अटल पेंशन योजना
भारत सरकार का सह योगदान वित्तीय वर्ष 2015-16 से 2019-20 के लिए यानी 5 साल के लिए उन ग्राहकों को उपलब्ध है जो 1 जून, 2015 से 31 मार्च, 2016 की इस अवधि के दौरान इस योजना में शामिल होते हैं और जो किसी भी वैधानिक और सामाजिक सुरक्षा योजना में शामिल नहीं हैं एवं आयकर दाताओं में शामिल नहीं हैं। सरकार का सह-योगदान पेंशन फंड नियामक एवं विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए) द्वारा पात्र स्थायी सेवानिवृत्ति खाता पेंशन संख्या को केंद्रीय रिकार्ड एजेंसी से ग्राहक द्वारा वर्ष के लिए सभी किस्तों का भुगतान की पुष्टि प्राप्त करने के बाद वित्तीय वर्ष के अंत में लिए ग्राहक के बचत बैंक खाता/डाकघर बचत बैंक खाते में कुल योगदान का 50% या 1000 रुपये का एक अधिकतम अंशदान जमा किया जाएगा। वैसे लाभार्थी जो वैधानिक सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के अंतर्गत आते हैं, एपीवाई के तहत सरकार के सह-योगदान प्राप्त करने के पात्र नहीं हैं। उदाहरण के लिए, निम्नलिखित अधिनियमों के तहत सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के सदस्य एपीवाई के तहत सरकार के सह-योगदान प्राप्त करने के लिए पात्र नहीं हो सकते है:
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और विविध प्रावधान अधिनियम, 1952
- कोयला खान भविष्य निधि और विविध प्रावधान अधिनियम, 1948
- असम चाय बागान भविष्य निधि और विविध प्रावधान, 1955
- नाविक भविष्य निधि अधिनियम, 1966
- जम्मू-कश्मीर कर्मचारी भविष्य निधि और विविध प्रावधान अधिनियम, 1961
- कोई भी अन्य वैधानिक सामाजिक सुरक्षा योजना
अटल पेंशन योजना के तहत न्यूनतम पेंशन की इस अर्थ में सरकार द्वारा की गारंटी होगी कि यदि पेंशन योगदान पर वास्तविक रिटर्न अंशदान की अवधि के दौरान कम हुआ तो इस तरह की कमी को सरकार द्वारा वित्त पोषित किया जाएगा। दूसरी ओर, यदि पेंशन योगदान पर वास्तविक रिटर्न न्यूनतम गारंटी पेंशन के लिए योगदान की अवधि में रिटर्न की तुलना में अधिक हैं तो इस तरह के अतिरिक्त लाभ ग्राहक के खाते में जमा किया जायेगा जिससे ग्राहकों को बढ़ा हुआ योजना लाभ मिलेगा।
सरकार कुल योगदान का 50% या 1000 रुपये प्रति साल जो भी कम हो का सह-योगदान प्रत्येक पात्र ग्राहक को करेगी जो इस योजना में 1 जून 2015 से 31 मार्च 2016 के बीच शामिल होते हैं और जो किसी भी अन्य सामाजिक सुरक्षा योजना के एक लाभार्थी नहीं है एवं आयकर दाता नहीं है। सरकार के सह-योगदान वित्तीय वर्ष 2015-16 से 2019-20 तक 5 साल के लिए दिया जाएगा।
वर्तमान में, नेशनल पेंशन सिस्टम (एनपीएस) के तहत ग्राहक योगदान एवं उसपर निवेश रिटर्न के लिए के लिए कर लाभ पाने के पात्र है। इसके अलावा, एनपीएस से बाहर निकलने पर वार्षिकी की खरीद मूल्य पर भी कर नहीं लगाया जाता है और केवल ग्राहकों की पेंशन आय सामान्य आय का हिस्सा मानी जाती है उसपर ग्राहक के लिए लागू उचित सीमांत दर लगाया जाता है। इसी तरह के कर उपचार एपीवाई के ग्राहकों के लिए लागू है।
- बैंक शाखा/पोस्ट ऑफिस जहां व्यक्ति का बचत बैंक है को संपर्क करें या यदि खाता नही है तो नया बचत खाता खोलें
- बैंक/डाकघर बचत बैंक खाता संख्या उपलब्ध करायें और बैंक कर्मचारियों की मदद से एपीवाई पंजीकरण फार्म भरें
- आधार/मोबाइल नंबर उपलब्ध कराएं । यह अनिवार्य नहीं है, लेकिन योगदान के बारे में संचार की सुविधा हेतु प्रदान की जा सकती है।
