शुरू में शोरूम में बैठने में डर लगता था
महिलाओं के लिए सुरक्षित माहौल नहीं है। व्यापार की भी यही स्थिति है। मेरे शोरूम पर लोग सामान खरीदने के लिए आते थे, तो कई ऐसे भी होते थे जो घूरते थे। अब उनकी शिकायत करें या व्यापार को संभाले। पूंजी जुटाना भी आसान नहीं, बैंक अधिकारी सौ सवाल करते थे। सिर्फ मेरे साथ नहीं, हर कारोबारी महिला के साथ यह परेशानी आती है। - कशिश धनवानी
वोगो सफलता की कहानी व्यापार और राजस्व मॉडल
यह तस्वीर — आप अपने गंतव्य से थोड़ी दूरी पर हैं लेकिन आपके चलने के लिए पर्याप्त नहीं है। आस-पास कोई ऑटो या बस नहीं है और सर्ज प्राइसिंग एक आशाजनक विकल्प होने के लिए आपकी जेब में बहुत बड़ा छेद खोदने का प्रयास कर रहा है। आप क्या करते हैं? इसी सवाल ने वोगो के संस्थापक — आनंद अय्यादुरई, पद्मनाभन बालाकृष्णन और संचित मित्तल को परेशान किया।
Vogo भारत में कई शहरों में उपलब्ध बाइक और इलेक्ट्रिक स्कूटर किराए पर लेने की सेवा है।
A. Vogo क्या पेशकश करते हैं?
वोगो एक अभिनव विचार के साथ आया है जो लोगों को आसानी से सुलभ किराये के साइकिल और इलेक्ट्रिक स्कूटर प्रदान करने के लिए उनके आवागमन के अंतिम मील तक पहुंचने के लिए है जो अन्यथा उन पर एक बड़ा टोल लेगा।
वाहन किराए पर देने और साझा करने की क्षमता कंपनी के मॉडल का अगला चरण हो सकता है। यह केवल दो लोगों के लिए तर्कसंगत होगा जो बाइक या स्कूटर को एक साथ किराए पर लेने के लिए एक ही स्थान पर पहुंचना चाहते हैं।
क्यों काम कर रहा है?
1. यह उन सभी के लिए सस्ती है जो सेवा का लाभ उठा रहे हैं।
2. यह उन लोगों के एक बड़े हिस्से के लिए हर दिन की समस्या है, जो हर दिन काम करना चाहते हैं, दिन के किसी भी समय सीमा पर रहें। भीड़ हमेशा रहती है और इसे किसी भी तरह से हरा देना एक सकारात्मक बदलाव है।
3. कोई कुंजी की आवश्यकता नहीं है। ओटीपी का इस्तेमाल बाइक पर लगे ताले तक पहुंचने के लिए किया जाता है। इस कार्यान्वयन मॉडल के भीतर IoT सेवाओं का यह उपयोग सहायक था।
C. Vogo ऐप कैसे काम करता है?
यह मॉडल एक IoT आधारित आपूर्ति श्रृंखला का उपयोग करता है। इसके अलावा, IoT का उपयोग उन स्कूटरों का पता लगाने के लिए किया जाता है जिनमें अपर्याप्त बैटरी होती है इसलिए उपयोगकर्ताओं को खराब स्थिति वाली बाइक प्रदान करने के बजाय बैटरी परिवर्तन का अनुरोध करते हैं। इस प्रकार, बाजार में नई तकनीक का उपयोग उन कर्मचारियों को आकर्षित करता है जिनके पास इस श्रेणी में विशेषज्ञता है जो अन्यथा नहीं-बल्कि-लक्षित उपयोग के लिए जा रहे थे।
चीजों को बुक करने या ऑनलाइन खाना ऑर्डर करने के विकल्प ट्रेडिंग सफलता की कहानियां लिए उपयोग किए जाने वाले हर दूसरे एप्लिकेशन की तरह, वोगो उपयोगकर्ताओं के लिए समान आसान अनुभव लाता है।
2. एक नए उपयोगकर्ता के रूप में एक प्रोफ़ाइल बनाएं।
3. निकटतम बाइक का पता लगाएं।
4. ई-भुगतान के माध्यम से बुकिंग की पुष्टि करें। जब तक आप एक सवारी प्राप्त नहीं करते तब तक यह मान्य होगा।
E. वोगो, निवेश अंतर्दृष्टि:
वोगो ने कुल 133 मिलियन अमरीकी डालर जुटाए हैं। यह एक ऐसी राशि है जो बहुत से लोगों को एक गहरी सांस में चूसती है, लेकिन उन्होंने इसे कैसे किया? उत्तर — वेंचर कैपिटल फाइनेंसिंग। यह एक पुनरावृत्त विकल्प ट्रेडिंग सफलता की कहानियां प्रक्रिया है जो कंपनियों को उनके लिए धन जुटाने की अनुमति देती है, दी गई है, वे अपने शेयरों को निवेशकों को बेचने के लिए बोली लगाने के प्रत्येक दौर में जीवित रहते हैं। वे चक्कर में लगते हैं।
