रिटर्न ऑन कैपिटल एम्प्लॉयड (ROCE) = Earnings before interest and tax (EBIT) / Capital Employed
शेयर मार्केट का गणित कैसे काम करता है?
शेयर मार्केट एक ऐसी दुनिया है जिसमें अधिकतम ट्रेडर और निवेशक शेयर मार्केट का गणित समझे बिना ही मार्केट में निवेश या ट्रेड करना शुरू कर देते है। यह आमतौर पर वह ट्रेडर होते है जिन्होने अभी – अभी स्टॉक मार्केट की दुनिया में कदम रखा है।
ज्यादातर नए लोग शेयर बाजार में करोड़पति बनने का विचार लेकर आते हैं। और अपना सारा पैसा शेयर बाजार में यही सोचकर लगाते हैं कि बहुत जल्दी ही अमीर बनने बाले है। इसी के चलते वह बिना किसी रिसर्च के गलत शेयर ले लेते है और ये उम्मीद करते है कि अव तो ये ऊपर ही जायेगा लेकिन जिस कंपनी में वह निवेश करते है वह लगातार गिरता रहता है और अपने पैसे को गंवा देते है।
अगर आप चाहते है कि आप ये सब गलतीयां न हो, जो ज्यादातर लोग करते है तो आपको शेयर मार्केट का गणित और शेयर मार्केट कैसे काम करता है ये समझना होगा। शेयर मार्केट का गणित समझना क्यों जरुरी हैं इसलिए इस लेख में हम समझेंगे कि शेयर मार्केट का गणित क्या है और कैसे काम करता है।
शेयर मार्केट का गणित क्या है?
शेयर मार्केट का गणित का मतलव है कि एक निवेशक या ट्रेडर के रूप में समझना कि शेयर मार्केट कैसे काम करता है और यह समझना कि किसी भी स्टॉक का फंडामेंटल रिसर्च करने में किन – किन गणितीय फॉर्मूलो को इस्तेमाल किया जाता है?
स्टॉक मार्केट को कोई भी Predict नहीं करता है कि अगले पल स्टॉक मार्केट में क्या होने वाला है, क्योंकि स्टॉक मार्केट संभावना पर चलता है इसलिए स्टॉक मार्केट का 100% कोई भी अनुमान नहीं लगा सकता है।
Probability गणित का टॉपिक है जिसे आपने अपने 10वी कक्षा में पढ़ा होगा, इसलिए इस को समझना आसान है। एक Quote है “No One शेयर मार्केट का गणित समझना क्यों जरुरी हैं can Predict the Stock Market” इसलिए किसी भी स्टॉक की रिसर्च कर आप उसके फंडामेंटल और भविष्यों के लक्ष्यों के आधार पर सिर्फ अनुमान लगा सकते है कि वह स्टॉक कहा तक जा सकता है।
#2 Financial Ratios – फाइनेंसियल रेश्यो
फाइनेंसियल रेश्यो किसी कंपनी की परफॉरमेंस को समझने में मदद करते है और साथ ही उसे सेक्टर की अन्य कंपनियों से तुलना करने में भी मदद करते है कि निवेश के उद्देश्य से रेश्यो के आधार पर नौक – सी कंपनी निवेश के लिए बेहतर है।
स्टॉक मार्केट में बहुत से फाइनेंसियल रेश्यो है लेकिन हम सिर्फ उन्ही फाइनेंसियल रेश्यो को समझेंगे जो किसी स्टॉक का फंडामेंटल रिसर्च करने में मदद करते है।
Return On Assets (ROA) – रिटर्न ऑन एसेट
रिटर्न ऑन एसेट्स (ROA) एक प्रोफिटेबिलिटी मेट्रिक है जो कंपनी कि उस एफिशिएंसी को मापता है जिस पर एक कंपनी अपनी संपत्ति का उपयोग ज्यादा से ज्यादा नेट प्रॉफिट करने के लिए करती है।
एक कंपनी का रिटर्न ऑन एसेट निकालने के लिए कंपनी के नेट प्रॉफिट को उसकी औसत कुल संपत्ति यानि एसेट से विभाजित (Devide) किया जाता है, जिसे आप नीचे फार्मूला में देख सकते है:
शेअर मार्केट का गणित:
शेअर मार्केट यांनी ऐसा शेयर मार्केट का गणित समझना क्यों जरुरी हैं मार्केट जहा पर अलग-अलग कंपनी के शेअर बेचे जाते है या खरिदे जाते है| शेअर मार्केट मे कुछ लोग अच्छा पैसा कमा पाते है तो कुछ लोग सारा पैसा गवा देते है | Share यांनी कंपनी का एक छोटासा हिस्सा होता है जो की बेचा और खरिदा जाता है| एक कंपनी का Share खरिदना मतलब उस कंपनी मे हिस्सेदार बन जाना| अगर कंपनी को मुनाफा शेयर मार्केट का गणित समझना क्यों जरुरी हैं होता है और अगर आपने उस कंपनी के share खरिद कर रखे है तो मुनाफे का हिस्सा आपको भी मिलता रहेगा और अगर कंपनी को घाटा हुआ तो आपको भी घाटा होगा|
शेअर मार्केट मे शुरुवात कहा से करे :
शेअर मार्केट मे Invest करने के लिये आपको Demat Account निकालना जरुरी है| बिना Demat Account के आप शेअर को बेंच या खरिद नहीं सकते |
जैसे हम पैसे रखने के लिए Bank मे Saving Account निकालते है वैसे ही हमे खरिदे हुये शेअर को रखने के लिये Demat Account की जरुरत होती है|
डिमेट अकाऊंट कहा से निकाला जाता है? :
आप दो जगह से Demat Account खोल सकते हैं| एक तो आप सीधे बॅक मे ही खोल सकते हैं या तो किसी Broker House से खोल सकते हैं| जादातर लोग Broker से ही Demat Account खुलवा लेते है क्यो की Broker आपको Share खरिदने और बेचने मे कम चार्ज लेता है और उनके जादा फायदे भी आपको मिलते है | वैसे तो बहोत सारे Broker आपको Demat अकाऊंट खुलवाके देते है जैसे Zerodha, Angle Broking, Motilal Oswal..आजकल तो आप घर बैठे ही आपका Demat अकाऊंट चुटकीयो मे खोल सकते है इसके लिए आपको निचे दिये गये चीजो की जरुरत पडेगी|
आजकल E-KYC के जरिये आप आसानी से घर बैठे अपना अकाऊंट खोल सकते हैं| अगर Broker के यहा आप अपना अकाऊंट खोलते है तो आप उनके दिये गये Application की मदत से मोबाईल मे भी Share को बेच या खरिद सकते हैं|
Share market chart kaise samjhe | शेयर मार्किट चार्ट एनालिसिस
Share market chart kaise samjhe– दोस्तों अगर आपको सही समय पर अच्छा मुनाफा कमाई करना है तो शेयर मार्किट चार्ट एनालिसिस करना जरुर आना चाहिए। इससे आप कम समय में ही अपने नुकशान को कम करके बहुत अच्छा रिटर्न कमाई कर चकते हो।
अगर आप बिना सीखे शेयर मार्केट में ट्रेडिंग या इन्वेस्टमेंट करते हो तो आप एकतरह से जुआ खेल रहे हो इससे आपको नुकशान होने की संभावना बहुत ज्यादा बढ़ जाता हैं। आपको पता होना चाहिए कब स्टॉक को खरीदना चाहिए और कब प्रॉफिट कमाई करके बेचना चाहिए।
इसी को जानने के लिए आपको Share Market के चार्ट को अच्छी तरह समझना बहुत जरुरी हैं। क्यूंकि इसी से ही आपको पता लगेगा स्टॉक ऊपर या नीचे जाने की कितने ज्यादा संभावना हैं।
Share market chart kaise samjhe
ज्यादातर रिटेल निवेशक किसी भी चार्ट को खोलते ही उनके मन में इस चार्ट में देखे किया और शुरु कहा से करे ये सवाल जरुर आता हैं। शेयर मार्केट में किसी भी चार्ट को समझने के लिए सबसे पहले बहुत ज्यादा अभ्यास की जरुरत पड़ती हैं। उसके बाद ही काम आएगा आपका विश्लेषणात्मक कौशल जो आपको प्रयोग करना होगा उस चार्ट में।
Chart का Trend देखना चाहिए:- किसी भी स्टॉक के चार्ट अच्छी तरह से समझने के लिए आपका सबसे पहला काम होना चाहिए उस शेयर के Trend किस तरफ जा रहा हैं। उसको अच्छी तरह से देखना बहुत जरुरी हैं। वैसे तो चार्ट में 3 तरह का Trend देखने को मिलेगा। इन तीनो Trend के अन्दर से कोई ना कोई एक Trend में वो स्टॉक या Chart जरुर फॉलो कर रहा होगा। और इन ट्रेन्ड में काम करने के तरीका भी अलग अलग शेयर मार्केट का गणित समझना क्यों जरुरी हैं होता हैं।
