25 हजारी बना जीरा: कमजोर ग्रोथ, विदेशी डिमांड और NCDEX मार्केट में तेजी ने बढ़ाए भाव, आगे भी उछाल की संभावना बरकरार
जीरा एक बार फिर 25 हजारी बन गया। जहां एक सप्ताह पहले तक इसके भावों में स्थिरता थी, वहीं अब जीरे में हलचल शुरू हो गई है। बीते दो दिन जीरे के भावों में उछाल भरे रहे। इन दो दिनों में जीरे में एक हजार रुपए प्रति क्विंटल की उछाल देखने को मिली, जिससे इसके भाव 25 हजार रुपए प्रति क्विंटल तक पहुंच गए। आगे भी भावों एनसीडीईएक्स मार्केट क्या है? में उछाल की संभावना है।
जीरे के बढ़ते भाव एक बार फिर व्यापारियों और किसानों में चर्चा का विषय बन रहे हैं। पिछले सप्ताह से जीरे के भावों में फिर से तेजी का दौर शुरू हुआ। आपको बता दें कि व्यापारी सप्ताह के पहले दिन यानी सोमवार को मंडी में जीरे के भाव 800 रुपए तेज रहने के साथ ही इसके भाव 25 हजार 600 रुपए प्रति क्विंटल एनसीडीईएक्स मार्केट क्या है? तक पहुंच गए। दूसरे दिन भी जीरा 25 हजार रुपए प्रति क्विंटल से ऊपर ही रहा।
आज दोपहर को जरूर इसके भावों में 300 रुपए की गिरावट देखने को मिली मगर एक्सपर्ट के मुताबिक अभी जीरे के भाव में और उछाल की संभावना बनी हुई है। उछाल के बीच थोड़ी गिरावट होती रहती है, लेकिन वर्तमान हालात को देखते हुए तो जीरे के भाव बढ़ने के आसार है। एनसीडीईएक्स मार्केट क्या है? क्योंकि विदेशी बाजार खासतौर पर यूरोपीय कंट्रीज में भारतीय जीरे की डिमांड बढ़ गई है, इसी वजह से नेशनल कमोडिटी और डेरिवेटिव्स एक्सचेंज (NCDEX) मार्केट में भी जीरे में तेजी चल रही है। यहीं कारण है कि जीरे के भावों में उछाल रह सकता है। वहीं दूसरी तरफ इस वर्ष जीरे की कमजोर ग्रोथ के कारण भी बाजार में जीरे की डिमांड बढ़ गई है। इन सभी कारणों को देखते हुए आगामी दिनों में भी जीरे के भाव बढ़ने की संभावना है।
पुराना जीरा नहीं बचा, नए का उत्पादन कम होगा, इसलिए बढ़े भाव
एक्सपर्ट के मुताबिक इस बार नया माल आने तक पुराना जीरा पूरी तरह बिक जाएगा। जबकि हर साल नया जीरा आने तक 20 से 25 लाख बोरी जीरा पूरे भारत में बचता है, लेकिन इस बार यह 3 से 4 लाख बोरी बचने की संभावना है। वहीं इस बार देशभर में जीरे का उत्पादन भी कम होगा। व्यापारियों के अनुसार इस रबी सीजन में 50 से 55 लाख बोरी उत्पादन की उम्मीद है, जो देश में घरेलू खपत के लिहाज से कम पड़ेगा।
जानिए. क्या कहते हैं जीरा एक्सपर्ट
मेड़ता मंडी व्यापार संघ उपाध्यक्ष और जीरा व्यापारी रामअवतार चितलांगिया ने बताया कि बाजार डिमांड जारी रहने से आगामी दिनों में भी जीरे के भावों में उछाल देखने को मिल सकता है। व्यापारी सुमेरचंद जैन ने बताया कि एनसीडीईएक्स बाजार तेज रहने की वजह से जीरे में उछाल है। कुछ गिरावट और ज्यादा उछाल का दौर आगे भी चलते रहने की आस है।
शेयर बाजार में क्या है कमोडिटी ट्रेडिंग, जानिए कैसे करते हैं खरीद-बेच, कितना फायदेमंद
