प्रश्न: क्या मुझे छूट मिल सकती है?

Explained: क्या बलूच विद्रोही पाकिस्तान में China का काम तमाम कर देंगे?

चीन कर्ज देकर घुसपैठ का अपना पुराना नुस्खा अपनाते हुए पाकिस्तान में बड़ी पैठ बना चुका है. (Photo- news18 English via Reuters)

  • News18Hindi
  • Last Updated : January 13, 2021, 07:39 IST

चीन कर्ज देकर घुसपैठ का अपना पुराना नुस्खा अपनाते हुए पाकिस्तान में बड़ी पैठ बना चुका है. ये भारत के लिए दोहरा झटका है क्योंकि दोनों ही देश भारत से खराब संबंध रखते हैं. इधर पाक में निवेश के नाम पर इंफ्रास्ट्रक्चर बढ़ा रहे चीन को एक नई मुसीबत का सामना करना पड़ा रहा है, वो है बलूच विद्रोहियों की हिंसा.

क्या हो रहा पाकिस्तान में
पाकिस्तान को आएदिन अपने ही हिस्से के लोगों का विद्रोह झेलना पड़ रहा है. यहां तक कि अब चीन का पाकिस्तान में खरबों डॉलर का निवेश खतरे में आ चुका है. इसका आखिरकार खामियाजा पाकिस्तान को ही भुगतना पड़ सकता है. दरअसल हो ये रहा है कि दशकों से पाकिस्तान से अलग खुद को आजाद देश के तौर पर बनाए जाने की मांग कर रहे बलूच विद्रोहियों की मांग अब हिंसक हो चुकी है.

Google Pixel 6a vs Nothing Phone 1: कौन सा स्मार्टफोन है बेस्ट, चेक करें कीमत, फीचर्स और डिजाइन की तुलना

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Google Pixel 6a Vs Nothing Phone 1: Google Pixel 6a स्मार्टफोन को आज आधिकारिक तौर पर भारत में पेश किया जाएगा.

Google Pixel 6a vs Nothing Phone 1 – Display, Performance, Camera, Price in India: Google Pixel 6a स्मार्टफोन को आज आधिकारिक तौर क्या है गुरिल्ला ट्रेडिंग? पर भारत में पेश किया जाएगा. इस फोन की घोषणा सबसे पहले मई में एनुअल इवेंट Google I/O पर की गई थी. दिलचस्प बात यह है कि भारत में Pixel 6a के प्री-ऑर्डर उसी दिन से शुरू हो रहे हैं जिस दिन पहली बार Nothing Phone (1) की बिक्री शुरू हो रही है. Nothing Phone (1) स्मार्टफोन को कुछ दिनों पहले ही भारत में लॉन्च किया गया है. आइए जानते हैं कि इन दोनों स्मार्टफोन्स की खासियत क्या है और इनमें क्या है गुरिल्ला ट्रेडिंग? क्या अंतर है.

Google Pixel 6a VS Nothing Phone (1): डिजाइन, कीमत और फीचर्स की तुलना

Design– Pixel 6a में डुअल टोन लुक है और जिसे Google “कैमरा बार” कहता है. इसमें मेटल से बना एक फ्रेम है. पीछे प्लास्टिक है. आगे की तरफ आपको कॉर्निंग गोरिल्ला ग्लास 3 का प्रोटेक्शन मिलता है. फोन (1) में एक सी-थ्रू रियर है, जो कस्टमाइजेबल एलईडी लाइटिंग या “glyph इंटरफेस” के साथ आता है. बाहरी फ्रेम 100% री-सायकल्ड एल्यूमीनियम से बना है, जबकि शेष प्लास्टिक है- इसका 50% बायो-बेस्ड या पोस्ट-कंज्यूमर री-सायकल मटेरियल से बनाया गया है. इसमें फ्रंट में कॉर्निंग गोरिल्ला ग्लास 5 है. दोनों फोन में हेडफोन जैक या माइक्रो-एसडी कार्ड स्लॉट नहीं है.

