3. कपड़ा उद्योग: भारतीय निर्यातकों को बांग्लादेश जैसे मुल्कों से मुकाबले के लिए लागत के मामले में बढ़त मिल जाती है. ज्यादातर कच्चा माल यहीं मिल जाता है. चीन, इंडोनेशिया और बांग्लादेश से भारत भी सिलेसिलाए और दूसरे कपड़े आयात करता है.

डेली अपडेट्स

RBI, रुपए का अंतर्राष्ट्रीयकरण, मौद्रिक नीति

रुपए विदेशी मुद्रा विकल्पों के लाभ का अंतर्राष्ट्रीयकरण और संबंधित मुद्दे, विकास

हाल ही में भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के डिप्टी गवर्नर ने रुपए के अंतर्राष्ट्रीयकरण के लाभों और ज़ोखिमों को रेखांकित किया।

रुपए का अंतर्राष्ट्रीयकरण:

  • रुपए का अंतर्राष्ट्रीयकरण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके अंतर्गत सीमा पार लेन-देन में स्थानीय मुद्रा के उपयोग को बढ़ावा देना शामिल है।
  • इसमें आयात और निर्यात व्यापार के लिये रुपए को बढ़ावा देना और अन्य चालू खाता लेन-देन के साथ-साथ पूंजी खाता लेन-देन में इसके उपयोग को प्रोत्साहित किया जाना शामिल है।
    • जहाँ तक रुपए का सवाल है, यह पूंजी खाते में आंशिक रूप से जबकि चालू खाते में पूरी तरह से परिवर्तनीय है।
    • चालू और पूंजी खाताभुगतान संतुलनके दो घटक हैं। पूंजी खाते में ऋण एवं निवेश के माध्यम से पूंजी की सीमा पार आवाजाही होती है तथा चालू खाता मुख्य रूप से वस्तुओं व सेवाओं के आयात और निर्यात से संबंधित होता है।
    • डॉलर का वैश्विक विदेशी मुद्रा बाज़ार के कारोबार में 88.3% हिस्सा है, इसके बाद यूरो, जापानी येन और पाउंड स्टर्लिंग का स्थान आता है; चूँकि रुपए की हिस्सेदारी मात्र 1.7% है, अतः यह स्पष्ट है कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मुद्रा को बढ़ावा देने के लिये इस दिशा में अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है।
    • डॉलर, जो कि एक अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा है, 'अत्यधिक' विशेषाधिकारों के अंतर्गत भुगतान संतुलन संकट से प्रतिरक्षा प्रदान करता है क्योंकि संयुक्त राज्य अमेरिका अपने विदेशी घाटे को अपनी मुद्रा के साथ कवर कर सकता है।

    रुपए के अंतर्राष्ट्रीयकरण के विभिन्न लाभ:

    • सीमा पार लेनदेन में रुपए का उपयोग भारतीय व्यापार के लिये मुद्रा जोखिम को कम करता है। मुद्रा की अस्थिरता से सुरक्षा न केवल व्यापार की लागत को कम करती है, बल्कि यह व्यापार के बेहतर विकास को भी सक्षम बनाती है, जिससे भारतीय व्यापार के विश्व स्तर पर बढ़ने की संभावना में सुधार होता है।
    • यह विदेशी मुद्रा भंडार रखने की आवश्यकता को कम करता है। जबकि भंडार विनिमय दर की अस्थिरता को प्रबंधित करने और बाहरी स्थिरता को बनाए रखने में मदद करता है, यह अर्थव्यवस्था पर एक लागत आरोपित करता हैं।
    • विदेशी मुद्रा पर निर्भरता को कम करने से भारत बाहरी जोखिमों के प्रति कम संवेदनशील हो जाता है। उदाहरण के लिए, अमेरिका में मौद्रिक नीति सख्त होने और डॉलर को मज़बूत करने के चरणों के दौरान, घरेलू व्यापार की अत्यधिक विदेशी मुद्रा देनदारियों के परिणामस्वरूप वास्तविक घरेलू अर्थव्यवस्था मज़बूत होती है। मुद्रा जोखिम के कम होने से पूंजी प्रवाह के उत्क्रमण को काफी विदेशी मुद्रा विकल्पों के लाभ हद तक कम किया जा सकेगा।
    • जैसे-जैसे रुपए का उपयोग महत्त्वपूर्ण होता जाएगा, भारतीय व्यापार की सौदेबाज़ी की शक्ति भारतीय अर्थव्यवस्था को मज़बूत करने, भारत के वैश्विक कद और सम्मान को बढ़ाने में मदद करेगी।

