सबसे पहली बात कि आप इस पोर्टल में अपना अकाउंट बना सकते हैं। अपने अकाउंट में अपनी पसंदीदा जॉब, कार्यक्षेत्र, सेक्टर और रोल के हिसाब से उसे कस्टमाईज किया जा सकता है। अपने प्रोफाइल अकाउंट में सर्च करने पर आपके सामने अपनी रूचि और योग्यता के अनुसार जॉब देने वाली कंपनियों की सूचना मिलेगी। इन कंपनियों के लिए आप एक क्लिक के जरिए आवेदन भी कर सकते हैं। यहाँ नि:शुल्क अकाउंट खोला जा व्यावसायिक मूल्यांकन में व्यावसायिक सहायता सकता है, इस पोर्टल पर नियोजक कंपनी और बेरोजगार अपना अकाउंट नि:शुल्क बना सकते हैं। इसमें आप जब चाहें तब अपनी प्रोफाइल अपडेट कर सकते हैं। इसके अलावा नियोजक कंपनी जब भी चाहे अपने जॉब्स को अपडेट कर सकती है, अपडेट करने के बाद नियोक्ता के पास उस जॉब के लिए योग्यताधारी लोगों की प्रोफाइल खुलेगी। इस पोर्टल के माध्यम से ही नियोजक आवेदन आमंत्रित कर आवेदक को इन्टरव्यू के लिए बुला सकता है।

मार्गदर्शन/निर्देशन

इस प्रकार यदि हम बच्चों को आत्म-समायोजन तथा सामाजिक समायोजन में सहायता प्रदान करना चाहते हैं और उन्हें विकास मार्ग पर अग्रसर करना चाहते हैं तो उनको मार्गदर्शन प्रस्तुत करना व्यावसायिक मूल्यांकन में व्यावसायिक सहायता होगा । भारत जैसे देश के लिए जहाँ अधिकांश माता-पिता अनपढ़ या अर्द्ध-शिक्षित हैं तो मार्गदर्शन और अधिक आवश्यक है । अतः अध्यापकों को मार्गदर्शन की आवश्यकता का अनुभव करना चाहिए और स्कूलों में मार्गदर्शन की व्यवस्था करनी चाहिए।

निर्देशन कार्यक्रम की विशेषताएँ निम्नलिखित होती हैं-

  1. निर्देशन प्रशिक्षण लेने के पश्चात् व्यक्तियों को व्यवस्थित निर्देशन कार्यक्रम का नेतृत्व करना चाहिए । निर्देशन कार्यक्रम किस प्रकार का हो, यह विद्यालयों के रूप पर निर्भर करता है । छोटे-छोटे विद्यालयों में एक ही प्रशिक्षण प्राप्त व्यक्ति निर्देशन एवं शिक्षण दोनों कार्यों को कर सकता है, जबकि बड़े विद्यालयों में निर्देशन प्रदान करने के लिए परामर्शदाता पृथक् होता है। इसका कार्य मात्र निर्देशन क्रियाओं तक ही होता है।
  2. निर्देशन सेवा एक सतत् सेवा है । शुरुआत में छात्रों के समुचित समायोजन के लिए तत्पर प्रयास किये जाते हैं । निर्देशन प्रदान करने वाले व्यक्ति को कभी भी यह प्रतीक्षा नहीं करनी चाहिए, कि छात्रों के असमायोजन के बाद ही निर्देशन देना चाहिए।
  3. निर्देशन कार्यक्रम छात्रों की आवश्यकता व रुचियों पर निर्भर होता है।
  4. शिक्षा के उद्देश्यों को प्राप्त करने में भी निर्देशन कार्यक्रम सहायक सिद्ध होते हैं।
  5. निर्देशन सेवाएँ ऐसी होनी चाहिए, जो कि छात्रों की विभिन्न आवश्यकता व समस्याओं को समझकर उनका निदान निकाल सकें।
  6. निर्देशन कार्यक्रमों के द्वारा उद्देश्यों का निर्धारण व सेवाओं का गठन किया जाता है । अर्थात् निर्देशन का एक निश्चित कार्यक्षेत्र रखा जाता है, तभी यह सफलता की तरफ अग्रसर होते हैं।

प्रधानाचार्य की भूमिका

(Role of Principal in Guidance)

