खुदरा मुद्रास्फीति दर में वृद्धि के कारण
हिन्दी वार्ता
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हिन्दी सामान्य ज्ञान के प्रश्न उत्तर का अभ्यास विद्यार्थियों के लिए सभी प्रतियोगी परीक्षाओं को उत्तीर्ण करने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। अक्सर विद्यार्थी अन्य विषयों की तैयारी तो अच्छी तरह से कर लेते हैं किन्तु सामान्य ज्ञान की जानकारी कमजोर होने के कारण परीक्षा में असफल हो जाते हैं। अर्थशास्त्र सामान्य ज्ञान प्रश्न उत्तर क्विज के हजारों प्रश्न हमने यहाँ संकलित किए हैं।
क्या होती है Inflation या महंगाई दर और कैसे डालती है यह आपकी पॉकेट पर असर?
डीएनए हिंदी: मुद्रास्फीति (Inflation) या महंगाई किसी भी देश की अर्थव्यवस्था में समय के साथ विभिन्न सामान और सेवाओं की कीमतों (मूल्यों) में होने वाली एक सामान्य वृद्धि को कहा जाता है. जब वस्तुओं की कीमत बढ़ती है तब लोगों की खरीददारी की क्षमता (Purchasing Power) में कमी आ जाती है. किसी भी देश के लिए मुद्रास्फीति के ऊंची दर या इसमें भारी गिरावट की स्थिति जनता और देश की अर्थव्यवस्था के लिए नुकसानदायक साबित हो सकती है. अर्थशास्त्री मानते हैं कि मुद्रास्फीति (Inflation) अर्थव्यवस्था की तुलना में आवश्यकता से अधिक मुद्रा के छापने से ज्न्म लेती है. मुद्रास्फीति का विपरीत अपस्फीति (Deflation) होता है यानि वह स्थिति जिसमें समय के मुद्रा अपस्फीति क्या है? साथ-साथ माल और सेवाओं की कीमतें में भारी गिरावट दर्ज़ होती है.
KBC Gold Week with VI 4th October Question:इनमें से कौन सा शब्द वस्तुओं के मूल्य में वृद्धि को दर्शाता है?
KBC Gold Week with V 4th October Question:इनमें से कौन सा शब्द वस्तुओं के मूल्य में वृद्धि को दर्शाता है?
उत्तर: A. मुद्रास्फीति
मुद्रास्फीति शब्द वस्तुओं के मूल्य में वृद्धि को दर्शाता है. मुद्रास्फीति के कारण वस्तुओं तथा सेवाओं की कीमतें बढ़ती है जिसका प्रभाव निश्चित आय वर्ग पर पड़ता है. इस प्रकार मुद्रास्फीति के कारण निश्चित आय वर्ग नुकसान उठाता है. मुद्रास्फीति का कृषक वर्ग पर अनुकूल प्रभाव पड़ता है क्योंकि कृषक वर्ग उत्पादन करता है तथा मुद्रास्फीति के दौरान उत्पादन की कीमतें बढ़ती है. मुद्रास्फीति (inflation) या महंगाई किसी अर्थव्यवस्था में समय के साथ विभिन्न माल और सेवाओं की कीमतों (मूल्यों) में होने वाली एक सामान्य बढ़ौतरी को कहा जाता है. जब सामान्य मूल्य बढ़ते हैं, तब मुद्रा की हर ईकाई की क्रय शक्ति (purchasing power) में कमी होती है, अर्थात् पैसे की किसी मात्रा से पहले जितनी माल या सेवाओं की मात्रा आती थी, उसमें कमी हो जाती है. मुद्रास्फीति के ऊँचे दर या अतिस्फीति की स्थिति जनता के लिए बहुत हानिकारक होती है और निर्धनता फैलाने का काम करती है. अर्थशास्त्री मानते हैं कि यह बुरी अवस्थाएँ मुद्रा आपूर्ति (money supply) के अतिशय से उत्पन्न होती है, यानि अर्थव्यवस्था की तुलना में आवश्यकता से अधिक पैसा छापने से ज्न्म लेती है. मुद्रास्फीति का विपरीत अपस्फीति (deflation) होता है, यानि वह स्थिति जिसमें समय के साथ-साथ माल और सेवाओं की कीमतें गिरती हैं. मुद्रास्फीति का ऋणदाता पर प्रतिकूल तथा ऋणी पर अनुकूल प्रभाव पड़ता है. क्योंकि जब ऋणदाता अपने रुपये किसी को उधार देता है तो मुद्रा अपस्फीति क्या है? मुद्रास्फीति होने के कारण उसके रुपये का मूल्य कम हो जायेगा. इस प्रकार ऋणदाता को मुद्रास्फीति से हानि तथा ऋणी को लाभ होता है. मुद्रास्फीति का बचत पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है क्योंकि मुद्रास्फीति होने के कारण वस्तुओं पर किये जाने वाले व्यय में वृद्धि होती है. इससे बचत की सम्भावना कम हो जायेगी. दूसरी और मुद्रास्फीति से मुद्रा के मूल्य मुद्रा अपस्फीति क्या है? में कमी होगी और लोग बचत करना मुद्रा अपस्फीति क्या है? ही नहीं चाहेगें. मुद्रास्फीति के समय मुद्रा अपस्फीति क्या है? वस्तुओं तथा सेवाओं के मूल्यों में वृद्धि होती है. इसके कारण हमारे निर्यात मँहगे हो जायेगें तथा आयात सस्ते हो जायेगें. नियार्तों में कमी होगी तथा आयतों में वृद्धि होगी जिसके कारण भुगतान सन्तुलन प्रतिकूल हो जायेगा.
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