    रुपए के अंतर्राष्ट्रीयकरण के लिये उठाए गए कदम:

    • जुलाई 2022 में RBI ने रुपए में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार प्रोत्साहन प्रणालीशुरु की।
    • रुपए में बाह्य वाणिज्यिक उधार की सुविधा प्रदान करना (विशेषकर मसाला बांड के संदर्भ में)।
    • एशियाई क्लीयरिंग यूनियन, सेटलमेंट के लिये घरेलू मुद्राओं का उपयोग करने की एक योजना के लिये प्रयासरत है। यह एक ऐसी व्यवस्था है जिसमें द्विपक्षीय या व्यापारिक संदर्भ में प्रत्येक देश के विदेशी मुद्रा विकल्पों के लाभ आयातकों को घरेलू मुद्रा में भुगतान करने का विकल्प होता है, सभी देशों के इसके पक्ष में होने की संभावना के चलते यह महत्त्वपूर्ण है।
    • रुपए में भुगतान की हालिया पहल एक अलग वैश्विक आवश्यकता और व्यवस्था से संबंधित है लेकिन वास्तविक अंतर्राष्ट्रीयकरण तथा विदेशों में रुपए के व्यापक उपयोग के लिये केवल रुपए में व्यापार समझौता करना पर्याप्त नहीं होगा। भारत व विदेशी बाजारों दोनों में विभिन्न वित्तीय साधनों के संदर्भ में रुपए के और उदारीकृत भुगतान एवं निपटान को अपनाना अधिक महत्त्वपूर्ण है।
    • रुपए के अंतर्राष्ट्रीयकरण के लिये एक कुशल स्वैप बाज़ार और एक मज़बूत विदेशी मुद्रा बाज़ार की भी आवश्यकता हो सकती है।
    • समग्र आर्थिक बुनियादी आयामों में सुधार और वित्तीय क्षेत्र की मज़बूती के साथ सॉवरेन रेटिंग में वृद्धि से भी रुपए की स्वीकार्यता को मज़बूती मिलेगी जिससे इस मुद्रा के अंतर्राष्ट्रीयकरण को बढ़ावा मिलेगा।

    रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले लगभग अपरिवर्तित रहा

    विदेशी धन की सतत निकासी और भू-राजनीतिक चिंताओं ने बाजार में जोखिम उठाने की क्षमता पर असर डाला है, जिससे निवेशक निवेश के सुरक्षित विकल्पों की ओर रुख कर रहे हैं।

    अंतर-बैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 76.34 पर खुला और निवेशकों द्वारा जोखिम वाली संपत्ति से दूरी बनाने के कारण दिन के कारोबार में कमजोर बना रहा। इस दौरान घरेलू मुद्रा ने 76.27 के ऊपरी और 76.72 के निचले स्तर को देखा।

    कारोबार के अंत में रुपया डॉलर के मुकाबले 76.44 पर बंद हुआ, जो पिछले बंद भाव के मुकाबले महज एक पैसे की कमजोरी दर्शाता है। रुपया बृहस्पतिवार को 19 पैसे की तेजी के साथ 76.43 पर बंद हुआ था।

