बाइक के इन पार्ट्स के साथ की छेड़खानी तो भरना पड़ेगा भारी जुर्माना, पुलिस हुई सख्त
सड़क पर लोगों की सुरक्षा को बेहतर बनाने के लिए ट्रैफिक पुलिस लगातार सख्त होती जा रही है। हाल ही में नए मोटर वाहन एक्ट में संसोधन कर भारी जुर्माने का भी प्रावधान किया गया ताकि लोग जुर्माने के डर से.
सड़क पर लोगों की सुरक्षा को बेहतर बनाने के लिए ट्रैफिक पुलिस लगातार सख्त होती जा रही है। हाल ही में नए मोटर वाहन एक्ट में संसोधन कर भारी जुर्माने का भी प्रावधान किया गया ताकि लोग जुर्माने के डर से नियमों का उलंघन न करें। लेकिन अभी भी बहुतायत लोग ट्रैफिक नियमों का कड़ाई से पालन नहीं कर रहे हैं। बेंगलुरु से एक ताजा मामला सामने आया है जहां पर ट्रैफिक पुलिस ने ऐसे दोपहिया चालकों पर फाइन लगाया है जिन्होनें अपने वाहन में रियर-व्यू मिरर (पीछे की तरफ देखने वाला आईना) और इंडिकेटर्स नहीं लगाया था।
बता दें कि, रियर-व्यू मिरर और इंडिकेटर्स ये दोनों ही किसी भी वाहन के लिए बेहद ही उपयोगी कंपोनेंट्स होते हैं। बेंगलुरु ट्रैफिक पुलिस में एक सर्वे में पाया कि, रियर-व्यू मिरर और इंडिकेटर का प्रयोग न करना कई मामलों में दुर्घटना का कारण बना रहा है। ऐसे में पुलिस ने रोड पर सख्ती दिखाते हुए ऐसे वाहनों को रोककर चालकों पर जुर्माना लगाना शुरू किया।
आमतौर पर ऐसा देखा जाता है कि, ज्यादातर युवा अपने बाइक या अन्य दोपहिया वाहनों को अलग लुक देने के लिए रियर व्यू मिरर और इंडिकेटर्स को हटा देते हैं। ऐसे वाहनों की संख्या सड़कों पर काफी ज्यादा है। वाहन निर्माता कंपनियां अपने वाहनों के साथ ये दोनों महत्वपूर्ण कंपोनेंट्स को जरूर देती हैं, ताकि रोड पर इनका बखूबी इस्तेमाल किया जा सके।
क्या कहता है कानून:
केंद्रीय मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 5 और 7 में रियर-व्यू मिरर का उपयोग अनिवार्य है। हालाँकि, इसे अब तक कड़े तरीके से लागू नहीं किया गया था और ट्रैफिक पुलिस भी अब तक इन कंपोनेंट्स पर ज्यादा ध्यान नहीं देती थी। लेकिन वाहन को मोड़ने से पहले रियर-व्यू मिरर्स का उपयोग नहीं करना पीछे से आने वाले वाहनों से दुर्घटनाग्रस्त होने की संभावना को बढ़ा देते हैं। वहीं इंडिकेटर्स का उपयोग भी बेहद ही जरूरी होता है जो कि आपके सामने या पीछे से आने वाले वाहनों को संकेत देता है कि आप किस दिशा में वाहन को मोड़ने वाले हैं।
बेंगलुरु में ट्रैफिक पुलिस के ज्वाइंट कमिश्नर बी.आर. गौड़ा के हवाले से कहा गया कि, "ऐसी बहुत सारी दुर्घटनाएं देखने को मिली हैं जिनमें वाहन चालकों ने बिना रियर-व्यू मिरर या इंडिकेटर्स का प्रयोग किए वाहनों को मोड़ने का प्रयास किया था। बेंगलुरु में दुर्घटनाओं का विश्लेषण करने वाले एक अध्ययन से पता चला है कि बिना किसी पूर्व सूचना (इंडिकेटर्स और रियर-व्यू मिरर के प्रयोग) के अचानक से वाहनों को मोड़ना दुर्घटनाओं का प्रमुख कारण है।
