आपको ETF में निवेश क्यों करना चाहिए?
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कैसे करें सही ETF का चुनाव? निवेश से पहले इन पैरामीटर्स का रखना चाहिए ध्यान
जिस तरह किसी स्टॉक में निवेश से पहले पड़ताल करना जरूरी होता है, वैसे ही ईटीएफ में निवेश से पहले कुछ पहलुओं पर जरूर कर लेना चाहिए.
भारत समेत दुनिया भर में ईटीएफ के प्रति निवेशकों का रुझान बढ़ रहा है.
मौजूदा दौर में निवेशकों के सामने निवेश के कई विकल्प हैं. इनमें से एक विकल्प एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ETF) का है जो निवेशकों की पूंजी को कई शेयरों के एक सेट में निवेश करते हैं. इसमें पारंपरिक स्टॉक्स और बांड्स से लेकर करेंसीज और कमोडिटीज जैसी मॉडर्न सिक्योरिटीज भी शामिल हैं. कोई भी निवेशक ब्रोकर के जरिए ईटीएफ के अपने शेयरों की खरीद-बिक्री कर सकता है. इसका कारोबार शेयर बाजार में किया जाता है.
कम एक्पेंस रेशियो (0.06 फीसदी तक कम), एक्टिव फंड्स की तुलना में बेहतर टैक्स एफिशिएंसी, डाइवर्सिफिकेशन बेनेफिट्स और इंडेक्स लिंक्ड रिटर्न के चलते ईटीएफ तेजी से पॉपुलर हो रहा है. हालांकि रिलायंस सिक्योरिटीज के सीईओ लव चतुर्वेदी के मुताबिक जैसे किसी स्टॉक में निवेश से पहले पड़ताल करना जरूरी होता है, वैसे ही ईटीएफ में निवेश से पहले कुछ पहलुओं पर जरूर कर लेना चाहिए.
Mutual Funds SIP: एसआईपी में पहली बार करने जा रहे हैं निवेश? बेहतर रिटर्न के लिए इन 5 बातों का जरूर रखें ध्यान
निवेश से पहले इन पैरामीटर्स पर परखें ईटीएफ को
- ईटीएफ में सिर्फ इक्विटीज की बजाय सभी एसेट क्लासेज शामिल होने चाहिए.
- ईटीएफ को चुनते समय या उसमें निवेश करने से पहले निवेशकों को एल4यू स्ट्रेटजी पर भरोसा रखना चाहिए- लिक्विडिटी, लो एक्सपेंस रेशियो, लो इंपैक्ट कॉस्ट, लो ट्रैकिंग एरर और अंडरलाइंग सिक्योरिटीज.
- ईटीएफ की लिक्विडिटी से निवेशकों को स्टॉक एक्सचेंज पर इसकी खरीद या बिक्री करने में आसानी रहेगी. लिक्विडिटी का मतलब है कि एक्सचेंजों पर ईटीएफ की पर्याप्त ट्रेडिंग वॉल्यूम होनी चाहिए.
- आमतौर पर ईटीएफ के एक्सपेंस रेशियो एक्टिव फंड्स की तुलना में कम होते हैं लेकिन निवेशकों को विभिन्न ईटीएफ के एक्सपेंस रेशियो की आपस में तुलना जरूर करनी चाहिए क्योंकि यह ओवरऑल रिटर्न को प्रभावित करता है.
- इंपैक्ट कॉस्ट एक्सचेंज पर ट्रांजैक्शन को लेकर इनडायरेक्ट कॉस्ट है. लिक्विडिटी अधिक होने पर इंपैक्ट कॉस्ट कम होता है और इस प्रकार निवेशकों को इनडायरेक्ट टैक्स कम चुकाना पड़ेगा.
- किसी भी ईटीएफ को चुनते समय लो ट्रैकिंग एरर महत्वपूर्ण फैक्टर है. इससे इंडेक्स की तुलना में मिलने वाले रिटर्न का अंतर कम करने में मदद मिलती है. आमतौर पर अंडरलाइंग सिक्योरिटीज के मुताबिक 0-2 फीसदी का ट्रैकिंग एरर आदर्श माना आपको ETF में निवेश क्यों करना चाहिए? जाता है.