जिस तरह से हम अपनी रोजमर्रा की जरुरतों के लिए कोई वस्तु यानी कमोडिटी (commodity) जैसे अनाज, मसाले, सोना खरीदते हैं वैस . अधिक पढ़ें
- News18Hindi
- Last Updated : May 06, 2021, 09:25 IST
मुंबई. जिस तरह से हम अपनी रोजमर्रा की जरुरतों के लिए कोई वस्तु यानी कमोडिटी (commodity) जैसे अनाज, मसाले, सोना खरीदते हैं वैसे ही शेयर बााजार (share market) में भी इन कमोडिटी की खरीद बेच होती है. शेयर बााजार के कमोडिटी सेक्शन में इनकी ही खरीद बेच को कमोडिटी ट्रेडिंग (commodity trading) कहते हैं. यह कंपनियों के शेयरों यानी इक्विटी मार्केट की ट्रेडिंग से थोड़ी अलग होती है. कमोडिटी की ट्रेडिंग एनसीडीईएक्स मार्केट क्या है? ज्यादातर फ्यूचर मार्केट में होती है. भारत में 40 साल बाद 2003 में कमोडिटी ट्रेडिंग पर लगा प्रतिबंध हटा लिया गया था.
सामान्य तौर पर, कमोडिटी को चार प्रकारों में वर्गीकृत किया जाता है.
कीमती धातु - सोना, चांदी और प्लेटिनम
बेस मेटल - कॉपर, जिंक, निकल, लेड, टीन और एन्युमिनियम
एनर्जी - क्रूड ऑयल, नेचुरल गैस, एटीएफ, गैसोलाइन
मसाले - काली मिर्च, धनिया, इलायची, जीरा, हल्दी और लाल मिर्च.
अन्य - सोया बीज, मेंथा ऑयल, गेहूं, चना
कमोडिटी ट्रेडिंग में क्या अलग है
- कमोडिटी ट्रेडिंग और शेयर बाज़ार ट्रेडिंग करने में बुनियादी फर्क है. शेयर बाजार में आप शेयरों को एक बार खरीद कर कई साल बाद भी बेच सकते हैं लेकिन कमोडिटी मार्केट में दो-तीन नियर मंथ में ही कारोबार होता है. इसलिए सौदे खरीदते या बेचने में एक निश्चित अवधि का पालन करना जरूरी होता है. यह इक्विटी फ्यूचर ट्रेडिंग (equity future trading) की तरह होता है.
फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट क्या है -
दो पार्टियों के बीच यह खरीदने बेचने का ऐसा सौदा होता है जो आज के दाम पर फ्यूचर की डेट में एक्सचेंज होता है. कमोडिटी राष्ट्रीय स्तर ऑनलाइन मॉनिटरिंग और सर्विलांस मैकेनिज्म के साथ ट्रेड होता है. एमसीएक्स और एनसीडीएक्स में कमोडिटी फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट एक महीने, दो महीने और तीन महीने के लिए एक्सापाइरी सायकल के आधार पर खरीदे जाते हैं.
पोर्टफोलियो में विविधता के लिए कमोडिटी में निवेश फायदेमंद -
विशेषज्ञों के मुताबिक पोर्टफोलियों में विविधता के लिए निवेशक को इक्विटी के साथ साथ कमोडिटी में भी निवेश करना चाहिए. इससे कीमतों में उतार-चढ़ाव का फायदा लिया जा सकता है. हालांकि, रिटेल और छोटे निवेशकों को कमोडिटी में निवेश में विशेष सावधान होना चाहिए. बाजार की अस्थिरता और कम जानकारी पूरा पैसा डूबा सकती है. निवेशकों को इसमें डिमांड सायकल और कौन से कारक कमोडिटी बाजार को प्रभावित करते हैं यह जानना जरूरी होता है.
कमोडिटी ट्रेडिंग से फायदा -
भारत में 25 लाख करोड़ रुपए सालाना का कमोडिटी मार्केट तेजी से बढ़ रहा है. यह मुख्यत लिवरेज मार्केट होता है. मतलब छोटे और मध्यम निवेशक भी छोटी सी राशि से मार्जिन मनी के जरिये कमोडिटी ट्रेडिंग कर सकते हैं.