- मासिक/तिमाही/छमाही योगदान के हस्तांतरण के लिए बचत बैंक खाता/डाकघर बचत बैंक खाते में आवश्यक राशि रखना सुनिश्चित करें
योगदान की विधि, कैसे योगदान करें और योगदान की नियत तारीख
निरंतर चूक के मामले में
ग्राहकों को अपने बचत बैंक खातों/डाकघर बचत बैंक खाते में निर्धारित नियत दिनांक देरी योगदान के लिए किसी भी अतिदेय ब्याज से बचने के लिए पर्याप्त राशि रखनी चाहिए। मासिक/तिमाही/छमाही योगदान बचत बैंक खाता/डाकघर बचत बैंक खाते में महीने/तिमाही/छमाही की पहली तारीख को जमा किया जा सकता है। हालांकि, अगर ग्राहक के बचत बैंक खाते/डाकघर बचत बैंक खाते में पहले महीने के अंतिम दिन/पहले तिमाही के अंतिम दिन/ पहले छमाही के अंतिम अपर्याप्त शेष है तो इसे एक डिफ़ॉल्ट माना जायेगा और देरी से योगदान के लिए अतिदेय ब्याज के साथ अगले महीने में भुगतान करना होगा। बैंकों को प्रत्येक देरी मासिक योगदान के लिए प्रत्येक 100 रुपये में देरी के 1 रुपये प्रति माह शुल्क लेना है। योगदान की तिमाही/छमाही मोड के लिए देरी योगदान के लिए अतिदेय ब्याज के हिसाब से वसूल किया जाएगा। एकत्र बकाया ब्याज की राशि ग्राहक के पेंशन कोष के हिस्से के रूप में रहेगा। एक से अधिक मासिक/तिमाही/छमाही योगदान धन की उपलब्धता के आधार पर लिया जा सकता है। सभी मामलों में, योगदान यदि कोई हो अतिदेय वित्तीय विश्लेषण का क्षेत्र राशि के साथ-साथ जमा किया जा सकता है। यह बैंक की आंतरिक प्रक्रिया होगी। देय राशि की वसूली खाते में उपलब्ध धन के अनुसार की जाएगी।
रखरखाव शुल्क और अन्य संबंधित शुल्कों के लिए ग्राहकों के खाते से कटौती एक आवधिक आधार पर किया जाएगा। उन ग्राहकों के लिए जिन्होंनें सरकार के सह-योगदान का लाभ उठाया है के लिए, खाते की राशि शून्य माना जाएगा जब ग्राहक कोष एवं सरकार के सह-योगदान खाते से घटाने पर राशि रखरखाव शुल्क, फीस और अतिदेय ब्याज के बराबर हो जाये और इसलिए शुद्ध कोष शून्य हो जाता है । इस मामले में सरकार का सह अंशदान सरकार को वापस दिया जाएगा।
RBI: अर्थव्यवस्था मजबूत, पर वैश्विक कारणों का पड़ सकता है असर, आरबीआई मुखिया ने क्रिप्टो पर फिर जताई चिंता
भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर देश की इकोनॉमी पर एक बार फिर अहम टिप्पणी की है। उन्होंने कहा है कि भारत की अंतर्निहित आर्थिक गतिविधियां मजबूत बनी हुई हैं, और आने वाले समय में भी इसके मजबूत बने रहने की संभावना है। हालांकि आरबीआई गवर्नर ने यह भी कहा है कि देश के बाहरी कारक अर्थव्यवस्था को कुछ नुकसान पहुंचा सकते हैं। इनमें जियो पॉलिटिकल तनाव और वैश्विक मंदी की आशंका शामिल हैं।
भारत के केंद्रीय बैंक के प्रमुख ने बुधवार को चेतावनी दी कि अगला वित्तीय संकट निजी क्षेत्र के क्रिप्टोकरेंसी से आएगा और उनका अभी भी मानना है कि क्रिप्टोकरेंसी को प्रतिबंधित किया जाना चाहिए। भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने यह भी कहा कि क्रिप्टोकरेंसी का कोई अंतर्निहित मूल्य नहीं है और व्यापक आर्थिक और वित्तीय स्थिरता के लिए जोखिम पैदा करता है।
BFSI समिट को संबोधित करते हुए आरबीआई गर्वनर ने कहा कि वित्तीय स्थिरता के क्रिप्टोकरेंसी बेहद खतरनाक है। आरबीआई गर्वनर पहले भी कह चुके हैं कि इससे देश की व्यापक आर्थिक ( Macro Economic) और वित्तीय स्थिरता ( Financial Stability) को गंभीर खतरा पैदा हो सकता है।
भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर देश की इकोनॉमी पर एक बार फिर अहम टिप्पणी की है। उन्होंने कहा है कि भारत की अंतर्निहित आर्थिक गतिविधियां मजबूत बनी हुई हैं, और आने वाले समय में भी इसके मजबूत बने रहने की संभावना है। हालांकि आरबीआई गवर्नर ने यह भी कहा है कि देश के बाहरी कारक अर्थव्यवस्था को कुछ नुकसान पहुंचा सकते हैं। इनमें जियो पॉलिटिकल तनाव और वैश्विक मंदी की आशंका शामिल हैं।
भारत के केंद्रीय बैंक के प्रमुख ने बुधवार को चेतावनी दी कि अगला वित्तीय संकट निजी क्षेत्र के क्रिप्टोकरेंसी से आएगा और उनका अभी भी मानना है कि क्रिप्टोकरेंसी को प्रतिबंधित किया जाना चाहिए। भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने यह भी कहा कि क्रिप्टोकरेंसी का कोई अंतर्निहित मूल्य नहीं है और व्यापक आर्थिक और वित्तीय स्थिरता के लिए जोखिम पैदा करता है।
BFSI समिट को संबोधित करते हुए आरबीआई गर्वनर ने कहा कि वित्तीय स्थिरता के क्रिप्टोकरेंसी बेहद खतरनाक है। आरबीआई गर्वनर पहले भी कह चुके हैं कि इससे देश की व्यापक आर्थिक ( Macro Economic) और वित्तीय स्थिरता ( Financial Stability) को गंभीर खतरा पैदा हो सकता है।
Nirmala Sitharaman: पांच वर्षों में 10 लाख करोड़ रुपये राइट ऑफ किए गए, लोकसभा में बोलीं वित्त मंत्री
Nirmala Sitharaman: सीतारमण ने प्रश्नकाल के दौरान कहा, "आरबीआई से प्राप्त जानकारी के अनुसार, अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों ने पिछले पांच वित्तीय वर्षों के दौरान 10,09,511 करोड़ रुपये की राइट ऑफ कर दिया है।
अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों ने पिछले पांच वित्त वर्षों में 10,09,511 करोड़ रुपये राइट ऑफ कर दिए हैं और कर्जदारों से बकाया वसूली की प्रक्रिया जारी है। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को लोकसभा को यह जानकारी दी। सीतारमण ने कहा कि राइट ऑफ किए वित्तीय विश्लेषण का क्षेत्र गए कर्ज सहित एनपीए (नॉन परफॉर्मिंग एसेट) खातों में रिकवरी एक सतत प्रक्रिया है। उन्होंने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के आंकड़ों के अनुसार, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने पिछले पांच वित्तीय वर्षों के दौरान 4,80,111 करोड़ रुपये की ऋण वसूली की है, जिसमें राइट ऑफ किए गए ऋणों के 1,03,045 करोड़ रुपये भी शामिल हैं।
सीतारमण ने प्रश्नकाल के दौरान कहा, "आरबीआई से प्राप्त वित्तीय विश्लेषण का क्षेत्र जानकारी के अनुसार, अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों ने पिछले पांच वित्तीय वर्षों के दौरान 10,09,511 करोड़ रुपये की राइट ऑफ कर दिया है। उन्होंने कहा कि बट्टे खाते में डाले गए ऋणों के कर्जदार पुनर्भुगतान के लिए उत्तरदायी बने रहेंगे और बट्टे खाते में डाले गए ऋण खातों में कर्जदारों से बकाये की वसूली की प्रक्रिया जारी है। सीतारमण ने कहा कि बैंकों ने उपलब्ध विभिन्न वसूली तंत्रों के माध्यम से बट्टे खाते में डाले गए खातों में शुरू की गई वसूली कार्रवाई को जारी रखा है। कार्रवाई में दीवानी अदालतों या ऋण वसूली न्यायाधिकरणों में मुकदमा दायर करना, वित्तीय संपत्तियों के प्रतिभूतिकरण और पुनर्निर्माण और सुरक्षा हित अधिनियम, 2002 के तहत कार्रवाई, दिवाला और दिवालियापन संहिता के तहत राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण के तहत मामले दर्ज करना आदि शामिल है। वित्त मंत्री ने इस दौरान यह भी स्वीकार किया कि छोटे जमाकर्ताओं के खराब ऋणों से पैसे वसूलने की प्रक्रिया बहुत जटिल और लंबी है और इसे सरल बनाने की जरूरत है
