Dividend पॉलिसी क्या है?
Dividend meaning in Hindi : Get meaning and translation of Dividend in Hindi language with grammar,antonyms,synonyms and sentence usages by ShabdKhoj. Know answer of question : what is meaning of Dividend in Hindi? Dividend ka matalab hindi me kya hai (Dividend का हिंदी में मतलब ). Dividend meaning in Hindi (हिन्दी मे मीनिंग ) is लाभांश.English definition of Dividend : that part of the earnings of a corporation that is distributed to its shareholders; usually paid quarterly
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Special Dividend क्या होता है? कौन- कैसे उठा सकता है इसका फायदा, जानिए पूरी डिटेल
डिविडेंड मुख्य रूप से तीन प्रकार का होता है. अंतरिम डिविडेंड, फाइनल डिविडेंड और स्पेशल डिविडेंड. अगर आप किसी कंपनी के डिविडेंड का लाभ उठाना चाहते हैं तो रिकॉर्ड डेट के दिन वह शेयर आपके डीमैट अकाउंट में होना जरूरी है.
अगर आप शेयर बाजार के निवेशक हैं तो डिविडेंड या लाभांश के बारे में जरूर सुना होगा. जब कभी इसकी चर्चा होती है तो इसके साथ कई तरह के टर्म का इस्तेमाल किया जाता है. जैसे स्पेशल डिविडेंड, रिकॉर्ड डेट, एक्स डिविडेंड डेट, अंतरिम डिविडेंड, फाइनल डिविडेंड. इस आर्टिकल में आपको इन तमाम टर्मों का मतलब बताएंगे जिससे आने वाले दिनों में आप इसका उचित फायदा उठा सकें.
सबसे पहले डिविडेंड डिक्लेरेशन डेट होता है. यह वह तारीख होती है जिस दिन किसी कंपनी का बोर्ड ऑफ डायरेक्टर डिविडेंड की घोषणा करता है. जिस दिन कंपनी डिविडेंड की घोषणा करती है उसके साथ दो और डेट की घोषणा की जाती है. ये दो डेट होते हैं रिकॉर्ड डेट और पेमेंट डेट. रिकॉर्ड डेट वह डेट होती है जिस दिन कंपनी यह देखती है कि कौन-कौन इन्वेस्टर्स हैं, जिनके डीमैट अकाउंट में शेयर्स हैं.
डीमैट अकाउंट में शेयर होना जरूरी
अगर आपको डिविडेंड का लाभ चाहिए तो रिकॉर्ड डेट के दिन आपके डीमैट अकाउंट में शेयर्स होने चाहिए. उदाहरण के तौरन पर कंपनी A ने डिविडेंड की घोषणा की और 20 सितंबर उसका रिकॉर्ड डेट है. आपको डिविडेंड का लाभ तभी मिलेगा जब 20 सितंबर को वह शेयर आपके डीमैट अकाउंट में हो.
रिकॉर्ड डेट से पहले होता है एक्स डिविडेंड डेट
रिकॉर्ड डेट से एक या दो कारोबारी सत्र पूर्व एक्स डिविडेंड डेट होता है. डिविडेंड का लाभ उठाने के लिए निवेशकों को एक्स डिविडेंड डेट से पहले शेयर की खरीदारी करनी होगी ताकि वह शेयर उसके डीमैट अकाउंट में रिकॉर्ड डेट के दिन रहे. यहां इस बात को समझना जरूरी है कि इंडियन स्टॉक मार्केट में जब आप कोई शेयर खरीदते हैं तो T+2 में वह आपके डीमैट अकाउंट में पहुंचता है. इसलिए एक्स डिविडेंड डेट से पहले तक खरीदारी करनी होगी. एक्स डिविडेंड डेट के दिन खरीदारी करने पर डिविडेंड का लाभ नहीं मिलेगा.
क्या होता है अंतरिम और फाइनल डिविडेंड?
