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भारत में ‘उद्यम पूंजी’ से बढ़ता कारोबार

संदर्भ
हाल ही में डाटा इंटेलिजेंस प्लेटफॉर्म, सीबी इन्साइट्स (CB Insights) की एक रिपोर्ट 'एशिया टेक इन्वेस्टमेंट' से यह अच्छी खबर सामने आई है कि पिछले साल अर्थव्यवस्था में ‘उद्यम पूंजी’ (Venture Capital) में हुई गिरावट अप कैपिटल क्या हैं के बाद इस वर्ष इसमें निवेश बढ़ा है। देश के शीर्ष पूंजीपतियों ने भी कहा कि अब उनका ध्यान उन उद्यमियों पर केंद्रित है जो अर्थव्यवस्था के प्रत्येक क्षेत्र में उभर रहे हैं तथा उन कंपनियों पर भी है जो पूंजी कुशल हैं। इससें अर्थव्यवस्था में निवेश बढ़ने की उम्मीद है तथा स्टार्ट-अप कंपनियों के माध्यम से नए उद्यमियों को बढ़ावा मिलेगा।

महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • भारत की तकनीकी कंपनियों में से कुछ को छोड़ दिया जाए तो पिछले साल की तुलना में फंडिंग की गई कुल पूंजी में 550% की बढ़ोतरी हुई है।
  • इस वर्ष पूंजी आकर्षित करने वाले शीर्ष क्षेत्रों में इंटरप्राइज़-टेक, हेल्थ-टेक, फाइन-टेक, खुदरा और शुद्ध-तकनीक शामिल हैं। इन क्षेत्रों में कृत्रिम बुद्धिमता (Artificial Intelligence), ड्रोन, थ्री-डी प्रिंटिंग आदि पर ध्यान केंद्रित किया जाता है।
  • कृत्रिम बुद्धिमता से संबंधित कंपनियों को स्थानीय क्षेत्रों (local Sectors) से समर्थन भी मिल रहा जो एक अच्छी बात है।
  • इस वर्ष निवेश की दृष्टि से देखें तो सीरीज़-जे में फ्लिपकार्ट का 1.4 अरब डॉलर, सीरीज़-एच में ओला कैब का 330 करोड़ डॉलर और ई-कॉमर्स के सीरीज़-ए में पेटीएम का 200 मिलियन डॉलर शामिल है।
  • रिपोर्ट के अनुसार बाज़ार से अनिश्चितता अप कैपिटल क्या हैं दूर हो रही है और निवेश में सकारात्मक रुझान देखने को मिल रहे हैं।
  • यह अच्छी बात है कि निवेशक ‘खाद्य तकनीक’ क्षेत्र की कंपनियों की तरफ भी अपना रुझान बढ़ा रहे हैं जहाँ पिछले दो सालों में अनेक उद्योग बंद हुए हैं।
  • इस वर्ष भारतीय टेक स्टार्ट-अप्स कंपनियों में 4.74 अरब डॉलर का निवेश हुआ जो वर्ष 2016 के 4.55 अरब डॉलर के निवेश की तुलना में अधिक रहा।

इनीशियल पब्लिक ऑफरिंग’

