डिविडेंड वितरण कर को खत्म करने के पक्ष में

2016-2017 के लिए अपने पूर्व बजट के ज्ञापन में, राष्ट्रीय रियल एस्टेट विकास परिषद (एनएआरईडीसीओ) ने डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स को खत्म करने के लिए कहा है। रीयल इस्टेट इनवेस्टमेंट ट्रस्ट्स (आरईआईटी) मुख्य रूप से डीडीटी के कारण भारत में नहीं उतर पा रहे हैं। इसके अलावा, कराधान का यह डबल रूप भी विदेशों में कंपनियों द्वारा निवेश पर प्रतिबंध लगाता है। डीडीटी क्या है? डीडीटी के तहत, एक कंपनी पहले अपने मुनाफे पर कॉर्पोरेट टैक्स को 33 प्रतिशत पर भुगतान करती है। इसके बाद 16.9 प्रतिशत पर डीडीटी लगाया जाता है, जब मुनाफा उनके वास्तविक मालिकों को वितरित किया जाता है यानी शेयरधारक। इस कराधान के तहत शेयरधारकों या कंपनियों द्वारा कोई क्रेडिट या रिफंड का दावा नहीं किया जा सकता है। यह डबल कराधान कई कंपनियों को पर्याप्त लाभांश की घोषणा करने से रोकता है, जो शेयरधारकों के भाव को नुकसान पहुंचाते हैं इससे पहले, शेयरधारकों द्वारा प्राप्त लाभांश की आय शेयरधारक के हाथों कर योग्य थी, और कंपनी की नहीं। शेयरधारकों को इस आय पर कर का भुगतान 0-30 फीसदी के बीच अलग-अलग दर पर करना था। सैद्धांतिक रूप से, शेयरधारक के हाथ में लाभांश कर-मुक्त होता है और उसे उसी पर किसी भी टैक्स का भुगतान करने की आवश्यकता नहीं होती है। हालांकि, लाभांश पर व्यावहारिक रूप से कर काटा जा चुका है। इसलिए, शेयरधारक कीमत का भुगतान खत्म करते हैं। विभाजित बनाना भारत में कराधान संरचना प्रगतिशील है जो कि 0-30 फीसदी से भिन्न है। इसका मतलब है कि कम आय वाले लोगों के लिए कर दायित्व शून्य हो सकता है और उच्च आय वाले लोगों के लिए 30 प्रतिशत तक बढ़ सकता है। हालांकि, अगर आपकी कर दायित्व शून्य या आय का 10 प्रतिशत है, तो आपको 16 पर टैक्स का भुगतान किया जाएगा 9 प्रतिशत एक शेयरधारक के रूप में, आपको अतिरिक्त कर से अधिक धनवापसी या क्रेडिट का दावा करने की अनुमति नहीं है। दूसरी ओर, अच्छी तरह से बंद लोगों को लाभांश की आय में 30 प्रतिशत पर कर देने के लिए किया जाना चाहिए था क्योंकि उन्हें डीडीटी के तहत केवल 16.9 प्रतिशत पर चार्ज किया जाता है। विदेशी निवेश के लिए प्रमुख बाधा विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) भारतीय बाजारों में पैसा पम्पिंग कर रहे हैं लेकिन डीडीटी ने उन्हें अपनी वास्तविक क्षमता को उकसाने से रोक दिया है। उदाहरण के लिए: एक्स, जो सिंगापुर से बाहर है, भारत में एक कंपनी में निवेश किया और लाभांश प्राप्त किया। एक्स भारत में लाभांश की आय पर कर का भुगतान कर सकता था और अपने घर में कर के लिए क्रेडिट का दावा कर सकता था हालांकि, इस टैक्स क्रेडिट का दावा केवल एक्स द्वारा किया जा सकता है, अगर वह सिंगापुर में कर अधिकारियों डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स क्या होता है? को संतुष्ट कर सकता है कि भारत में टैक्स का भुगतान किया गया है। चूंकि एक्स में डीडीटी के भुगतान की कोई रसीद नहीं है, वह अपने घर देश में टैक्स क्रेडिट का दावा करने में सक्षम नहीं होगा। चूंकि डीडीटी को सीधे भारत में कंपनी द्वारा भुगतान किया जाता है, एफआईआई या किसी अन्य विदेशी निवेशक के पास यहां भुगतान किए गए टैक्स का कोई सबूत नहीं है। इसके बाद, उन्हें फिर से अपने गृह देश में लाभांश आय पर कर का भुगतान करना पड़ता है। यह विसंगति उन्हें भारतीय बाजारों में निवेश करने से बचाता है। डीडीटी का निष्कासन निवेशकों का आत्मविश्वास बढ़ेगा और आरईआईटी जैसे महत्वाकांक्षी योजनाओं को सफल होगा। न केवल अचल संपत्ति क्षेत्र बल्कि पूरे व्यापारिक समुदाय को भी डीडीटी के उन्मूलन से लाभ होगा।