इसके अलावा मुख्य रूप से दो- अंतरिम और फाइनल डिविडेंड होता है. किसी वित्त वर्ष के लिए जब तक बुक्स ऑफ अकाउंट क्लोज नहीं होता है, उससे Dividend पॉलिसी क्या है? पहले कंपनी जब डिविडेंड की घोषणा करती है तो उसे अंतरिम डिविडेंड कहते हैं. ये शेयर होल्डर्स की सहमति से वापस भी लिए Dividend पॉलिसी क्या है? जा सकते हैं. फाइनल डिविडेंड वह डिविडेंड होता है जब फाइनेंशियल ईयर समाप्त होने पर कंपनी एनुअल जनरल मीटिंग के समय इसकी घोषणा करता है. इस डिविडेंड को वापस नहीं लिया जा सकता है.
क्लोजिंग भाव के मुकाबले 5 फीसदी से ज्यादा हो डिविडेंड
इन दो तरह के डिविडेंड के अलावा एक स्पेशल डिविडेंड भी होता है जिसकी घोषणा कंपनी की तरफ से कभी भी की जा सकती है. जी बिजनेस की रिपोर्ट के मुताबिक, जब कोई कंपनी स्टॉक प्राइस के मुकाबले 5 फीसदी से ज्यादा के डिविडेंड की घोषणा करती है तो उसे स्पेशल डिविडेंड माना जाता है. जैसे 11 सितंबर को एक शेयर का क्लोजिंग भाव 100 रुपए है और उसने 6 रुपए प्रति शेयर डिविडेंड की घोषणा की है तो इसे स्पेशल डिविडेंड माना जाएगा.
Determinants Of Corporate Dividend Policy पेपरबैक – 1 जनवरी 1993
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रिप्लेसमेंट कारण | रिप्लेसमेंट अवधि | रिप्लेसमेंट पॉलिसी |
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Dividend Policy Is A Key Decision Area In The Field Of Financial Management. It Is Not Clearly Understood By A Large Segment Of The Financial Community Even Today. There Is A Misconception That Dividend Policy Is A Straight Forward And Simple Aspect Of Finance As Compared With The More Technical Areas Such As Taxation, Liquidity Management And Cost Accounting. However, Dividend Policy Decision Is A Complex One Having Numerous Implications For The Firm. It Has Both Micro As Well As Macro Significance. In Spite Of Such A Dual Importance Of This Problem, Its Theoretical Determinants Are Less Well As Macro Significance. In Spite Of Such A Dual Importance Of This Problem, Its Theoretical Determinants Are Less Well Established And This Is An Area In Which Very Little Research Has Been Done In Our Country.In The Above Back Drop The Present Work Has Broadly Been Split Into Two Parts. The First Part Deals With The Review Of The Theoretical Literature And The Legal Aspects Of Dividend Policy. The Second Part Is Concerned With The Empirical Analysis Of Corporate Dividend Behaviour Of Sample Companies Selected For This Purpose. The Analysis Of The Trend Of Corporate Dividend Behaviour Reflected In This Book Has Been Studied By Examining The Profit And Dividend Relationships And The Dividend Pay Out Ratios Of The Sample Companies. However, To Enquire Into The Determinants Of Dividend Policy Some Known Regression Models Have Been Extensively Used In The Study To Gauge Their Relative Ability To Explain The Dividend Policy Decisions In The Indian Situation. This Has Been Carried Out By Picking A Judgment Sample Of 90 Companies With Reference To Six Selected Industries Belonging To Both The Traditional And Non-Traditional Sector Of Our Economy. It Is Believed That The Findings Of The Stuffy In Expected To Be Of Great Use To The Teachers, Researchers And Students Of Economics, Commerce And Management To Management Personnel Of Various Financial Institutions And Industrial Corporatio
पर्सनल फाइनेंस: म्यूचुअल फंड में रिटर्न पाने के मिलते हैं 2 ऑप्शन, यहां जानें ग्रोथ और डिविडेंड में कौन-सा विकल्प आपके लिए रहेगा सही
अगर आप म्यूचुअल फंड में निवेश करने का प्लान बना रहे हैं तो इससे पहले आपका इस स्कीम के बारे में सही से जानना बहुत जरूरी है। क्योंकि स्कीम में निवेश करने से पहले आपको तय कर लेना चाहिए कि स्कीम से फायदा पाने के लिए आपको कौन सा ऑप्शन चुनना है। निवेशकों को म्यूचुअल फंड में दो तरह के ऑप्शन मिलते हैं। इनमें पहला है ग्रोथ और दूसरा है डिविडेंड पे आउट (डिविडेंड)। जहां ग्रोथ ऑप्शन में पैसा लगातार स्कीम में रहता है, वहीं डिविडेंड ऑप्शन में कंपनियां समय-समय पर लाभांश के रूप में फायदा बांटती रहती हैं। हम आपको इनके बारे में बता रहे हैं।
ग्रोथ ऑप्शन क्या है?