पुलिस की सख्ती: इस बात को गंभीरता से देखते हुए बेंगलुरु ट्रैफिक पुलिस ने रोड पर वाहन चेकिंग अभियान चलाएगी और ऐसे वाहन जिनमें रियर-व्यू मिरर या इंडिकेटर्स नहीं लगे होंगे उन वाहनों के चालकों पर 500 रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा। यदि आप भी अपने टू-व्हीलर्स में इन कंपोनेंट्स का इस्तेमाल नहीं करते हैं तो सावधान हो जाइये, ये सेफ ड्राइविंग के लिए बहुत ही जरूरी कंपोनेंट्स हैं।
कोरोना वायरस: सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखने के लिए दिल्ली मेट्रो में फर्श पर लगे संकेतक
सामाजिक दूरी सुनिश्चित करने के उद्देश्य से दिल्ली मेट्रो रेल निगम यात्रियों को जागरूक करने के लिए सोशल मीडिया का सहारा ले रहा
दिल्ली मेट्रो (Delhi Metro) की ट्रेनों में सामाजिक दूरी सुनिश्चित करने के प्रयासों को बढ़ाते हुए डीएमआरसी (DMRC) ने कोच के भीतर फर्श पर संकेतक लगाए हैं. इस तरह के संकेतक इससे पहले हर दूसरी सीट पर लगाए जा चुके हैं. सोमवार देर शाम तक करीब 2.5 लाख लोगों ने अलग-अलग लाइनों पर दिल्ली मेट्रो सेवा का इस्तेमाल किया. कोविड-19 की वजह से 169 दिन बाद पूर्ण रूप से बहाल हुई सेवा का यह पहला कार्यदिवस दिन था.
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कोविड-19 (Covid-19) के प्रसार को रोकने तथा सामाजिक दूरी सुनिश्चित करने के उद्देश्य से दिल्ली मेट्रो रेल निगम (डीएमआरसी) यात्रियों को जागरूक करने के लिए सोशल मीडिया का सहारा ले रहा है.
सोमवार को डीएमआरसी ने ट्वीट किया कि हर दूसरी सीट पर संकेतकों को लगाने के अलावा डीएमआरसी अब ट्रेन के फर्श पर भी सामाजिक दूरी वाले संकेतक लगा रही है. 800 डिब्बों में पहले ही ये संकेतक लगा दिए गए हैं और एक सप्ताह के भीतर शेष 1400 मेट्रो डिब्बों में भी ये संकेतक लगा दिए जाएंगे.
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित Indicators के फायदे नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
कोच इंडिकेटर हुए बंद, मुसाफिर परेशान
गाजियाबाद। रेलवे स्टेशन पर कोच की पोजिशन बताने के लिए लगाए गए कोच इंडिकेटर यात्रियों के लिए परेशानी बन गए हैं। जब से यह इंडिकेटर लगे हैं, यात्रियों को इनका कोई फायदा नहीं मिला है। रविवार को एक बार फिर से प्लेटफार्म पर लगे सभी कोच इंडिकेटर बंद हो गए।
कर्मचारियों ने टेलीकॉम विभाग को इसकी सूचना दे दी है। शाम करीब 6.30 बजे यह ठीक हो गया। रविवार दोपहर करीब दो बजे गाजियाबाद रेलवे स्टेशन के सभी प्लेटफार्म पर लगे कोच इंडिकेटर तकनीकी फाल्ट के चलते बंद हो गए। इसके बंद होने से यात्रियों को ट्रेनों में लगे कोच की पोजिशन पता करने में परेशानी झेलनी पड़ी।
ट्रेन का स्टॉपेज दो मिनट का होने से यात्री इधर-उधर दौड़ते रहे। कुछ यात्री स्टॉल वालों और कुली से जानकारी करते रहे। यात्रियों के शिकायत करने पर इसकी सूचना टेलीकॉम विभाग को दी। टेलीकॉम विभाग ने आनंद विहार में कोच इंडिकेटर खराब होेने की शिकायत दी। स्थानीय अधिकारी के मुताबिक, गाजियाबाद स्टेशन पर कोच इंडिकेटर ठीक करने वाला कोई नहीं है। आनंद विहार से ही कर्मचारी ठीक करने आते Indicators के फायदे हैं। शाम करीब 6.30 बजे कोच इंडिकेटर चालू हो गया।
