Ways To Decorate Living Room : इंडोर प्लांट्स की मदद से सजाएं अपना लिविंग रूम, ये तरीके आएंगे काम

सरल चीजें बाजार पर बेहतर काम करती हैं

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घर पर रहकर काम करने का प्रचलन बढ़ा, मजदूरों के अधिकार छिने

घर पर रहकर काम करने का प्रचलन बढ़ा, मजदूरों के अधिकार छिने

सन 2008 में देश में घर में रहकर काम करने वालों की संख्या 2.5 से 3 करोड़ के बीच थी लेकिन 2014 में यह आंकड़ा 4 करोड़ को पार कर चुका है। यानि 6 सालों में 25 प्रतिशत से ज्यादा का इजाफा हुआ है। घर पर रहकर काम करने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है। इसके पीछे एक तरफ जहां फैक्ट्रियों के बंद होने से बेरोजगारी एक कारण है वहीं बाजार की जरूरतें पूरी करने के लिए समय के साथ बदला कामकाज का प्रचलन भी एक बड़ा कारण है। कर्मचारियों की जिम्मेदारियों से मुक्त होने के कारण नियोक्ताओं के लिए यह व्यवस्था फायदेमंद है लेकिन इसमें मजदूर अपने अधिकारों से वंचित हो गए हैं।

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पहले फैक्ट्री में कुशन बनाते थे, अब खुद का धंधा कर रहे साबिर
अहमदाबाद के बेहरामपुरा इलाके की झुग्गी में रहने वाले साबिर उस्मान 2008 तक एक फैक्ट्री में कारीगर थे। वे कुशन कवर बनाते थे और हर महिने तय तनख्वाह पाते थे लेकिन 2008 की मंदी में वह फैक्ट्री बंद हो गई। थोड़े वक्त तक तो फैक्ट्री के मालिक ने काम दिया जिससे वे घर से ही कुशन कवर बनाकर देते थे और गुजारा चलता था लेकिन उस काम में बाद में अनियमितता आ गई। कभी काम मिलता, कभी नहीं। घर चलाना मुश्किल हो गया था। आखिर साबिर ने घर से खुद ही कुशन कवर बनाकर उसे बेचने का धंधा शुरू सरल चीजें बाजार पर बेहतर काम करती हैं कर दिया। शाम से लेकर रात तक जो कुशन कवर उसका परिवार बनाता है, सुबह होते ही साबिर उसे ठेले पर लादकर शहर में बेचने निकल पड़ता है। मुश्किल तो होती है लेकिन खींचखांच के घर चल ही जाता है। साबिर उस ट्रेंड की मिसाल हैं जो 2008 की मंदी के बाद से ही देश में लगातार तेज गति से बढ़ता जा रहा है।

फैक्ट्रियां बंद होने के कारण आया नया प्रचलन
इन्हें घर से काम करने वाले कर्मचारी या कहें कि होम-बेज्ड वर्कर को लेकर पूरे दक्षिण एशिया में काम करने वाली संस्था होमनेट का कहना है कि इस परिवर्तन की कई वजहें हैं। घर में रहने वालों में काम करने की जरूरत तो एक वजह है ही लेकिन एक बड़ी वजह यह भी है कि पिछले सालों में कई फैक्ट्रियां बंद हो गई हैं। काम तो चलना ही है इसलिए अब वही फैक्ट्री वाले कान्ट्रेक्टर बनकर अपने पुराने कारीगरों को ही घरों पर काम देने लगे हैं। इससे उन कान्ट्रेक्टरों को ऐसी कई जिम्मेदारियों से निजात मिल जाती है जो पहले उन्हें माननी पड़ती थीं। जैसे कारीगर के स्वास्थ्य को लेकर अब उन पर कोई जिम्मेदारी नहीं रहती। अगर एक से ज्यादा कर्मचारी फैक्ट्री में काम करते हैं तो उनका स्वास्थ्य बीमा करवाना आवश्यक है। बिक्री हो या न हो, कर्मचारी को सरल चीजें बाजार पर बेहतर काम करती हैं पूरे महीने की तनख्वाह देनी पड़ती थी। कर्मचारियों के सर्विस टेक्स आदि कर भी भरने पड़ते थे। अब कर्मचारियों को घर पर ही काम दे देने से इन सभी जिम्मेदारियों से मुक्ति मिल गई है। लेकिन इससे कर्मचारियों को अपने उन अधिकारों से वंचित रहना पड़ रहा है, जो उन्हें पहले प्राप्त थे।

