मार्केट कैप क्या है
Market Cap: नमस्कारं दोस्तों ! शेयर मार्केट में अक्सर आपने “मार्केट कैप” यह शब्द सुना होगा ? जो भी न्यूज़ शेयर मार्केट का कवरेज करते है वह इस शब्द का इस्तेमाल करते है. यह शब्द सबसे ज्यादा कंपनीओके टोटल वैल्यू बताता है जिसे उन्हें पैसे को इन्वेस्ट करने में आशानी रहती है.
जब आप किसी भी शेयर पर अपने पैसे इन्वेस्ट करे तब कंपनी का “मार्केट केप” जरुर चेक करे. इसे आपको यह पता चलेगा की रिस्क लेना चाहिए या नही. इसे पता चलता है की कंपनी का मोमेंटम कैसा है.
यह टॉपिक आज हम जानेगे की आखिर कार यह “मार्केट केप क्या होता है और मार्केट केप के प्रकार कितने है “? चलिए समजते है विस्तार से !
Table of Contents
मार्केट केप क्या होता है ?
- “मार्केट केप” का पूरा वाक्य होता है “मार्केट कैपिटलाइजेशन” जिसे आप हिंदी में “बाजार पूंजीकरण” भी कह सकते है.
- “बाजार पूंजीकरण (मार्केट केप)” यानी की जिस स्टॉक पर आप पैसे इन्वेस्ट करना चाहते है अभी चल रहे भाव और आउटस्टैंडिंग शेयर इन दोनों को मिला कर जो मूल्य मुझे मिलता है उसे में शेयर मार्केट की भाषा में “बाजार पूंजीकरण (मार्केट केप)” कहा जाता है.
Formula And Calculation Of Market Capitalization
- इसे हम ऐसे समजे तो मैंने XYZ नाम की कंपनी के शेयर्स ख़रीदे है. वह शेयर का भाव चल रहा है 30 रुपे और उसका आउटस्टैंडिंग शेयर में मान लेता हु 20,000 इन दोनों को मिला कर जो मूल्य मुझे मिलता है वह “6,00,000” होते है. यह एक सिंपल एक्साम्प्ल के जरिये आपको समज में आ गया की कंपनी का “मार्केट केप” कैसे निकाला जा सकता है.
अब हम यह समजते है “मार्केट केप” के कितने प्रकार होते है और कैसे समजे की कौन सी कंपनी की टोटल मार्केट केप कम , ज्यादा और इन दोनों के बीच में है आएये जानते है.
मार्केट केप के प्रकार कितने है ?
जैसे हमने XYZ के शेयर का एक्साम्प्ल समजा यानी की हमे पता चल गया है यह इस कंपनी का मार्केट केप इतना है पर यह कैसे पता चलेगा की यह कम है या ज्यादा या दोनों के बीच में है ?
इसे हम तीन प्रकार में समज सकते है !
सबसे पहले हम यह जानेगे की Small Cap क्या होता है बाद में Mid Cap और Large Cap !
Small Cap क्या होता है ?
- Small Cap यानी की आपने कंपनी का टोटल “मार्केट केप” Rs.5,000 crore से कम हो इसे हम “Small Cap” कहेंगे.
Mid Cap क्या होता है ?
- Mid Cap यानी की आपने कंपनी का टोटल “मार्केट केप” Rs.5,000 crore से कम और Rs.20,000 crore से ज्यादा हो इसे हम “Mid Cap” कहेंगे.
Large Cap क्या होता है ?
- Large Cap यानी मार्केट कैप क्या है की आपने कंपनी का टोटल “मार्केट केप” Rs.20,000 crore से ज्यादा हो इसे हम “Large Cap” कहेंगे.
यह तो था दोस्तों की “मार्केट केप क्या होता है और मार्केट केप के प्रकार कितने है “ आपको यह टॉपिक आपको अब क्लियर हो गया होगा. दोस्तों आगे भी हम शेयर मार्केट के बेसिक टॉपिक्स पर चर्चा करेंगे और साथ ही साथ नई चीज़े शिखेंगे जिसे आपको शेयर मार्केट का A to Z समजमे आजाय. चलिए दोस्तों फीर मिलते है अगले टॉपिक पर.
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Market Cap kya hai?|Calculation of Market Capitalization In Hindi ?
और मुझे यकीन है की आज के इस पोस्ट को पढ़ कर आपको Market Cap की पूरी जानकारी मिलने वाली है.
इन पोस्ट को भी जरूर पढ़े.