Vogo ने निवेशक सी स्टेलर वेंचर पार्टनर्स के साथ श्रृंखला सी बोली में 4 मिलियन अमरीकी डालर जुटाए। अन्य निवेशकों में मैट्रिक्स पार्टनर्स और कलारी कैपिटल शामिल हैं। सबसे बड़े निवेशकों में से एक ओला है, जिसकी कुल राशि 100 मिलियन अमरीकी डालर है। ओला कंपनी के लिए लाया, अपनी विशेषज्ञता के साथ, सेवा के लिए 100,000 स्कूटर।
राकेश झुनझुनवाला का स्टॉक मार्केट मे 5000 रुपय से 19000 करोड़ का सफर
दोस्तों जब हमारे मन मे ये सवाल आता है की कैसे हम करोड़पति बने तो हमारा ध्यान जाता है स्टॉक मार्केट की तरफ, यहाँ निवेश करने का मकसद ही यही होता है की ज्यादा से ज्यादा पैसा कमाना. ये वो मार्किट है जहाँ कई लोगो ने लाखो करोड़ो रूपये कमाये तो कई का लाखो और करोड़ो का नुकसान भी हुआ. कहते है की यदि आप किसी क्षेत्र मे कुछ करना चाहो तो उस क्षेत्र के कामयाब लोगो से सीख लो और उन्हें प्रेरणा बनाओ. हमने पिछले पोस्ट में स्टॉक मार्केट से संबंधी सभी जरूरी बातो की जानकारी आपको दी थी, इस पोस्ट में हम आपको विकल्प ट्रेडिंग सफलता की कहानियां बतायेंगे आपको उस प्रमुख निवेशक के बारे मे जिसने स्टॉक मार्किट मे निवेश करके बहुत लाभ कमाया और एक सफल कामयाब निवेशक बन गये. ये कामयाब निवेशक है राकेश झुनझुनवाला.
राकेश झुनझुनवाला भारतीय स्टॉक मार्केट में वारेन बफेट के नाम से जाने जाते है और सबसे सफल निवेशको मे से एक है. जब राकेश झुनझुनवाला ने स्टॉक मार्केट में कदम रखा तो उन्होंने अपने सफर की शुरुआत 5000 रुपय से की विकल्प ट्रेडिंग सफलता की कहानियां थी और आज की तारीख मे उनका ये सफ़र 19000 करोड़ (मशहूर पत्रिका फोर्ब्स के अनुसार) से भी उपर पहुँच गया है. 5 जुलाई 1960 मे जन्मे राकेश का जन्म एक मध्यम वर्गीय परिवार मे हुआ था, पेशे से वे चार्टेड अकाउंटेंट है. उनके पिता एक इनकम टैक्स ऑफिसर थे. बचपन मे ही उन्हें स्टॉक मार्केट की जानकारी अपने पिता से मिल गयी. उनके पिता स्टॉक्स मे रूचि रखते थे और अपने मित्र के साथ स्टॉक मार्केट की बात किया करते थे. राकेश उन्हें ध्यान से सुनते थे. एक दिन उन्होंने अपने पिता से स्टॉक्स के दामो मे होने वाले उतार चढ़ाव के बारे में पूछा, उनके पिता ने उन्हें न्यूज़ पेपर पढने का सुझाव दिया और बताया की ये अख़बार की खबरे पढ़कर उन्हें स्टॉक के दामो में होने वाले उतार चढ़ाव के बारे में पता चलेगा. वे स्टॉक की तरफ आकर्षित होने लगे. फिर भी उनके पिता ने उनसे कहा की लाइफ मे कुछ भी करने से पहले उन्हें प्रोफेशनली रूप से शिक्षित हो जाना चाहिये. उन्होंने चार्टेड अकाउंटेंट का रास्ता चुना. जनवरी 1985 मे उन्होंने सीए पूरी की. इसके बाद उन्होंने अपने पिता से स्टॉक मार्केट मे जाने की इच्छा जाहिर की, उनके पिता ने उनसे कहा की वो स्टॉक मार्केट में इन्वेस्ट करने के लिये उनसे और दोस्तों से पैसा न मांगे. साथ ही उन्होंने से यह भी उनसे कहा की अगर वो स्टॉक मार्केट में पैसा नहीं कमा पाते तो वो सीए के रूप मे अपनी जीविका चला सकते है. सीए होना उनके लिये सुरक्षा का एक उपाय था जिसने उनको स्टॉक मार्किट मे जाने के लिये प्रेरित किया.