# वित्त मंत्री ने राज्यसभा में विनियोग विधेयक पेश किया
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को विनियोग (संख्या 5) विधेयक, 2022 और विनियोग (संख्या 4) विधेयक, 2022 राज्यसभा में पेश किया। यह विधेयक भारत की संचित निधि से और उसमें से कुछ और राशियों के भुगतान व विनियोग को अधिकृत करेगी। विनियोग विधेयक सरकार को वित्तीय वर्ष के दौरान व्यय को पूरा करने के लिए भारत की संचित निधि से धन निकालने की शक्ति देता है।
# रिजर्व बैंक ने बैंक ऑफ बहरीन एंड कुवैत बीएससी पर जुर्माना लगाया
इस बीच भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने साइबर सुरक्षा रूपरेखा पर निर्देशों का अनुपालन नहीं करने के लिए बैंक ऑफ बहरीन एंड कुवैत बीएससी के भारतीय परिचालन पर 2.66 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है। आरबीआई ने सोमवार को बयान में कहा कि बैंक अपने डेटाबेस में असामान्य और अनधिकृत, आंतरिक या बाहरी गतिविधियों का पता लगाने के लिए प्रणाली को लागू करने में विफल रहा है।
विस्तार
अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों ने पिछले पांच वित्त वर्षों में 10,09,511 करोड़ रुपये राइट ऑफ कर दिए हैं और कर्जदारों से बकाया वसूली की प्रक्रिया जारी है। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को लोकसभा को यह जानकारी दी। सीतारमण ने कहा कि राइट ऑफ किए गए कर्ज सहित एनपीए (नॉन परफॉर्मिंग एसेट) खातों में रिकवरी एक सतत प्रक्रिया है। उन्होंने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के आंकड़ों के अनुसार, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने पिछले पांच वित्तीय वर्षों के दौरान 4,80,111 करोड़ रुपये की ऋण वसूली की है, जिसमें राइट ऑफ किए गए ऋणों के 1,03,045 करोड़ रुपये भी शामिल हैं।
सीतारमण ने प्रश्नकाल के दौरान कहा, "आरबीआई से प्राप्त जानकारी के अनुसार, अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों ने पिछले पांच वित्तीय वर्षों के दौरान 10,09,511 करोड़ रुपये की राइट ऑफ कर दिया है। उन्होंने कहा कि बट्टे खाते में डाले गए ऋणों के कर्जदार पुनर्भुगतान के लिए उत्तरदायी बने रहेंगे और बट्टे खाते में डाले गए ऋण खातों में कर्जदारों से बकाये की वसूली की प्रक्रिया जारी है। सीतारमण ने कहा कि बैंकों ने उपलब्ध विभिन्न वसूली तंत्रों के माध्यम से बट्टे खाते में डाले गए खातों में शुरू की गई वसूली कार्रवाई को जारी रखा है। कार्रवाई में दीवानी अदालतों या ऋण वसूली न्यायाधिकरणों में मुकदमा दायर करना, वित्तीय संपत्तियों के प्रतिभूतिकरण और पुनर्निर्माण और सुरक्षा हित अधिनियम, 2002 के तहत कार्रवाई, दिवाला और दिवालियापन संहिता के तहत राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण के तहत मामले दर्ज करना आदि शामिल है। वित्त मंत्री ने इस दौरान यह भी स्वीकार किया कि छोटे जमाकर्ताओं के खराब ऋणों से पैसे वसूलने की प्रक्रिया बहुत जटिल और लंबी है और इसे सरल बनाने की जरूरत है