- किसी ईटीएफ का चुनाव करते सबसे महत्वपूर्ण पैरामीटर अंडरलाइंग सिक्योरिटीज है क्योंकि रिटर्न इसी के परफॉरमेंस पर निर्भर होता है.
भारत में तेजी से बढ़ा है ETF के प्रति निवेशकों का रूझान
दुनिया भर में ईटीएफ के प्रति निवेशकों का रुझान बढ़ रहा है. इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि पिछले दस वर्षों में दुनिया भर में ईटीएफ एयूएम 19 फीसदी चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) से बढ़ा है. 2020 में यह 7.आपको ETF में निवेश क्यों करना चाहिए? 7 लाख करोड़ डॉलर (562 लाख करोड़ रुपये) का लेवल पार कर दिया है. भारत की बात करें तो पिछले पांच वर्षों में ईटीएफ एयूएम 65 फीसदी सीएजीआर से बढ़ा है और वित्त वर्ष 2016 में कुल एयूएम (एसेट अंडर मैनेजमेंट) में ईटीएफ की हिस्सेदारी 2 फीसदी से बढ़कर वित्त वर्ष 2021 में 10 फीसदी हो गई. दिलचस्प तथ्य यह भी है कि ईटीएफ में 90 फीसदी निवेश इंस्टीट्यूशनल इंवेस्टर्स (मुख्य रूप से ईपीएफओ) का है.
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क्या है भारत बॉन्ड ETF? क्या इस ETF में करना चाहिए निवेश? हां, तो कैसे, जानिए सबकुछ
रेटिंग एजेंसियों के डाउनग्रेड या डिफॉल्ट करने पर ETF की वैल्यू पर असर पड़ता है. साथ ही, इसमें निवेश की अवधि 10 साल की है, ऐसे में इतने लॉन्ग टर्म के लिए क्या आप इनवेस्टमेंट के लिए तैयार हैं ?
गाजियाबाद के रहने वाले अजय को पता चला कि, 3 दिसंबर से भारत बॉन्ड ETF 32 निवेशकों के लिए खुल चुका है, लेकिन अजय को यह समझ नहीं आ रहा है कि, क्या उन्हें अपने पोर्टफोलियो में यह बॉन्ड रखना चाहिए या नहीं. दरअसल इस बात को लेकर कन्फ्यूजन है कि, क्या यह बॉन्ड उनके लिए फायदेमंद रहेगा. अगर आप भी अजय के तरह ही इन सवालों के जवाब ढूंढ रहे हैं, तो आज हम आपको बताएंगे कि, क्या आपको इस ETF में निवेश करना चाहिए और कैसे ?
दरअसल, भारत बॉन्ड ETF सब्सक्रिप्शन के लिए ओपन हो चुका है और इसके तहत आप 9 दिसंबर तक इसे सब्सक्राइब भी कर सकते हैं, बता दें, यह लॉन्ग टर्म यानी की10 साल की लंबी अवधि का निवेश है, तो क्या इसे चुनना सही रहेगा, इससे जुड़े जवाब देने से पहले हम आपको बताते हैं भारत बॉन्ड ETF 2032 है क्या?
भारत बॉन्ड ETF 2032 क्या है?
भारत सरकार ने केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों के लोन की जरूरतों को पूरा करने के लिए 2019 में सबसे पहले भारत बॉन्ड ETF को पेश किया था. इसमें निवेशकों को अप्रैल 2032 में 6.87 फीसदी ब्याज सहित पूरा पैसा वापस मिल जाएगा. बता दें, भारत बॉन्ड ETF के जरिए सरकार का लक्ष्य खुदरा और संस्थागत निवेशकों से पैसा हासिल करना है. भारत बॉन्ड ETF स्टॉक एक्सचेंज पर ट्रेड होने वाला फंड है, जो नेशनल स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्ट है, यानी इसे कंपनियों के शेयर्स की तरह खरीदा और बेचा जा सकता है.