निर्देशन कार्यक्रमों में प्रधानाचार्य निम्नलिखित भूमिका निभाते हैं-

  1. सर्वप्रथम निर्देशन सेवायें प्रदान करने हेतु एक समिति का गठन किया जाता। यह समिति ही निर्देशन व परामर्श समिति (Guidance and Counselling Committee) कहलाती है।
  2. इसके बाद इस कार्य हेतु उत्तम भवन तथा धन की व्यवस्था की जाती है ।
  3. विद्यालय में निर्देशन सम्बन्धी क्रियाओं का निरीक्षण करके समुचित व्यवस्था की जाती है।
  4. प्रधानाचार्य के द्वारा निर्देशन सम्बन्धी कायों में अपना नेतृत्व प्रदान किया जाता है।
  5. निर्देशन कार्यों हेतु योग्य व कुशल कार्यकर्ताओं की नियुक्ति भी प्रधानाचार्य द्वारा की जाती है।
  6. नियुक्त निर्देशन कार्यकर्ताओं के बीच कार्य का बँटवारा भी प्रधानाचार्य के द्वारा किया जाता है।
  7. निर्देशन कार्यकर्ताओं तथा शिक्षकों को नौकरी के साथ-साथ मध्य प्रशिक्षण की सुविधाएँ भी प्रधानाचार्य के द्वारा ही प्रदान की जाती हैं।

शिक्षक की भूमिका

(Role of Teacher in Guidance)

शिक्षक की निर्देशन में अति महत्वपूर्ण भूमिका होती है । शिक्षक अपने छात्रों का अध्ययन व्यावसायिक मूल्यांकन में व्यावसायिक सहायता अनेक परिस्थितियों में करता क्योंकि वह उनके सबसे निकट सम्पर्क में रहता है। शिक्षक ही छात्रों की आवश्यकताओं के सम्बन्ध में सबसे अधिक जानकारी रखता है । अत: निर्देशन कार्यक्रम में शिक्षक अधिकाधिक सहयोग प्रदान कर सकता है । शिक्षकों के निर्देशन सम्बन्धी कार्य एवं व्यावसायिक मूल्यांकन में व्यावसायिक सहायता उत्तरदायित्व निम्नलिखित हैं-

  • छात्रों के साथ सम्बन्ध स्थापित करके बाधित बालकों को पता लगाना ।
  • छात्रों के अभिभावकों से सम्पर्क स्थापित करना।
  • छात्रों को पुस्तकालय व सामाजिक संस्थाओं से सम्पर्क स्थापित करना सिखाना।
  • पाठ्य सहगामी क्रियाओं का आयोजन करना ।
  • जिन छात्रों का साक्षात्कार किया जा चुका है उनकी रिपोर्ट का निर्देशन छात्रों को प्रदान करना।
  • निर्देशन कार्यक्रमों में व्यवसायों तथा शैक्षिक अवसरों की सूची देना।
  • निर्देशन कार्यक्रम को अधिकाधिक सफल बनाने के लिए प्रधानाचार्य व शिक्षकों को पूर्ण सहयोग देना।
  • छात्रों की परीक्षायें लेने में सहायता करना तथा ऐसे छात्रों को जो अधिगम में कठिनाई अनुभव करते हों, उनको उपबोधकों के पास भेजना ।

व्यावसायिक स्वास्थ्य .

सभी व्यवसायों में कर्मचारियों के स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए:

  • कर्मचारी के काम करने की स्थिति में लगातार सुधार लाना
  • सभी कर्मचारियों की आवधिक स्वास्थ्य निगरानी और
  • अन्य संबंधित स्वास्थ्य संवर्धन कार्यक्रम

पेशेवर, नैतिक और सामाजिक में जिम्मेदारी से।

व्यावसायिक स्वास्थ्य रोजगार के सभी स्थानों में निवारक दवा का प्रयोग है। एक व्यावसायिक स्वास्थ्य कार्यक्रम का उद्देश्य सभी नियोजित व्यक्तियों के स्वास्थ्य की रक्षा करना और उसे बढ़ावा देना है।

व्यावसायिक स्वास्थ्य केवल विशिष्ट व्यावसायिक रोगों के निदान और उनके उपचार तक सीमित नहीं है। काम पर स्वास्थ्य के लिए न केवल पारंपरिक विशिष्ट खतरों पर विचार करना आवश्यक है, बल्कि श्रमिकों की स्वास्थ्य समस्याओं पर भी नियंत्रण करना आवश्यक है जो काम की परिस्थितियों से निकटता से संबंधित हैं। ; काम के जोखिम से बढ़े हुए या प्रभावित होते हैं; काम पर हस्तक्षेप द्वारा नियंत्रण या सुधार के लिए अतिसंवेदनशील होते हैं। इस तरह के कार्यक्रम के कई पहलू हैं - इसमें शामिल व्यक्तियों का व्यक्तिगत स्वास्थ्य; व्यावसायिक समूह का स्वास्थ्य; कामगारों के वातावरण का सटीक मूल्यांकन व्यावसायिक मूल्यांकन में व्यावसायिक सहायता और नौकरी की स्थितियों और स्वास्थ्य पर प्रभाव और बीमारी के दौरान के प्रभाव को जोड़ने वाले सबूतों का मूल्यांकन।

