Stop Loss

What is Stop Loss in Hindi – स्टॉप लोस क्या होता है स्टॉप लोस कहाँ तथा कैसे लगायें

What is Stop Loss in Hindi – स्टॉप लोस क्या होता है स्टॉप लोस कहाँ तथा कैसे लगायें : अक्सर निवेशक शेयर बाज़ार (Share Market) में ट्रेडिंग करते समय एक छोटी सी गलती के कारण अपने पैसे गवा देते हैं। जिससे उन्हें लॉस हो जाता है।ऐसे में स्टॉप लॉस (Stop Loss) एक सुरक्षा कवच की तरह काम करती है।

स्टॉप लॉस (Stop Loss) निवेशकों को उतार-चढ़ाव (volatility) के नुकसान से बचाता है। तो चलिए दोस्तों इस आर्टिकल के माध्यम से हम जानते हैं कि स्टॉप लॉस क्या है (What is Stop Loss in Hindi) और यह किस तरीके से काम करता है।

स्टॉप लोस क्या स्टॉप लॉस के नुकसान क्या हैं स्टॉप लॉस के नुकसान क्या हैं होता है – What is Stop Loss in Hindi

शेयर बाज़ार में जब ट्रेडर्स ट्रेडिंग करते हैं, तो उनमें होने वाले उतार-चढ़ाव के नुकसान से स्टॉप लॉस (Stop Loss) बचाता है। शेयर बाज़ार में ट्रेडिंग करते समय परिस्थितियों कुछ भी हो सकती है। इसमें जितना लाभ कमाने की संभावना होती है ठीक उतना ही नुकसान होने का चांस रहता है।

इसी नुकसान को कम करने के लिए स्टॉप लॉस (Stop Loss) काम करता है और ट्रेडिंग के दौरान जब आप स्टॉप लॉस (Stop Loss) का उपयोग करते हैं। तो यह आपके रिक्स लेने की क्षमता को बताता है।

स्टॉप लॉस किस तरीके से काम करता है – How to Put Stop Loss in Hindi

  1. मान लीजिए आप कोई 200 रुपए का शेयर किसी भी ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म से खरीदते हैं और उस शेयर को 230 रुपए के प्राइस पर बेचना चाहते हैं।
  2. लेकिन शेयर बाज़ार में होने वाले ज्यादा उतार-चढ़ाव (volatility) के कारण आप उस शेयर पर केवल 5 रुपये का रिक्स ले सकते हैं। तो उसके लिए स्टॉप लॉस (Stop Loss) 195 रुपये पर लगाना होगा।
  3. स्टॉप लॉस लगाने के लिए उस शेयर के Exit या sell के ऑप्शन पर क्लिक करना होगा। जिसके बाद स्टॉप लॉस (Stop Loss) का ऑप्शन दिखाई देगा।
  4. मार्केट ऑर्डर और स्टॉप लॉस के साथ आपको वहाँ ट्रिगर प्राइस (trigger price) में जाकर 195 रुपया भरना होगा। इसके उपरांत आर्डर पैलेस कर दें।
  5. अब जब भी शेयर का प्राइस गिरने लगेगा तो ट्रिगर प्राइस को टच करते ही 195 रुपये पर स्टॉप लॉस (Stop Loss) लगाए जाने के वजह से ऑटोमेटिक सेल ऑर्डर लग जाएगा।

स्टॉप लॉस के प्रकार – Types of Stop Loss in Hindi

स्टॉप लॉस मुख्य रूप से 2 टाइप स्टॉप लॉस के नुकसान क्या हैं के होते हैं। पहला स्टॉप लॉस ऑर्डर (SL) जिसमें ट्रेडर्स निकासी मूल्य को तय करता है। और दूसरा स्टॉप लॉस मार्केट (SL-M) जिसमें ट्रेडर्स सिर्फ ट्रिगर मूल्य को निर्धारित करता है।

स्टॉप लॉस लगाने के फायदे – What are the Benefits of Putting a Stop Loss in Hindi

Benefits of Stop Loss in Hindi

  1. इसका इस्तेमाल करने पर हमें कोई भी एक्स्ट्रा चार्ज पे नहीं करना पड़ता।
  2. हमारे होने वाले नुकसान को सीमित कर देता है।
  3. ट्रेडिंग करते समय स्टॉप लॉस (Stop Loss) लगाने से बार-बार स्टॉक की निगरानी नहीं करनी पड़ती।
  4. हमारे रिक्स लेने की क्षमता को बेहतर बनाता है।