बता दें, यह सरकारी ऋण पत्रों में निवेश करता है और फंड की एक तय परिपक्वता भी होती है, जब निवेशक को रिटर्न के साथ अपना निवेश वापस मिलेगा. फंड अवधि के दौरान, इसकी यूनिट को किसी भी समय एनएसई पर खरीद या बेच सकते हैं.
क्या आपको खरीदना चाहिए भारत बॉन्ड ETF?
भारत बॉन्ड ETF म्यूचुअल फंड, ETF और बॉन्ड का बेहतर मिश्रण है, यह देश का सबसे सस्ता म्यूचुअल फंड उत्पाद है, इसकी लागत बहुत कम है. इसे आप ऐसे समझ सकते हैं कि, 2 लाख रुपये के निवेश पर इसकी लागत केवल एक रुपये है. दरअसल ETF बहुत लचीला है, इसे आप एक्सचेंज पर कारोबार अवधि के दौरान इसे आसानी से खरीद या बेच सकते हैं. इसके अलावा इसमें जोखिम भी बहुत कम है क्योंकि इसमें केवल AAA रेटिड बॉन्ड में ही निवेश किया जाता है. साथ ही टैक्स लाभ और रीइनवेस्टमेंट का ध्यान भी फंड हाउस की तरफ से रखा जाता है.
वहीं, भारत बॉन्ड ETF 1 लाख रुपये के निवेश पर 6.73 प्रतिशत तक का रिटर्न देता है. इसके अतंर्गत न्यूनतम 1000 रुपये से निवेश किया जा सकता है. बता दे, निवेशक नेट बैंकिंग और यूपीआई के माध्यम से निवेश कर सकते हैं. साथ ही फंड में कोई लडक-इन पीरियड नहीं है. हालांकि फंड ऑफ फंड में अगर आप 30 दिन के अंदर अपने यूनिट का बेचते हैं, तो आपको 0.110 प्रतिशत शुल्क देना होगा जबकि 30 दिन बाद बाहर निकलने पर कोई शुल्क नहीं लगेगा.
इनवेस्ट करने से पहले इन बातों का रखें ध्यान
रेटिंग एजेंसियों के डाउनग्रेड या डिफॉल्ट करने पर ETF की वैल्यू पर असर पड़ेगा. गौरतलब है कि, इसमें निवेश की अवधि 10 साल की है, ऐसे में इतने लॉन्ग टर्म के लिए क्या आप इनवेस्टमेंट के लिए तैयार हैं? वहीं भारत बॉन्ड ETF का नेट एसेट वैल्यू ब्याज दरों में होने वाले उतार चढ़ाव से प्रभावित भी होता है. यानी की जब ब्याज दरें बढ़ती है तब लंबी अवधि वाले फंड के एनएवी घटती है. इस बात का ध्यान रखना बेहद जरूरी है कि, मेच्यूरिटी से पहले बाहर निकलने वाले लोगों पर इसका ज्यादा असर पड़ेगा.
उधर इनवेस्टोग्राफी की संस्थापक श्वेता जैन के मुताबिक, शॉर्ट पीरियड में जिन्हें पैसा चाहिए या जो हाई रिटर्न हासिल करना चाहते हैं, उन्हें इस फंड से दूर रहना चाहिए.
Money9 की सलाह
जो निवेशक बिना किसी जोखिम के नियमित आय हासिल करना चाहते हैं, वो भारत बॉन्ड ETF 2032 में निवेश कर सकते हैं.
