e-NAM पोर्टल किसानों और व्यापारियों दोनों के लिए ही सरल है, फोटो साभार: Freepik

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Gayatri Pariwar

जिस तरह और बातों में ईमानदारी की जरूरत है उसी तरह व्यापार में भी ईमानदारी से कामयाबी होती है। सब तरह के व्यापार में ईमानदारी का ख्याल सबसे पहला होना चाहिये। जिस तरह सैनिक को गौरव का और धर्मात्मा मनुष्य को दया का खयाल रहता है, उसी तरह व्यापारी सौदागर को कारीगर की ईमानदारी का खयाल होना चाहिये। छोटे से छोटे पेशे में भी ईमानदारी बरती जा सकती है। राज मजदूर भी अपना काम अच्छी तरह करके ईमानदार बन सकते हैं। कारीगरों को यश और ख्याति ही नहीं किन्तु बहुत कुछ सफलता इस बात से प्राप्त होती है कि वे जिस चीज को अपनावें वे उसमें किसी तरह का धोखा न दें। सौदागरों को भी सफलता इस बात से प्राप्त होती है कि वे जिस चीज को जैसी कह कर बेचें वह असल में वैसी ही हो। धोखेबाजी और धींगा-धींगी से चाहे हम कुछ समय के लिये सफलता प्राप्त कर लें, परन्तु स्थाई सफलता ईमानदारी से ही मिलती है। मिसाल मशहूर है कि ‘काठ की हाँडी दूसरी बार नहीं चढ़ती’ जब कलई खुल जाती है तब सारी शेखी किरकिरी हो जाती है। किसी देश का नामवरी और वहाँ की पैदावार अथवा बनी हुई चीजों की उत्तमता वहाँ सौदागरों और कारीगरों के साहस, प्रतिभा और योग पर ही निर्भर नहीं है किन्तु उनकी अकलमंदी, किफायत सारी और इन दोनों से भी बढ़कर ईमानदारी पर कहीं ज्यादा निर्भर है। यदि इंग्लैण्ड इत्यादि किसी देश के व्यापारी इन गुणों को तिलाँजलि दे दें तो उनके तिजारती जहाज दुनिया के सब मुल्कों से निकाल दिये जायं।

और कामों की अपेक्षा तिजारत में चरित्र की ज्यादा कठिन परीक्षा होती है। व्यापार में ईमानदारी स्वार्थ त्याग, न्यायपरायणता और सच्चाई की सबसे बड़ी परीक्षा होती है और वे व्यापारी, जो उन परीक्षाओं में सच्चे उतरते हैं, शायद उतनी ही इज्जत के काबिल हैं जितने वे सैनिक जो तोपों के सामने भयानक धुआँधार युद्धों में अपनी वीरता का परिचय देते हैं। हम यह जानते हैं कि अनेक व्यापारों में जो करोड़ों आदमी लगे हुए हैं वे प्रायः इस परीक्षा में सच्चे उतरते हैं और यह बात उनके लिए बड़े गौरव की है। यदि हम थोड़ी देर के लिए सोचें कि हर रोज मामूली नौकरों को, जो स्वयं बहुत थोड़ा वेतन पाते हैं कितनी बड़ी-बड़ी रकमें सौंप दी जाती हैं- दुकानदारों, मुनीमों, दलालों, बैंकों के मुहर्रिरों के हाथों में होकर हर रोज कितना रुपया आता जाता रहता है, और इन प्रलोभनों के बीच में भी विश्वासघात के काम कितने कम होते हैं, तो यह मानना पड़ेगा कि यह प्रतिदिन की ईमानदारी मनुष्य के चरित्र के लिए बड़े गौरव की बात है। व्यापारियों को एक दूसरे का भी बड़ा विश्वास रहता है, क्योंकि वे आपस में माल उधार देते रहते हैं। व्यापार के लेन-देन में यह बात ऐसी साधारण हो गई है कि हमको बिल्कुल आश्चर्य नहीं मालूम होता। एक विद्वान ने खूब कहा है कि-”मनुष्य एक दूसरे के साथ जो प्रेम रखते हैं उसका यह सर्वोत्तम उदाहरण है कि सौदागर अपने दूर-दूर के मुनीमों पर-जो शायद उनसे व्यापारी जो व्यापार के बारे में सब कुछ जानते हैं आधी दुनिया की दूरी पर हैं-ऐसा पक्का विश्वास रखते हैं और बहुधा उन लोगों को, जिनको उन्होंने शायद कभी व्यापारी जो व्यापार के बारे में सब कुछ जानते हैं नहीं देखा, सिर्फ इनकी ईमानदारी के भरोसे पर प्रचुर धन भेज देते हैं।

