4. ज्यादा आयेंगे विदेशी सैलानी- महंगे डॉलर के चलते विदेशों में घूमना भले ही महंगा हो जाये. लेकिन जो विदेशी सौलानी भारत आना चाहते हैं उनके लिए राहत है. उन्हें रुपये डॉलर की मजबूती का क्या मतलब है? में कमजोरी के चलते ज्यादा सर्विसेज प्राप्त होगा. रुपये में कमजोरी के चलते टूर पैकेज सस्ते हो जायेंगे. देश में स्ते टूर डॉलर की मजबूती का क्या मतलब है? पैकेज के चलते विदेशी सैलानी ज्यादा आयेंगे.

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Rupee-Dollar Update: डॉलर के मुकाबले रुपये में ऐतिहासिक गिरावट, जानिए कमजोर रुपये और मजबूत डॉलर से किसका होगा फायदा, किसे नुकसान ?

By: ABP Live | Updated at : 09 Jun 2022 01:20 PM (IST)

Edited By: manishkumar

Rupee-Dollar Update: डॉलर के मुकाबले रुपये में लगातार गिरावट देखी जा रही है. गुरुवार को तो रुपया एक डॉलर डॉलर की मजबूती का क्या मतलब है? के मुकाबले 77.81 के लेवल तक जा लुढ़का है जो कि रुपया का ऐतिहासिक निचला स्तर है. कई जानकारों के मुताबिक आने वाले दिनों में एक डॉलर के मुकाबले रुपया कमजोर होकर 80 रुपये प्रति डॉलर तक गिर सकता है. दरअसल अमेरिका में बढ़ती महंगाई के मद्देनजर फेडरल रिजर्व बैंक ब्याज दरें बढ़ाने का फैसला लेता है तो भारत जैसे इमर्जिंग मार्केट से निवेशक पैसा निकाल सकते हैं जिससे रुपया और कमजोर हो सकता है. रुपया इस समय वैश्विक कारणों से साथ घरेलू कारणों से भी गिर रहा है. शेयर बाजारों में गिरावट तो इसके पीछे है ही, ब्याज दरों में बढ़ोतरी के ग्लोबल रुझान के बीच विदेशी फंडों की ओर से बिकवाली जारी रहने से भी रुपये पर दबाव आया है. कच्चा तेल महंगा होने और अन्य करेंसी के मुकाबले डॉलर के मजबूत होने से रुपया कमजोरी के दायरे में दिखाई दे रहा है.

रुपया कमजोर नहीं हो रहा बल्कि डॉलर में मजबूती है, जानिए वित्त मंत्री ने क्या दिया तर्क

रुपया कमजोर नहीं हो रहा बल्कि डॉलर में मजबूती है, जानिए वित्त मंत्री ने क्या दिया तर्क

भरी महंगाई और मंदी की आहट के बीच डॉलर के मुकाबले अपने रुपये में गिरावट जारी है. आज एक डॉलर के सामने 82.69 पर रुपया पहुंच गया है. इसका अर्थ हुआ कि आपको एक डॉलर के लिए 82.69 रुपये खर्च करने होंगे. विशेषज्ञों की मानें तो डॉलर की इतनी मजबूती और रुपये की इतनी कमजोरी ठीक नहीं, खासकर आर्थिक विकास दर के लिहाज से. लेकिन केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का जवाब इससे अलग डॉलर की मजबूती का क्या मतलब है? है.

निर्मला सीतारमण ने कहा कि दुनिया के अन्य देशों की करंसी देखें तो उसके मुकाबले अपना रुपया अच्छा परफॉर्म कर रहा है. उन्होंने ‘इमर्जिंग मार्केट करंसी’ की बात की. इसका अर्थ हुआ वे देश जो विकास की ओर अग्रसर हैं, उन सभी के मुकाबले अपना रुपया अच्छा प्रदर्शन कर रहा है.

RBI क्यों नहीं दे रहा दखल

निर्मला सीतारमण ने कहा कि रिजर्व बैंक का ध्यान इस बात की ओर ज्यादा है कि बाजार में बड़ा उतार-चढ़ाव नहीं हो. इसलिए केंद्रीय बैंक भारतीय करंसी को फिक्स करने के लिए बाजार में कोई दखलंदाजी नहीं कर रहा. लेकिन गिरते रुपये को थामने के क्या उपाय किए जा रहे हैं? इसके जवाब में वित्त मंत्री ने ‘ANI’ से कहा, जाहिर है, अन्य सभी करंसी अमेरिकी डॉलर की मजबूती के खिलाफ टिकी हुई हैं. यह तथ्य की बात है कि भारतीय रुपया लगातार बढ़ते अमेरिकी डॉलर के सामने अपना परफॉर्मेंस जारी रखे हुए है, एक्सचेंज रेट भी डॉलर के पक्ष में जा रहा है. भारतीय डॉलर की मजबूती का क्या मतलब है? रुपये ने कई अन्य उभरती बाजार की करंसी की तुलना में काफी बेहतर प्रदर्शन किया है.

