आईआईटी परिषद द्वारा अधिक स्वायत्तता के लिए कार्य दल का गठन

केन्द्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ की अध्यक्षता में 22 फरवरी, 2021 को ऑनलाइन माध्यम में आयोजित भारतीय मुद्रा विनिमय की गठन अवधि प्रौद्योगिकी संस्थानों की परिषद की 54वीं बैठक में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 से संबंधित मुद्दों पर विचार-विर्मश के लिए चार कार्य दलों का गठन किया गया है।

महत्वपूर्ण तथ्य: 4 कार्य दल का गठन आईआईटी परिषद की स्थायी समिति के अध्यक्ष डॉ. के. राधाकृष्णन की अनुशंसा के आधार पर इन मुद्दों के लिए किया गया।

अंतर्राष्ट्रीय संस्थान/संगठन

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष 189 सदस्य मुद्रा विनिमय की गठन अवधि देशों वाला एक संगठन है जिनमें से प्रत्येक देश का इसके वित्तीय महत्त्व के अनुपात में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के कार्यकारी बोर्ड में प्रतिनिधित्व हैं। इस प्रकार वैश्विक अर्थव्यवस्था में जो देश अधिक शक्तिशाली है उस देश के पास अधिक मताधिकार है।

विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार वृद्धि, 400 अरब डॉलर के स्तर पर कायम: आर्थिक सर्वे

2018-19 में देश से कुल 330.7 अरब डॉलर मूल्य वस्तुओं का निर्यात हुआ। इनमें सबसे ज्यादा पेट्रोलियम उत्पादों, कीमती पत्थरों, दवाओं, सोने और अन्य कीमती धातुओं का निर्यात शामिल है।

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इस अवधि में देश में कुल 514.03 अरब डॉलर मूल्य की वस्तुओं का आयात किया गया। आयातित वस्तुओं में कच्चा तेल, पेट्रोलियम उत्पाद, मोती, कीमती और अर्द्ध-कीमती पत्थर तथा सोना प्रमुख रहे। वित्त वर्ष 2018-19 के दौरान भारत का व्यापार घाटा 183.96 अरब डॉलर रहा। इस दौरान अमेरिका, चीन, हॉन्ग-कॉन्ग, संयुक्त अरब अमीरात और सऊदी अरब भारत के प्रमुख साझेदार बने रहे।

समीक्षा में व्यापार सुगमता के बारे में कहा गया है कि भारत ने अप्रैल, 2016 में विश्व व्यापार संगठन के व्यापार सुगमता समझौता की पुष्टि की और इसके तहत ही राष्ट्रीय व्यापार सुगमता समिति का गठन किया। समिति ने देश के आयात और निर्यात के उच्च शुल्क को घटाने में अहम भूमिका निभाई है। इसकी वजह से सीमापार व्यापार तथा देश के भीतर कारोबारी माहौल को सुगम बनाने के मामले में भारत का प्रदर्शन काफी बेहतर हुआ है। समीक्षा में कहा गया है कि सरकार ने राष्ट्रीय लॉजिस्टिक कार्ययोजना के तहत राष्ट्रीय लॉजिस्टिक नीति का मसौदा तैयार किया है। इसका मुख्य उद्देश्य आर्थिक वृद्धि को गति देना और देश के व्यापार को वैश्विक स्तर पर अधिक प्रतिस्पर्धी बनाना है।

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प्रवर्तन निदेशालय

Swachh Bharat

1. प्रवर्तन निदेशालय या ईडी एक बहुअनुशासनिक संगठन है जो आर्थिक अपराधों और विदेशी मुद्रा कानूनों के उल्लंघन की जांच के लिए अधिदेशित है। इस निदेशालय मुद्रा विनिमय की गठन अवधि की स्थापना 01 मई, 1956 को हुई थी, जब विदेशी मुद्रा विनियमन अधिनियम, 1947 (फेरा,मुद्रा विनिमय की गठन अवधि 1947) के अंतर्गत विनिमय नियंत्रण विधियों के उल्लंघन को रोकने के लिए आर्थिक कार्य विभाग के नियंत्रण में एक प्रवर्तन इकाई का गठन का गया था। दिल्ली में अवस्थित मुख्यालय वाले इस इकाई का नेतृत्व प्रवर्तन निदेशक के रूप में विधिक सेवा के एक अधिकारी द्वारा किया गया,जिन्हें भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) से प्रतिनियुक्ति पर लिए गए एक अधिकारी और विशेष पुलिस स्थापना के 03 निरीक्षकों द्वारा सहायता प्रदान की गई थी। बंबई और कलकत्ता में इसकी 02 शाखाएँ थीं।

