अगर कोई उसी साल अपना पूरा कैपिटल लॉस वसूल नहीं पाता है या इसे एडजस्ट करने में असमर्थ रहता है तो शॉर्ट टर्म और लॉन्ग टर्म लॉस दोनों को आठ असेसमेंट ईयर तक कैरी-फॉर्वर्ड यानी आगे ले जाया जा सकता है.
लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स पर हो सकता है बड़ा फैसला, कई सुधार होंगे
मुंबई- एक फरवरी को पेश होने वाले बजट में लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स (एलटीसीजी) को लेकर बड़े बदलाव का ऐलान हो सकता है। इसे युक्तिसंगत बनाने पर विचार किया जा रहा है। इसके अलावा इंडेक्सेशन का लाभ देने के लिए आधार साल (बेस ईयर) में भी सुधार किया जा सकता है। अभी शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन और एलटीसीजी को लेकर नियम काफी जटिल है।
इक्विटी निवेशकों के लिए 12 महीने के बाद एलटीसीजी और उससे पहले शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स का नियम लागू होता है। अगर अचल संपत्ति को बेचा जाता है या फिर बिना सूचीबद्ध शेयर को बेचा जाता है तो 2 साल के बाद एलटीसीजी लगता है। इसी तरह ज्वैलरी और डेट वित्तीय साधनों के लिए 3 साल बाद एलटीसीजी लागू होता है। इन दोनों मामलों में 20 फीसदी का कर लगता है।
रिपोर्ट के मुताबिक, राजस्व विभाग कैपिटल गेन टैक्स में होल्डिंग अवधि और टैक्स दर को युक्तिसंगत बनाएगा। आखिरी बार साल 2017 में बेस ईयर में बदलाव किया गया था। वर्तमान में इंडेक्सेशन का लाभ 2001 के आधार पर मिल रहा है। बीते कुछ सालों में संपत्तियों की कीमत में बड़ी बढ़ोतरी हुई है, जिससे इंडेक्सेशन का बेस ईयर बदलना जरूरी हो गया है।
सभी शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन के बारे में
भारतीय कर कानून इस देश में आय अर्जित करने वाले व्यक्ति पर करों का भुगतान करना अनिवार्य बनाते हैं। चल और अचल संपत्तियों, जैसे शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन संपत्तियों को बेचकर अर्जित मुनाफे के लिए भी यही सच है। जबकि किसी की संपत्ति को बेचने से उत्पन्न लाभ को पूंजीगत लाभ के रूप में जाना जाता है, उन्हें कर देयता तय करने के लिए दो श्रेणियों में विभाजित किया जाता है।
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कैसे होता है कैपिटल लॉस?
कैपिटल लॉस सिर्फ तभी होता है जब निवेश की बिक्री उसके वास्तविक खरीद मूल्य से कम हो. कोई भी निवेशक नहीं चाहता कि उसे कैपिटल लॉस हो.
टैक्स को शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन लेकर क्या नियम हैं?
जहां तक इनकम टैक्स के नियमों का सवाल है तो कैपिटल गेंस मद के तहत लॉन्ग टर्म कैपिटल लॉस को सिर्फ लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस साथ सेट-ऑफ यानी एडजस्ट किया शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन जा सकता है.
शॉर्ट-टर्म कैपिटल लॉस के लिए क्या हैं नियम?
हालांकि, शॉर्ट टर्म कैपिटल लॉस को लॉन्ग टर्म और शॉर्ट टर्म गेंस दोनों के साथ सेट-ऑफ किया जा सकता है.
जानिए अगर आपने समय से पहले म्यूचुअल फंड खत्म करने की गलती की तो लगेगा कितना टैक्स
जब आप म्यूचुअल फंड में निवेश करते हैं तो क्या आपको पता है शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स कैसे लगता है? इनकम टैक्स एक्ट के प्रावधानों के अनुसार, इक्विटी आधारित म्यूचुअल फंड या यूनिट ट्रस्ट ऑफ इंडिया की कोई यूनिट आप अपने पास 12 महीने या उससे कम अवधि के लिए रखते हैं तो ट्रांसफर की तारीख से तुरंत पहले, होने वाले किसी भी पूंजीगत लाभ या हानि को शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन/लॉस (STCG/L) के रूप में माना जाता है। इसके अलावा, यदि म्युचुअल फंड की एक यूनिट किसी व्यक्ति द्वारा 36 महीने या उससे कम समय के लिए रखी जाती है, ट्रांसफर की तारीख से तुरंत पहले, यूनिट के ट्रांसफर से होने वाले किसी भी कैपिटल प्रॉफिट को STCG/L के रूप में माना जाता है। एसटीसीजी/एल का कैलकुलेशन नेट सेल कन्सिडरेशन और अधिग्रहण की लागत (सीओए) के बीच अंतर के आधार पर किया जाता है।
विस्तार
कोरोना काल के बाद बड़े मकानों की मांग बढ़ी है। लोग पुराना मकान या अन्य संपत्ति बेचकर अपने लिए बड़ा घर खरीद रहे हैं। लेकिन, क्या आपको पता है कि मकान या संपत्ति बेचने से हुए मुनाफे पर टैक्स का भुगतान करना शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन पड़ता है।
दरअसल, मकान बेचकर हुए मुनाफे पर दो तरह से टैक्स की गणना होती है। तीन साल अपने पास रखने के बाद अगर आपने मकान बेचा है तो इससे हुए मुनाफे को लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स (एलटीसीजी) माना जाएगा। इस अवधि से पहले मकान बेचने पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स (एसटीसीजी) माना जाएगा।
एसटीसीजी को अतिरिक्त कमाई माना जाता है इसलिए इस पर स्लैब के हिसाब से टैक्स का भुगतान करना पड़ता है। वहीं, एलटीसीजी पर महंगाई के सापेक्ष इंडेक्सेशन का लाभ लेने के बाद शेष बची राशि पर 20 फीसदी दर से टैक्स चुकाना पड़ेगा। इसके अलावा, तीन फीसदी उपकर भी लगेगा। मुनाफे की गणना संपत्ति खरीदने में खर्च शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन राशि और उसके मरम्मत खर्च को घटाकर की जाती है।
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