सात साल में किसी ने नहीं ली कर्मचारियों की सुध
ऐसे ही एक छोटे कान्ट्रेक्टर हैं धर्मेन्द्र कंसारा, जिन्होंने 7 साल पहले एक कम आय वाले लोगों के लिए बनी सरकारी कालोनी में एक घर किराये पर ले लिया था। उसे वह छोटे-छोटे इलेक्ट्रॉनिक उपकरण बनाने के लिए आफिस के तौर पर इस्तेमाल करते हैं। 6 या 7 लोगों को अपने वर्कशॉप में काम पर रखे हैं, लेकिन करीब 25 महिलाओं को उनके घरों में काम दे देते हैं। लेकिन 7 सालों में सरकार या अन्य किसी भी विभाग से कोई अफसर पूछने तक नहीं आया कि आप क्या काम करते हो, कितने कर्मचारी हैं या उन्हें न्यूनतम वेतन देते हो या नहीं।

कान्ट्रेक्टर और बड़े ब्रांड कर रहे शोषण
घर पर रहकर काम करने वाले लोगों के लिए कार्यरत संस्था होमनेट की डायरेक्टर रैनाना झाबवाला कहती हैं कि ऐसे कर्मचारियों की कई मुश्किलें हैं। न उनके स्वास्थ्य का बीमा होता है, न उनकी आमदनी में किसी सरकारी नियम का पालन ही हो पाता है। ऐसे में यह बहुत जरूरी है कि सरकार इनकी उपयोगिता समझे। इकानॉमी की बदलती तस्वीर को समझें और इन कर्मचारियों की गिनती करके इन्हें जरूरी लाभ पहुंचाए। वरना हम काम करने वाले एक बड़े तबके के साथ अन्याय करते रहेंगे और कान्ट्रेक्टर और बड़े-बड़े ब्रांड भी इनका शोषण करते रहेंगे।

Book Review : योग को समझने में बेहतर मार्गदर्शक का काम करती है पुस्तक डिकोडिंग द योग सूत्राज आफ पतंजलि

योग गुरु कौशल कुमार और उद्यमी जय सिंघानिया की पुस्तक डिकोडिंग द योग सूत्राज आफ पतंजलि ए बिगिनर्स गाइड टु द अल्टीमेट ट्रुथ पाठकों के लिए योग को समझने में बेहतर मार्गदर्शक का काम कर सकती है। इसमें ज्ञानोदय की दोनों अवस्थाओं को समझाने का प्रयास है।

भारतीय जीवन पद्धति का उद्घोष

पुस्तक : डिकोडिंग द योग सूत्राज आफ पतंजलि, ए बिगिनर्स गाइड टु द अल्टीमेट ट्रुथ

लेखक : कौशल कुमार और जय सिंघानिया

प्रकाशक : विज्ञान योग पब्लिकेशन

मूल्य: 399 रुपये

महर्षि पतंजलि के योग सूत्र को आधार बना कर लिखी गई यह पुस्तक योग के वास्तविक अर्थ और उसके महत्व पर प्रकाश डालती है। यह योग पर प्रचलित भ्रांतियों का उन्मूलन भी करती है। समीक्षक ब्रजबिहारी के शब्दों में पढ़िए पुस्तक की समीक्षा. ।

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भारतीय दर्शन और उस पर आधारित जीवन पद्धति की धूम पूरी दुनिया में मची हुई है। वर्ष 2015 में 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाने की शुरुआत इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है। यूरोप और अमेरिका के साथ मुस्लिम देशों में भी योग की लोकप्रियता तेजी से बढ़ रही है। इसके बावजूद इसको लेकर भ्रांतियों की भी कमी नहीं और इसके नाम पर देश-विदेश में लोगों को मूर्ख बनाने वाले तथाकथित गुरुओं का भी अभाव नहीं है।

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ऐसे मे योग गुरु कौशल कुमार और उद्यमी जय सिंघानिया की पुस्तक 'डिकोडिंग द योग सूत्राज आफ पतंजलि : ए बिगिनर्स गाइड टु द अल्टीमेट ट्रुथÓ पाठकों खासकर अंग्रेजी जानने-समझने वालों के लिए मार्गदर्शक का काम कर सकती है।