Table of Contents
Market cap kya hota hai – मार्केट कैप क्या है?
Market cap का पूरा नाम Market Capitalization है.और Market Capitalization को अगर एक लाइन में Explain करे,तो Market Cap मतलब किसी कंपनी की टोटल वैल्यू.
For Example,अगर abc कंपनी की टोटल वैल्यू 100 करोड़ है,तो शेयर मार्केट की भाषा मै हम उसे कहेंगे की,Abc कंपनी का market cap 100 करोड़ का है.
मार्केट कैप की हेल्प से आपको ये पता मार्केट कैप क्या है चल जाता है,की कोनसी कंपनी कितनी बड़ी है या कितनी छोटी है.
न्यू लोगो की गलती
जो लोग शेयर मार्केट में नए होते है,उन्हे एक बहुत बड़ी गलतफहमी होती है,की जिस कंपनी के शेयर का price सबसे ज्यादा होता है वो कंपनी बड़ी है.लेकिन ऐसा नहीं होता.कोनसी कंपनी कितनी बड़ी है ये उस के Market cap पे decide किया जाता है.
अब Reliance Industries के एक share की Price Rs 2,000 के आस पास है.और MRF टायर के एक share की Price Rs 80,000 के उपर है .तो नए लोगो को लगता है MRF कंपनी बड़ी तो ऐसा नहीं है.यह बड़ी कंपनी reliance industry है,क्युकी भले उनके एक share की price Rs 2,000 होगी.लेकिन उनका मार्केट कैप MRF company से कई ज्यादा है.
और Share के price change होने पर उस कंपनी के मार्केट कैप में भी changes आते है.
Types of Market Cap
Market cap क्या है ? ये तो अपको समझ आ गया होगा.अब बात करते है Types of market cap की,
- Small Cap Company.
- Mid Cap Company.
- Large Cap Company.
Small Cap Company:-
जिन कंपनी की टोटल वैल्यू Rs 500 करोड़ से कम है,उन कंपनियों को Small cap company की category में रखा जाता है.और यहां काफी Risk हे कंपनियों मै invest करने में.
क्युकी इन टाइप के कंपनियों मै अगर कोई investor इन्वेस्ट करता है,तो वो मालामाल भी बन सकता है या कंगाल भी हो सकता है.क्युकी यहां सारी नए कंपनियां होती है,इसलिए उनके growth के बारे में predict करना काफी मुश्किल है.
List Of Small Cap Company
Gati,Career Point, Godawari power etc
Mid Cap Company:-
अगर किसी कंपनी का Market capitalisation Rs 500 करोड़ से Rs 10,000 करोड़ तक का है,तो उन कंपनियों को Mid Cap Company के category मै रखा जाता है .
List Of Mid Cap Company
Allahabad Bank, Apollo hospital, Blue Dart etc.
Large Cap Company:-
जिस कंपनी का Market capitalisation Rs 10,000 करोड़ से ऊपर है,उन्हे Large Cap Company के category में रखा जाता है.
Large cap company में invest करना काफी safe माना जाता है investor के point of you से,क्युकी वो कंपनी काफी सालों से मार्केट में रन कर रही है.इसलिए लोगो को इन कंपनी के उपर काफी भरोसा रहता है.इसलिए वो इन कंपनियों में long time के लिए invest करते है.
List of Large Cap Company,
HDFC Bank, Axis Bank,SBI, Maruti Suzuki, reliance etc.
Small Cap Company | Rs 500 करोड से कम |
Mid Cap Company | Rs 500-10 हजार करोड़ के बीच मै. |
Large cap company | Rs 10 हजार करोड़ के उपर. |
Market cap के बारे में कुछ और बाते जान लो :-
Market cap में अपने अपने टाइम और देश के हिसाब से change होते है.
मतलब,साल 1950 मै अमेरिका में 1 billion dollar वाले कंपनियों को Large Cap Company यो की category मैं रखा जाता था,लेकिन आज के टाइम अमेरिका में 1 billion dollar वाली Company यो को Small Cap category में रखा जाता है.
उसी तरह आज के टाइम इंडिया में Rs700 करोड़ वाली कंपनी को हम Mid cap company की category में रख रहे है,लेकिन आने वाले साल में शायद हम इसे Small Cap की category में रखे.
Calculation Of Market Cap In Hindi
अगर आपको किसी कंपनी के market cap को Calculate करना है,तो उस कंपनी के total outstanding shares को उसके current share price के साथ उसे multiply (गुना) कर दो ,तो जो value आयेगी वो उस कंपनी की मार्केट कैप वैल्यू होगी.