यह ऑप्शन चुनने का मतलब है कि आपकी स्कीम पर मिलने वाला डिविडेंड ( लाभांश) आपको नहीं मिलता। ये फायदा आपको तभी मिलेगा जब आप अपनी यूनिट्स रिडीम करते हैं। यानी उन्हें बेचते हैं। इसका फायदा यह है कि इस विकल्प में आपका निवेश बढ़ता रहता है।
इसे उदाहरण से समझें
उदाहरण के लिए अगर आपने 10 रुपए एनएवी की दर से म्यूचुअल फंड की 1000 यूनिट्स खरीदी है और आप इसे दो साल बाद 15 रुपए की एनएवी पर बेचते हैं तो 5 हजार रुपए इस निवेश पर आपका रिटर्न हुआ। यानी आपको 5000 रुपए का फायदा होगा।
किसे चुनना चाहिए ये ऑप्शन?
लंबी अवधि के लिए निवेश करने वालों के लिए ये ऑप्शन सही रहता है। क्योंकि इसमें रिटर्न पर बार-बार कैपिटल गेन पर टैक्स नहीं देना पड़ता। इसके अलावा जब आप ग्रोथ ऑप्शन चुनते हैं तो बीच में पैसा न निकालने के कारण लंबी अवधि में रिटर्न बढ़ जाता है। इसमें निवेशक को कंपाउंडिंग का भी फायदा मिलता है। इसलिए यह विकल्प उन निवेशकों के लिए सही है, जिन्हें अपने निवेश पर नियमित आय नहीं चाहिए। जो निवेशक पैसे पर ज्यादा रिटर्न चाहते हैं उन्हें ग्रोथ ऑप्शन चुनना चाहिए।
डिविडेंड पे आउट ऑप्शन क्या है?
डिविडेंड ऑप्शन में निवेशक को म्यूचुअल फंड हाउस समय-समय पर डिविडेंड का भुगतान करती है। ये फंड हाउस के ऊपर है कि वो अपने शेयरधारकों को कब और कितना फायदा देती है।
किसके लिए सही है ये विकल्प
यह विकल्प ऐसे निवेशकों के लिए सही है, जो छोटी अवधि के लिए म्यूचुअल फंड की स्कीम में पैसा लगाना चाहते हैं। इसके अलावा जिन्हें नियमित आय की जरूरत होती है उनके लिए ये ऑप्शन सही है। हालांकि इस स्कीम में आपके पैसे की वैल्यू ग्रोथ ऑप्शन की तुलना में कम बढ़ती है। क्योंकि इसमें आपको कंपाउंडिंग का फायदा उतना नहीं मिलता है, जितना ग्रोथ ऑप्शन चुनने पर मिलता है।
कब मिलता है डिविडेंड?
डिविडेंड तब दिया जाता है जब कंपनियों को फायदा होता है और वो अपने निवेशकों को अपना मुनाफा बांटना चाहती है। इसका कोई समय या नियम नहीं है कि कब और कितना दिया जाएगा। ये कंपनी के ऊपर है कि वो अपने शेयरधारकों को कब और कितना फायदा देती है।
डिविडेंड में मिलता है री-इन्वेस्ट का ऑप्शन
डिविडेंड में निवेशक को डिविडेंड री-इन्वेस्ट का ऑप्शन भी मिलता है। इसमें निवेशक को ग्रोथ और डिविडेंड दोनों का ही फायदा मिलता है। इसमें डिविडेंड की रकम निवेशक की जेब में नहीं जाती है। उसके बदले निवेशक को यूनिट्स आवंटित कर दी जाती है।
एक बार शेयर खरीदकर 2 तरह से पा सकते हैं मुनाफा, जानें क्या होता है डिविडेंड
एक बार शेयर खरीदकर 2 तरह से पा सकते हैं मुनाफा
Dividend Stocks: अमूमन शेयर खरीदने के बाद अगर उसमें ग्रोथ आती है तो उसका फायदा निवेशकों को मिलता है. लेकिन क्या ऐसा हो सकता है कि एक ही जगह निवेश करें और उस पर 2 तरह से आपको मुनाफा हो. बहुत से लोगों को इस बारे में ज्यादा अंदाजा नहीं होगा. शेयर बाजार में यह भी संभव है. इस तरह का फायदा आप ज्यादा डिविडेंड देने वाले शेयरों में निवेश कर उठा सकते हैं.