व्यावसायिक निर्देशन से आप क्या समझते हैं? व्यावसायिक निर्देशन की परिभाषा दीजिए।

व्यावसायिक निर्देशन का अर्थ एवं परिभाषा

व्यावसायिक निर्देशन का अर्थ एवं परिभाषा

शिक्षा प्राप्त करने के बाद व्यक्ति अपने को समाज स्थापित करने के लिए कोई व्यवसाय अपनाता है। अधिकतर लोग अपने परम्परागत व्यवसाय को ही अपनाते हैं। परन्तु ऐसा देखा जाता है कि कभी-भी अपने परम्परागत व्यवसाय में वे सफल नहीं हो पाते क्योंकि हर व्यक्ति में वे योग्यताएँ व क्षमताएँ नहीं होती हैं जिनसे वह अपने को हर परिस्थिति में समायोजित कर सके। इसलिए यह आवश्यक है कि व्यक्ति में निहित क्षमताओं, योग्यताओं तथा व्यावसायिक संसार की परिवर्तित परिस्थितियों एवं आवश्यकताओं का मूल्यांकन किया जाता है। इस प्रकार व्यावसायिक निर्देशन वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा व्यावसायिक चयन से सम्बन्धित विभिन्न समस्याओ के समाधान के लिए व्यक्ति विशेष को योग्यताओं एवं व्यवसाय के अवसरों के अनुरूप सूचनाएँ प्रदान की जाती है जिससे उसमें उस सहायता के द्वारा व्यावसायिक क्षेत्र में अपने को समायोजित करने की क्षमता उत्पन्न हो सके। साथ ही अपना व समाज का उपलब्ध सुविधाओं के द्वारा आर्थिक विकास करने में सक्षम हो सके।

व्यावसायिक निर्देशन की परिभाषा (Definition of Vocational Guidance)

फ्रैंक पारसन्स (FrankParsons) ने व्यावसायिक निर्देशन (Vocational Guidance) शब्द का पहली बार प्रयोग किया। सन् 1937 में संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रीय व्यावसायिक निर्देशन संघ के एक प्रतिवेदन (Report) में व्यावसायिक निर्देशन के सन्दर्भ में उल्लेख दिया गया है-

“व्यावसायिक निर्देशन व्यक्ति को किसी व्यवसाय के चुनाव करने, उसके लिए तैयारी करने, उसमें प्रवेश करने एवं प्रगति करने में मदद करने का प्रक्रम है। इसका सम्बन्ध मुख्य रूप से भविष्य की योजनाएँ बनाने एवं जीवनचर्या के निर्माण हेतु किये जाने वाले निर्णयों एवं विकल्पों के चुनाव में व्यक्ति को सहायता प्रदान करने से है। ये निर्णय एवं वैकल्पिक चुनाव को सन्तोषजक-व्यावसायिक समायोजन प्रदान करने के लिए आवश्यक हैं।’

अन्तर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (International Labour Organization-ILO) के (1949) के एक रिपोर्ट के अनुसार, “व्यावसायिक निर्देशन, व्यक्तियों के गुणों एवं व्यवसाय के अवयवों के साथ उनके सम्बन्ध को ध्यान में रखते हुए, व्यक्ति को व्यवसाय के चयन एवं उसकी प्रगति में आने वाली समस्याओं के सुलझाने में प्रदान की जाने वाली सहायता को कहते हैं।

रोजगार के अवसर अब आपके द्वार Reading Time : 7 minutes -->

मध्य प्रदेश राज्य सरकार ने प्रदेश के शिक्षित बेरोजगार नागरिकों के लिए जिला रोजगार कार्यालय स्थापित किया है। जहां पर शिक्षित बेरोजगार नागरिक अपना पंजीकरण करा के कार्यालय द्वारा प्रदान की जाने वाली विभिन्न सेवाओं का आसानी से लाभ प्राप्त कर सकते हैं। जिला रोजगार कार्यालय शिक्षित बेरोजगार नागरिकों को रोजगार दिलाने का प्रमुख काम करते हैं। सभी सरकारी, गैर सरकारी एवं अर्धसरकारी कंपनियां जिला रोजगार कार्यालय के माध्यम से पंजीकृत नागरिकों से संपर्क करके रोजगार उपलब्ध कराती है।

पोर्टल का मुख्य उद्देश्य

ये पोर्टल युवा सशक्तिकरण मिशन के अंतर्गत मध्यप्रदेश कौशल विकास एवं रोजगार निर्माण बोर्ड द्वारा तैयार किया गया है। इस पोर्टल को शुरू करने का उद्देश्य युवाओं को उनकी शैक्षणिक योग्यता, क्षमता एवं रुचि के अनुसार रोजगार उपलब्ध करवाना है। उसके अलावा ये पोर्टल नियोजक को अपने व्यवसाय के अनुसार योग्य उम्मीदवार की उपलब्धता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से भी परिपूर्ण है। अगर आप भी बेरोजगार है और रोजगार की तलाश में है तो आपको एक बार इस पोर्टल पर जरूर जाना चाहिए।

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