गाजियाबाद। रेलवे स्टेशन पर कोच की पोजिशन बताने के लिए लगाए गए कोच इंडिकेटर यात्रियों के लिए परेशानी बन गए हैं। जब से यह इंडिकेटर लगे हैं, यात्रियों को इनका कोई फायदा नहीं मिला है। रविवार को एक बार फिर से प्लेटफार्म पर लगे सभी कोच इंडिकेटर बंद हो गए।
कर्मचारियों ने टेलीकॉम विभाग को इसकी सूचना दे दी है। शाम करीब 6.30 बजे यह ठीक हो गया। रविवार दोपहर करीब दो बजे गाजियाबाद रेलवे स्टेशन के सभी प्लेटफार्म पर लगे कोच इंडिकेटर तकनीकी फाल्ट के चलते बंद हो गए। इसके बंद होने से यात्रियों को ट्रेनों में लगे कोच की पोजिशन पता करने में परेशानी झेलनी पड़ी।
ट्रेन का स्टॉपेज दो मिनट का होने से यात्री इधर-उधर दौड़ते रहे। कुछ यात्री स्टॉल वालों और कुली से जानकारी करते रहे। यात्रियों के शिकायत करने पर इसकी सूचना टेलीकॉम विभाग को दी। टेलीकॉम विभाग ने आनंद विहार में कोच इंडिकेटर खराब होेने की शिकायत दी। स्थानीय अधिकारी के मुताबिक, गाजियाबाद स्टेशन पर कोच इंडिकेटर ठीक करने वाला कोई नहीं है। आनंद विहार से ही कर्मचारी ठीक करने आते हैं। शाम करीब 6.30 बजे कोच इंडिकेटर चालू हो गया।
शेयर बाजार में एक और बड़ी गिरावट के संकेत, एक्सपर्ट्स की सलाह- IT शेयरों में पैसा लगाकर Indicators के फायदे कमाने का सही मौका
Volatility Index VIX- शेयर बाजार में गिरावट थमने का नाम नहीं ले रही है. दिसंबर में भी बिकवाली का दौर जारी रह सकते है. क्योंकि इस ऐसे संकेत मिल रहे है.
Stock Market Crash Soon- भारतीय शेयर बाजार में गिरावट का सिलसिला आगे भी जारी रह सकता है. कुछ इस तरह के संकेत वोलेलिटी इंडेक्स VIX से मिल रहे है. एक्सपर्ट्स का कहना है कि विदेशी निवेशकों की ओर से जारी बिकवाली के चलते बाजार पर दबाव है. ये दबाव आगे भी जारी रह सकता है. ऐसे में निवेशकों के पास आईटी कंपनियों Indicators के फायदे के शेयरों में पैसा लगाकर कमाई करने का अच्छा मौका है.
क्योंकि, अमेरिका में राहत पैकेज वापस होने के बाद और ब्याज दरें बढ़ने से अमेरिकी डॉलर में मज़बूती का रुख देखने को मिल सकता है. इससे दुनियाभर की करेंसी के साथ-साथ भारतीय रुपये पर भी दबाव गहराने की आशंका है. ऐसे में आईटी कंपनियों को फायदा होगा. अब सबसे पहले VIX को समझते है.
VIX इंडेक्स कैसे होता है कैल्युलेट
इंडेक्स के चालू महीने और अगले महीने की कॉल और पुट में बढ़ने वाले प्रीमियम और डिस्काउंट के औसत के आधार पर VIX इंडेक्स की चाल तय होती है.
VIX की चाल का अंदाजा इस बात से लगाएं कि, साल 2020 में कोरोना की दस्तक के बाद जब मार्केट में तेज उतार-चढ़ाव आया था, तब VIX 70 के स्तर पर पहुंच गया था.
वहीं, जैसे ही कोरोना की टेंशन कम होने लगी तो VIX नीचे की ओर आने लगा. दिसंबर 2020 में ये गिरकर 19 के स्तर पर आ गया था. इसके बाद 17 सितंबर 2021 को इसने 8 का स्तर भी छुआ.
लेकिन अब फिर से इसमें तेजी आई है. ये 19 के स्तर को पार कर गया है. अगर फीसदी के लिहाज से देखें तो इसमें करीब 140 फीसदी की तेजी आई है.