शेयर बाजार की चाल हर समय एक जैसी नहीं रहती है. बाजार में कभी तेजी आती है तो कभी छोटे सेंटीमेंट से भी बाजार नीचे आने लगता है. जब बाजार में गिरावट शुरू होती है तो कई शेयरों का भाव भी गिरने लगता है और निवेशकों का रिटर्न निगेटिव हो सकता है. ऐसे में निवेशकों के मन में डर भी बैठने लगता है. जो निवेशक ज्यादा जोखिम नहीं लेना चाहते हैं, कई बार वे इस कंडीशन में शेयर भी बेचने लगते हैं. अगर आप भी जोखिम नहीं लेना चाहते हैं तो डिविडेंड स्टॉक बेहतर विकल्प है.
क्या है डिविडेंड?
कुछ कंपनियां अपने शेयरधारकों को समय-समय पर अपने मुनाफे का कुछ हिस्सा देती रहती हैं. मुनाफे का यह हिस्सा वे शेयरधारकों को डिविडेंड के रूप में देती हैं. इन्हें डिविडेंड यील्ड स्टॉक भी कहते हैं. गर इन कंपनियों के शेयर खरीदते हैं तो इसमें 2 तरह से फायदा होगा.
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Dividend Stocks: 2 तरह से फायदा
- एक तो फायदा यह होगा कि कंपनी होने वाले मुनाफे का कुछ हिस्सा आपको देगी.
- दूसरी ओर शेयर में तेजी आने से भी आपको मुनाफा होगा. मसलन किसी कंपनी के शेयर में आपने 10 हजार रुपए निवेश किए हैं और एक साल में शेयर की कीमत 25 फीसदी चढ़ती है तो आपका निवेश एक साल में बढ़कर 12500 रुपये हो जाएगा.
- ज्यादा डिविडेंड देने वाली कंपनियों में निवेश का एक फायदा यह है कि आप अपने शेयर बेचे बिना भी इनकम कर सकते हैं.
मुनाफे वाली कंपनियां देती हैं डिविडेंड
आमतौर पर पीएसयू कंपनियां डिविडेंड के लिहाज से Dividend पॉलिसी क्या है? अच्छी मानी जाती हैं. जानकारों का कहना है कि अगर कोई कंपनी डिविडेंड दे रही है तो इसका मतलब साफ है कि उस कंपनी को मुनाफा आ रहा है. कंपनी के पास कैश की कमी नहीं है. डिविडेंड देने के ऐलान से शेयर को लेकर भी सेंटीमेंट अच्छा होता है और उसमें तेजी आती है. हालांकि ऐसे शेयर चुनते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि निवेश उसी कंपनी में करें जिनका ट्रैक रिकॉर्ड बेहतर ग्रोथ के साथ रेग्युलर डिविडेंड देने का हो.
ये कंपनियां देती है डिविडेंड
देश में ऐसी कंपनियों की कमी नहीं हैं, जो अपने शेयरधारकों को समय-समय पर डिविडेंड देती हैं. ज्यादा डिविडेंड देने वाली कंपनियों की सूची में कोल इंडिया, वेदांता लिमिटेड, बीपीसीएल, आईओसी, आरईसी, NMDC, NTPC और सोनाटा सॉफ्टवेयर जैसी कंपनियां शामिल हैं.
(Disclaimer: हम यहां निवेश की सलाह नहीं दे रहे हैं. यह डिविडेंड स्टॉक के बारे में एक जानकारी है. स्टॉक मार्केट के अपने जोखिम है. निवेश के पहले एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें.)
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