जो सफलता बिना धोखे या बेईमानी के प्राप्त होती है वही सच्ची सफलता है चाहे मनुष्य कुछ समय तक असफल ही रहे परन्तु उसको ईमानदार ही रहना चाहिए। चाहे सर्वस्व जाता रहे परन्तु चरित्र की रक्षा करनी चाहिये, क्योंकि चरित्र स्वयं धन है। यदि अच्छे उद्देश्य वाला मनुष्य वीरता के साथ दृढ़ बना रहे, तो उसकी सफलता भी अवश्य होगी और उसको इसका सर्वोत्तम फल मिले बिना नहीं रहेगा।

e-NAM पोर्टल पर किसान घर बैठे बेच सकते हैं अपनी फसल, जानें इसके बारे में सबकुछ

किसानों को घर बैठे देशभर की मंडियों तक पहुंचाने के लिए सरकार ने e-NAM पोर्टल शुरू किया है. इस पोर्टल पर पंजीकृत होकर किसान डिजिटली तौर पर अपनी समस्याओं का समाधान करा सकते हैं. आइए e-NAM पोर्टल के बारे में विस्तार से जानते हैं.

e-NAM पोर्टल किसानों और व्यापारियों दोनों के लिए ही सरल है, फोटो साभार: Freepik

e-NAM पोर्टल किसानों और व्यापारियों दोनों के लिए ही सरल है, फोटो साभार: Freepik

  • Noida,
  • Dec 25, 2022,
  • Updated Dec 26, 2022, 10:59 AM IST

भारत एक विकासशील देश है और यह आधुनिक तकनीक की बदौलत हर दिशा में तेजी से विकास कर रहा है. वही कृषि क्षेत्र में भी बुनियादी गैप को भरने के लिए सरकार आधुनिकता को बढ़ावा देने का काम कर रही है. चाहे उर्वरकों की गुणवत्ता में सुधार कर उपज बढ़ाने की बात हो, चाहे ड्रोन जैसे नए-नए कृषि यंत्रों के प्रयोग कर किसानों की मेहनत और समय बचाकर किसानी आसान बनाना. ऐसे ही अब किसानों को घर बैठे देश भर की मंडियों तक पहुंचाने के लिए e-NAM पोर्टल लेकर आई है. इसमें पंजीकृत होकर किसान डिजिटली तौर पर अपनी समस्याओं का समाधान करा सकते हैं. ऐसे में आइए e-NAM पोर्टल के बारे में विस्तार से जानते हैं-

e-NAM पोर्टल क्या है?

केंद्र सरकार ने किसानों की आय को दोगुना करने के लिए 14 अप्रैल 2016 को e-NAM पोर्टल की शुरुआत की थी. यह एक इलेक्ट्रॉनिक व्यापार का पोर्टल है जो फसलों की उपज से जुड़ी समस्याओं को सुलझाने में किसानों की मदद करता है. इस पोर्टल में पंजीकृत होकर देश के किसान कहीं से भी अपनी फसलों की ऑनलाइन बिक्री कर सकते हैं. किसानों द्वारा बेची गई फसल की राशि सीधे उनके बैंक अकाउंट में आएगी. इसकी शुरुआत किसानों को मंडियों पर मूल्यों को लेकर चलने वाली मनमानी से बचाने व्यापारी जो व्यापार के बारे में सब कुछ जानते हैं उनकी फसल का उचित लाभकारी मूल्य दिलाने के लिए की गई थी.