हेजिंग -
किसानों, मैन्युफैक्चरर और वास्तविक उपयोगकर्ताओं के लिए कमोडिटी के दाम में उतार चढ़ाव का रिस्क कम हो जाता है.
पोर्टफोलियों में विविधता -
कमोडिटी एक नए एसेट क्लास के रुप में विकसित हो रही है. यह पोर्टपोलियों में प्रभावी विविधता लाती है.
ट्रेडिंग अपॉरच्यूनिटी -
कमोडिटी का डेली टर्नओवर लगभग 22,000 - 25,000 करोड़ रुपए है, जो एक बेहतर ट्रेडिंग अपॉर्च्यूनिटी उपलब्ध कराती है.
हाई लिवरेज -
इसमें बहुत कम पैसे में आप मार्जिन मनी के सहारे बड़े सौदे कर सकते हैं.
समझने में आसानी-
कमोडिटी के बेसिक नेचर और सिंपल इकोनॉमिक फंडामेंटल की वजह से इसे समझना भी आसान होता है
इंडियन कमोडिटी एक्सचेंज का क्या है रोल -
इंडियन कमोडिटी एक्सचेंज वह संस्था है जो कमोडिटी फ्यूचर में ट्रेडिंग के लिए प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराती एनसीडीईएक्स मार्केट क्या है? है. जैसे स्टॉक मार्केट इक्विटी में ट्रेडिंग के लिए स्पेस उपलब्ध कराता है. वर्तमान में फ्यूचर ट्रेडिंग के लिए 95 कमोडिटी उपलब्ध है जो रेगुलेटर फॉर्वर्ड मार्केट कमिशन ( एफएमसी) द्वारा जारी गाइडलाइन और फ्रेमवर्क के अंदर हैं. भारत में 3 नेशनल और 22 क्षेत्रिय एक्सचेंज अभी काम कर रहे हैं.
एमसीएक्स (मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज) क्या है -
एमसीएक्स (मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज) द्वारा सुगम कमोडिटी मार्केट में कमोडिटी का कारोबार अक्सर एमसीएक्स ट्रेडिंग के रूप में जाना जाता है. जिस प्रकार बीएसई और एनएसई स्टॉक में कारोबार के लिए मंच प्रदान करते हैं, वैसे ही एमसीएक्स कमोडिटी में कारोबार के लिए एक मंच प्रदान करता है. इसमें कारोबार मेजर ट्रेडिंग मेटल और एनर्जी में होती है. इसमें रोजाना एक्सचेंज वैल्यूम 17,000-20,000 करोड़ है.
एनसीडीएक्स-
यह दिसंबर 2003 में अस्त्तिव मे आया. इसमें मुख्यत एग्री ट्रेडिंग होती है. रोजाना एक्सचेंज वैल्यूम लगभग 2000 - 3000 करोड़.
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NCDEX Trading: फसल पर ज्यादा मुनाफे के लिए करना चाहते हैं ट्रेडिंग तो जानें ये जरूरी टिप्स
Agri Trading By Farmers : कुल उत्पादन का काफी कम हिस्सा ही MSP पर खरीदा जा रहा है. ऐसे में NCDEX जैसे एक्सचेंज प्लेटफॉर्म की मदद मिलेगी.
- Khushboo Tiwari
- Publish Date - June 17, 2021 / 10:06 AM IST
KCC कर्ज के लिए नोटिफाई फसल/क्षेत्र, फसल बीमा के अंतर्गत कवर किए जाते हैं. प्रथम वर्ष के लिए कर्ज की मात्रा कृषि लागत, फसल के बाद खर्च के आधार पर निर्धारित किया जाएगा.