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तालिबान का उदय कैसे हुआ, कौन था संस्‍थापक और क्‍या है इसका इतिहास? जानिए आतंकी संगठन की पूरी कुंडली

PC- AP

पूरी दुनिया चुप्‍पी साधे देखते रही और अफगानिस्‍तान पर तालिबान का कब्‍जा हो गया। अफगानिस्‍तान में डर और दहशत का आलम कैसा है, इसकी बानगी वहां से आने वाली तस्‍वीरें साफ बंया कर रही हैं। हर तरफ गोलीबारी और धमाकों ने अनार के देश कहे जाने वाले अफगानिस्‍तान को जंग का मैदान बनाकर रख दिया है। तालिबान अब अफगानिस्‍तान में सरकार बनाने की कवायद शुरू कर चुका है। तालिबानी नेता यह साफ कर चुके हैं कि देश में सरकार शरिया कानून के हिसाब से चलेगी। खबर ये भी है कि तालिबान अफगानिस्‍तान का नाम बदलकर 'इस्लामिक अमीरात ऑफ अफगानिस्तान' कर सकता है। ऐसे में अब क्या है गुरिल्ला ट्रेडिंग? लोगों के जेहन में सवाल उठना शुरू हो गया है कि आखिर ये तालिबान है कौन और इसका उदय कैसे हुआ? कौन था इसका संस्‍थापक? तो आइए इस खबर में हम आपको तालिबान से जुड़ी हर बात बताएंगे।

महीन और लचीला काँच

महीन और लचीला काँच

काँच या शीशा कहने से एक ऐसे ठोस पदार्थ की तस्वीर मन में उभरती है जिसके साथ बिल्कुल छेड़छाड़ नहीं की जा सकती. वरना वह छन्न से टूट जाएगा.

यह कल्पना ही नहीं की जा सकती थी कि शीशा इतना महीन और लचीला हो जिसको मोड़कर मनचाहा आकार भी दिया जा सकेगा। इतना मनचाहा कि इसका उपयोग किसी उपकरण को पैक करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।

‘विलो ग्लास’ नाम का ये शीशा उसी कंपनी ने बनाया है, जिसने 'गोरिल्ला ग्लास' बनाया था। 'गोरिल्ला ग्लास' का उपयोग फिलहाल मोबाइल उपकरणों की स्क्रीन बनाने में किया जाता है।

'विलो ग्लास' को हाल ही में बॉस्टन में हुए एक ट्रेड शो में प्रदर्शनी पर रखा गया था। कंपनी का कहना है कि न केवल स्मार्टफोन के लिए, बल्कि इस महीन शीशे का इस्तेमाल उन उपकरणों को पैक करने के लिए भी किया जा सकता है, जिनकी सतह सपाट न हो। इस शीशे का क्या है गुरिल्ला ट्रेडिंग? इस्तेमाल उन उपकरणों के लिए फायदेमंद रहेगा जो बहुत पतले होते हैं।

अगली पीढ़ी का 'गोरिल्ला ग्लास'?

इस ग्लास को बनाने में ‘फ्यूज़न’ प्रक्रिया का इस्तेमाल किया गया, जिसके तहत सामग्री को 500 डिग्री सेंटिग्रेट पर पिघलाया जाता है और फिर उससे एक पतली शीट बनाई जाती है, जैसा कि प्रिंटिग प्रेस में किया जाता है।

कहा जा रहा है कि भविष्य में 'गोरिल्ला ग्लास' की जगह 'विलो ग्लास' ले सकता है। 'गोरिल्ला ग्लास' को 2007 में लॉन्च किया गया था और अब तक इसका इस्तेमाल 575 उपकरणों पर हो चुका है और 33 निर्माता कंपनियों ने इसे अपनाया है।

इस शीशे पर सबसे पहले एपल कंपनी के संस्थापक स्टीव जॉब्स का ध्यान गया था जब 2006 में कंपनी अपने पहले आई-फोन के लिए स्क्रीन बनाने पर काम कर रही थी। 'विलो ग्लास' बनाए जाने से पहले भी इस तरह का शीशा बनाने के लिए कई प्रयोग किए जा चुके हैं। पिछले कुछ सालों में विश्व भर के वैज्ञानिक ग्राफीन नाम के एक पदार्थ पर काम कर रहे हैं जिससे कि उन्हें महीन और लचीला शीशा बनाने की उम्मीद थी।

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कंपनी के पास एक मजबूत बिक्री के बाद प्रबंधन टीम है, जो समय पर ग्राहकों द्वारा सामना की गई समस्याओं का जवाब देती है, और बंद लूप को हल और बंद करती है।

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