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रुपया नहीं फिसल रहा बल्कि डॉलर हो रहा है मजबूत : सीतारमण

वाशिंगटन, 16 अक्टूबर (भाषा) वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अमेरिकी डॉलर के मुकाबले इस वर्ष भारतीय मुद्रा रुपये में आई आठ फीसदी की गिरावट को ज्यादा तवज्जो नहीं देते हुए कहा है कि कमजोरी रुपये में नहीं आई बल्कि डॉलर में मजबूती आई है।

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) और विश्व बैंक की सालाना बैठकों में शामिल होने के बाद सीतारमण ने शनिवार डॉलर की मजबूती का क्या मतलब है? को यहां संवाददाताओं से बातचीत में भारतीय अर्थव्यवस्था की बुनियाद को मजबूत बताते हुए कहा कि अमेरिकी डॉलर की मजबूती के बावजूद भारतीय रुपया में स्थिरता बनी हुई है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि दुनिया के अन्य हिस्सों की तुलना में भारत में मुद्रास्फीति कम है और मौजूदा स्तर पर उससे निपटा जा सकता है।

डॉलर की मजबूती का क्या मतलब है?

doller vs rupee

डॉलर के मुकाबले रुपया लगातार गिर रहा है। आज 1 डॉलर तब मिलेगा जब 82.38 रुपये दिए जाएंगे। आप कहेंगे कि डॉलर से आप के ऊपर तो कुछ भी फर्क नहीं पड़ता तो चिंता की क्या बात है? आपका 100 रुपया आज भी 100 रुपया है। उससे उतना ही सामान और सेवा खरीदी जा सकती है जितनी पहले मिलती थी तो चिंता की क्या बात? लेकिन यहीं आप ग़लत हैं। हकीकत यह है कि जब डॉलर के मुकाबले रुपया कमजोर होता है तो भले ही आप चिंता करे या न करे,भले ही आपने जीवन में कभी डॉलर न देखा हो, मगर आप और हम जैसों आम लोगों पर ही असर पड़ता है।

भारत में सब कुछ तो पैदा नहीं होता। अपनी डॉलर की मजबूती का क्या मतलब है? कई बुनियादी जरूरतों के लिए भारत विदेशों पर निर्भर है। विदेशी व्यापार डॉलर में होता है। क्रूड आयल यानी कच्चे तेल को ही देखिये। भारत की जरूरत का तकरीबन 85 फीसदी बाहर से आयात होता है। जब तेल की खरीदारी डॉलर में होगी तो इसका मतलब है कि बाहर से तेल मंगाने पर आपको ज़्यादा रुपया देना होगा। इससे क्या होगा। आपके देश में तेल के दाम बढ़ंगे। तेल यानी पेट्रोल, डीज़ल के दाम बढ़गें तो आपको ज़्यादा रुपया चुकाना पड़ेगा। साथ ही अन्य सामानों पर भी महंगाई बढ़ेगी। महंगाई बढ़ेगी तो इसका सबसे ज्यादा असर उन्हीं 90 प्रतिशत कामगारों पर पड़ेगा जो महीने में 25 हजार रुपये से कम कमाते हैं। यानी डॉलर के मुकाबले जब रुपया गिरता है तो आम आदमी की कमर तोड़ने वाले महंगाई अर्थव्यवस्था के गहरी जड़ों में समाने लगती हैं।

डॉलर की मजबूती का क्या मतलब है?

dollar vs rupee

एक डॉलर की कीमत 80 रुपये के पार पहुंच चुकी है। खबर लिखने तक की बात यह है कि 1 डॉलर के लिए तकरीबन 81 रुपए देने पड़ रहे हैं। रुपये का यह अब तक का सबसे निचला स्तर है।

मतलब अगर विदेशों से कोई सामान और सेवा खरीदनी होगी तो उसके लिए 81 रुपये की दर से भुगतान करना पड़ेगा।

ठीक इसका उल्टा भी होगा। यानी अगर कोई सामान और सेवा विदेशों को निर्यात की जायेगी तो उसके लिए पहले के मुकाबला ज्यादा भारतीय पैसा मिलेगा। अब आप यहां पर कहेंगे कि यह तो अच्छी बात है। निर्यात करने पर भारत को विदेशों से ज्यादा पैसा मिलेगा।

लेकिन यहां समझने वाली बात है कि भारत की अर्थव्यवस्था चालू खाता घाटे वाली व्यवस्था है। भारत में आयात, निर्यात से अधिक होता है। यानी भारत से कॉफी, मसाले जैसे सामान और तकनीकी सेवाओं डॉलर की मजबूती का क्या मतलब है? का जितना निर्यात होता है, उससे कई गुना अधिक आयात होता है।

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