राकेश झुनझुनवाला का स्टॉक मार्केट का सफर
राकेश झुनझुनवाला आज भारत में सबसे सफल इक्विटी निवेशकों में से एक है। उन्होंने स्टॉक मार्केट मे निवेश की शुरुआत 1985 मे 5000 रुपय से की. उस समय BSE सेंसेक्स 150 पर था. वे जानते थे की इतने पैसे मे वे स्टॉक मार्केट से लाभ नहीं उठा पायेंगे लेकिन जल्द ही उन्हें अपने भाई के क्लाइंट से 2.5 लाख रूपय विकल्प ट्रेडिंग सफलता की कहानियां मिल गये उन्होंने उससे वादा किया था की उसको वे फिक्स्ड डिपाजिट से ज्यादा रेटर्न दिलायेंगे. उन्होंने अपना पहला बड़ा लाभ 1986 में कमाया, जब उन्होंने तीन महीने पहले टाटा टी के 5000 शेयर जो की 43 रूपए मे ख़रीदे गए थे को 143 रूपए मे बेच दिया. 1986 से 1989 के बीच उन्होंने 20 से 25 लाख रुपये कमाये. उन्हें एहसास हुआ कि शेयर बाजार से बड़े पैसे कमाने के लिए ट्रेडिंग ही एकमात्र विकल्प है। उन्होंने स्टॉक में ट्रेडिंग शुरू कि. उनका अगला बड़ा निवेश सीसा गोवा का था. उन्होंने 10 मिलियन रुपय में सीसा गोवा के 400000 शेयर ख़रीदे. इनमे से उन्होने दो से ढाई लाख शेयर 60 से 65 रुपय मे बेच दिये और दुसरे 1 लाख शेयर उन्होंने 150 से 175 रुपय मे बेच दिये. दाम 2200 पहुचने पर उन्होंने बाकी के कुछ शेयर बेचे.