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अब तक 1.73 करोड़ से अधिक लोगों का पंजीकरण

e-NAM पोर्टल, किसानों और व्यापारियों दोनों के लिए ही सरल है. किसान घर बैठे अपनी फसलों की बिक्री कर सकते हैं. इसके लिए सबसे पहले किसानों को इस पोर्टल पर पंजीकरण कराना होगा. इस पोर्टल पर अब तक लगभग 1.73 करोड़ किसान, 2.3 लाख व्यापारी और 2200 किसान उत्पादक संगठन जुड़ चुके हैं. अब तक 22 राज्यों और 3 केंद्र शासित प्रदेशों की 1260 मंडियों को जोड़ा जा चुका है, नई मंडियों को भी तेजी से जोड़ने का कम किया जा रहा है.

अब तक 2 लाख करोड़ का व्यापार

25 कृषि जिंसों के साथ e-NAM की शुरुआत में की गई थी जो कि अब बढ़कर 175 कृषि जिंसों के ई- व्यापार की सुविधा देता है. किसानों और व्यापारियों की सहजता को ध्यान में रखते हुए इस पोर्टल की शुरुआत की गई थी जिसके कारण अब तक इस पोर्टल के माध्यम से करीब 2 लाख करोड़ का व्यापार किया जा चुका है.यह आंकड़ा और तेजी से बढ़ता जा रहा है.

एकाकी व्यापार अर्थ, परिभाषा एवं विशेषताएं या लक्षण

एकाकी व्यापार क्या है? एकाकी व्यापार का अर्थ (ekaki vyapar kya hai)

एकाकी व्यापार व्यावसायिक संगठन वह स्वरूप है जिसको केवल एक व्यक्ति स्थापित करता है। वही व्यक्ति आवश्यक पूंजी लगाता है, संचालन एवं प्रबंध करता है, लाभ प्राप्त करता है, हानि को सहन करता है और व्यापार का समस्त उत्तरदायित्व उसी एक व्यक्ति के कंधो पर होता है तथा लाभ-हानि का एकमात्र भाजक व वहनकर्ता भी वही होता है।
आगे जानेंगे एकाकी व्यापार की परिभाषा, एकाकी व्यापार की विशेषताएं।

एकाकी व्यापार की परिभाषा (ekaki vyapar ki paribhasha)

जेम्स स्टीफेंसन के अनुसार " एकाकी व्यापार वह व्यक्ति है जो व्यवसाय को स्वंय तथा अपने लिए ही करता है। इस प्रकार एकाकी व्यवसाय (व्यापार) का महत्वपूर्ण लक्षण यह है कि वह व्यक्ति व्यवसाय को चलाने स्वामी ही नही होता। अपितु उसका संगठनकर्ता एवं प्रबन्धक भी होता है तथा सब कार्यों को करने अथवा हानि वहन करने के लिए उत्तरदायी होता है।"
सर्वश्री लुई हेने के शब्दों मे " एकाकी व्यापार व्यवसाय का वह स्वरूप है जिसका प्रमुख एक ही व्यक्ति होता है जो उसके समस्त कार्यों के लिए उत्तरदायी होता है, उसकी क्रियाओं का संचालन करता है और लाभ-हानि का संपूर्ण भार स्वयं ही उठता है।"
बी. बी. घोष के अनुसार " एकाकी स्वामित्वधारी व्यवसाय मे, एक व्यक्ति की व्यवसाय का अकेला स्वामी होता है। वही व्यवसाय का प्रबंध और नियंत्रण करता है।"

डाॅ. जाॅन ए. शुबिन " एकाकी स्वामित्व व्यवसाय के अन्तर्गत एक ही व्यक्ति उसका संगठन करता है। उसका स्वामी होता है, अपने निजी नाम से व्यवसाय चलाता है।
किम्बाल एवं किम्बाल के अनुसार " एकाकी स्वामी अपने व्यवसाय से सम्बंधित समस्त बातों के लिए सर्वोच्च न्यायाधीश (अधिकारी) होता है, परन्तु देश के सामान्य नियमों तथा उसके व्यवसाय पर प्रभाव डालने वाले नियमों का पालन करते हुए।"

एकाकी व्यापार के प्रमुख लक्षण एवं विशेषताएं (ekaki vyapar visheshta)