महीनों की मेहनत और इंतजार के बाद तैयार हुई फसल को सही दाम ना मिले तो किसानों को हताशा का सामना करना पड़ सकता है. लेकिन, किसानों इस बात को ध्यान में रखें कि वे सिर्फ मंडी ही नहीं, बल्कि एक्सचेंज पर तय भाव पर भी फसल बेच सकते हैं. भारत में दालों से लेकर मसालों तक की ट्रेडिंग के लिए एक्सचेंज हैं. इसमें सबसे ज्यादा वॉल्यूम यानी मात्रा में ट्रेडिंग होती है NCDEX पर. इस एक्सचेंज पर किसान कैसे अपनी फसल बेच सकते हैं, क्या हैं नियम और कौन करेगा मदद, आज हम यही जानकारी आपको देने जा रहे हैं.
क्या है NCDEX?
NCDEX मार्केट रेगुलेटर सेबी के नियमों के तहत आता है. इस एक्सचेंज में NABARD, LIC, पंजाब नेशनल बैंक, कैनरा बैंक, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज जैसे कई दिग्गज निवेशक हैं. इसलिए सुरक्षा या शिकायतों को लेकर चिंता कतई न करें.
इस एक्सचेंज पर कुल 23 एग्री कमोडिटीज की ट्रेडिंग होती है और 7 फसलों की वायदा ट्रेडिंग भी होती है.
अब अगर आप NCDEX की समझ नहीं रखते हैं तो ऐसी स्थिति में फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गनाइजेशन यानी किसान उत्पादक संगठन (FPOs) मदद करेंगे. खासकर छोटे और मध्यम किसानों को इन संगठन के जरिए मदद मिलेगी.
14 राज्यों के किसान शामिल
NCDEX के मुताबिक, वित्त वर्ष 2020-21 तक 342 किसान उत्पादक संगठन जुड़े हैं. इन FPOs में कुल 14 राज्यों से 8,91,547 किसान शामिल हैं.
NCDEX इन संगठनों के साथ मिलकर ट्रेनिंग से लेकर जागरूकता अभियान चलाता है ताकि किसानों को अपनी नजदीकी मंडी के अलावा भी अपनी फसल बेचने का विकल्प मिले.
जानकारी के मुताबिक, इस प्लेटफॉर्म पर सबसे ज्यादा ट्रेडिंग चना, सोयाबीन और रेपसीड मस्टर्ड की हुई है.
किन बातों का रखें ध्यान?
रिसर्च जरूरी
एसएमसी ग्लोबल (SMC Global) के कमोडिटी रिसर्च की AVP वंदना भारती कहती हैं कि किसान जो भी प्लेटफॉर्म चुनें उन्हें उसके बारे में पहले जानकारी हासिल करनी चाहिए. वे चाहे तो उसके बारे में सेशन अटेंड कर सकते हैं. किसानों को अगर मुनाफे के बारे में बताया जा एनसीडीईएक्स मार्केट क्या है? रहा है तो उन्हें ट्रेडिंग से जुड़े जोखिम भी समझने होंगे. कोई भी ट्रेड लेने से पहले थोड़ा रिसर्च जरूरी है.
डिलीवरी की जानकारी लें
किसानों को ये जानकारी हासिल करनी होगी कि उनके इलाके में कहां से वे डिलीवरी दे सकते हैं या ले सकते हैं. डिलीवरी सिस्टम की समझ जरूरी है क्योंकि इस प्लेटफॉर्म पर ट्रेडिंग अन्य शेयर बाजार जैसी ट्रेडिंग से अलग है. यहां असल में आपके उपज को खरीदार तक पहुंचाने में डिलीवरी सिस्टम ही काम आएगा. डिलीवरी यानी उत्पाद कहां और कैसे भेजना होगा.
फसल की क्वालिटी है अहम
किसानों को डिलीवरी प्रक्रिया के साथ ही ये जानना होगा कि NCDEX पर किस क्वालिटी की फसल को मंजूरी एनसीडीईएक्स मार्केट क्या है? मिली है. किसानों को ये पहले पता करना होगा कि उनकी फसल की क्वालिटी मान्य है या नहीं. अगर क्वालिटी में फर्क है तो क्या उस उपज को लिया जाएगा या नहीं, इससे जुड़े सवालों को समझें.