# वित्त मंत्री ने राज्यसभा में विनियोग विधेयक पेश किया
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को विनियोग (संख्या 5) विधेयक, 2022 और विनियोग (संख्या 4) विधेयक, 2022 राज्यसभा में पेश किया। यह विधेयक भारत की संचित निधि से और उसमें से कुछ और राशियों के भुगतान व विनियोग को अधिकृत करेगी। विनियोग विधेयक सरकार को वित्तीय वर्ष के दौरान व्यय को पूरा करने के लिए भारत की संचित निधि से धन निकालने की शक्ति देता है।
# रिजर्व बैंक ने बैंक ऑफ बहरीन एंड कुवैत बीएससी पर जुर्माना लगाया
इस बीच भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने साइबर सुरक्षा रूपरेखा पर निर्देशों का अनुपालन नहीं करने के लिए बैंक ऑफ बहरीन एंड कुवैत बीएससी के भारतीय परिचालन पर 2.66 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है। आरबीआई ने सोमवार को बयान में कहा कि बैंक अपने डेटाबेस में असामान्य और अनधिकृत, आंतरिक या बाहरी गतिविधियों का पता लगाने के लिए प्रणाली को लागू करने में विफल रहा है।
Nirmala Sitharaman: पांच वर्षों में 10 लाख करोड़ रुपये राइट ऑफ किए गए, लोकसभा में बोलीं वित्त मंत्री
Nirmala Sitharaman: सीतारमण ने प्रश्नकाल के दौरान कहा, "आरबीआई से प्राप्त जानकारी के अनुसार, अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों ने पिछले पांच वित्तीय वर्षों के दौरान 10,09,511 करोड़ रुपये की राइट ऑफ कर दिया है।
अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों ने पिछले पांच वित्त वर्षों में 10,09,511 करोड़ रुपये राइट ऑफ कर दिए हैं और कर्जदारों से बकाया वसूली की प्रक्रिया जारी है। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को लोकसभा को यह जानकारी दी। सीतारमण ने कहा कि राइट ऑफ किए गए कर्ज सहित एनपीए (नॉन परफॉर्मिंग एसेट) खातों में रिकवरी एक सतत प्रक्रिया है। उन्होंने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के आंकड़ों के अनुसार, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने पिछले पांच वित्तीय वर्षों के दौरान 4,80,111 करोड़ रुपये की ऋण वसूली की है, जिसमें राइट ऑफ किए गए ऋणों के 1,03,045 करोड़ रुपये भी शामिल हैं।
सीतारमण ने प्रश्नकाल के दौरान कहा, "आरबीआई से प्राप्त जानकारी के अनुसार, अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों ने पिछले पांच वित्तीय वर्षों के दौरान 10,09,511 करोड़ रुपये की राइट ऑफ कर दिया है। उन्होंने कहा कि बट्टे खाते में डाले गए ऋणों के कर्जदार पुनर्भुगतान के लिए उत्तरदायी बने रहेंगे और बट्टे खाते में डाले गए ऋण खातों में कर्जदारों से बकाये की वसूली की प्रक्रिया जारी है। सीतारमण ने कहा कि बैंकों ने उपलब्ध विभिन्न वसूली तंत्रों के माध्यम से बट्टे खाते में डाले गए खातों में शुरू की गई वसूली कार्रवाई को जारी रखा है। कार्रवाई में दीवानी अदालतों या ऋण वसूली न्यायाधिकरणों में मुकदमा दायर करना, वित्तीय संपत्तियों के प्रतिभूतिकरण और पुनर्निर्माण और सुरक्षा हित अधिनियम, 2002 के तहत कार्रवाई, दिवाला और दिवालियापन संहिता के तहत राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण के तहत मामले दर्ज करना आदि शामिल है। वित्त मंत्री ने इस दौरान यह भी स्वीकार किया कि छोटे जमाकर्ताओं के खराब ऋणों से पैसे वसूलने की प्रक्रिया बहुत जटिल और लंबी है और इसे सरल बनाने की जरूरत है