- Up Trend:- इस Trend का मतलब है Higher Top and Higher Bottom। जब भी चार्ट इस Trend को फॉलो करेगा आपको लगातार स्टॉक सीढ़ी की तरह ऊपर जाते ही नजर आएगा। तब आपको हमेसा उस स्टॉक को खरीदना चाहिए।
शेयर मार्केट चार्ट कैसे समझे और कमाई
रिस्क और रिवॉर्ड विश्लेषण:- अगर आप ऊपर दिए गए स्टेप को फॉलो करके कोई चार्ट को सेलेक्ट किया हो तो आपको उस चार्ट का Support और Resistant को ध्यान से देखना चाहिए। उसके बाद आपका Stop Loss वोही होना चाहिए जहा उस चार्ट ने हाल ही में कोई Support लेके ऊपर की तरफ गया हैं।
जहा पर Support लिया है स्टॉक ने, वहा आपको Stop Loss लगाना चाहिए। लेकिन ध्यान में रखना चाहिए आपका Stop Loss बहुत दूर ना हो। अगर आपको लगता है की रिस्क बहुत कम है और रिवॉर्ड बहुत ज्यादा मिल चकता है तभी आपको उस चार्ट में ट्रेड लेना चाहिए।
पतियोगी स्टॉक के चार्ट:- आप जिस भी स्टॉक के चार्ट को सेलेक्ट किया हो बाकि पतियोगी कंपनी को भी देखना चाहिए कैसा पदर्शन कर रहा हैं। आपको ध्यान में रखना चाहिए वो स्टॉक उस सेक्टर में बाकि पतियोगी कंपनी से बेहतर पदर्शन दिखा रहा हैं।
भीड़ को फॉलो करना
शेयर बाजारों में, किसी खास स्टॉक का पीछा करने वाले लोगों की भीड़ अमूमन दिखाई देती है. इस तरह के झुंड का आंख बंद करके पीछा करना आगे चलकर नुकसान पहुंचा सकता है. किसी स्टॉक में निवेश करने से पहले, उसके फंडामेंट्ल्स को समझें, कंपनी के ग्रोथ आउटलुक का मूल्यांकन करें, उसकी वित्तीय स्थिति देखें और प्रबंधन के ट्रैक रिकॉर्ड का विश्लेषण करें. सबसे अहम बात यह सुनिश्चित करें कि निवेश आपके लक्ष्य के अनुरूप हो. जब ये सभी चीजें आप समझ लें, तब ही निवेश के लिए कदम बढ़ाएं.
राहुल जैन का कहना है, डायवर्सिफिकेशन निवेश के मूलभूत सिद्धांतों में से एक है. पर्याप्त डायवर्सिफिकेशन आपके पोर्टफोलियो में स्थिरता आती है. डायवर्सिफिकेशन से मंदी के दौरान आपका मुनाफा खत्म होने से बचाने में मदद मिलती है. बाजार हरेक सेक्टर को अलग तरह से प्रभावित करते हैं और डायवर्सिफिकेशन वॉलेटाइल मार्केट में अपकी लैंडिंग को आसान बनाता है.
शेयर के अलावा कैसे बना सकते हैं बड़ा मुनाफा
क्या आपको पता है कि शेयर मार्केट के अलावा भी एक मार्केट है, जिसमें ठोस वस्तुओं में पैसे लगाकर बड़ा मुनाफा कमाया जा सकता है। इस मार्केट को कहते हैं कमाोडिटी मार्केट। जब कभी शेयर बाजार में कमजोरी का ट्रेंड रहता है तो लोग ऐसे समय में कमोडिटी मार्केट में सोने और चांदी जैसी चीजों में अधिक पैसा लगाने लगते हैं जिससे इसकी मांग में भी तेजी देखने को मिलने लगती है। लेकिन अब सवाल है कि क्या आप कमोडिटी मार्केट और इक्विटी यानी शेयर मार्केट के बीच के अंतर को समझते हैं?
कमोडिटी मार्केट (Commodity Market) ऐसा मार्केटप्लेस है जहां निवेशक मसाले, कीमती मेटल्स यानी धातुओं, बेस मेटल्स, एनर्जी , कच्चे तेल जैसी कई अन्य कमोडिटीज की ट्रेडिंग करते हैं। यह मूलत: दो तरह की होती हैं , जिनमें से एक है एग्री कमोडिटीज इसे सॉफ्ट कमोडिटी भी कहते हैं, इसके अंतर्गत मसाले जैसे काली मिर्च, धनिया, इलायची, जीरा, हल्दी और लाल मिर्च, सोया बीज, मेंथी ऑयल, गेहूं, और चना जैसी वस्तुएं आती हैं। वहीं नॉन-एग्री या हार्ड कमोडिटीज में सोना, चांदी, कॉपर, जिंक, निकल, लेड, एन्युमिनियम, क्रूड ऑयल, नेचुरल गैस शामिल हैं।
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