Market capitalization =Total no.of outstanding shares × current share pric e
एक example के साथ इस calculation को और अच्छे से समझते है.
एक Abc नाम की कंपनी है,और उस कंपनी के पास total outstanding shares 100 करोड़ है.और उनके एक share की कीमत Rs150 है,तो Calculate of Market cap ?
Market cap =100 करोड़ × 150 रुपए =15,000 करोड़ रुपए.
तो हम ये बोल सकते है,Abc कंपनी का market cap पूरे 15,000 करोड़ रुपयों का है.
What is outstanding shares ?
Outstanding share मतबल वो सारे shares जो कंपनी के पास available है trading के लिए.
ये तो बस एक manually तरीका है,जिसके बारे में अपको पता होना चाहिए.आज के टाइम ये वैल्यू कोई निकालता नहीं है.
सब कंपनी की information आपको गूगल पर मिल जाती है.सिर्फ अपको गूगल मै जा कर कंपनी का नाम टाइप करना है,और सारी information आपके सामने आ जाती है.⬇️
Market Cap kya hai
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Market Cap क्या है? Large Cap, Mid Cap और Small Cap कंपनियां क्या है?
दोस्तों यदि कोई आपसे कहता है कि किसी दो कंपनी की करेंट शेयर प्राइस देखकर ये पता लगायें कि कौन सी कंपनी बड़ी है? जैसे:
यदि आपको लगता है कि MRF बड़ी कंपनी है, क्योंकि इसके शेयर प्राइस TCS से बहुत ज्यादा है, तो यह आर्टिकल आपको पूरी पढ़नी चाहिए। हम कोई शेयर प्राइस के बेसिस पर कंपनी की साइज़ को डिसाइड नहीं कर सकते है। इसके लिए हमें मार्केट कैप (Market Cap) के कॉन्सेप्ट को समझना होगा।
मार्केट कैप (Market Cap) को Market Capitalization या बाजार पूंजीकरण भी कहते है। किसी कंपनी की बाजार में मौजूद शेयर्स की कुल मार्केट वैल्यू को उस कंपनी का मार्केट कैप कहते है। मार्केट कैप किसी कंपनी की साइज और उसके टोटल वैल्यू को दर्शाते हैं। इसे कैलकुलेट करने के लिए कंपनी के Total No of Outstanding Shares को Current Market Price प्रति शेयर से गुणा करके निकाल सकते है।
Total No of Outstanding Shares: ऐसे शेयर्स जो कंपनी के स्टॉक होल्डर्स और उसके ऑफिसर्स होल्ड करते हो। इसमें कंपनी के Owners के शेयर्स को शामिल नहीं किया जाता है।
मान लीजिए कि एक कंपनी AB Ltd के Total No of Outstanding Shares = 5 लाख है और Current Market Price = 1000 रुपये प्रति शेयर है, तब कंपनी AB Ltd की Market Cap = 5 lakhs*1000 = Rs. 50 करोड़ होगी।
ऊपर कैलकुलेशन से स्पष्ट है कि TCS Ltd की मार्केट कैप, MRF Ltd की मार्केट कैप से अधिक है। यानी TCS Ltd बड़ी है MRF Ltd से। इस तरह से हमें पता चलता है कि किसी कंपनी की शेयर प्राइस देखकर उसकी साइज नहीं बता सकते है। यानी मार्केट कैप से ही कंपनी की साइज बता सकते है।
ऐसी कंपनी जिनकी मार्केट कैप 20,000 करोड़ से अधिक हो, उसे लार्ज कैप कहते है। इसे Blue Chip Company भी कहा जाता है। SEBI द्वारा 6 Oct 2017 को जारी एक निर्देश अनुसार स्टॉक एक्सचेंज (BSE और मार्केट कैप क्या है NSE दोनों में) शुरुवात की 100 नंबर्स तक की लिस्टेड कंपनियां लार्ज कैप की कैटेगरी में रखा गया है।