2. वर्ष 1960 में इस निदेशालय का प्रशासनिक नियंत्रण, आर्थिक कार्य मंत्रालय से राजस्व विभाग में हस्तांतरित कर दिया गया था। समय बदलता गया,फेरा 47 निरसित हो गया और इसके स्थान पर फेरा,1973आ गया। 04वर्ष की अवधि )1973-77) में निदेशालय को मंत्रीमण्डल सचिवालय,कार्मिक और प्रशासनिक सुधार विभाग के प्रशासनिक अधिकार क्षेत्र में रखा गया । वर्तमान में, निदेशालय राजस्व विभाग, वित्त मंत्रालय, भारत सरकार के प्रशासनिक नियंत्रण में है।

3. आर्थिक उदारीकरण की प्रक्रिया के चलते फेरा,1973,जो कि एक नियामक कानून था,उसे निरसित कर दिया गया और इसके स्थान पर, 01जून, 2000 से मुद्रा विनिमय की गठन अवधि एक नई विधि विदेशी मुद्रा अधिनियम,1999 फेमा लागू की गई। बाद मे, अंतर्राष्ट्रीय धन शोधन व्यवस्था के अनुरूप, एक नया कानून धन शोधन निवारण अधिनियम,2002 (पीएमएलए) बना और प्रवर्तन निदेशालय को दिनांक 01.07.2005 से पीएमएलए को प्रवर्तित करने का दायित्व सौंपा गया। हाल ही में,विदेशों में शरण लेने वाले आर्थिक अपराधियों से संबंधित मामलों की संख्या में वृद्धि के कारण, सरकार ने भगोड़ा आर्थिक अपराधी अधिनियम, 2018 (एफइओए) पारित किया है और प्रवर्तन निदेशालय को 21 अप्रैल, 2018 से इसे लागू करने का दायित्व सौंपा गया है।

मुद्रा विनिमय की गठन अवधि

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष एक अंतर्राष्ट्रीय संस्था है, जो अपने सदस्य देशों की वैश्विक आर्थिक स्थिति पर नज़र रखने का काम करती है। यह अपने सदस्य देशों को आर्थिक और तकनीकी सहायता प्रदान करती है। यह संगठन अंतर्राष्ट्रीय विनिमय दरों को स्थिर रखने के साथ-साथ विकास को सुगम करने में सहायता करता है। इसका मुख्यालय वॉशिंगटन डी॰ सी॰, संयुक्त राज्य में है।

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष: उद्देश्य

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष का उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय वित्तीय एवं मौद्रिक स्थिरता को बनाये रखने के उपाय करना तथा अंतरराष्ट्रीय व्यापार मुद्रा विनिमय की गठन अवधि के विस्तार एवं पुनरुत्थान हेतु वित्तीय आधार उपलब्ध कराना, आर्थिक प्रगति को बढ़ावा देना, गरीबी कम करना, रोजगार को बढ़ावा देना और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार सुविधाजनक बनाना है।

इसके अतिरिक्त अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा मुद्रा विनिमय की गठन अवधि कोष के उद्देश्यों में एक स्थायी संस्था (जो अंतरराष्ट्रीय मौद्रिक समस्याओं पर सहयोग व परामर्श हेतु एक तंत्र उपलब्ध कराती है) के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय मौद्रिक सहयोग को बढ़ावा देना, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के विस्तार एवं संतुलित विकास को प्रोत्साहित करना तथा इस प्रकार से सभी सदस्यों के उत्पादक संसाधनों के विकास और रोजगार व वास्तविक आय के उच्च स्तरों को कायम रखना; विनिमय स्थिरता को प्रोत्साहित करना तथा सदस्यों के बीच व्यवस्थित विनिमय प्रबंधन को बनाये रखना; सदस्यों के मध्य चालू लेन-देन के संदर्भ में भुगतानों की एक बहुपक्षीय व्यवस्था की स्थापना में सहायता देना; सदस्यों को अस्थायी कोष उपलब्ध कराकर उन्हें अपने भुगतान संतुलनों के कुप्रबंधन से निबटने का अवसर एवं क्षमता प्रदान करना तथा सदस्यों के अंतरराष्ट्रीय मुद्रा विनिमय की गठन अवधि भुगतान संतुलनों में व्याप्त असंतुलन की मात्रा व अवधि को घटाना इत्यादि सम्मिलित हैं।

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष: संक्षिप्त इतिहास
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की स्थापना जुलाई 1944 में सम्पन्न हुए संयुक्त राष्ट्र मौद्रिक एवं वित्तीय सम्मेलन में हस्ताक्षरित समझौते के अंतर्गत की गई, जो 27 दिसंबर, 1948 से प्रभावी हुआ। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष द्वारा 1 मार्च, 1947 को औपचारिक रूप से कार्य करना शुरू कर दिंया गया। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष आर्थिक व सामाजिक परिषद के साथ किये गये एक समझौते (जिसे 15 नवंबर, 1947 को महासभा की मंजूरी प्राप्त हुई) के उपरांत संयुक्त राष्ट्र का विशिष्ट अभिकरण बन गया।