    एचडीएफसी सिक्योरिटीज के शोध विश्लेषक दिलीप परमार ने कहा, ‘‘तेल आयातकों और सरकारी बिजली कंपनियों की डॉलर मांग के बीच रुपये में गिरावट आई। अमेरिका में मजबूत आर्थिक आंकड़ों के बाद प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले डॉलर के मजबूत होने से भी स्थानीय मुद्रा प्रभावित हुई।’’

    Dollar vs Currency: गिरता रुपया सिक्के के दो पहलू जैसा, 6 नुकसान तो ये 4 फायदे भी

    फायदे का सौदा भी साबित हो सकता है गिरता रुपया

    aajtak.in

    • नई दिल्ली,
    • 25 जुलाई 2022,
    • (अपडेटेड 25 जुलाई 2022, 5:39 PM IST)
    • दवाई उद्योग के सेक्टर को होगा फायदा
    • तेल और गैस की कीमतों पर पड़ेगा असर

    डॉलर (Dollar) के मुकाबले लगातार गिरते रुपये (Rupee) को बचाने के लिए भारत (India) अपने विदेशी मुद्रा भंडार (India Forex Reserves) से खर्च कर रहा है. विदेशी निवेशक भारत से अमेरिका भाग रहे हैं. जहां के केंद्रीय बैंक ने दरें बढ़ा दी हैं. व्यापार संतुलन के पलड़े पर भी भारत को नुकसान उठाना पड़ रहा है. अर्थशास्त्रियों का मानना है कि 80 वह कगार है, जहां से रुपये का लुढ़कना बेकाबू हो सकता है. इससे सरकारी वित्त और कारोबारी योजनाओं में भारी रुकावटें पैदा हो जाएंगी.

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    1. ऑटोः करीब 10-20 फीसदी कल-पुर्जों और दूसरे पार्ट्स का आयात होने के कारण कारें महंगी हो सकती हैं. यह असर कंपनी के निर्यात और आयात वाले मार्केट पर निर्भर करेगा.

    2. टेलीकॉम: इस उद्योग के विभिन्न पुर्जों का बड़ा आयातक होने के नाते अनुमान है कि भारत में कमजोर रुपया कंपनियों की लागत पूंजी को 5 फीसदी तक बढ़ सकता है. इस वजह वो टैरिफ बढ़ाने को मजबूर हो जाएंगी.

    3. कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स: इस कारोबार में आयातित वस्तुएं कुल लागत का 40-60 फीसदी के करीब बैठती हैं. कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स एंड अप्लाएंसेज निर्माताओं के मुताबिक, इस उद्योग की वस्तुओं की कीमतों में 4-5 फीसदी तक का इजाफा हो सकता है.

    4. सौर ऊर्जा: भारत के सौर ऊर्जा संयंत्र सोलर सेल और मॉड्यूल्स का आयात करते हैं. डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत में प्रति एक रुपये की गिरावट पर सौर ऊर्जा की लागत का खर्च 2 पैसे प्रति यूनिट बढ़ जाएगा.

    रुपए के अंतर्राष्ट्रीयकरण के लिये उठाए गए कदम:

    • जुलाई 2022 में RBI ने रुपए में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार प्रोत्साहन प्रणालीशुरु की।
    • रुपए में बाह्य वाणिज्यिक उधार की सुविधा प्रदान करना (विशेषकर मसाला बांड के संदर्भ में)।
    • एशियाई क्लीयरिंग यूनियन, विदेशी मुद्रा विकल्पों के लाभ सेटलमेंट के लिये घरेलू मुद्राओं का उपयोग करने की एक योजना के लिये प्रयासरत है। यह एक ऐसी व्यवस्था है जिसमें द्विपक्षीय या व्यापारिक संदर्भ में प्रत्येक देश के आयातकों को घरेलू मुद्रा में भुगतान करने का विकल्प होता है, सभी देशों के इसके पक्ष में होने की संभावना के चलते यह महत्त्वपूर्ण विदेशी मुद्रा विकल्पों के लाभ है।
    • रुपए में भुगतान की हालिया पहल एक अलग वैश्विक आवश्यकता और व्यवस्था से संबंधित है लेकिन वास्तविक अंतर्राष्ट्रीयकरण तथा विदेशों में रुपए के व्यापक उपयोग के लिये केवल रुपए में व्यापार समझौता करना पर्याप्त नहीं होगा। भारत व विदेशी बाजारों दोनों में विभिन्न वित्तीय साधनों के संदर्भ में रुपए के और उदारीकृत भुगतान एवं निपटान को अपनाना अधिक महत्त्वपूर्ण है।
    • रुपए के अंतर्राष्ट्रीयकरण के लिये एक कुशल स्वैप बाज़ार और एक मज़बूत विदेशी मुद्रा बाज़ार की भी आवश्यकता हो सकती है।
    • समग्र आर्थिक बुनियादी आयामों में सुधार और वित्तीय क्षेत्र की मज़बूती के साथ सॉवरेन रेटिंग में वृद्धि से भी रुपए की स्वीकार्यता को मज़बूती मिलेगी जिससे इस मुद्रा के अंतर्राष्ट्रीयकरण को बढ़ावा मिलेगा।

    विगत वर्षों के प्रश्न

    प्र. रुपए की परिवर्तनीयता से क्या तात्पर्य है? (2015)

    (a) रुपए के नोटों के बदले सोना प्राप्त करना
    (b) रुपए के मूल्य को बाज़ार की शक्तियों द्वारा निर्धारित होने देना
    (c) रुपए को अन्य मुद्राओं में और अन्य मुद्राओं को रुपए में परिवर्तित करने की स्वतंत्र रूप से अनुज्ञा प्रदान करना
    (d) भारत में मुद्राओं के लिये अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार विकसित करना

    प्र.भुगतान संतुलन के संदर्भ में निम्नलिखित में से किससे/किनसे चालू खाता बनता है? (2014)

    1. व्यापार संतुलन
    2. विदेशी परिसंपत्तियाँ
    3. अदृश्यों का संतुलन
    4. विशेष आहरण अधिकार

    नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

    (a) केवल 1
    (b) केवल 2 और 3
    (c) केवल 1 और 3
    (d) केवल 1, 2 और 4<

    विदेश में पढ़ाई के लिए रुपए में लोन लेना बेहतर विकल्प हो सकता है

    प्रतिभाशाली भारतीयों का आज सपना है कि वे भारत या दुनिया के किसी बेहतर इंस्टीट्यूट से उच्च शिक्षा हासिल करें। लेकिन उच्च शिक्ष का बढ़ता खर्च लोगों के बूते से बाहर हो रहा है। ऐसे में एजुकेशन लोन उन योग्य स्टूडेंट्स के लिए ऐसा विकल्प है जो उन्हें पसंद के इंस्टीट्यूट से उच्च शिक्षा हासिल करने में आर्थिक मदद मुहैया करा सकता है।

    बैंक चार लाख रुपए तक के लोन पर कोई मार्जिन मनी लेते हैं। लेकिन इससे अधिक राशि के लोन के लिए भारत में पढ़ाई करने पर बैंक 5% और विदेश में 15% मार्जिन मनी लेते हैं। मार्जिन मनो वह रकम होती है, जो आवेदक को डाउन पेमेंट के तौर पर देनी पड़ती है। जहाँ तक एचडीएफसी क्रेडिला की बात है यह कोइ एजुकेशन लोन पर किसी तरह की मार्जिन मनी नहीं लेती है। यह ट्युशन फीस के अलावा रहने के खर्च, यात्रा आदि के पूरे खर्च के लिए एजुकेशन लोन दैती है। इसके अलावा, धारा 80-ईं के तहत एजुकेशन लोन पर आकर्षक टैक्स बेनिफिट उपलब्ध हैं। इसमें ब्याज राशि पर टैक्स छूट की कोई ऊपरी सीमा नहीं है। आवेदक या सह-कर्जधारक इस आयकर छूट का लाभ उठा सकते हैं।

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