कंपनियों पर लाभांश वितरण कर समाप्त, लाभांश पाने वाले पर लगेगा कर

नयी दिल्ली, एक फरवरी (भाषा) सरकार ने शुक्रवार को कंपनियों पर लाभांश वितरण कर हटाने का प्रस्ताव किया। इससे अब लाभांश पर कर लाभांश प्राप्तकर्ता के हाथ में पहुंचने पर लगेगा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने केंद्रीय बजट पेश करते हुए कहा कि प्रस्ताव से भारत निवेश के लिये और आकर्षक स्थल बनेगा। उन्होंने कहा, ‘‘यह एक और महत्वपूर्ण साहसिक कदम है जिससे भारत निवेश के लिये आकर्षक गंतव्य बनेगा।’’ वित्त मंत्री के अनुसार हालांकि इससे 25,000 करोड़ रुपये का राजस्व नुकसान होगा। फिलहाल कंपनियों को शेयरधारकों को दिये जाने वाले लाभांश भुगतान पर 15 प्रतिशत की दर से लाभांश

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नया डिविडेंड डिस्ट्रिब्यूशन टैक्स नियम कंपनियों के लिए नुकसानदेह

डायरेक्ट टैक्स में डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स क्या होता है? होने वाले चेंज से कंपनियों को इनवेस्टमेंट के लिए ज्यादा पैसा मिलेगा जिससे.

अगर कंपनी शेयरहोल्डर्स को 85 रुपये डिविडेंड देना चाहती है तो 15 पर्सेंट डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स के हिसाब से उसको डिविडेंड की रकम के हिसाब से रिवर्स कैलकुलेशन करना होगा। मतलब, अब 100 रुपये के ग्रॉस डिविडेंड पर 15 पर्सेंट टैक्स लगेगा जिससे शेयरहोल्डर्स को 85 रुपये मिल पाएंगे। पहले 15 पर्सेंट का डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स उस 85 रुपये के डिविडेंड के बेसिस पर कैलकुलेट किया जाता था, जिसे कंपनी शेयरहोल्डर्स को बांटना चाहती थी। इससे पहले जो 1275 रुपये का डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स सरकार को मिलता था वह अब 15 रुपये हो जाएगा।

एकाउंटेंट्स और एनालिस्ट्स के मुताबिक, इससे डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स एक तरह से 3 पर्सेंट बढ़ जाएगा। लेकिन कुछ लोगों का कहना है कि नेट टर्म में शेयरहोल्डर्स अब भी बेहतर स्थिति में हैं। अर्न्स्ट एंड यंग में टैक्स पार्टनर सुनील कपाड़िया कहते हैं, 'मुझे नहीं लगता कि खर्च बहुत ज्यादा हो जाएगा। हर शेयरहोल्डर के लिए यह प्लस होगा, खासतौर पर तब जब उसको टैक्स पेमेंट करना होगा।'

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डिविडेंड डिस्ट्रिब्यूशन टैक्स पर हो सकता है बजट में ऐलान, क्या होगा इसका असर

टाइम्स नाउ डिजिटल

Dividend Distribution Tax: आगामी आम बजट में सरकार डिविडेंड डिस्ट्रिब्यूशन टैक्स पर बड़ी घोषणा कर सकती है। इस टैक्स को हटाया जा सकता है। जानिए इसके बारे में खास बातें।

DDT, Budget 2020-21

नई दिल्ली: बजट 2020-21 पेश होने में कुछ वक्त ही शेष रह गया है। इस बजट से पहले तमाम तरह की राहतों के कयास लगाए जा रहे हैं। चर्चा है कि सरकार इस बजट में निवेशों को आकर्षित करने के लिए डिविडेंड डिस्ट्रिब्यूशन टैक्स को खत्म कर सकती है। डायरेक्ट टैक्स कोड पर बनी टास्क फोर्स ने भी डिविडेंड डिस्ट्रिब्यूशन टैक्स खत्म करने की सिफारिश की है। टास्क फोर्स का मानना है कि इससे निवेश बढ़ेगा।

क्या होता है डिविडेंड डिस्ट्रिब्यूशन टैक्स?

डिविडेंड उस राशि को कहते हैं तो कंपनी फायदा होने पर अपने शेयरहोल्डर्स को देती है। शेयर होल्डर्स को कंपनी की ओर से मिलने वाले डिविडेंड पर लगने वाले टैक्स को डिविडेंड डिस्ट्रिब्यूशन टैक्स कहा जाता है। फाइनेंस एक्स 1977 के तहत डीडीटी का प्रावधान शुरू हुआ था। ये टैक्स सिर्फ घरेलू कंपनियों पर लगता है।

डिविडेंड डिस्ट्रिब्यूशन टैक्स हटाने से अर्थव्यवस्था पर क्या प्रभाव पड़ेगा?

