उन्होंने कहा, यह बी777 बेड़े में अधिक प्रचलित है और इसे तुरंत समाप्त जोखिम प्रबंधन क्या है? करने की आवश्यकता है। उन्होंने आगे आरोप लगाया कि मुद्रित रोस्टर को संबंधित क्रू की अनुमति के बिना बार-बार संशोधित किया जा रहा है।

Cyclone Mandous: किसने दिया नाम, क्या है मतलब, प्रॉसेस क्या है और इससे कितना खतरा?

जागरूकता और सतर्कता से ब्रैस्ट कैंसर से बचा जा सकता है

विभिन्न अध्ययनों के अनुसार, लगभग 22.5 लाख व्यक्ति कैैंसर के साथ जी रहे हैं और यह भारत में होने वाली कुल मौतों में लगभग 8 प्रतिशत योगदान देता है। 45 साल की उम्र के बाद महिलाओं में ब्रैस्ट कैंसर के मामले ज्यादा होते हैं। हालांकि, लगभग 10 प्रतिशत स्तन कैंसर के मामले 45 वर्ष से कम उम्र की महिलाओं में देखे जाते हैं। स्तन कैंसर जोखिम प्रबंधन क्या है? के लिए कई जोखिम कारक हैं, जैसे कि महामारी विज्ञान के अध्ययनों ने इसके लिए जल्दी रजोनिवृत्ति, शराब और तम्बाकू, विकिरण के संपर्क में, मोटापा या शारीरिक गतिविधि में कमी, शहरीकरण और गतिहीन जीवन शैली, उच्च वसा वाले आहार और अक्सर सहज गर्भपात को जिम्मेदार ठहराया है।

स्तनपान की कमी, हार्मोन रिप्लेसमैंट थैरेपी, उम्र बढऩे, सामाजिक-आर्थिक स्थिति और स्तन कैंसर या अन्य कैंसर का पारिवारिक इतिहास भी कारण हो सकता है। हालांकि, स्तन कैंसर के जोखिम कारकों में पारिवारिक इतिहास सबसे महत्वपूर्ण है। अध्ययनों के अनुसार, सभी स्तन कैंसर के मामलों में 5-10 प्रतिशत और शुरूआती स्तन कैंसर के एक तिहाई मामलों के लिए अनुवांशिक या वंशानुगत जोखिम कारक जिम्मेदार है। अध्ययनों में पाया गया है कि वंशानुगत स्तन कैंसर की शुरूआत जल्दी होने वाली बीमारी से होती है, इसमें दोनों स्तन शामिल होने तथा डिम्बग्रंथि के कैंसर के साथ उच्च जोखिम की अधिक आशंका होती है।

कुमाऊं विवि में एक हफ्ते का आपदा प्रबंधन कोर्स शुरू

कुमाऊं विवि में एक हफ्ते का आपदा प्रबंधन कोर्स शुरू

कुमाऊं विवि के मानव संसाधन विकास केंद्र में मंगलवार से डिजास्टर मैनेजमेंट पर शॉर्ट टर्म कोर्स शुरू कर दिया गया है। एक सप्ताह के इस कोर्स के माध्यम से युवाओं को आपदाओं से निपटने के गुर सिखाए जाएंगे। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में दस राज्यों के 66 प्रतिभागी हिस्सा ले रहे हैं।

मंगलवार को आयोजित प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिजास्टर मैनेजमेंट जोखिम प्रबंधन क्या है? भारत सरकार प्रो. संतोष कुमार एवं कुलपति प्रो. एनके जोशी ने किया। मुख्य अतिथि प्रो. संतोष कुमार ने कहा कि प्रभावी आपदा जोखिम न्यूनीकरण (डीआरआर) में एक समग्र, बहु-क्षेत्रीय दृष्टिकोण शामिल है। जो सरकार, नागरिक, समाज, संगठनों और निजी क्षेत्र सहित कई हितधारकों को शामिल करता है। उन्होंने कहा कि डीआरआर में आपातकालीन योजनाओं और प्रोटोकॉल के विकास के साथ ही प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण भी शामिल है। कुलपति ने कहा कि आपदाएं अत्यधिक विनाश और जीवन की हानि का कारण बन सकती हैं। इसलिए प्रभावी आपदा प्रबंधन योजनाएं होना आवश्यक है। भविष्य में आने वाली आपदाओं के लिए तैयारी तथा आपदाओं से निपटने के लिए प्रशिक्षण अहम हैं। इसमें जोखिम मूल्यांकन, आपातकालीन योजना, प्रशिक्षण, जोखिम प्रबंधन क्या है? सार्वजनिक शिक्षा और अभ्यास समेत कई गतिविधियां शामिल हैं। आपदाओं के प्रभाव को कम करने के लिए शिक्षाविदों एवं युवाओं को तैयार होना होगा। मानव संसाधन विकास केंद्र की निदेशक प्रो. दिव्या जोशी उपाध्याय ने डिजास्टर मैनेजमेंट पर आयोजित शॉर्ट टर्म कोर्स की रूपरेखा प्रस्तुत की। कार्यक्रम का संचालन सहायक निदेशक डॉ. रीतेश साह ने किया।

क्यों रखे जाते हैं तूफानों के नाम?

विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) के अनुसार, किसी विशेष भौगोलिक स्थान या दुनिया भर में एक समय में एक से अधिक चक्रवात भी हो सकते हैं और ये हफ्ते भर या उससे अधिक समय तक जारी रह सकते हैं. ऐसे संकट के समय में भ्रम से बचने, आपदा जोखिम संबंधी जागरूकता, प्रबंधन और राहत कार्य में मदद के लिए हर तूफान को एक नाम दिया जाता है.

1953 से अटलांटिक उष्णकटिबंधीय तूफानों का नामकरण अमेरिका में राष्ट्रीय तूफान केंद्र द्वारा तैयार की गई सूचियों में से रखा जाता रहा. शुरुआत में तूफानों को मनमाने नाम दिए जाते थे. 1900 के मध्य से तूफानों के लिए नामों का उपयोग किया जाने लगा. क्षेत्रीय विशिष्ट मौसम विज्ञान केंद्र (RSMC) और उष्णकटिबंधीय चक्रवात चेतावनी केंद्र (CWC) द्वारा चक्रवातों का नामकरण किया जाता है.

चक्रवातों के नाम रखने वाले पैनल में भारत समेत 13 देश शामिल हैं. संयुक्त अरब अमीरात इन्हीं 13 देशों में शामिल है, जिसने इस तूफान को नाम दिया. अन्य देशों में पाकिस्तान, बांग्लादेश, मालदीव, कतर, श्रीलंका, थाईलैंड, सऊदी अरब, यमन, ओमान, म्यांमार और ईरान हैं.

मैंडूस तूफान से कितना खतरा है?

आईएमडी ने कहा कि डॉपलर मौसम रडार चक्रवात की निगरानी कर रहे हैं, जो 24 घंटे से कम समय के लिए एक गंभीर चक्रवाती तूफान के बाद नौ दिसंबर को एक चक्रवाती तूफान के रूप में तब्दील हो गया. यह अब चेन्नई से लगभग 260 किमी दक्षिण-दक्षिण पूर्व और कराईकल से 180 किमी पूर्व-उत्तर पूर्व में स्थित है.

आईएमडी के मुताबिक, यह आंधी बंगाल की खाड़ी के दक्षिण-पश्चिम में 80-90 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से 100 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चल रही है. चक्रवाती तूफान के शनिवार की मध्यरात्रि और तड़के उत्तर-पश्चिम की ओर बढ़ने की संभावना है. इसके उत्तर तमिलनाडु, पुडुचेरी और श्रीहरिकोटा के पास ममल्लापुरम व दक्षिणी आंध्र प्रदेश के तटों को पार करने की संभावना है. इस दौरान अधिकतम 65-75 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से लेकर 85 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से हवा चल सकती है.

10 दिसंबर जोखिम प्रबंधन क्या है? को वर्षा की तीव्रता कम होने की संभावना है, हालांकि उत्तरी आंतरिक तमिलनाडु, रायलसीमा और आसपास के दक्षिणी आंध्र प्रदेश में अलग-अलग क्षेत्रों में भारी से बहुत भारी बारिश होने की संभावना है. तूफान के तट से टकराने के बाद, चक्रवाती तूफान की तीव्रता कम हो जाएगी और 10 दिसंबर को यह निम्न दबाव के क्षेत्र में तब्दील हो जाएगा.

केंद्र सरकार के सराहनीय प्रयासों से प्राकृतिक खेती को मिल रहा है बढ़ावा, जानें कैसे

भारतीय प्राकृतिक कृषि पद्धति (बीपीकेपी) का उद्देश्य पारंपरिक स्वदेशी पद्धतियों को बढ़ावा देना है जो किसानों को बाहरी रूप से खरीदे गए उत्‍पादों से मुक्ति दिलाती है। यह बायोमास मल्चिंग पर मुख्य रूप से जोर देते हुए ऑन-फार्म बायोमास रीसाइक्लिंग; गोबर-मूत्र जोखिम प्रबंधन क्या है? मिश्रणों का उपयोग; और प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से सभी सिंथेटिक रासायनिक आदानों के बहिष्करण पर केंद्रित है। केंद्र प्रायोजित इस योजना का लक्ष्य किसान के लाभ को बढ़ाना, गुणवत्तापूर्ण भोजन की उपलब्धता और मिट्टी की उर्वरता और कृषि पारिस्थितिकी तंत्र की बहाली जोखिम प्रबंधन क्या है? करने के साथ-साथ रोजगार सृजन और ग्रामीण विकास में योगदान करना है।