इस दौरान सेंसेक्स और निफ्टी में 4 फीसदी से ज्यादा की गिरावट आई हैं. इंडेक्स की यह स्थिति बताती है कि मार्केट में फिलहाल करेक्शन (गिरावट) देखने को मिल सकता है.
क्यों आईटी कंपनियों के शेयरों में पैसा लगाने का मौका
रुपए की गिरावट से एक्सपोर्ट करने वाली कंपनियों को फायदा होता है और टेक्सटाइल लेदर, आईटी, फार्मा, केमिकल सेक्टर को फायदा मिलता है.
कमोडिटीज में चीनी, चाय, चावल कंपनियों को फायदा मिलता है. ऑयल, रिफाइनरी, ज्वेलरी कंपनियों को भी रुपये की कमजोरी का फायदा मिलता है. साथ ही मेडिकल टूरिज्म से अस्पतालों को फायदा होता है और ट्रैवल और टूरिज्म इंडस्ट्री को फायदा मिलता है.
एक्सपर्ट मानते है कि कंपनियों ज्यादातर आय डॉलर में ही आती है, इसीलिए कंपनियों के आमतौर पर रुपए में Indicators के फायदे 1 फीसदी की गिरावट से इन कंपनियों का ऑपरेटिंग प्रॉफिट मार्जिन 0.30-0.40 फीसदी बढ़ जाता है.
साथ ही फार्मा कंपनियां भी बड़ा एक्सपोर्ट करती है. लिहाजा रुपए में गिरावट से इन कंपनियों के मुनाफे पर सकारात्मक असर पड़ता है.
रुपए की कमजोरी से उन कंपनियों को नुकसान होता है, जिनका व्यापार आयात पर आधारित होता है. सीधी भाषा में समझें तो जिनको डॉलर में भुगतान कर कच्चा माल आयात करना होता है.
फॉल्ट पैसेज इंडिकेटर (शॉर्ट सर्किट और अर्थ फॉल्ट के लिए संयुक्त) : CSFPI (SC+EFPI)
CSFPI , फॉल्ट पैसेज इंडिकेटर अर्थ, केबल सिस्टम पर होने वाले अर्थ फॉल्ट को ढूंढता है और उसे एक इनपुट/ओपन रिंग व्यवस्था के साथ RMU में दिखाता है। जब सेट ट्रिप करंट सेटिंग पर करंट डिटेक्ट होता है तो यूनिट उसके फॉल्ट कंडिशन को इंडिकेट करता है। फॉल्ट करंट को केबल फ्रेम में लगे हुए सेंसर द्वारा भांप लिय़ा जाता है जो यूनिट को इंडिकेट करने के लिए सिग्नल देता है। जांच वाली केबल पर सेंसर होना ही चाहिए और केबल पर भी रेट्रोफाइड हो सकता है।
प्रोग्राम रिस्पॉंस के लिए प्रोग्राम द्वारा सेट करंट से अगर अर्थ करंट बढ़ता है तो फॉल्ट का पता चलता है, यह संदेश लाल रंग की LED के जलने से संबंधित अधिकारी के पास पहुंच जाता है। इसी के साथ रिले कोंटेक्ट चालू हो जाता है। इसके बाद यह प्रीसेट टाइम पैसेज या एक्सट्रनल पोटेंशियल फ्री इनपुट या 230V AC (इसमें ऑक्स सप्लाई नहीं है) वोल्टेज की रिकवरिंग या पुश बटन द्वारा मेन्युअली रिसेट हो जाता है। इसको 8 सेकंड तक दबा के रखकर इसका फिल्ड पर एक ‘फॉक्शनल टेस्ट” किया जा सकता है और 6 सेकंड के लिए पुश बटन को दबाकर बैटरी टेस्ट किया जा सकता है। अगर नेटवर्क के तीनों फेस फ्रेम के आस पास रहता है तो अर्थ फॉल्ट डिटेक्शन एक तरह का सम्मेशन सेंसर करंट है और इसे कई तरीकों से विस्तारित किया जा सकता है। प्रोग्रामेबल पैरामीटर को DIP स्विच द्वारा सेट किया जा सकता है जिस तक CSFPI इंडिकेशन यूनिट के फ्रंट कवर को खोलकर पहुंचा जा सकता है। फॉल्ट डिटेक्शन के लिए इसमें निकास (Exit) का विकल्प भी मौजूद होता है।
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