दूसरों से पूछने में हिचकें नहीं
वंदना मानती हैं एनसीडीईएक्स मार्केट क्या है? कि अगर किसान किसी ऐसे व्यक्ति को जानते हैं जो पहले से ट्रेडिंग करते हैं तो उनसे पूछने में आपको कोई हिचकिचाहट नहीं होनी चाहिए. ऐसे लोग आपको बाजार से जुड़े टर्म जैसे मार्जिन, वायदा आदि समझा सकेंगे. वे कहती हैं कि इस दिशा में रिसर्च कंपनियां भी काम कर रही हैं और रिसर्च को उनकी भाषा में भी पब्लिश कर मंडियों तक पहुंचा रही हैं ताकि किसानों को सही जानकारी उनकी ही भाषा में मिल सके.
चार्जेज की जानकारी
क्या ट्रेडिंग पर चार्ज लगेगा? वंदना कहती हैं कि किसानों पर FPO के जरिए ट्रेडिंग पर कोई चार्ज नहीं लगते क्योंकि SEBI और अन्य एक्सजेंच ने फंड बनाए हैं ताकि किसानों की मदद की जा सके. हालांकि, वेयरहाउस और गोदाम में स्टोर करने पर अलग अलग फसल के अलग-अलग चार्ज होते हैं.
ट्रेडिंग की ताकत
FPO के जरिए किसान बड़ी पोजिशन भी ले सकेंगे. हो सकता है कि एक किसान के पास उतनी उपज ना हो जितनी एक लॉट में NCDEX पर डिलीवरी देनी हो.
वंदना उदाहरण के तौर पर बताती हैं कि मान लीजिए आपके पास 30 किलोग्राम सरसों है तो ये डिलीवरी पॉइंट की जरूरत को पूरी नहीं करेगा क्योंकि उसके लिए ज्यादा फसल चाहिए. ऐसे में कई किसान मिलकर पूलिंग के जरिए प्लेटफॉर्म पर ट्रेड कर सकते हैं – ठीक जैसे म्यूचुअल फंड काम करते हैं. इसमें FPOs की मदद मिलेगी. महाराष्ट्र, गुजरात और राजस्थान में FPOs काफी एक्टिव हैं.
पोजिशन लेते वक्त सावधानी जरूरी
किसानों को ट्रेडिंग के वक्त संभल कर पोजिशन लेनी चाहिए. वंदना भारती बताती हैं कि मान लीजिए आपकी खरीफ फसल है और आगे उम्मीद है कि मॉनसून अच्छा रहेगा और इसके साथ ही सरकार भी खाद्य महंगाई को काबू करने पर काम कर रही है. इस स्थिति में कीमतों में गिरावट की आशंका रहती है क्योंकि सप्लाई ज्यादा रहने का अनुमान है. तब किसानों को पोजिशन लेने से पहले संभल जाना चाहिए. नई फसल की आवक से पहले अगर किसान पोजिशन ले सकें तो बेहतर होगा. नई आवक से कीमतों में गिरावट आती है. मौसम के मुताबिक इसे समझें.
बेहतर भाव
कुल उत्पादन का काफी कम हिस्सा ही MSP पर खरीदा जा रहा है. ऐसे में इस तरह के एक्सचेंज प्लेटफॉर्म की मदद मिलेगी. साथ ही, वंदना के मुताबिक, जिन इलाकों में किसानों की ओर से डिमांड आती है वहां डिलीवरी सिस्टम और वेयरहाउस तैयार किया जाता है.
एनसीडीईएक्स लाइव
जब कमोडिटी ट्रेडिंग की बात आती है तो MCX और NCDEX दो नाम सामने आते हैं। ये दोनों भारत के एनसीडीईएक्स मार्केट क्या है? पापुलर कमोडिटी एक्सचेंज हैं। रोजमर्रा की ज़िन्दगी में भोजन, तेल और धातु जैसी वस्तुओं की कीमत बाजार में तेजी से उतार-चढ़ाव करती है। कमोडिटी ट्रेडिंग इस तरह के उतार-चढ़ाव पर नजर रखती है और ट्रेडर्स को इन वस्तुओं से लाभ प्राप्त करने में मदद करता है।
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