गोल्ड ईटीएफ में निवेश 57 फीसदी गिरा, जानिए इससे क्यों भाग रहे हैं निवेशक
गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (Gold ETF) में निवेश मई में काफी घटा है। गोल्ड ईटीएफ में मई में शुद्ध रूप से 288 करोड़ रुपये का निवेश हुआ जो अप्रैल की तुलना में 57 फीसदी कम है।
गोल्ड ईटीएफ में मई में शुद्ध रूप से 288 करोड़ रुपये का निवेश हुआ।
हाइलाइट्स
- गोल्ड ईटीएफ में मई में 288 करोड़ रुपये का निवेश हुआ
- अप्रैल की तुलना में मई में इसमें 57 फीसदी की गिरावट
- निवेशकों के शेयर बाजार का रुख करने से निवेश घटा है
आंकड़ों के अनुसार, गोल्ड ईटीएफ में मई में शुद्ध रूप से 288 करोड़ रुपये का निवेश हुआ। अप्रैल में यह आंकड़ा 680 करोड़ रुपये रहा था। इस तरह अप्रैल की तुलना में मई में इसमें 57 फीसदी की गिरावट आई है। इससे पहले निवेशकों ने मार्च में गोल्ड ईटीएफ में 662 करोड़ रुपये डाले थे। फरवरी में उनका निवेश 491 करोड़ रुपये और जनवरी में 625 करोड़ रुपये रहा था।
गोल्ड ईटीएफ से क्यों भाग रहे हैं निवेशक
मॉर्निंगस्टार इंडिया के एसोसिएट निदेशक प्रबंधक शोध हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा, ‘मई में गोल्ड ईटीएफ में निवेश घटने की वजह यह है कि शेयर बाजार काफी अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं और निवेशक अपने निवेश का एक बड़ा हिस्सा शेयरों की ओर स्थानांतरित कर रहे हैं।’ उन्होंने कहा कि इसके अलावा अप्रैल की तुलना में मई में गोल्ड ईटीएफ से निकासी भी बढ़ी है जिससे पता चलता है कि सोने की कीमतों में हालिया तेजी के बाद कुछ निवेशक मुनाफा काट रहे हैं।
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सोने के गहने से नहीं बल्कि आपको ETF में निवेश क्यों करना चाहिए? Gold ETF से होती है अच्छी कमाई, निवेश करने से पहले यहां जान लें हर छोटी-बड़ी जानकारी
फिजिकल गोल्ड इसे इतर गोल्ड ईटीएफ भी सुरक्षि व बेहतर रिटर्न वाला निवेश विकल्प साबित हो सकता है. गोल्ड ईटीएफ में भी इक्विटी शेयरों की तरह ही निवेश कियसाा जाता है. अगर डीमैट अकाउंट नहीं है तो फंड ऑफ फंड्स भी निवेश का अच्छा विकल्प साबित हो सकता है.
पिछले कुछ समय में वैश्विक अर्थव्यवस्था में अनिश्चितता का दौर देखने को आपको ETF में निवेश क्यों करना चाहिए? मिला है. इस अनश्चितता के बीच सोना ही निवेशकों की सबसे पहली पसंद बना हुआ है. दरअसल, किसी भी तरह की आर्थिक अनिश्चितता और बाजार की खराब चाल की स्थिति में सोना ही निवेश का सबसे सुरक्षित विकल्प माना जाता है. आमतौर पर जब इक्विटी बाजार में कमजोरी देखने को मिलती है, आपको ETF में निवेश क्यों करना चाहिए? तब सोने में निवेशकों को अच्छा रिटर्न मिलता है. यही कारण है कि वित्तीय प्लानर भी हर किसी को पोर्टफोलियों में सोना शामिल करने की सलाह देते हैं. इससे पोर्टफोलियो को डाइवर्सिफाई करने में मदद मिलती है. अमूमन कहा जाता है कि अपने पोर्टफोलियो में 5 से 10 फीसदी निवेश सोना में जरूर करना चाहिए.
ऐसे में गोल्ड ईटीएफ इस तरह के लोगों के लिए अच्छा विकल्प साबित हो सकता है. गोल्ड ईटीएफ एक तरह से पैसिव रूप में मैनेज किए जाने वाले म्यूचुअल फंड स्कीम्स होते है, जो 99.5 फीसदी शुद्धता वाले स्टैंडर्ड बुलियन गोल्ड में निवेश करता है. ये म्यूचुअल फंड्स बेहद करीबी से सोने के भाव पर नज़र बनाए रहते हैं.
गोल्ड ईटीएफ भी इक्विटी शेयरों की तरह ही नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) और बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) पर ट्रेड किया जाता है. एक निवेशक के तौर पर आप भी बाजार के समय आसानी से डीमैट अकाउंट के जरिए खरीद या बेच सकते हैं. आज हम आपको ऐसे ही कुछ गोल्ड ईटीएफ के बारे में बता रहे हैं, जिसने बीते कुछ समय बेहतर रिटर्न दिया है.