लार्ज कैप कंपनियां काफी स्टेबल होते है। ऐसी कंपनियों में निवेश करना कम रिस्की होता है, लेकिन इसमें प्रॉफिट भी कम ही होता है। लॉन्ग टर्म के हिसाब से इनमें निवेश करना अच्छा माना जाता है।
ऐसी कंपनी जिनकी मार्केट मार्केट कैप क्या है कैप 5,000 करोड़ से 20,000 करोड़ तक हो, उसे मिड कैप कहते है। SEBI के नियमानुसार स्टॉक एक्सचेंज (BSE और NSE दोनों में) 101 कंपनियों से 250 नंबर्स तक की लिस्टेड कंपनियां मिड कैप की कैटेगरी में रखा गया है।
मिड कैप कंपनियों में Volatility अधिक होती है। इन कंपनियों में निवेश की दृष्टि से रिस्क और रिटर्न लार्ज कैप कंपनियों से अधिक होता है। ये कंपनियां कुछ सालों में लार्ज कैप कंपनी बनने की संभावना भी होती है।
ऐसी कंपनी जिनकी मार्केट कैप 5,000 करोड़ से कम हो, उसे स्माल कैप कहते है। SEBI के नियमानुसार स्टॉक एक्सचेंज (BSE और NSE दोनों में) 250 नंबर्स के बाद की लिस्टेड कंपनियां स्माल कैप की कैटेगरी में रखा गया है। शेयर मार्केट में कुल लिस्टेड कंपनियों के 80% से 90% स्टॉक्स या शेयर्स स्माल कैप कंपनियां है।
स्माल कैप कंपनियां ग्रोथ और वोलैटिलिटी की संभावना मिड कैप और लार्ज कैप कंपनी से काफी अधिक होती है। इसलिए ये कंपनियां हाई रिस्की और हाई रिटर्न वाले होते है। ऐसी कंपनियों की शेयर प्राइस काफी कम भी होते है, जिसके कारण रिटेल इन्वेस्टर इसकी तरफ ज्यादा आकर्षित होते है।
स्टॉक मार्केट में कंपनियों के ग्रोथ और पोटेंशियल के हिसाब से शेयर प्राइस समय के साथ कम या ज्यादा होते रहते है। जिसके कारण कंपनियों के मार्केट कैप में भी बदलाव होते रहते है। यानी कंपनी स्माल कैप, मिड कैप और लार्ज कैप कैटेगरी से मार्केट कैप क्या है गुजरता है। हरेक लार्ज कंपनी पहले मिड कैप और स्माल कैप कम्पनी ही थी। लेकिन ये जरूरी नहीं कि हरेक स्माल कैप कंपनी फ्यूचर में मिडकैप या लार्ज कैप कंपनी बनेगी।
3. नैनो कैप (Nano Cap): वे कम्पनियां जिनके मार्केट कैप 500 करोड से कम हो। ये स्टार्टअप कंपनियां होती है, अभी अभी मार्केट में लिस्ट हुए हो सकते है। ये बहुत ही छोटी कंपनी होती है।
दोस्तों आशा करता हूँ कि आपको Market Cap क्या है? Large Cap, Mid Cap और Small Cap कंपनियां क्या है? समझ आया होगा। इससे रिलेटेड कोई सवाल हो तो कंमेंट बॉक्स में जरूर लिखे।
बाजार पूंजीकरण क्या है?
सीधे शब्दों में कहें तो मार्केट कैप = शेयर की कीमत * बकाया शेयरों की संख्या। मुख्य रूप से 4 श्रेणियां हैं:
लार्ज कैप - मार्केट कैप वाली कंपनियां> रु 20,000 करोड़; उदाहरण के लिए टीसीएस, रिलायंस इंडस्ट्रीज
मिड कैप - रु। 5000 से 20,000 करोड़ के बीच की मार्केट कैप वाली कंपनियां; उदाहरण के लिए टीवीएस मोटर्स, बैंक ऑफ इंडिया आदि
Market Capitalization क्या है?