व्यक्ति की चित्त की चंचलता का शमन करते हुए उसे सभी प्रकार के विचारों से मुक्त करना ही योग का एकमात्र सरल चीजें बाजार पर बेहतर काम करती हैं लक्ष्य है। उसके बाद ही व्यक्ति ज्ञानोदय की अवस्था में पहुंच सकता है, जहां कोई दुख उसे प्रभावित नहीं कर सकता है। ज्ञानोदय की दो अवस्थाएं होती है।

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पहली में व्यक्ति राजसिक और तामसिक विचारों से छुटकारा प्राप्त करता है। इस अवस्था में व्यक्ति विवेकपूर्ण हो जाता है, क्योंकि उसके अंदर केवल अच्छे विचारों का वास होता है। इस अवस्था को प्राप्त व्यक्ति जीवन में जो इच्छा करे, उसे प्राप्त कर सकता है। दूसरी अवस्था में सात्विक विचार भी विलग हो जाते हैं।

यह ज्ञानोदय की अवस्था होती है। दरअसल, हमारे दुखों का मूल कारण हमारे विचार हैं। इसलिए दुख से मुक्ति तभी मिलती है, जब सात्विक विचारों से भी नाता टूट जाता है।

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इस अवस्था तक पहुंचना बहुत कठिन है। विचारों से मुक्ति पाना दुष्कर कार्य है। बाहरी दुनिया के आकर्षण को ही हम सत्य मान बैठे हैं, इसलिए उसे ज्यादा से ज्यादा प्राप्त करने के लिए सुबह से शाम तक परेशान रहते हैं। किसी के पास कोई अलग चीज देखी और मचल गए।

लगता है कि खुश रहने के लिए भौतिक दुनिया की आवश्यकताओं की पूर्ति ही एकमात्र साधन है। वास्तविकता ठीक इसके उलट है। यही योग का संदेश है। योग को हिंदू धर्म से जोड़कर देखना तो नासमझी की पराकाष्ठा है, यह विशुद्ध रूप से एक पद्धति है।

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योग की इस महत्ता को अगली पीढ़ी तक पहुंचाने के लिए लेखक द्वय ने पुस्तक की भाषा काफी सरल रखी है। महर्षि पतंजलि के योग सूत्र की तरह इस पुस्तक में भी चार अध्याय सरल चीजें बाजार पर बेहतर काम करती हैं हैं। पहले अध्याय में समाधि पद, दूसरे में साधना पद, तीसरे में विभूति पद और चौथे में कैवल्य पद का वर्णन है।

सभी पदों में दिए सूत्रों को मूल संस्कृत में भी लिखा गया और फिर उसके बाद अंग्रेजी में उसका अर्थ बताया गया है। यही नहीं, पुस्तक में संस्कृत शब्दों के उच्चारण करने सरल चीजें बाजार पर बेहतर काम करती हैं का तरीका भी बताया गया है, ताकि शब्दों को सही ढंग से पढ़ा और समझा जाए। पुस्तक में यह भी बताया गया है कि क्यों और सरल चीजें बाजार पर बेहतर काम करती हैं कैसे योग सूत्र में योगी के उडऩे, पानी पर चलने, पर्वत की तरह बड़ा या मक्खी की तरह छोटा आकार ग्रहण करने जैसी बातें शामिल हुई होंगी।

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लेखक द्वय ने अपनी इस रचना के केंद्र में योग दर्शन के प्रशिक्षुओं को रखा है, जो इसके शीर्षक से ही स्पष्ट है। आज से लगभग दो हजार साल पहले महर्षि पतंजलि ने योग सूत्र के रूप में एक ऐसी रचना की, जिसका अनुकरण करके सभी प्रकार के दुखों से मुक्ति पाई जा सकती है।

कठिनाई यह है कि मूल रचना संस्कृत में लिखी गई, जो जनसाधारण की भाषा नहीं थी। इसके बाद इस पर टीकाएं लिखी गईं, लेकिन वे सैद्धांतिक ज्यादा थी, इसलिए उनका अनुकरण करना सरल नहीं था। कालांतर में महर्षि वेदव्यास ने इसकी ऐसी व्याख्या प्रस्तुत की, जिससे पतंजलि के योग सूत्र के वास्तविक अर्थ को समझने में मदद मिली।