स्टॉप लॉस लगाने के नुकसान What are the Disadvantages of putting a Stop Loss

  1. यह केवल डे ट्रेडिंग में ही काम करता है। स्टॉप लॉस बड़े व्यापारियों के लिए उपयोगी नहीं है।
  2. कई बार अस्थिरता (volatility) के कारण शार्ट टर्म में स्टॉक स्टॉप लॉस (Stop Loss) को जल्दी छू लेता है।
  3. स्टॉप लॉस (stop loss) के कारण स्टॉक के परफॉर्मेंस से आपका ध्यान हट जाता है।
  4. स्टॉप लॉस का इस्तेमाल करने के लिए किसी भी प्रकार का नियम नहीं होता। यह पूरी तरह आपके डिसीजन और तौर-तरीके पर निर्भर करता स्टॉप लॉस के नुकसान क्या हैं है।

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तो दोस्तों इस आर्टिकल में हमने बताया कि स्टॉप लॉस क्या होता है (What is Stop Loss in Hindi) स्टॉप लॉस किस तरीके से लगाया जाता है (How to Put Stop Loss in Hindi)। हम उम्मीद करते हैं कि आपको यह आर्टिकल जरूर पसंद आया होगा।

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Trailing Stop loss – ट्रेलिंग स्टॉप-लॉस क्या है ?(What is Trailing Stop-loss)

दोस्तों आज हम सीखेंगे कि ट्रेलिंग स्टॉप-लॉस क्या है ? ट्रेलिंग स्टॉप लॉस का उपयोग कैसे करें?

ट्रैलिंग स्टॉप-लॉस के लाभ.

ट्रेलिंग स्टॉप लॉस का उपयोग कैसे करें?

वास्तव में, इंट्राडे ट्रेडिंग (Intraday Trading) में ट्रेलिंग स्टॉप लॉस का सबसे अधिक उपयोग किया जाता है। और ट्रेलिंग स्टॉप लॉस के जरिए आप अपनी इनकम को और भी ज्यादा बढ़ा स्टॉप लॉस के नुकसान क्या हैं सकते हैं।

इस विषय पर अधिक जानकारी के लिए बने रहें।

स्टॉप लॉस क्या है -What is Stop Loss?

ट्रेलिंग स्टॉप लॉस शब्द स्टॉप लॉस (Stop -Loss) से आया है।

हमें स्टॉप लॉस के बारे में जानने की जरूरत है।

स्टॉप लॉस का मतलब है अतिरिक्त नुकसान से बचना। शेयर बाजार में लाभ और हानि दोनों होते हैं।

शेयर की मूल्य वृद्धि जितनी अधिक होगी, आपका लाभ उतना ही अधिक होगा।

लेकिन शेयर की मूल्य गिरावट जितनी अधिक होगी, आपका नुकसान उतना ही अधिक होगा। यदि शेयर की कीमत में अनियमित रूप से गिरावट जारी रहती है, तो आपको अधिक नुकसान होता है।

तो आपको इस अतिरिक्त नुकसान से बचने के लिए स्टॉप लॉस (Stop -Loss) का उपयोग करने की आवश्यकता है।

शेयर खरीदने से पहले आपको यह तय करना होगा कि शेयर की कीमत कितनी बढ़ जाएगी और अगर कीमत कम हो जाती है तो आप कितना नुकसान उठा सकते हैं।

मान लीजिए आपने 120 रुपये में एक शेयर खरीदा।

Stop Loss – Example

आप 140 रुपये या 20 रुपये के लाभ का लक्ष्य निर्धारित करते हैं, और आपको इसके विपरीत सोचना होगा, यदि शेयर की कीमत गिरती है, तो आप तय करते हैं कि आपके पास 5 रुपये या 7 रुपये का नुकसान करने की शक्ति है।

120-140 = 20/- प्रति शेयर लाभ

120-113 = 7/- प्रति शेयर हानि

यदि शेयर की कीमत गिरती है और 7 रुपये से नीचे आती है, तो शेयर अपने आप बिक जाएंगे।

देखा गया कि शेयर 120 रुपये से कमकर 100 रुपये हो गए, लेकिन जब से आपने स्टॉप लॉस का इस्तेमाल किया है तो आपको प्रति शेयर अधिकतम 7 रुपये का नुकसान होगा।

इस तरह आप अतिरिक्त नुकसान से बचेंगे। स्टॉप लॉस का उपयोग शेयरों को स्वचालित रूप से बेचने के लिए किया जाता है। आप जानते हैं, इंट्राडे ट्रेडिंग के दौरान शेयरों में बहुत उतार-चढ़ाव होता है।

बहुत से लोग हैं जो इंट्राडे ट्रेडिंग (Intraday Trading) में हर दिन घाटा कर रहे हैं, इन घाटे का मुख्य कारण स्टॉप लॉस का उपयोग नहीं करना है।

दूसरा सवाल है कि स्टॉप लॉस कैसे लगाया जाए?