ipo the core ias

जब कोई कंपनी पूंजी जुटाने के लिए पहली बार अपने शेयर सार्वजनिक तौर पर बेचती है तो शेयर बेचने की इस पूरी प्रक्रिया को आइपीओ कहते हैं। आइपीओ लाने से पहले कंपनी को प्राइवेट माना जाता है क्योंकि उसमें बहुत कम निवेशकों की हिस्सेदारी होती है। अमूमन एक प्राइवेट कंपनी में संस्थापक , उनके रिश्तेदार या मित्र , वेंचर कैपिटलिस्ट और एंजल निवेशकों की हिस्सेदारी होती है। लेकिन जब वह कंपनी आइपीओ लाकर पब्लिक कंपनी का रूप धारण करती है तो उसमें व्यक्तिगत निवेशकों से लेकर संस्थागत निवेशकों तक की हिस्सेदारी होती है। वे आइपीओ के माध्यम से कंपनी के शेयर खरीदते हैं। जब तक कोई कंपनी आइपीओ नहीं लाती तब तक वह प्राइवेट ही रहती है। आइपीओ आने के बाद वह पब्लिक लिस्टेड कंपनी बन जाती है और शेयर बाजार में उसके शेयरों की खरीद-फरोख्त होती है।बहरहाल , किसी कंपनी के प्राइवेट या पब्लिक होने के अपने-अपने फायदे नुकसान हैं। मसलन , एक प्राइवेट कंपनी के मालिकों को बहुत सी वित्तीय और लेखा संबंधी जानकारियां जगजाहिर करने की जरूरत नहीं होती जबकि पब्लिक कंपनी को वित्तीय और लेखा संबंधी जानकारियों की जानकारी नियामक संस्थाओं के समक्ष रखनी ही होती है। आमतौर पर बड़ी कंपनियां ही आइपीओ लेकर आती हैं लेकिन यह जरूरी नहीं है कि सभी बड़ी कंपनियां अपना आइपीओ लाएं। कई बड़ी कपंनियां शेयर बाजार में सूचीबद्ध होने से परहेज करती हैं।आइपीओ लाने का फायदा यह है कि इससे कंपनी को अपने विस्तार के लिए पूंजी जुटाने में मदद मिलती है। दूसरी ओर , आम निवेशकों के लिए भी आइपीओ के जरिये कंपनियों में निवेश करना आसान होता है। इससे कंपनी की छवि भी बनती है जिससे उसका कारोबार बढ़ता है। इसके अलावा उन्हें बेहतर प्रबंधन आकर्षित करने और विलय व अधिगृहण में भी मदद मिलती है। आइपीओ लाने के लिए कुछ शर्ते पूरी करनी होती हैं। भारत में आइपीओ लाने के लिए कंपनियों को पूंजी बाजार नियामक सेबी की शरण में जाना पड़ता है। इसके बाद उन्हें नेशनल स्टॉक एक्सचेंज और बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज पर सूचीबद्ध होने के लिए जरूरी शर्तो का पालन करना होता है। इसके तहत सिर्फ वे कंपनियां ही आइपीओ ला सकती हैं जिनकी मिनिमम पेड-अप कैपिटल 10 करोड़ रुपये हो। इसके अलावा भी उन्हें कई शर्ते पूरी करनी होती हैं। आइपीओ के लिए कंपनी सबसे अप कैपिटल क्या हैं पहले एक मर्चेट बैंकर नियुक्त करती है , जो कंपनी का डीआरएचपी तैयार करता है। इसमें कंपनी के बारे में अहम जानकारी होती है। सेबी की हरी झंडी मिलने के बाद इसे सार्वजनिक कर दिया जाता है। इसके बाद कंपनी अपने आइपीओ का प्राइस तय करती है। तीन दिन तक कंपनी के शेयर सब्सिक्रिप्शन के लिए उपलब्ध होते हैं। कंपनी जितने शेयर बेचना चाहती है अगर निवेशक उससे अधिक शेयर खरीदने की बोली लगाते हैं तो आइपीओ ओवरसब्सक्राइड माना जाता है।

Panama Papers Leak: ऐश्वर्या राय से साढ़े 5 घंटों तक चली पूछताछ, दागे गए ये सवाल

Aishwarya Rai

  • नई दिल्ली,
  • 20 दिसंबर 2021,
  • (अपडेटेड 20 दिसंबर 2021, 11:11 PM IST)
  • ऐश्वर्या राय से साढ़े 5 घंटों तक चली पूछताछ
  • अप कैपिटल क्या हैं
  • ऐश्वर्या राय को पहले भी तलब किया जा चुका

बॉलीवुड एक्ट्रेस ऐश्वर्या राय बच्चन सोमवार को पनामा पेपर्स मामले में ईडी के सामने हाजिर हुईं. जांच एजेंसी ने दिल्ली में ऐश्वर्या राय का बयान दर्ज किया. उन पर विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा) का उल्लंघन कर विदेशों में धन जमा करने के आरोप हैं. ऐश्वर्या राय से ईडी ने करीब साढ़े 5 घंटे पूछताछ की, इस दौरान उनसे कई सवाल पूछे गए.

Multibagger Stock में आशीष कचोलिया ने किया प्रॉफिट बुक, क्‍या आपके पास भी है यह शेयर?

पिछले पांच सालों में विष्‍णु केमिकल्‍स के स्‍टॉक में 450 फीसदी का उछाल आया है.

पिछले पांच सालों में विष्‍णु केमिकल्‍स के स्‍टॉक में 450 फीसदी का उछाल आया है.

एक साल से विष्‍णु केमिकल्‍स का स्‍टॉक निवेशकों अप कैपिटल क्या हैं को मल्‍टीबैगर रिटर्न (Multibagger Return) दे रहा है. वर्ष 2022 की शुरुआत . अधिक पढ़ें

  • News18Hindi
  • Last Updated : July 07, 2022, 10:49 IST

नई दिल्‍ली. शेयर बाजार के दिग्‍गज निवेशकों का मानना है कि निवेशक को हमेशा अपने निवेश लक्ष्‍यों को निर्धारित करना चाहिए. जैसे ही उसका लक्ष्‍य पूरा हो जाता है तो उसे उस स्‍टॉक में और ज्‍यादा रिटर्न के इंतजार में बैठे रहने की बजाय कुछ प्रॉफिट बुक कर लेना चाहिए. दिग्‍गज निवेशक आशीष कचोलिया (Ashish Kacholia) भी इसी रणनीति को अपनाते हैं. शेयर बाजार में बिग व्‍हेल के नाम से मशहूर कचोलिया ने अब मल्‍टीबैगर स्‍टॉक विष्‍णु केमिकल्‍स (Vishnu Chemicals Share) में आंशिक प्रॉफिट बुक किया है. ऐसा वे लगातार तीन तिमाहियों से कर रहे हैं. विष्‍णु केमिकल्‍स का स्‍टॉक एक साल से मल्‍टीबैगर रिटर्न दे रहा है. वर्ष 2022 में इस शेयर ने 75 फीसदी रिटर्न निवेशकों को दिया है.

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