सीतारमण ने स्पष्ट किया, “यह कराधान क्रिप्टो करेंसी से जुड़ी गतिविधियों पर लगाया गया है। इसका यह मतलब नहीं है कि इसे कानूनी जामा पहनाया जा रहा है। मुद्रा हर कोई जारी नहीं कर सकता।” बजट में रोजगार सृजन से जुड़े सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, ‘‘हम लोगों को हुनरमंद बनाकर उनकी क्षमता बढ़ा रहे हैं। ईसीएलजीएस (आपात ऋण सुविधा गारंटी योजना) के तहत गारंटी दायरे को 50,000 करोड़ बढ़ाकर पांच लाख करोड़ रुपये किया जाएगा। साथ ही इसकी समयसीमा बढ़ाकर मार्च, 2023 तक की गई है। अतिरिक्त सहायता विशिष्ट रूप से आतिथ्य और संबंधित उपक्रमों के लिए है। इससे रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।”

बजट 2022-23 : क्रिप्टो करेंसी, डिजिटल संपत्तियों से आय पर लगेगा टैक्स, कानून बाद में

नई दिल्ली/ टीम भारत में कराधान और क्रिप्टोकरेंसी डिजिटल। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को क्रिप्टोकरेंसी और अन्य डिजिटल संपत्तियों पर कराधान को स्पष्ट किया। उन्होंने ऐसी संपत्तियों में लेन-देन को लेकर 30 प्रतिशत कर लगाने भारत में कराधान और क्रिप्टोकरेंसी का प्रस्ताव किया। साथ ही ऐसी संपत्तियों को कर के दायरे में लाने के लिये वित्त मंत्री ने इस संपत्ति की श्रेणी में एक सीमा से अधिक के लेन-देन पर एक प्रतिशत टीडीएस (स्रोत पर कर कटौती) लगाने का भी प्रस्ताव किया।

सीतारमण ने लोकसभा में वित्त वर्ष 2022-23 का बजट पेश करते हुए कहा कि क्रिप्टो और डिजिटल संपत्तियों में उपहार पर कर लगेगा। संसद में बजट पारित होने के बाद कर प्रस्ताव एक अप्रैल से अमल में आएगा।उद्योग की मांग को पूरा करते हुए उन्होंने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक 2022-23 में ब्लॉकचेन प्रौद्योगिकी आधारित डिजिटल रुपया पेश करेगा।

बजट 2022-23 : क्रिप्टो करेंसी, डिजिटल संपत्तियों से आय पर लगेगा टैक्स, कानून बाद में

नई दिल्ली/ टीम डिजिटल। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को क्रिप्टोकरेंसी और अन्य डिजिटल संपत्तियों पर कराधान को स्पष्ट किया। उन्होंने ऐसी संपत्तियों में लेन-देन को लेकर 30 प्रतिशत कर लगाने का प्रस्ताव किया। साथ ही ऐसी संपत्तियों को कर के दायरे में लाने के लिये वित्त मंत्री ने इस संपत्ति की श्रेणी में एक सीमा से अधिक के भारत में कराधान और क्रिप्टोकरेंसी लेन-देन पर एक प्रतिशत टीडीएस (स्रोत पर कर कटौती) लगाने का भी प्रस्ताव किया।

सीतारमण ने लोकसभा में वित्त वर्ष 2022-23 का बजट पेश करते हुए कहा कि क्रिप्टो और डिजिटल संपत्तियों में उपहार पर कर लगेगा। संसद में बजट पारित होने के बाद कर प्रस्ताव एक अप्रैल से अमल में आएगा।उद्योग की मांग को पूरा करते हुए उन्होंने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक 2022-23 में ब्लॉकचेन प्रौद्योगिकी भारत में कराधान और क्रिप्टोकरेंसी आधारित डिजिटल रुपया पेश करेगा।

Cryptocurrency क्रिप्टोकरेंसी पर कानून विचार-विमर्श के बाद, अभी चर्चा कर रहे हैं: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण

Union Budget 2021 live FM Nirmala Sitharaman to present Union Budget 2021 today

File Photo

नयी दिल्ली. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने मंगलवार को कहा कि क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) पर विचार-विमर्श जारी है और उसके बाद हम इस पर कायदे-कानून बनाने पर विचार करेंगे। बजट के बाद संवाददाताओं से बातचीत में सीतारमण ने कहा, “क्रिप्टोकरेंसी पर हाल में विचार-विमर्श शुरू किया गया है। इसमें जो निष्कर्ष आता है, उसके आधार पर हम कानून लाने या अन्य किसी प्रस्ताव पर गौर करेंगे।”