जब आप कोई शेयर खरीदते हैं, तो आपको शेयर की कीमत दर लिखकर ऑर्डर बॉक्स (Order Box) में स्टॉप लॉस के लिए एक अलग घर मिलेगा।

उस स्थिति में, पहले खरीद आदेश (Order) पूरा करें।

फिर सेल ऑर्डर(Sell Order) चुनें और स्टॉपलॉस बॉक्स (Stop Loss Box) में स्टॉप लॉस प्राइस (Stop loss Price) दर्ज करें।

Stop Loss

Stop Loss

अब सवाल यह है कि किसी शेयर को कितना पैसा रोका जाए, यह महत्वपूर्ण है।

मान लीजिए आप 100 रुपये के शेयर पर 5 रुपये का स्टॉप लॉस लगाते हैं।

10000 रुपये के शेयर पर 5 रुपये का स्टॉप लॉस लगाते हैं।

यह गलत तरीका है, कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप कौन सा स्टॉक खरीदते हैं, बड़ा या छोटा, स्टॉप लॉस बनाने का मुख्य तरीका उस स्टॉक के Support में स्टॉप लॉस लगाना है।

Support क्या है जानने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें।

Read – What is Support & Resistance

दूसरा तरीका यह है कि लाभ और लॉस अनुपात 2:1 या 3:1 . होना चाहिए।

दूसरे शब्दों में, यदि आपके पास 1 टका खोने की क्षमता है, तो आपको 3 टका का लक्ष्य रखना होगा।

आइए अब अपने मुख्य विषय पर आते हैं – Trailing Stop loss

ट्रेलिंग स्टॉप लॉस वह राशि है जिसे आप नुकसान की क्षमता रखते हैं, उस नुकसान की मात्रा और कम हो जाती है।

मैंने इस मामले में स्टॉपलॉस का उदाहरण दिया।

आपके पास प्रति शेयर 7 रुपये नुकसान की शक्ति है। यदि शेयर खरीदने के बाद भी शेयर की कीमत बढ़ती रहती है, तो मान लीजिए कि यह एक 120 से बढ़कर 125 रुपये हो जाती है।

फिर आपको स्टॉप लॉस को और कम करना होगा।आप स्टॉप लॉस को 7 रुपये से घटाकर तीन रुपये या चार रुपये कर सकते हैं।

फिर देखने को मिला कि शेयर 130 रुपये तक पहुंच गया।

उस स्थिति में आप अपने शेयरों के खरीद मूल्य के करीब 120 रुपये पर स्टॉप लॉस लगा सकते हैं।

फिर देखने को मिला कि शेयर 135 रुपये तक पहुंच गया। तब आप अपना स्टॉप लॉस 125 रुपये कर सकते हैं।

एक शब्द में, शेयर की कीमत बढ़ने पर स्टॉप लॉस कमना चाहिए।

जब आप देखते हैं कि ट्रेलिंग स्टॉप लॉस आपके स्टॉक की कीमत से ऊपर पहुंच गया है, तो आप समझ सकते हैं कि आपको किसी भी तरह के नुकसान की कोई संभावना नहीं है, आपको 100% लाभ होगा।

दूसरा सवाल है कि ट्रेलिंग स्टॉप (Trailing Stop loss) कैसे लगाया जाए?

अब प्रश्न यह है कि आप ट्रेलिंग स्टॉप लॉस का उपयोग कैसे करते हैं?

आपको अलग से कोई ट्रेलिंग स्टॉप लॉस नहीं उठाना पड़ेगा। स्टॉप लॉस ऑर्डर देने से पहले आपको स्टॉप लॉस बदलने का विकल्प मिलेगा।

जिससे आप अपने स्टॉप लॉस को धीरे-धीरे कम कर सकते हैं।

स्टॉप लॉस (Stop loss) आपको अतिरिक्त नुकसान से बचाने की कोशिश करता है

ट्रेलिंग स्टॉप लॉस (Trailing Stop loss) आपके प्रॉफिट मार्जिन को बढ़ाने की कोशिश करता है।

तो अगर आप शेयर बाजार में काम करना चाहते हैं।

तो आपको इन दो तरीकों को ध्यान में रखकर काम करना होगा।

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मेरी आखिरी पंक्ति

मुझे आशा है कि आपको यह लेख Trailing Stop loss – ट्रेलिंग स्टॉप-लॉस क्या है ?(What is Trailing Stop-loss) पसंद आया होगा। यदि आपका कोई प्रश्न या टिप्पणी है, तो बेझिझक हमें कमेंट बॉक्स में बताएं।

शेयर बाजार में अक्सर स्टॉपलॉस और टारगेट की बात होती है? ये क्या है?