rakesh jhunjhunwala investment philosophy in hindi
वह वही स्टॉक उठाते है जिसे वह महसूस करते है कि वे दीर्घकालिक विकास की क्षमता रखते है। वह दीर्घकालिक निवेश में विश्वास करते है और मार्केट मे सरलता से उपलब्ध ज्ञान पर भरोसा करते है । उनका कहना है कि वह विकास, मूल्यांकन,तरलता(liquidity), और कंपनी के नकदी प्रवाह को देखते हैं। उन्होंने ये मन है की गलतियों से मिली सीख ने उन्हे बेहतर निवेशक बनाया विकल्प ट्रेडिंग सफलता की कहानियां है. उनका कहना है की वे गलत कंपनियों को चुनने के लिए भी कीमत चुकाते है। जब भी वे कंपनिया खरीदते है, तो उन्हें अपनाते है। अगर वे डिलीवर नहीं करती हैं, तो उन्होंने उन्हें चुनने में गलती की है। वह दृढ़ता से भारत के विकास और इसकी बढ़ती अर्थव्यवस्था की वकालत करते है। राकेश झुनझुनवाला गलतियों से सीखने में भरोसा रखते हैं। वह अक्सर कहते है- ‘गलतियाँ आपके सीखने वाले दोस्त हैं। उनका विचार इन गलतियों को कम रखना है।
अपराजिता: व्यापार शुरू करने पर मिली चुनौतियां अपार, साथ न आया परिवार, पढ़ें इन महिलाओं की सफलता की कहानी
महिला अपना कारोबार शुरू करे तो हर कदम पर चुनौती आती है। मायका हो या ससुराल, परिवार का साथ नहीं मिलता। इसकी वजह यह भी है कि महिलाओं के लिए माहौल पूरी तरह सुरक्षित नहीं है। दूसरी चुनौती आती है पूंजी की। बैंकों की अपनी शर्तें हैं। पुरुष बाजार में हुंडी वगैरह उठा सकते हैं लेकिन महिलाओं के लिए ऐसी कोई सुविधा नहीं है।
बाजार में जगह बनाने का प्रशिक्षण नहीं मिलता
महिला संघर्ष करते हुए व्यापार शुरू तो कर देती हैं, मैंने भी किया लेकिन सबसे बड़ी चुनौती आई प्रतिस्पर्धा से भरे बाजार में टिकने की। भले ही मैंने दुकान खोली थी लेकिन मुझे मालूम नहीं था कि आसपास के दुकानदारों से प्रतिस्पर्धा में कैसे टिकना है। व्यापार के कई फंडे होते हैं, महिला कोई बिजनेस करे तो उसे आने चाहिए। बाजार में जगह बनाने का प्रशिक्षण नहीं मिलता है, इसकी सुविधा होनी चाहिए। - रजनी देवी
विस्तार
महिला अपना कारोबार शुरू करे तो हर कदम पर चुनौती आती है। मायका हो या ससुराल, परिवार का साथ नहीं मिलता। इसकी वजह यह भी है कि महिलाओं के लिए माहौल पूरी तरह सुरक्षित नहीं है। दूसरी चुनौती आती है पूंजी की। बैंकों की अपनी शर्तें हैं। पुरुष बाजार में हुंडी वगैरह उठा सकते हैं लेकिन महिलाओं के लिए ऐसी कोई सुविधा नहीं है।
बाजार में जगह बनाने का प्रशिक्षण नहीं मिलता
महिला संघर्ष करते हुए व्यापार शुरू तो कर देती हैं, मैंने भी किया लेकिन सबसे बड़ी चुनौती आई प्रतिस्पर्धा से भरे बाजार में टिकने की। भले ही मैंने दुकान खोली थी लेकिन मुझे मालूम नहीं था कि आसपास के दुकानदारों से प्रतिस्पर्धा में कैसे टिकना है। व्यापार के कई फंडे होते हैं, महिला कोई बिजनेस करे तो उसे आने चाहिए। बाजार में जगह बनाने का प्रशिक्षण नहीं मिलता है, इसकी सुविधा होनी चाहिए। - रजनी देवी
Rakesh Jhunjhunwala का CA से स्टॉक मार्केट का शहंशाह बनने का अनोखा विकल्प ट्रेडिंग सफलता की कहानियां सफर
स्टॉक मार्केट में अधिकांश व्यक्ति निवेश करते हैं, जिंनका मकसद अधिक से अधिक पैसा कमाना. होता हैं. स्टॉक मार्केट में कई व्यक्ति कुछ ही समय में करोड़ो रुपए कमा लेते है तो कई व्यक्ति करोड़पति से रोड्पती भी बन जाते हैं.