बजट में डिजिटल मुद्रा और क्रिप्टो कर की शुरुआत

क्या भारत आभासी मुद्राओं (क्रिप्टोकरेंसी) के खिलाफ है? क्या सरकार कर अधिकारियों एवं जांच एजेंसियों को क्रिप्टोकरेंसी के नियमन एवं इनके कराधान के लिए आवश्यक ढांचा निर्धारित करने की अनुमति देगी? हाल में समाचार माध्यमों में ऐसे कई प्रश्न पूछे गए थे। इस विषय पर सरकार पर निष्क्रियता दिखाने के आरोप लगते रहे हैं। कारोबार सरकार से स्पष्ट निर्देश मिलने की उम्मीद कर रहा है। अब ऐसा लगता है कि वित्त मंत्री ने इस दिशा में कदम उठाया है और क्रिप्टोकरेंसी पर कर लगाने के लिए ढांचा पेश किया है। इस ढांचे की सूक्ष्म बातें और कराधान के अलावा वित्त मंत्री का यह कदम सराहनीय है। यह कम से कम इस बात का संकेत जरूर दे रहा है कि सरकार की कर नीति अब स्पष्ट होती जा रही है और पहले की तरल अस्पष्ट और क्रियान्वयन के लिहाज से जटिल नहीं रह गई है।

नीतिगत लिहाज से बजट में किए गए इस उपाय की प्रशंसा की जानी चाहिए। बजट में वित्त मंत्री ने कर कानून में जिस तरह 'आभासी डिजिटल परिसंपत्ति' (वर्चुुअल डिजिटल ऐसेट्स) शब्द का जिक्र किया है वह इस बात का स्पष्ट संकेत है कि यह कानूनी प्रावधान केवल खास मकसद को पूरा करने तक सीमित नहीं रहेगा और आने वाले समय में भी क्रिप्टोकरेंसी खंड में बदलती परिस्थितियों के अनुरूप और कई उपाय किए जाएंगे। शुरुआत में इस घोषणा में सभी क्रिप्टो परिसंपत्तियां शामिल की गई हैं। इसके अलावा नॉन-फंजीबल टोकन (एनएफटी) भी खास तौर पर शामिल किए गए हैं। तेजी से बदलते हालात से निपटने के लिए सरकार को पर्याप्त अवसर और समय देने के वास्ते इस कानूनी ढांचे में दूसरी प्रकार की डिजिटल परिसंपत्तियां भी अधिसूचित कर सकती हैं। इनमें उन परिसंपत्तियों को बाहर रखा गया है जो इस दायरे में रखे जाने के लिए उपयुक्त नहीं समझी जाती हैं। इस तरह, सरकार के पास नियामकीय मोर्चे पर बदलती परिस्थितियों के अनुरूप उपाय करने के लिए काफी गुंजाइश बची हुई है।

आगे की राह

  • क्रिप्टो के लिये नियामक ढाँचा: भारत में क्रिप्टो के संबंध में तत्काल एक नियामक ढाँचे का निर्माण किये जाने की आवश्यकता है।
    • इस ढाँचे को विभिन्न क्रिप्टोकरेंसियों, बिक्री, खरीद के साथ-साथ एक्सचेंज और ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म जैसे मध्यस्थों से संबद्ध विभिन्न पहलुओं से निपटने की आवश्यकता होगी।
    • सरकार को संबद्ध जोखिमों की पहचान करनी चाहिये और उन्हें संबोधित करने के लिये एक उपयुक्त नियामक ढाँचा तैयार करना चाहिये।
    • यह विनियमन धन-शोधन और आतंक-वित्तपोषण जैसे मुद्दों की निगरानी और घोटालों पर रोक में भी सहायता कर सकता है।
    • एक कुशल नियामक ढाँचा निवेशकों के लिये उत्तरदायित्व के साथ-साथ शिकायत निवारण तंत्र की पूर्ति करेगा।
    • इसके साथ ही, यह भारत में सक्रिय क्रिप्टो कंपनियों के पलायन को रोकेगा, जिससे पूंजी का पलायन नहीं होगा।
    • यह भारत और भारतीयों के लिये उभरती प्रौद्योगिकियों के क्षेत्र में आगे बढ़ने और इस क्षेत्र में अग्रणी एवं नवप्रवर्तक बनने के लिये एक स्वस्थ पारितंत्र का निर्माण करेगा।
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