सुनीता ने बताया कि वह अब एक शक्ति समूह नाम का एनजीओ चला रही हैं जिसके जरिए वो नेपाल की लड़कियों को वेश्यावृत्ति में फंसने से बचाने की कोशिश कर रही हैं।
आदमपुर में वोटों का गणित: सबसे ज्यादा जाट वोटर, भव्य के सामने तीनों जाट उम्मीदवार
आदमपुर: उपचुनाव के लिए सभी चार मुख्य पार्टियों के उम्मीदवारों ने नामांकन दाखिल कर दिया है। इसी के साथ पार्टियों ने स्टार प्रचारकों की लिस्ट भी जारी कर दी है। अब सभी दलों के प्रत्याशी मैदान में आने से आदमपुर में राजनेताओं का जमावड़ा लगेगा। पार्टियों के बड़े नेता रैलियों के जरिए आदमपुर के वोटरों तक पहुंचने की कोशिश करेंगे। आदमपुर के लिए उम्मीदवारों की घोषणा होने के बाद विधानसभा का चुनाव जातिगत वोटों के ध्रुवीकरण पर आकर टिक गया है। विधानसभा में सबसे ज्यादा जाट वोट बैंक हैं, लेकिन भाजपा के गैर जाट भव्य के सामने तीनों पार्टियों ने जाट उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है। ऐसे में जाट वोटर्स का बंटना तय है। माना जा रहा है कि गैर जाट वोटरों के द्वारा ही परिणाम तय किया जाएगा।
जाट वोट बंटने से गैर जाट भव्य बिश्नोई को होगा फायदा
बता दें कि चौथा उपचुनाव देख रहे आदमपुर में कुल 1 लाख 70 हजार से ज्यादा मतदाता हैं। इनमें से सबसे ज्यादा करीब 49 हजार वोट जाट समुदाय के हैं। वहीं 28 हजार वोट बिश्नोई समाज के हैं। बीजेपी उम्मीदवार भव्य बिश्नोई के सामने कांग्रेस के जयप्रकाश, आप के सतेंद्र सिंह और इनेलो के कुरडा राम नंबरदार चुनावी मैदान में है। खास बात यह है कि भव्य के सामने तीनों ही उम्मीदवार जाट समुदाय से संबंध रखते हैं। ऐसे में यदि वोटिंग में ध्रुवीकरण होता है, तो जाट वोट बंटने की पूरी संभावना है। यदि ऐसे में बिश्नोई समाज के वोट भव्य को ही मिलते हैं तो सबकी नजर गैर जाट वोट पर होगी। जाट और बिश्नोई समाज के लोगों को साधने की कोशिश की जाएगी, क्योंकि इन्हीं वोटों के आधार पर हलके में चुनावी परिणाम निर्भर करेगा।
(हरियाणा की खबरें टेलीग्राम पर भी, बस यहां क्लिक करें या फिर टेलीग्राम पर Punjab Kesari Haryana सर्च करें।)
सबसे ज्यादा पढ़े गए
हजारीबाग में ईसाई धर्म अपनाने वाले 16 लोगों की हुई घर वापसी, 10 दिन बाद दोबारा अपनाया हिंदू धर्म
युवक पर फायरिंग मामले में मुख्य आरोपी सहित 5 और गिरफ्तार
पार्टी की विचारधारा को घर घर तक पहुंचाने की दिशा में कार्य करें सोशल मीडिया के कार्यकर्ता: सुनील बंसल
एक दिन में 30 पुरुषों के साथ सोने को मजबूर थीं सुनीता
आज से करीब 20 साल पहले सुनीता दौनवर नाम की महिला को करीब पांच महीने तक जिस क्रूरता को बर्दास्त करना वह अकल्पनीय है। देह व्यापार का धंधा करने वाले लोग उसे एक दिन में 30-30 लोगों के साथ सोने के लिए मजबूर करते थे। लेकिन आज सुनीता कई मजबूर लड़कियों के लिए आशा की किरण बन गई हैं।
सुनीता जब महज 14 साल की थीं तब उन्हें काम दिलाने का लालच दे नेपाल से भारत आया गया था लेकिन जब वह भारत पहुंची तो उसे एक छोटे से कमरे में बंद कर दिया गया क्योंकि वह अब दलालों के हाथ होते हुए कोठे में पहुंच चुकी थी। ग्राहक आते तो रात में उसे सोते हुए जगा दिया जाता ताकि ग्राहक उसके साथ जबरन शारीरिक संबंध बना सकें।
नेपाल भूंकप पीड़ितों का बचा रहीं हैं जीवन
जब से नेमाल में भूकंप आया है तब वहां देह व्यापार में लगे दलाल सक्रिय हैं। वे भूकंप पीड़ितों की लड़कियों को नौकरी दिलाने का झांसा देकर उन्हें वेश्यावृत्ति के दलदल में धकेल रहे हैं लेकिन भयानक यातनाएं झेल चुकीं सुनीता इन पीड़ितों की बेटियों के लिए एक आशा की किरण का काम कर रही हैं।
सुनीता नेपाल की उन तमाम लड़कियों को वेश्यावृत्ति के दलदल से निकलने में इन भयानक दलालों की कोशिश करो मदद कर रहीं हैं जिन्हें किसी लालच या झांसे में लेकर उनका शोषण किया जा रहा है। जिन लड़कियों के परिजनों को कुछ पैसे देकर उन्हें देह व्यापार के लिए बेच दिया गया है सुनीता उन लड़कियों इन भयानक दलालों की कोशिश करो वापस उनकी सम्मानजनक जिंदगी वापस दिलाने की कोशिश में जुटी हैं।
फास्ट बॉलिंग हंट से बटोरी सुर्खियां
आयरलैंड में क्रिकेट से शरजाद का जुड़ाव 2 साल पहले हुआ. उन्होंने देखा कि क्रिकेट आयरलैंड तेज गेंदबाज की खोज कर रहा. उन्होंने तुरंत इसके लिए नामांकन कर दिया. क्रिकेट आयरलैंड के टैलेंट पाथवे मैनेजर अल्बर्ट वैन डर मर्वे ने बताया कि वहां 50 प्रतियोगी थे लेकिन शरजाद में उन्हें नेचुरल टैलेंट दिखा.