1. कार्य क्षेत्र की निर्धारित सीमा
एकाकी व्यापार का कार्य-क्षेत्र व्यापार की सीमाओं मे सीमित होता है। अकेला होने के कारण वह अनेक स्थानों पर कार्य न करके एक स्थान पर कार्य-क्षेत्र सीमित करता है।
2. एकल स्वामित्व
व्यवसाय का स्वीम एक ही व्यक्ति होता है जो व्यापार की समस्त बातों के लिए उत्तरदायी होता है। वह स्वयं जोखिम उठाता है। व्यवसाय की समाप्ति पर वह समस्त संपत्ति का अधिकारी होता है।
3. असीमित दायित्व
एकाकी व्यापार के यह भी विशेषता है कि इसके मालिक का दायित्व उसके द्वारा प्रदत्त पूँजी तक ही सीमित नही रहता अपितु उसकी निजी सम्पत्ति का भी प्रयोग व्यापार के दायित्व का चुकता करने के लिए जा सकता है।
4. ऐच्छिक आरंभ और अन्त
एकाकी व्यापार का एक लक्षण यह भी है कि एकाकी व्यापारी अपनी इच्छा से जब चाहे तब अपनी मर्जी से व्यवसाय आरंभ कर सकता है और उसे समाप्त भी कर सकता है।
5. सीमित प्रबंध कुशलता
प्रायः ऐसे संगठन का प्रबंध उसके मालिक के द्वारा ही किया जाता है। कभी-कभी, उसके परिवार के सदस्य भी उसमे भाग लेते है। आकार के बड़े होने पर ही कुछ दशा मे योग्य प्रबन्धक नियुक्त किये जाते है परन्तु सीमित धन होने के कारण अधिक योग्य प्रबन्धक की सेवाएं ये नही प्राप्त कर पाते।
6. वैधानिक शिष्टाचार से मुक्ति
एकाकी व्यापार को स्थापित करने के लिए किसी प्रकार की वैधानिक कार्यवाही नही करनी पड़ती व्यापारी जो व्यापार के बारे में सब कुछ जानते हैं है अर्थात् इसके लिए रजिस्ट्री आदि की आवश्यकता नही होती।
7. व्यापार के चुनाव मे स्वतंत्रता
एकाकी व्यापार की एक विशेषता यह भी है की एकाकी व्यापारी को इच्छानुसार कोई भी व्यापार चुनने की स्वतंत्रता होती है, परंतु व्यापारी जो व्यापार के बारे में सब कुछ जानते हैं यदि एक ऐसा व्यापार आरंभ करने जा रहा है जिसके लिए सरकारी अनुज्ञा-पत्र जरूरी है तो उसे प्राप्त करना भी जरूरी है।
8. पूँजी पर एकाधिपत्य
एकाकी व्यापार मे लगाई जाने वाली पूंजी का प्रबंध एकाकी व्यापारी को स्वयं करना पड़ता है। वह कुल पूंजी या तो अपने पास से लगाता है अथवा अपने मित्रों या रिश्तेदारों से ऋण लेकर व्यापार मे लगाता है।
9. सम्पूर्ण जोखिम व लाभ मालिक का
व्यापार के मालिक को ही सम्पूर्ण जोखिम उठाना पड़ता है तथा वही हानि का वहन करता है। साथ ही, लाभ होने पर सम्पूर्ण लाभ भी उसी का होता है।

विदेशी व्यापार किसे कहते हैं इसका क्या महत्व है ?

मनुष्य की आवश्यकताएँ अनन्त हैं। व्यापारी जो व्यापार के बारे में सब कुछ जानते हैं कुछ आवश्यकता की वस्तुए तो देश में ही प्राप्त हो जाती है तथा कुछ वस्तुओं को विदेशों से मंगवाना पड़ता है। भोगोलिक परिस्थितियों के कारण प्रत्येक देश सभी प्रकार की वस्तुए स्वयं पैदा नहीं कर सकता है। किसी देश में एक वस्तु की कमी है तो दूसरे देश में किसी दूसरी वस्तु की। इस कमी को दूर करने के लिए विदेशी व्यापार का जन्म हुआ है।


दो देशों के मध्य होने वाले वस्तुओं के परस्पर विनिमय या आदान’-प्रदान को विदेशी व्यापार कहते हैं। जो देश माल भजेता है उसे निर्यातक एवं जो देश माल मंगाता है उसे आयातक कहते हैं एवं उन दोनों के बीच होने वाल े आयात-निर्यात को विदेशी व्यापार कहते हैं।

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