटेजी क्या है, कैसे मिलता है घर बैठे हर महीने कमाई का मौका

आपके डीमैट अकाउंट में किसी कंपनी के शेयर हैं और आप आप उसे बेचना नहीं चाहते तो कवर्ड कॉल रणनीति से इस होल्डिंग पर भी पैसा कमा सकते हैं.

  • Vijay Parmar
  • Updated On - July 30, 2021 / 08:09 PM IST

F&O की कवर्ड कॉल स्ट्रैटेजी क्या है, कैसे मिलता है घर बैठे हर महीने कमाई का मौका

इस कंपनी पर तमिलनाडु सरकार का पूर्ण स्वामित्व है और ये कंपनी एक नॉन-बैंकिंग फाइनेंस कंपनी (NBFC) के तौर पर RBI के साथ रजिस्टर्ड है

Covered Call Strategy: आप एक स्टॉक में लॉन्ग पोजिशन रखने के साथ ही, प्रीमियम के माध्यम से आय उत्पन्न करने के लिए उसी स्टॉक पर कॉल आप्शन को बेचते हैं, जिसे दलाल स्ट्रीट में कवर्ड कॉल रणनीति कहते है. इसे कॉल ऑप्शन की राइटिंग करना भी कहते हैं. इसमें आप किसी पोजिशन को दूसरी पोजिशन से कवर करते है और जोखिम के सामने सुरक्षा का कवच बनाते है. डेरिवेटिव्स एक्सपर्ट के मुताबिक, स्थिर आय प्राप्त करने के लिए इस रणनीति का लाभ ले सकते है, लेकिन आप जिस स्टॉक की पोजिशन लेना चाहते हैं उसके लॉट साइज जितना पैसा आपके डीमैट खाते मे होना जरूरी है.

“ऑप्शंस ट्रेडिंग में कई स्ट्रैटेजी हैं, जिनका उपयोग करके निवेशक अच्छा पैसा कमा सकते है. कवर्ड कॉल रणनीति आपको ऐसा मौका देती है, लेकिन उसके लिए आपके पास मार्केट का नॉलेज होना जरूरी है. आपको इस रणनीति में आगे बढ़ने से पहले सुनिश्चित कर लेना चाहिए की आप जिस पोजिशन के लिए पैसा लगा रहे है वह कितनी सफल हो सकती है. आपको रिस्क-केपसिटी के आधार पर ही आगे बढना चाहिए,” ऐसा SEBI-रजिस्टर्ड इंवेस्टमेंट एड्वाइजर धर्मेश कुमार भट्ट ने money9.com को बताया.

कवर्ड कोल रणनीति में क्या करना होता हैः
निवेशक उसके पास जो स्टोक है उसके कॉल ऑप्शन को बेचता है. कॉल ऑप्शन को बेचकर, निवेशक अनिवार्य रूप से उस एसेट की कीमत को लॉक कर देता है, जिससे वह शॉर्ट-टर्म प्रॉफिट का लाभ ले सकता है. इसके अलावा, निवेशक को स्टॉक की कीमतों में भविष्य में किसी भी गिरावट से थोड़ी सुरक्षा भी मिलती है. कवर्ड कॉल रणनीति उस समय अच्छी तरह से काम करती है, जब निवेशक बुलिश होता है. वह जानता है कि सिर्फ स्टॉक या अंडरलेइंग एसेट की होल्डिंग करने पर ही वह अच्छा मुनाफा नहीं कमाया जा सकता. इसलिए, वह ऊंचे स्ट्राइक प्राइज पर, स्टॉक पर कॉल आप्शन बेचता है, और उस स्ट्राइक प्राइस तक प्रीमियम प्राप्त करता है.

ये रणनीति काम कैसे करती हैः
“कवर्ड कॉल राइटिंग से रिटेल निवेशक पैसा बना सकते है. इसमें आपको F&O लॉट साइज जितनी डिलीवरी खरीदनी होती है. मान लीजिए, आपके पास XYZ कंपनी का 3,200 का लॉट 210 रूपये के भाव में पड़ा है. इसमें 2 रुपये के प्रीमियम में 215 की स्ट्राइक का कॉल ऑप्शन सेल कर सकते हैं. शेयर का भाव चाहे किसी दिशा में जाए, आपको एक महीने के बाद 6,400 रुपये (2.00 x 3200) मिलना सुनिश्चित है,“ ऐसा डेरिवेटिव्स एक्सपर्ट और Equitymath के फाउंडर शशांक महेता बताते हैं.

इंडेक्स में एक्सपायरी दिन की अस्थिरता की उम्मीद के साथ ट्रेडर्स हर गुरुवार को कोल और पुट ओप्शन खरीदते है. पिछले 12 महीनों में भारतीय बाजारों ने जितनी वोलेटिलिटी देखी है, उतनी शायद ही कभी देखी होगी, इसलिए गुरुवार को, खासकर बैंक निफ्टी में, एक्स्पायरी आधारित ट्रेड करने का यह आइडिया काफी लोकप्रिय हो गया है, ऐसा महेता बताते है.

फायदा और नुकसानः
यह रणनीति निवेशक को सीमित मुनाफा प्रदान करती है, हालांकि, नुकसान असीमित हो सकता है. आपने जिस भाव की उम्मीद के साथ स्ट्राइक को चुना होगा, यदि भाव उससे उपर जाता है तब केवल प्रीमियम और फिक्स्ड किए गए भाव तक का मुनाफा होगा. इस रणनीति में आपको अपने स्टॉक की खरीद और कॉल ऑप्शन कोन्ट्राक्ट की बिक्री के लिए समय नहीं देना पड़ता है. स्टॉक खरीदने के बाद आप कभी भी उसके कॉल ऑप्शन को बेच सकते हैं.

सावधानी रखेः
इसमें शामिल जोखिम की मात्रा के कारण ओप्शन रणनीतियों के दौरान हमेशा सावधानी बरतनी चाहिए. SEBI-रजिस्टर्ड इंवेस्टमेंट एड्वाइजर और NISM-रजिस्टर्ड रिसर्च एनालिस्ट हिमांशु शाह के मुताबिक, रिटेल इंवेस्टर को ओप्शन बाय करके ही ट्रेडिंग करना चाहिए. महीने की शुरुआती दो हफ्तो में सक्रिय रहे और पोजिशन बनाएं, लेकिन एक्स्पायरी के नजदीकी दिनों में दूर रहना चाहिए.

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