प्राकृतिक खेती को लेकर किसानों को प्रशिक्षण

कृषि और किसान कल्याण विभाग, राष्ट्रीय कृषि विस्तार प्रबंधन संस्थान और राष्ट्रीय जैविक और प्राकृतिक खेती केंद्र के माध्यम से प्राकृतिक खेती की तकनीकों के बारे में ट्रेनरों और किसानों को बड़े पैमाने पर प्रशिक्षित किया जा रहा है। इस प्रशिक्षण से ग्राम-प्रधान जैसे जन प्रतिनिधि भी प्राकृतिक खेती की तकनीक और लाभों के बारे में जागरूक हुए है। इस प्रशिक्षण की अध्ययन सामग्री 22 क्षेत्रीय भाषाओं में तैयार की गई है। राष्ट्रीय कृषि विस्तार प्रबंधन संस्थान के माध्यम से 56,952 ग्राम प्रधानों के लिए प्राकृतिक खेती पर 997 प्रशिक्षण आयोजित किए गए हैं। इसके अलावा, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) ने प्राकृतिक कृषि के लाभों को दर्शाने के लिए 425 कृषि विज्ञान केन्द्रों में प्रदर्शनी के अलावा प्राकृतिक कृषि तकनीकों को सिद्ध के लिए 20 स्थानों पर अनुसंधान शुरू किया है।

केंद्र सरकार के सराहनीय प्रयास

भारतीय प्राकृतिक कृषि पद्धति (बीपीकेपी ) के तहत, 500 हेक्टेयर के क्लस्टर में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसमें तीन साल के लिए प्रति हेक्टेयर 12,200 रुपये दिए जाते हैं, जिसमें डीबीटी के माध्यम से किसानों को प्रोत्साहन के रूप में 2000 रुपये भेजे जाते हैं।

बीपीकेपी के तहत, प्राकृतिक कृषि उत्पादों की मार्केटिंग को सुविधाजनक बनाने के लिए, तीन साल के लिए पीजीएस सर्टिफिकेट और अवशिष्ट विश्लेषण के लिए 2700 रुपये प्रति हेक्टेयर दिए जाते हैं। किसान प्राकृतिक कृषि उत्पादों की मार्केटिंग, मूल्य संवर्धन और प्रचार के लिए पीकेवीवाई निधियों से 3 वर्षों के लिए 8800 रुपये प्रति हेक्टेयर की दर से सहायता भी प्राप्त कर सकते हैं।

प्राकृतिक खेती स्थानीय रूप से उपलब्ध संसाधनों पर आधारित रासायनिक मुक्त खेती का एक तरीका है जिसमें कोई रासायनिक उर्वरक और कीटनाशक नहीं हैं। किसानों को प्रेस और प्रिंट मीडिया के माध्यम से व्यापक प्रचार, पत्रिकाओं/पुस्तिकाओं के प्रकाशन, कार्यशालाओं, प्रदर्शनियों, किसान मेलों, राज्य/भारत सरकार के वेब पोर्टलों आदि के माध्यम से व्यापक प्रचार करके प्राकृतिक खेती को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।

पायलट संघों ने एयर इंडिया प्रबंधन को दंडनीय कार्यसूची जारी की

शेयर बाजार 18 दिसम्बर 2022 ,23:15

पायलट संघों ने एयर इंडिया प्रबंधन को दंडनीय कार्यसूची जारी की

© Reuters. पायलट संघों ने एयर इंडिया प्रबंधन को दंडनीय कार्यसूची जारी की

नई दिल्ली, 18 दिसंबर (आईएएनएस)। पायलटों के संघों ने एयर इंडिया प्रबंधन के साथ चालक क्रू मैनेजमेंट सिस्टम (सीएमएस) जोखिम प्रबंधन क्या है? के कामकाज और डे ऑपरेशंस (डीओपीएस) के संचालन पर नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा है कि जब वह उड़ान कर्मचारियों की कमी के कारण सहयोग कर रहे हैं, तो इसे उनकी कमजोरी नहीं समझा जाना चाहिए।एयरलाइन के कार्यकारी निदेशक, संचालन, टी.पीए.स. धालीवाल को लिखे एक पत्र में इंडियन कमर्शियल पायलट्स एसोसिएशन और इंडियन पायलट्स गिल्ड ने अपने दंडनीय कार्यसूची और काम की थकान से संबंधित कई मुद्दों को चिह्न्ति किया है।

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