Market capitalization, जिसे आमतौर पर मार्केट कैप कहा जाता है, सार्वजनिक रूप से कारोबार करने वाली कंपनी के बकाया शेयरों का बाजार मूल्य है। बाजार पूंजीकरण बकाया शेयरों की संख्या से गुणा किए गए शेयर की कीमत के बराबर है।
बाजार पूंजीकरण क्या है? [What is Market Capitalization? In Hindi]
Market Capitalization से तात्पर्य किसी कंपनी के स्टॉक के बकाया शेयरों के कुल डॉलर के बाजार मूल्य से है। आमतौर पर "मार्केट कैप" के रूप में जाना जाता है, इसकी गणना कंपनी के बकाया शेयरों की कुल संख्या को एक शेयर के मौजूदा बाजार मूल्य से गुणा करके की जाती है।
उदाहरण के तौर पर, एक कंपनी जिसके 10 मिलियन शेयर 100 डॉलर में बिकते हैं, उसका मार्केट कैप 1 बिलियन डॉलर होगा। बिक्री या कुल संपत्ति के आंकड़ों का उपयोग करने के विपरीत, निवेश समुदाय इस आंकड़े का उपयोग कंपनी के आकार को निर्धारित करने के लिए करता है। एक अधिग्रहण में, मार्केट कैप का उपयोग यह निर्धारित करने के लिए किया जाता है कि अधिग्रहण करने वाला उम्मीदवार एक अच्छे मूल्य का प्रतिनिधित्व करता है या नहीं।
बाजार पूंजीकरण श्रेणियाँ [Market Capitalization Categories] [In Hindi]
मोटे तौर पर, Market Capitalization के आधार पर, शेयर बाजार शेयरों को विभिन्न श्रेणियों में वर्गीकृत करता है:
- लार्ज कैप - 10 बिलियन डॉलर से अधिक के मार्केट कैप वाली कंपनियों को लार्ज-कैप स्टॉक के रूप में वर्गीकृत किया जाता है। कुछ उदाहरण Apple, Microsoft, IBM, Facebook आदि होंगे।
- मिड कैप - ऐसी कंपनियां जिनका मार्केट कैप 1 अरब डॉलर से लेकर 10 अरब डॉलर तक है। मिड-कैप स्टॉक, सामान्य तौर पर, लार्ज-कैप शेयरों की तुलना में अधिक अस्थिर होते हैं और इसमें विकास-उन्मुख स्टॉक अधिक होते हैं।
- स्मॉल कैप - 250 मिलियन डॉलर से 1 बिलियन डॉलर के बीच बाजार पूंजीकरण वाली कंपनियां। वे उच्च जोखिम और उच्च रिटर्न वाले स्टॉक हैं, क्योंकि कंपनियां विकास के चरण में हैं। बड़ी संख्या में कंपनियां स्मॉल-कैप श्रेणी की हैं।
- माइक्रो कैप - वे पेनी स्टॉक हैं जो अपेक्षाकृत मार्केट कैप क्या है युवा हैं। माइक्रो-कैप कंपनियों की वृद्धि और गिरावट की क्षमता समान प्रकृति की है। उन्हें सबसे सुरक्षित निवेश नहीं माना जाता है। इसलिए, उन्हें निवेश से पहले बहुत सारे शोध की आवश्यकता होती है।
क्या बड़ा बाजार पूंजीकरण होना बेहतर है? [Is it better to have a bigger market capitalization? In Hindi]
बड़े बाजार पूंजीकरण के फायदे और नुकसान हैं। एक ओर, बड़ी कंपनियां बैंकों से और कॉरपोरेट बॉन्ड बेचकर बेहतर वित्तपोषण शर्तों को सुरक्षित करने में सक्षम हो सकती हैं। साथ ही, इन कंपनियों को अपने आकार से संबंधित प्रतिस्पर्धात्मक लाभों से लाभ हो सकता है, जैसे कि पैमाने की अर्थव्यवस्था या व्यापक ब्रांड पहचान।
दूसरी ओर, बड़ी कंपनियों के पास निरंतर विकास के सीमित अवसर हो सकते हैं, और इसलिए समय के साथ उनकी विकास दर में गिरावट देखी जा सकती है। Marginal Standing Facility क्या है?
बाजार पूंजीकरण और उद्यम मूल्य में क्या अंतर है? [What is the difference between market capitalization and enterprise value? In Hindi]
बाजार पूंजीकरण और उद्यम मूल्य के बीच महत्वपूर्ण अंतर यह है कि बाजार पूंजीकरण केवल कंपनी की इक्विटी के मूल्य को दर्शाता है, जबकि उद्यम मूल्य पूंजी की कुल राशि को दर्शाता है - जिसमें ऋण शामिल है - व्यवसाय में निवेश किया गया।
विशेष रूप मार्केट कैप क्या है से, उद्यम मूल्य की गणना कंपनी के बाजार पूंजीकरण को लेकर, उसके कुल ऋणों को जोड़कर और उसकी नकदी को घटाकर की जाती है। कई निवेशक कंपनी के अधिग्रहण और इसे निजी लेने की लागत के मोटे अनुमान के रूप में उद्यम मूल्य का उपयोग करते हैं। इसका उपयोग मूल्यांकन अनुपात जैसे उद्यम बहु में भी किया जाता है।
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