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष: संरचना

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष एवं विश्व बैंक का एक संगठनात्मक ढांचा एक समान है।अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष एक बोर्ड ऑफ़ गवर्नर्स, बोर्ड ऑफ एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर्स, अंतरराष्ट्रीय मौद्रिक प्रणाली पर एक अंतरिम समिति तथा एक प्रबंध निदेशक व कर्मचारी वर्ग के द्वारा अपना कार्य करता है।
बोर्ड ऑफ़ गवर्नर्स: अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की सभी शक्तियां बोर्ड ऑफ गवर्नर्स में निहित होती हैं। इस बोर्ड में प्रत्येक सदस्य देश का एक गवर्नर एवं एक वैकल्पिक प्रतिनिधि शामिल रहता है। इसकी बैठक वर्ष में एक बार होती है।

बोर्ड ऑफ एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर्स: बोर्ड ऑफ गवर्नर्स द्वारा अपनी अधिकांश शक्तियां 24 सदस्यीय कार्यकारी निदेशक बोर्ड को हस्तांतरित कर दी गयी हैं। इस कार्यकारी निदेशक बोर्ड की नियुक्तियां निर्वाचन सदस्य देशों या देशों के समूहों द्वारा किया जाता है। मुद्रा विनिमय की गठन अवधि प्रत्येक नियुक्त निदेशक को अपनी सरकार के निर्धारित कोटे के अनुपात में मत शक्ति प्राप्त होती है। जबकि प्रत्येक निर्वाचित निदेशक अपने देश समूह से सम्बद्ध सभी वोट डाल सकता है।
प्रबंध निदेशक: कार्यकारी निदेशकों द्वारा अपने प्रबंध निदेशक का चयन किया जाता है, जो कार्यकारी बोर्ड के अध्यक्ष के रूप में कार्य करता है। प्रबंध निदेशक अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के दिन-प्रतिदिन के कार्यों को सम्पन्न करता है। एक संधि समझौते के अनुसार मुद्रा विनिमय की गठन अवधि अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष का प्रबंध निदेशक यूरोपीय होता है जबकि विश्व बैंक का अध्यक्ष अमेरिकी नागरिक होता है।

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष: कार्य
अंतराष्ट्रीय मुद्रा कोष के कार्य इस प्रकार है:
1 आईएमएफ की स्थापना के समय, इसके तीन प्राथमिक कार्य होते थे: देशों के बीच निश्चित विनिमय दर की व्यवस्था की निगरानी करना, इस प्रकार राष्ट्रीय सरकारों ने अपने विनिमय दरों मुद्रा विनिमय की गठन अवधि का प्रबंधन करने और इन सरकारों को आर्थिक विकास को प्राथमिकता देने की अनुमति दी, अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक संकटों को फैलाने से रोकने के लिए सहायता करना था । महामंदी और द्वितीय विश्व युद्ध के बाद अंतर्राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के टुकड़ों को सुधारने में आईएमएफ का भी इरादा था। साथ ही, आर्थिक विकास और बुनियादी ढांचे जैसे परियोजनाओं के लिए पूंजी निवेश प्रदान करना।
2 अंतराष्ट्रीय मुद्रा कोष वैश्विक विकास और आर्थिक स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए काम करता है, जिससे वे विकासशील देशों के साथ काम कर, नीतिगत, सलाह और सदस्यों को वित्तपोषण करके व्यापक आर्थिक स्थिरता हासिल करने और गरीबी को कम करने में मदद करते हैं।
3 अंतराष्ट्रीय मुद्रा कोष वित्तपोषण के वैकल्पिक स्रोत प्रदान करता है।

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष एवं भारत
भारत का अंतराष्ट्रीय मुद्रा कोष से घनिष्ठ संबंध रहा है और उसके नीति-निर्माण एवं कार्य संचालन में भारत निरंतर योगदान देता रहा है। समय-समय पर आर्थिक सहायता और परामर्श द्वारा भारत मुद्रा कोष से लाभान्वित हुआ है।भारत, जो अभी तक अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से समय-समय पर अपनी आवश्यकतानुसार ऋण लेता रहा है, अब इसके वित्त पोषक राष्ट्रों में शामिल हो गया है। अब भारत इस बहुपक्षीय संस्था को ऋण उपलब्ध कराने लगा है।

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