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आज दुनिया की कई भाषाओं में इसका अनुवाद हो चुका है। इसके बावजूद प्रामाणिकता की समस्या बनी हुई है। उम्मीद है कि लेखक द्वय की यह पुस्तक इस कमी को दूर करेगी।

सर्दियों के मौसम में इन सिंपल तरीकों से सजाएं अपना घर, रूम गर्म रखने के लिए अपनाएं ये टिप्स

How To Decorate Home In Winter: बदलते मौसम में घर की सजावट में भी थोड़े बहुत बदलाव होने चाहिए। ऐसे में यहां देखिए कुछ डेकोरेशन टिप्स जो रूम को गर्म रखने में मदद करती हैं।

सर्दियों के मौसम में इन सिंपल तरीकों से सजाएं अपना घर, रूम गर्म रखने के लिए अपनाएं ये टिप्स

मौसम के बदलने पर घर की सजावट में थोड़ा बहुत बदलाव जरूरी हो जाता है। खासकर लिविंग रूम की जब बात हो तो इसे घर का सबसे जरूरी हिस्सा माना जाता है। जहां पूरा परिवार एक साथ बैठ कर बातें करता है, गेस्ट का वेलकम भी इसी रूम में बैठा कर किया जाता है। हालांकि सर्दी के मौसम में यहां बहुत कम बैठा जाता है। वजह है कि ये कमरा काफी गर्म रहता है। तो यह समय है कि आप अपने खूबसूरत घर को कुछ इस तरह से सजाएं कि ये गर्म रहे। यहां देखिए आसान टिप्स जिनकी मदद से सर्दी के लिए अपने घर को तैयार किया जा सकता है।

कार्पेट से बढ़ाएं सुंदरता और गर्माहट

ठंड में फर्श काफी ज्यादा ठंडा रहता है। ऐसे में खाली पैर यहां पर बैठना काफी मुश्किल होता है। ऐसे में रूम को अलग लुक देने के लिए कार्पेट का इस्तेमाल करें। नकली फर वाले गलीचे वास्तव सरल चीजें बाजार पर बेहतर काम करती हैं में सुंदर दिखते हैं और आपके पैरों को भी गर्म रखते हैं। जटिल डिजाइन वाले कालीन आपके लिविंग रूम में शाही लुक दे सकते हैं।


रंगों का करें बदलाव

पीला, बरगंडी और नारंगी जैसे गर्म रंग आपके घर को खुशनुमा बना सकते हैं। दीवारों का रंग बदलना तो मुश्किल है लेकिन आप पिलो कवर, कुशन, बेडशीट और पेस्टल शेड में सोफा कवर खरीद सकते हैं।


लाल और हरा

सर्दी सभी क्रिसमस चीजों को बाहर लाने का समय है। भले ही आप त्योहार न मनाएं, लेकिन अपने घर को सजाने के लिए इन त्योहारी रंगों का इस्तेमाल करने में कोई हर्ज नहीं है। अपने लिविंग रूम को सजाने के लिए इस (लाल और हरे) विचित्र रंग संयोजन का उपयोग करें और उत्सव का एहसास आपके घर में तुरंत गर्मी जोड़ देगा।

सूती कपड़ों से बचें

कमरे को गर्म रखना चाहती हैं तो सूती कपड़ों को लगाने से बचें, ठंड में ये बहुत जल्दी ठंडे हो जाते हैं। ऐसे में सोफा या बेड पर बैठना मुश्किल हो जाता है। गर्माहट के लिए इनकी जगह गर्म कपड़े का इस्तेमल करें। ऊनू बेडशीट, पिलो कवर जैसी चीजें स बाजार में आसानी से मिलेंगी।

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दर्दनिवारक इंजेक्शन वोवेरान पर लगा प्रतिबंध, किडनी को नुकसान पहुंचाने वाले तत्व पाए गए

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की समिति की सिफारिश पर भारतीय दवा नियंत्रक ने प्रतिबंध लगाया है. दवा में ट्रांसक्योटोल तत्व पाया गया जो कि पूरी दुनिया में प्रतिबंधित है. The post दर्दनिवारक इंजेक्शन वोवेरान पर लगा प्रतिबंध, किडनी को नुकसान पहुंचाने वाले तत्व पाए गए appeared first on The Wire - Hindi.