# वित्त मंत्री ने राज्यसभा में विनियोग विधेयक पेश किया
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को विनियोग (संख्या 5) विधेयक, 2022 और विनियोग (संख्या 4) विधेयक, 2022 राज्यसभा में पेश किया। यह विधेयक भारत की संचित निधि से और उसमें से कुछ और राशियों के भुगतान व विनियोग को अधिकृत करेगी। विनियोग विधेयक सरकार को वित्तीय वर्ष के दौरान व्यय को पूरा करने के लिए भारत की संचित निधि से धन निकालने की शक्ति देता है।
# रिजर्व बैंक ने बैंक ऑफ बहरीन एंड कुवैत बीएससी पर जुर्माना लगाया
इस बीच भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने साइबर सुरक्षा रूपरेखा पर निर्देशों का अनुपालन नहीं करने के लिए बैंक ऑफ बहरीन एंड कुवैत बीएससी के भारतीय परिचालन पर 2.66 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है। आरबीआई ने सोमवार को बयान में कहा कि बैंक अपने डेटाबेस में असामान्य और अनधिकृत, आंतरिक या बाहरी गतिविधियों का पता लगाने के लिए प्रणाली को लागू करने में विफल रहा है।
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अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों ने पिछले पांच वित्त वर्षों में 10,09,511 करोड़ रुपये राइट ऑफ कर दिए हैं और कर्जदारों से बकाया वसूली की प्रक्रिया जारी है। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को लोकसभा को यह जानकारी दी। सीतारमण ने कहा कि राइट ऑफ किए गए कर्ज सहित एनपीए (नॉन परफॉर्मिंग एसेट) खातों में रिकवरी एक सतत प्रक्रिया है। उन्होंने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के आंकड़ों के अनुसार, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने पिछले पांच वित्तीय वर्षों के दौरान 4,80,111 करोड़ रुपये की ऋण वसूली की है, जिसमें राइट ऑफ किए गए ऋणों के 1,03,045 करोड़ रुपये भी शामिल हैं।
सीतारमण ने प्रश्नकाल के दौरान कहा, "आरबीआई से प्राप्त जानकारी के अनुसार, अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों ने पिछले पांच वित्तीय वर्षों के दौरान 10,09,511 करोड़ रुपये की राइट ऑफ कर दिया है। उन्होंने कहा कि बट्टे खाते में डाले गए ऋणों के कर्जदार पुनर्भुगतान के लिए उत्तरदायी बने रहेंगे और बट्टे खाते में डाले गए ऋण खातों में कर्जदारों से बकाये की वसूली की प्रक्रिया जारी है। सीतारमण ने कहा कि बैंकों ने उपलब्ध विभिन्न वसूली तंत्रों के माध्यम से बट्टे खाते में डाले गए खातों में शुरू की गई वसूली कार्रवाई को जारी रखा है। कार्रवाई में दीवानी अदालतों या ऋण वसूली न्यायाधिकरणों में मुकदमा दायर करना, वित्तीय संपत्तियों के प्रतिभूतिकरण और पुनर्निर्माण और सुरक्षा हित अधिनियम, 2002 के तहत कार्रवाई, वित्तीय विश्लेषण का क्षेत्र दिवाला और दिवालियापन संहिता के तहत राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण के तहत मामले दर्ज करना आदि शामिल है। वित्त मंत्री ने इस दौरान यह भी स्वीकार किया कि छोटे जमाकर्ताओं के खराब ऋणों से पैसे वित्तीय विश्लेषण का क्षेत्र वसूलने की प्रक्रिया बहुत जटिल और लंबी है और इसे सरल बनाने की जरूरत है
# वित्त मंत्री ने राज्यसभा में विनियोग विधेयक पेश किया
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को विनियोग (संख्या 5) विधेयक, 2022 और विनियोग (संख्या 4) विधेयक, 2022 राज्यसभा में पेश किया। यह विधेयक भारत की संचित निधि से और उसमें से कुछ और राशियों के भुगतान व विनियोग को अधिकृत करेगी। विनियोग वित्तीय विश्लेषण का क्षेत्र विधेयक सरकार को वित्तीय वर्ष के दौरान व्यय को पूरा करने के लिए भारत की संचित निधि से धन निकालने की शक्ति देता है।