स्टॉप-लॉस आपके नुकसान को सीमित रखता है जबकि टारगेट आपके प्रॉफिट को सीमित रखता है. स्टॉप लॉस का इस्तेमाल इसलिए किया जाता है ताकि शेयर बाजार के उतार-चढ़ाव के दौर में आप बड़े नुकसान से बच सकें. टारगेट का इस्तेमाल इसलिए होता है ताकि जो प्रॉफिट हो रहा है वो नुकसान में या कम न हो जाए. तो चलिए स्टॉप लॉस और टारगेट को विस्तार से समझते हैं.

शेयरों में जोखिम को कम करने और प्रॉफिट बुक करने के लिए स्टॉप लॉस और टारगेट का काफी इस्तेमाल होता है. स्टॉप लॉस और टारगेट का ज्यादातर इस्तेमाल इंट्राडे ट्रेडिंग में होता है, लेकिन अगर आप लॉन्ग टर्म निवेश कर रहे हैं तो फिर उसके लिए इसका कोई बहुत ज्यादा महत्व नहीं है. स्टॉप-लॉस आपके नुकसान को सीमित रखता है जबकि टारगेट आपके प्रॉफिट को सीमित रखता है. स्टॉप लॉस का इस्तेमाल इसलिए किया जाता है ताकि शेयर बाजार के स्टॉप लॉस के नुकसान क्या हैं उतार-चढ़ाव के दौर में आप बड़े नुकसान से बच सकें. टारगेट का इस्तेमाल इसलिए होता है ताकि जो प्रॉफिट हो रहा है वो नुकसान में या कम न हो जाए. तो चलिए स्टॉप लॉस और टारगेट को विस्तार से समझते हैं.

जैसा ही ऊपर हमने बताया है कि स्टॉप लॉस का इस्तेमाल नुकसान को सीमित करने के लिए किया जाता है. इसे एक उदाहरण से समझते है. मान लीजिए आपने इंट्राडे के लिए किसी कंपनी के 100 शेयर 100 रुपए के भाव पर खरीदे. यानी 10,000 रुपए का निवेश आपने किया. आपने सोचा की शेयर की कीमत बढ़ेगी और आप अच्छा खासा मुनाफा कमा लेंगे. लेकिन हुआ कुछ उल्टा और शेयर की कीमत बढ़ने के बजाय घटकर 90 रुपए हो गई. यानी आपको एक शेयर पर 10 रुपए के हिसाब से 1000 रुपए का घाटा होने लगा. मार्केट में इस तरह के बदलाव इतनी तेजी से होते है कि की बार ट्रेडर को इसका पता ही नहीं चलता.

अब आपके पास दो ऑप्शन है या तो इन शेयरों को होल्ड कर आने वाले दिनों में कीमत बढ़ने का इंतजार किया जाए या घाटा बुक किया जाए. ऐसी परिस्थिति से बचने के लिए ही स्टॉपलॉस काम आता है. ये कैसे काम करता है समझते है. स्टॉपलॉस को आप शेयर खरीदने के तुरंत स्टॉप लॉस के नुकसान क्या हैं बाद ही लगा सकते हैं. ऊपर दिए उदाहरण में ट्रेडर को 10 रुपए का नुकसान हो रहा था लेकिन अगर उसने स्टॉपलॉस लगाया होता तो नुकसान सीमित हो सकता था. स्टॉपलॉस वह मूल्य होता है जिसे लगाने पर आपके शेयर उस मूल्य पर ऑटोमेटिक बिक जाते हैं. इसे आप अपनी नुकसान की क्षमता और टेक्निकल एनालिसिस के आधार पर लगा सकते हैं.