पिछले साल सरकार ने कॉर्पोरेट टैक्स में कटौती का ऐलान किया था। उस वक्त डीडीटी को हटाने की मांग भी कई गई थी। यदि सरकार आगामी बजट में इस टैक्स को खत्म करती है तो इससे शेयर बाजार में सुधार होगा। साथ ही कंपनियों को ज्यादा निवेश करने में मदद मिलेगी। इस कदम से विदेशी निवेशकों के लिए भारतीय कंपनियों के शेयर आकर्षक होंगे और इससे एफडीआई बढ़ेगी।

बता दें कि डीडीटी म्यूचुअल फंड स्कीम पर भी लागू होता है। म्यूचुअल फंड की स्कीमों पर डिविडेंड निवेशकों के लिए टैक्स फ्री होता है। इक्विटी आधारित म्यूचुअल फंड के लिए डीडीटी 10 फीसदी होता है, जबकि डेट आधारित फंड के लिए इंडिविजुअल मामले में 25 फीसदी और कंपनी के मामले में 30 फीसदी होता है।

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एलआईसी का आईपीओ लाने से पारदर्शिता बढ़ेगी, इनकम टैक्स जमा करने के लिए स्लैब चुन सकेंगे

नई दिल्ली. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के सबसे लंबे बजट भाषण में आम आदमी के लिए बचत और निवेश को लेकर किसी बड़ी योजना का ऐलान तो नहीं किया गया, लेकिन 4 प्रस्ताव आपके पैसे के लिहाज से अहम हो सकते हैं। सबसे ज्यादा राहत इनकम टैक्स के स्लैब बदलने से मिल सकती है, लेकिन इसमें भी कई शर्तें लागू कर दी गई हैं। सरकार ने बचत खाते में जमा 5 लाख रुपए तक की रकम का बीमा कराने की बात कही है। दूसरी तरफ, जीवन बीमा निगम (एलआईसी) का विनिवेश करने का प्रस्ताव भी रखा। सरकार डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स क्या होता है? इसके लिए आईपीओ लाएगी। वहीं, शेयर बाजार में निवेश करने वाले लोगों पर डिविडेंड डिडक्शन टैक्स में बदलाव से असर पड़ सकता है।

आपके पैसे पर बजट का कितना असर: भास्कर के सवाल और सीए कार्तिक गुप्ता के जवाब

1. बजट में निवेश और बचत में आम आदमी को क्या मिला?
बजट में आम आदमी की बचत और निवेश को लेकर ज्यादा कुछ नहीं कहा गया। किसी तरह की बड़ी योजना का ऐलान नहीं किया गया। मोदी के पहले कार्यकाल में सुकन्या समृद्धि योजना के जरिए बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ पर बल दिया गया था। इस बार ऐसा कुछ नहीं है।

एक्सपर्ट ओपिनियन: आम आदमी को बहुत कुछ नहीं मिला। बैंक में रखी रकम पर 5 लाख की गारंटी मिली है, लेकिन उसमें भी कई शर्तें लगाई गई हैं।

2. एलआईसी का आईपीओ लाने का क्या मतलब है? क्या इससे पॉलिसी लेने वालों का जोखिम बढ़ेगा? इससे क्या फायदा-नुकसान होगा?
सरकारी कंपनी जीवन बीमा निगम (एलआईसी) में सरकार अपनी हिस्सेदारी बेचना चाहती है। इसके लिए सीधे आईपीओ लाने की बात कही गई है। इसका मतलब है कि एलआईसी के शेयरों की बिक्री की जाएगी। ऐसे में इस सरकारी बीमा कंपनी में आम शेयरधारकों की भी हिस्सेदारी हो जाएगी। हालांकि सरकार ने खुलासा नहीं किया है कि स्वामित्व का कितना फीसदी हिस्सा बेचा जाएगा।

एक्सपर्ट ओपिनियन: पॉलिसी लेने वालों को फायदा होगा। जब आईपीओ आएगा तो जनता का पैसा उसमें लगेगा। डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स क्या होता है? इससे कंपनी का फंड बढ़ेगा। एलआईसी का दायरा और ग्रोथ भी बढ़ेगी। जो पहले से ली गई पॉलिसी हैं, उनमें कोई बदलाव नहीं होगा। कंपनी की लिक्विडिटी बढ़ेगी। कंपनी शेयर मार्केट में लिस्ट हो जाएगी। मार्केट रेगुलेटर की उस पर नजर रहेगी। एलआईसी को हर 3 महीने में रिपोर्ट में अपनी स्थिति बतानी होगी। इससे कामकाज में पारदर्शिता बढ़ेगी।