उन्होंने बताया, ” पहली बार मैं शरजाद से अक्टूबर 2019 मे मिला, जब वो टैलेंट आइडेन्टिफिकेशन प्रोग्राम में भाग लेने आए थे. वो एकेडमी के कुछ बल्लेबाजों को गेंद करा रहे थे. तब मैंने उन्हें देखा था. हमने उनकी गेंदबाजी के कुछ वीडियो बनाए और एकेडमी मैनेजर को दिखाया, जिसके बाद उन्हें आगे के सेशन के लिए बुलाया गया. हमें तब तक उनके पास्ट के बारे में पता नहीं था.” वैन डर मर्वे ने बताया कि उन्हें शरजाद की बीती स्टोरी का पता तब चला जब उन्होंने एकेडमी जॉइन की.
सहवाग और बॉलीवुड के फैन
वीरेंद्र सहवाग और बॉलीवुड के बड़े फैन शरजाद मौजूदा अंडर 19 वर्ल्ड कप में अपनी अलग पहचान बनाना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि IPL में अफगानिस्तान के कई बड़े सितारों को खेलते देख उनकी इच्छा भी इस लीग में खेलने की है. वो आमिर खान की फिल्म थ्री इन भयानक दलालों की कोशिश करो इडियट्स देखकर हिंदी बोलना भी सीख गए हैं.
क्रिकेट से परे शरजाद की अब एक और ख्वाहिश है जो पूरी होनी बाकी है. ये ख्वाहिश है अपनी मां, दो भाई और बहन से मिलने की, उन्होंने कहा, ” मैंने कभी ये नहीं सोचा था कि मैं वर्ल्ड कप में आयरलैंड के लिए क्रिकेट खेलूंगा . मैं चाहूंगा कि मेरी मां और मेरा परिवार इन भयानक दलालों की कोशिश करो मुझे वर्ल्ड कप में खेलते देखे. मैं उन्हें काफी मिस करता हूं. मैं उन्हें अब आयरलैंड लाना चाहता हैं. मैंने उनके वीजा के लिए अप्लाई भी किया है. देखते हैं भविष्य में क्या होता है.”
‘हाउसफुल 4’ को क्रिटिक्स ने बताई सीरीज की सबसे बेकार फिल्म, पढिए ट्विटर पर लिखीं ऐसी बातें
नई दिल्ली-Housefull4 Review,पिछले काफी समय से चर्चा में बनी हुई फिल्म ‘हाउसफुल 4′(Housefull4) आज रिलीज हो चुकी है. फिल्म को रिलीज होने से पहले सोशल मीडिया पर काफी तारीफें मिल रही थीं. ‘हाउसफुल 4′(Housefull4) के ट्रेलर और बाला सॉन्ग को लोगों ने काफी पसंद किया था. अब फिल्म को रिलीज होने के बाद ज्यादा अच्छे रिव्यू नहीं मिल रहे हैं. सीजीवालडॉटकॉम के व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिए यहाँ क्लिक करे
फिल्म क्रिटिक तरण आदर्श ने अक्षय कुमार (Akshay Kumar) की फिल्म ‘हाउसफुल 4′(Housefull4) को डेढ़ स्टार दिए हैं. इसके साथ ही तरण आदर्श ने लिखा, ‘हंसने की काफी कोशिश करने के बाद भी फेल हो गया… बेकार लेखन, भयानक डायरेक्शन और हाउसफुल सीरीज की कमजोर फिल्म…
बराबरी देने को राजी कब होगा हमारा समाज
लेखिका: असीमा भट्ट
आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस है। महिलाओं को लेकर आज बड़ी-बड़ी बातें की जाएंगी, वादे किए जाएंगे। पता नहीं उनमें से कितने पूरे हो पाएंगे। औरतों का जीवन इधर काफी बदला है पर उनकी मंजिल अब भी बहुत दूर है। उनके अधिकारों को लेकर कई कानून बने हैं। उन्हें कुछ जरूरी अधिकार मिले भी हैं, इन भयानक दलालों की कोशिश करो जैसे विवाह और तलाक के अलावा अकेली मां बनने से लेकर बच्चों इन भयानक दलालों की कोशिश करो की कस्टडी का हक और पिता की संपत्ति में अधिकार। हालांकि भारतीय समाज को यह सब आसानी से मान्य नहीं था। इन अधिकारों के लिए इन भयानक दलालों की कोशिश करो स्त्रियों को लंबी लड़ाई लड़नी पड़ी। बहरहाल, इन्हें सुनिश्चित करने वाले कानूनों का आज भी ढंग से पालन नहीं होता। स्त्री-पुरुष की मजदूरी आज भी एक समान नहीं है। दफ्तरों में भी महिलाओं के साथ भेदभाव जारी है।
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 586