# रिजर्व बैंक ने बैंक ऑफ बहरीन एंड कुवैत बीएससी पर जुर्माना लगाया
इस बीच भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने साइबर सुरक्षा रूपरेखा पर निर्देशों का अनुपालन नहीं करने के लिए बैंक ऑफ बहरीन एंड कुवैत बीएससी के भारतीय परिचालन पर 2.66 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है। आरबीआई ने सोमवार को बयान में कहा कि बैंक अपने डेटाबेस में असामान्य और अनधिकृत, आंतरिक या बाहरी गतिविधियों का पता लगाने के लिए प्रणाली को लागू करने में विफल रहा वित्तीय विश्लेषण का क्षेत्र है।
RBI: अर्थव्यवस्था मजबूत, पर वैश्विक कारणों का पड़ सकता है असर, आरबीआई मुखिया ने क्रिप्टो पर फिर जताई चिंता
भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर देश की इकोनॉमी पर एक बार फिर अहम टिप्पणी की है। उन्होंने कहा है कि भारत की अंतर्निहित आर्थिक गतिविधियां मजबूत बनी हुई हैं, और आने वाले समय में भी इसके मजबूत बने रहने की संभावना है। हालांकि आरबीआई गवर्नर ने यह भी कहा है कि देश के बाहरी कारक अर्थव्यवस्था को कुछ नुकसान पहुंचा सकते हैं। इनमें जियो पॉलिटिकल तनाव और वैश्विक मंदी की आशंका शामिल हैं।
भारत के केंद्रीय बैंक के प्रमुख ने बुधवार को चेतावनी दी कि अगला वित्तीय संकट निजी क्षेत्र के क्रिप्टोकरेंसी से आएगा और उनका अभी भी मानना है कि क्रिप्टोकरेंसी को प्रतिबंधित किया जाना चाहिए। भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने यह भी कहा कि क्रिप्टोकरेंसी का कोई अंतर्निहित मूल्य नहीं है और व्यापक आर्थिक और वित्तीय स्थिरता के लिए जोखिम पैदा करता है।
BFSI समिट को संबोधित करते हुए आरबीआई गर्वनर ने कहा कि वित्तीय स्थिरता के क्रिप्टोकरेंसी बेहद खतरनाक है। आरबीआई गर्वनर पहले भी कह चुके हैं कि इससे देश की व्यापक आर्थिक ( Macro Economic) और वित्तीय स्थिरता ( Financial Stability) को गंभीर खतरा पैदा हो सकता है।
भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर देश की इकोनॉमी पर एक बार फिर अहम टिप्पणी की है। उन्होंने कहा है कि भारत की अंतर्निहित आर्थिक गतिविधियां मजबूत बनी हुई हैं, और आने वाले समय में भी इसके मजबूत बने रहने की संभावना है। हालांकि आरबीआई गवर्नर ने यह भी कहा है कि देश के बाहरी कारक अर्थव्यवस्था को कुछ नुकसान पहुंचा सकते हैं। इनमें जियो पॉलिटिकल तनाव और वैश्विक मंदी की आशंका शामिल हैं।
भारत के केंद्रीय बैंक के प्रमुख ने बुधवार को चेतावनी दी कि अगला वित्तीय संकट निजी क्षेत्र के क्रिप्टोकरेंसी से आएगा और उनका अभी भी मानना है कि क्रिप्टोकरेंसी को प्रतिबंधित किया जाना चाहिए। भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने यह भी कहा कि क्रिप्टोकरेंसी का कोई अंतर्निहित मूल्य नहीं है और व्यापक आर्थिक और वित्तीय स्थिरता के लिए जोखिम पैदा करता है।
BFSI समिट को संबोधित करते हुए आरबीआई गर्वनर ने कहा कि वित्तीय स्थिरता के क्रिप्टोकरेंसी बेहद खतरनाक है। आरबीआई गर्वनर पहले भी कह चुके हैं कि इससे देश की व्यापक आर्थिक ( Macro Economic) और वित्तीय स्थिरता ( Financial Stability) को गंभीर खतरा पैदा हो सकता है।
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