3. डिविडेंड डिडक्शन टैक्स (डीडीटी) में बदलाव का क्या मतलब है? क्या शेयरहोल्डर को मिलने वाले डिविडेंड पर 2 बार टैक्स देना पड़ सकता है?
किसी भी कंपनी के शेयर खरीदने वाले निवेशकों को कंपनी अपने फायदे का एक हिस्सा देती है। इसे लाभांश या डिविडेंड कहा जाता है। अब तक डिविडेंड जारी करने वाली कंपनी को इसे अपने मुनाफे का हिस्सा मानते हुए 15% टैक्स चुकाना पड़ता था। इस पर सरचार्ज और सेस भी लागू होता था। इससे निवेशक को मिलने वाली रकम कम हो जाती थी। अब सरकार ने टैक्स भरने की जिम्मेदारी कंपनी के बजाय शेयरधारक पर डाल दी है।

एक्सपर्ट ओपिनियन: इसे दो बातों से समझा सकता है:
1- पहले किसी कंपनी को अपनी कुल आय पर कॉर्पोरेट टैक्स देना पड़ता था। इसके बाद जब कंपनी शेयर होल्डर को डिविडेंड देती थी, तो उसे डिविडेंड डिडक्शन टैक्स भी चुकाना पड़ता था। इस तरह कंपनी को दो बार टैक्स अदा करना पड़ता था।
2- बजट में कंपनी को इस टैक्स से मुक्त कर दिया गया है। अब शेयरहोल्डर को अपनी कुल आय के स्लैब के हिसाब से टैक्स चुकाना होगा।

ऐसे समझें: अगर शेयरहोल्डर को मिलने वाला डिविडेंड उसकी कुल आय में जुड़ने के बाद भी 5 लाख से कम है, तो टैक्स नहीं देना पड़ेगा।

4. सेविंग्स अकाउंट में जमा 5 लाख रुपए तक की रकम सुरक्षित होने की बात कही गई है। इसका क्या मतलब है और मल्टीपल खातों के लिए नियम में बदलाव होगा या नहीं?
वित्त मंत्री ने डिपॉजिट इन्श्योरेंस (डीआई) की सीमा बढ़ाकर 5 लाख रुपए करने का प्रस्ताव रखा। हाल ही में पीएमसी बैंक के मामले के बाद, हजारों खाताधारकों की रकम फंस गई थी। तब मौजूदा नियमों के लिहाज से किसी भी खाताधारक की कुल 1 लाख रुपए तक की रकम सुरक्षित थी। अब एक खाताधारक की कुल 5 लाख रुपए की रकम (एक बैंक में खोले गए सभी खातों को मिलाकर) सुरक्षित रहेगी।

एक्सपर्ट ओपिनियन: बैंक के डूबने पर एक अकाउंट होल्डर को 5 लाख रुपए मिलेंगे। अगर किसी के एक से ज्यादा अकाउंट हैं, तब भी सभी खातों में जमा कुल 5 लाख रुपए की रकम ही सुरक्षित रहेगी। जैसे, रमेश के एक ही बैंक में एक से ज्यादा सेविंग्स अकाउंट होने पर बैंक के फेल होने पर उसे कुल 5 लाख रुपए ही मिलेंगे।

5. इनकम टैक्स के स्लैब में अब दो ऑप्शन हो गए हैं। कौन सा स्लैब किस स्थिति में फायदेमंद हो सकती है? इसमें 80सी और होम लोन जैसे क्लॉज लागू होंगे या नहीं?
आयकर के मौजूदा नियमों के मुताबिक अलग-अलग आयवर्ग में टैक्स की दरें भी अलग-अलग रखी गई हैं। बजट में करदाताओं के सामने अब एक नया विकल्प भी मौजूद रहेगा। हालांकि, नए विकल्प में टैक्स में छूट के प्रावधानों को सीमित कर दिया गया है।

एक्सपर्ट ओपिनियन: यह इस बात पर निर्भर करता है कि डिडक्शन कितना क्लेम किया जा रहा है। यानी करदाता ने वित्तीय वर्ष में कितना निवेश किया है। जो सभी डिडक्शन क्लेम कर रहा है उसको पुरानी स्कीम में ज्यादा फायदा मिलेगा, क्योंकि उसके पास छूट के अलग-अलग विकल्प मौजूद हैं। अगर करदाता डिडक्शन के सभी या आंशिक फायदे नहीं ले रहा है, तो फिर दोनों स्कीम में टैक्स को कम्पेयर करने के बाद जिसमें फायदा होता हो, उसे फॉलो किया जा सकता है।

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