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की समिति की सिफारिश पर भारतीय दवा नियंत्रक ने प्रतिबंध लगाया है. दवा में ट्रांसक्युटोल तत्व पाया गया जो कि पूरी दुनिया में प्रतिबंधित है.

VOVERAN

नई दिल्ली: दर्द निवारक दवा के तौर पर बाजार में बिकने वाले वोवेरान इंजेक्शन के उत्पादन और बिक्री पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की समिति की सिफारिश पर भारतीय दवा नियंत्रक (डीसीजीआई) ने प्रतिबंध लगा दिया है.

लाइवमिंट के मुताबिक, दवा में ट्रांसक्युटोल तत्व है जो कि पूरी दुनिया में प्रतिबंधित है.

वर्ष 2015 में ट्रोइका फार्मास्युटिकल लिमिटेड ने इस संबंध में डीजीसीआई और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को शिकायत दर्ज कराई थी.

ट्रांसक्युटोल के गंभीर दुष्परिणाम मरीजों की किडनी पर देखे जाते हैं.

शिकायत के बाद बनी समिति ने दवा में टॉक्सिक तत्व होने की बात कह कर इसे प्रतिबंधित करने की सिफारिश की थी.

हालांकि, वोवेरान बनाने वाली कंपनी थेमिस मेडिकेयर ने स्वास्थ्य मंत्रालय पहुंचकर दोबारा समिति बनाकर जांच की मांग की थी. दूसरी समिति ने जांच के बाद दवा को बनाने और बेचने की इजाजत दे दी थी. जिसके बाद ट्रोइका ने दिल्ली हाईकोर्ट का रुख किया था.

एक सरकारी अधिकारी के अनुसार, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा के हस्तक्षेप के बाद एक तीसरी समिति का गठन किया गया जिसके ट्रोइका के दावे को सही पाया. समिति को थेमिस और नोर्वाटिस की ओर से अपने पक्ष में कोई सबूत नहीं दिया गया. समिति ने पाया कि दवा में ट्रांसक्युटोल नाम का तत्व मिला है जो कि विश्व भर में प्रतिबंधित है.

इस संबंध में निर्देश डीसीजीआई ने 4 जुलाई को उत्तराखंड राज्य के ड्रग कंट्रोलर और दमन एवं दीव ड्रग लायसेंस अथॉरिटी सरल चीजें बाजार पर बेहतर काम करती हैं को निर्देश दिया था कि ट्रांसक्युटोल का उपयोग करके डाइक्लोफिनेक सोडियम इंजेक्शन (75 एमजी/एमएल) बनाने का थेमिस मेडिकेयर लिमिटेड को दिया लायसेंस रद्द किया जाए.

डाइक्लोफिनेक इंजेक्शन मल्टीनेशनल कंपनी नोर्वाटिस द्वारा बाजार में वोवेरान 1एमएल के नाम से बेचा जाता है.

शिकायतकर्ता गुजरात की ट्रोइका कंपनी दर्दनिवारक दवा के क्षेत्र में थेमिस की प्रतिद्वंदी कंपनी है.

भारत में दर्द निवारक दवाओं का बाजार लगभग 2000 करोड़ रुपये का है. जिसमें डाइक्लोफिनेक 1एमएल की भागीदारी 260 करेड़ रुपये है. दवा बाजर शोध फर्म एआईसीओडी फार्मा ट्रेक क् अनुसार, ट्रोइका और नोवार्टिस दोनों मिलकर डाइक्लोफिनेक 1एमएल के 60 फीसद बाजार हिस्से पर कमान रखते हैं.

डीजीसीआई ने देश भर के बाजारों से वोवेरान को वापस मंगाने का आदेश दिया है.

डाइक्लोफिनेक सोडियम या वोवेरान दवा का निर्माण उत्तराखंड और लक्षद्वीप में थेमिस मेडिकेयर लिमिटेड कर रही थी. जिसकी मार्केटिंग मल्टीनेशनल कंपनी नोवार्टिस और गैटफोस करती थीं.

आदेशानुसार, उत्तराखंड और लक्षद्वीप की ड्रग्स लायसेंसिंग अथॉरिटी को तत्काल प्रभाव से दवा का उत्पादन रोकने के निर्देश दिए गए हैं.

समिति की रिपोर्ट दिल्ली हाईकोर्ट के समक्ष पेश कर दी गई है. कोर्ट ने तीन जुलाई को याचिका का निस्तारण कर दिया.

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