गोल्ड ईटीएफ में निवेश से पहले इन बातों पर जरूरी ध्यान दें
अन्य निवेश विकल्पों की तरह ही गोल्ड ईटीएफ में भी पूंजी लगाने से पहले आपको कई बातों का ध्यान रखना चाहिए. गोल्ड ईटीएफ में निवेश से पहले उसके एसेट साइज, ट्रैकिंग एरर, एक्सपेंस रेशियो, इम्पैक्ट कॉस्ट और स्पॉट प्राइस पर डिस्काउंट से आपको ETF में निवेश क्यों करना चाहिए? लेकर उसके नेट एसेट वैल्यू आदि के बारे में पता करना चाहिए. किसी भी ईटीएफ को खरीदने या बेचने में उसकी लिक्विडिटी या ट्रेडिंग वॉल्युम पर खास ध्यान दिया जाता है. ऐसे में एक्सपर्ट की सलाह है कि निवेश के लिए वही विकल्प गोल्ड ईटीएफ चुनना चाहिए, जो हर दिन ट्रेड होता हो और उसकी वॉल्युम अच्छी हो.
(करोड़ रुपये में)
क्या है प्रीमियम और डिस्काउंट रेट का मतलब?
ट्रेडिंग के दौरान ईटीएफ का स्पॉट प्राइस प्रीमियम भाव या अपने इंडिकेटिव एनएवी (iNAV) से डिस्काउंट दर पर ट्रेड कर सकता है. ऐसा लिक्विडिटी नहीं होने या मार्केट मेकर्स द्वारा कम गतिविधि की वजह से होता है. एसेट मैनेजमेंट कंपनियां की ओर से अधिकृत रूप से नियुक्त किए गए प्रतिनिधियों को ही मार्केट मेकर्स कहा जाता है. जब किसी गोल्ड ईटीएफ का भाव iNAV से ज्यादा दर पर ट्रेड कर रहा होता है तो कहा जाता है कि यह ‘प्रीमियम’ भाव पर ट्रेड कर रहा है. वहीं, जब यह भाव iNAV से कम होता है तो कहा जाता है कि यह ईटीएफ डिस्काउंट पर ट्रेड कर रहा है.
डीमैट अकाउंट नहीं है तो गोल्ड फंड ऑफ फंड्स में करें निवेश
जिन निवेशकों के पास डीमैट अकाउंट नहीं है, वे गोल्ड फंड ऑफ फंड्स (Fofs) खरीद सकते हैं. गोल्ड फंड ऑफ फंड्स भी मुख्य रूप से गोल्ड ईटीएफ में ही निवेश करते हैं. गोल्ड फंड ऑफ फंड्स की अच्छी बात है कि इसमें सिस्टमैटिक आपको ETF में निवेश क्यों करना चाहिए? इन्वेस्टमेंट आपको ETF में निवेश क्यों करना चाहिए? प्लांन्स (SIP) के जरिए निवेश विकल्प मिलता है. जबकि, ईटीएफ में एसआईपी की सुविधा नहीं मिलती है. अब गोल्ड फंड में न्यूनतम हर महीने 500 रुपये की एसआईपी के जरिए निवेश करना शुरू कर सकते हैं.
गोल्ड ईटीएफ और गोल्ड फंड ऑफ फंड्स पर टैक्स का नियम
गोल्ड ईटीएफ और गोल्ड फंड आपको ETF में निवेश क्यों करना चाहिए? ऑफ फंड्स पर टैक्स को लेकर एक समान ही नियम है. अगर गोल्ड फंड्स में 36 महीने या इससे ज्यादा समय के लिए निवेश किया जाता है तो इसपर आपको 20 फीसदी की दर से लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स (LTCG) टैक्स देना होता है. अगर आप 36 महीने से पहले ही इन निवेश विकल्प से बाहर निकल जाते हैं तो शॉर्ट-टर्म कैपिल गेन्स देना होता है. यह टैक्स आपके टैक्स स्लैब रेट के हिसाब से तय होता है.
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