आज हम आपको स्टॉक मार्केट के प्रमुख निवेशक (share market investor) के बारे में जिन्होने स्टॉक मार्केट मे निवेश करके काफी लाभ कमाने के साथ नाम कमाते हुऐ एक सफल और कामयाब निवेशक भी बन गये. हम जिस निवेशक की बनात कर रहे हैं, वह और कोई नहीं बल्कि राकेश झुनझुनवाला हैं. चलिए जानते हैं राकेश झुनझुनवाला की सक्सेस स्टोरी (Success Story of Rakesh Jhunjhunwala) :
बीए के दौरान पत्रकारिता में जगी रुचि, JNU ने आईएएस बनने का दिया हौसला
सम्यक कहते हैं कि ग्रेजुएशन के दौरान ही कुछ दोस्तों ने बताया कि अगर पढ़ने-लिखने में रुचि है तो इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मास कम्युनिकेशन (IIMC) से पत्रकारिता कर लो। फिर वे इंग्लिश जर्नलिज्म में पीजी डिप्लोमा करने के लिए यहां चले आए। आईआईएमसी से पढ़ाई पूरी करने के बाद वह जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) से इंटरनेशनल रिलेशन में मास्टर डिग्री हासिल करने चले गए और यहीं से यूपीएससी का सफर विकल्प ट्रेडिंग सफलता की कहानियां शुरू हुआ। उन्होंने यूपीएससी में राजनीति विज्ञान और अंतरराष्ट्रीय संबंधों को ऑप्शनल सब्जेक्ट के रूप में लिया।
सम्यक के माता-पिता दोनों एयर इंडिया के लिए काम करते हैं। वह अपनी मां के साथ रहते हैं। पिता फ्रांस में कंट्री मैनेजर हैं और पेरिस में पोस्टेड हैं। उन्होंने बताया कि मेरी दीदी पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई करने के लिए अमेरिका गईं तो पिता जी का कहना था कि तुम भी वहीं चले जाओ। अमेरिका में तुम्हारे लिए अच्छा स्कोप होगा। सम्यक कहते हैं, जब वह शुरुआती दिनों में ठीक थे, तो उन्होंने देखा कि देश में करने के लिए बहुत कुछ है। देश के लोगों के लिए अच्छी सुविधाओं की जरूरत है। ऐसे में उन्होंने तय किया कि वह देश में ही रहेंगे और जो कुछ भी करेंगे यही से करेंगे।
प्रीलिम्स में मां और मेंस में दोस्त ने लिखा था पेपर
दृष्टिबाधित होने के कारण वह पीडब्ल्यूडी श्रेणी में आते हैं। सम्यक ने बताया कि मेरी कॉपी लिखने के लिए मुझे एक राइटर की जरूरत होती थी, ऐसे में मेरी मां मेरा साथ दिया। ग्रेजुएशन से लेकर यूपीएससी तक की परीक्षा मेरी मां ने लिखा है। यूपीएससी प्रीलिम्स परीक्षा में राइटर, मेरी मां बनीं थी और मेंस में मेरी एक दोस्त ने पेपर लिखा था। उन्होंने कहा कि वह ऐसे सहयोगी माता-पिता और दोस्तों को पाकर धन्य हैं।
सम्यक जैन ने कहा कि हमारे देश में विकास और सुधार के लिए जो भी पॉलिसी यानि नीति बन रही है, वह काफी बढ़िया है, लेकिन मुझे महसूस होता है कि पॉलिसी को ढंग से इम्प्लीमेंट नहीं किया जाता। मैं इस मुद्दे पर फोकस करना चाहूंगा। इसके साथ- साथ मैं गर्ल चाइल्ड एजुकेशन और महिला सशक्तिकरण जैसे मुद्दों पर काम करना चाहूंगा
‘आईएएस बनने के लिए खुद को कम न समझें’
सम्यक जैन यूपीएससी की तैयारी कर रहे छात्रों को सलाह देते हुए कहते हैं कि सबसे पहले पॉज़िटिव रहना सीखें, कोई भी अपने आप में कम नहीं है। हमेशा विश्वास रखें कि आपके लिय कुछ भी मुश्किल नहीं है। बस ध्यान रहे कि उसमें निरंतरता बनाए रखें। हमेशा अपना मूल्यांकन करते रहें, मॉक टेस्ट का विकल्प चुनें।
लोगों को लगता है कि यूपीएससी के बहुत सारे अटेम्पट हैं, सामान्य वर्ग के लिए भी 6 अटेम्प्ट हैं। लोग हमेशा इस ख्याल में रहते हैं कि इस बार नहीं तो अगली बार जरूर पास कर लेंगे, लेकिन मुझे लगता है कि पेंच यहीं फंस रहा है। जबकि सोचना चाहिए कि यही के एक मात्र प्रयास है, इसी में मुझे लक्ष्य को हासिल करना है।
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