यानी ट्रेडर ने अगर 100 रुपए के भाव पर शेयर खरीदने के बाद नीचे की तरफ 98 रुपए या 95 रुपए जो भी स्टॉपलॉस लगाया होता तो उसके शेयर स्टॉपलॉस मूल्य पर अपने आप बिक जाते और उसे घाटा कम होता. अगर उसने 98 रुपए पर इसे लगाया होता तो जहां पहले 10 रुपए प्रति शेयर का नुकसान हो रहा था वो 2 रुपए तक सीमित हो जाता. वहीं अगर स्टॉपलॉस 95 रुपए का होता तो घाटा 5 रुपए प्रति शेयर तक सीमित हो जाता. यानी इससे साफ है कि स्टॉप लॉस प्राइस पर शेयर बेच देने से आप बड़े नुकसान से बच जाते हैं. वहीं अगर आप शॉर्ट सेलिंग करते हैं यानी पहले शेयर को बेचते हैं और बाद में खरीदते हैं तो भी स्टॉपलॉस लगाया जा सकता है.

टारगेट का मतलब लक्ष्य. इसका इस्तेमाल प्रॉफिट बुकिंग के लिए होता है. इसे भी एक उदाहरण से समझते हैं. मान लीजिए आपने इंट्राडे के लिए किसी कंपनी के 100 शेयर 100 रुपए के भाव पर खरीदे. यानी 10,000 रुपए का निवेश आपने किया. अब ये शेयर बढ़कर 105 रुपए पर पहुंच गया, लेकिन कुछ देर बाद वापस ये शेयर 100 रुपए पर आ गया या उससे नीचे 99 रुपए पर आ गया. जब ये शेयर 105 रुपए पर गया था तब स्टॉप लॉस के नुकसान क्या हैं आप इसे किसी कारण से बेच नहीं पाए. यानी आप प्रॉफिट बुक नहीं कर पाए. अब आपको उसी शेयर के नीचे आ जाने के कारण नुकसान हो रहा है. ऐसी स्थिति से बचने के लिए ही टारगेट काम आता है.

टारगेट में आप पहले से ही आपके खरीदे शेयर को बेचने का ऑर्डर लगा सकते है. यानी अगर आपको लगता है कि ये शेयर 105 रुपए तक जा सकता है तो आप 105 रुपए का टारगेट प्राइस के लिए सेलिंग ऑर्डर लगा सकते हैं. जब शेयर उस भाव पर पहुंचेगा तो अपने आप ही वो बिक जाएगा और प्रॉफिट बुक हो जाएगा.

Stop Loss Order

​Stop Loss Order: अधिकांश निवेशक एक लॉन्ग पोजिशन के साथ स्टॉप-लॉस ऑर्डर से जुड़ सकते हैं, यह शॉर्ट पोजिशन को भी सुरक्षित कर सकता है, जिसमें सिक्योरिटी खरीदी जाती है अगर यह निर्धारित कीमत से ऊपर ट्रेड करती है।

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क्या होता है स्टॉप-लॉस ऑर्डर?
स्टॉप-लॉस ऑर्डर (Stop Loss Order) किसी सिक्योरिटी को उस वक्त बेचने या खरीदने के लिए किसी ब्रोकर को दिया गया ऑर्डर है, जब यह एक विशेष कीमत पर पहुंच जाती है। स्टॉप-लॉस ऑर्डर की रूपरेखा सिक्योरिटी में एक पोजिशन पर निवेशक के नुकसान को सीमित करने के लिए बनाई जाती है और यह स्टॉप-लिमिट ऑर्डर से अलग होता है। जब कोई स्टॉक, स्टॉप प्राइस से नीचे चला जाता है तो ऑर्डर एक मार्केट ऑर्डर बन जाता है और यह अगली उपलब्ध कीमत पर एक्सीक्यूट होता है। उदाहरण के लिए एक ट्रेडर एक स्टॉक खरीद सकता है और इसे खरीद कीमत से 10 प्रतिशत नीचे स्टॉप-लॉस ऑर्डर पर रख सकता है। अगर स्टॉक में गिरावट आती है तो स्टॉप-लॉस ऑर्डर सक्रिय हो जाएगा और स्टॉक, एक मार्केट ऑर्डर की तरह बिक जाएगा। हालांकि अधिकांश निवेशक एक लॉन्ग पोजिशन के साथ स्टॉप-लॉस ऑर्डर से जुड़ सकते हैं, यह शॉर्ट पोजिशन को भी सुरक्षित कर सकता है, जिसमें सिक्योरिटी खरीदी जाती है अगर यह निर्धारित कीमत से ऊपर ट्रेड करती है।

मुख्य बातें
- स्टॉप-लॉस ऑर्डर विनिर्दिष्ट करता है कि कोई स्टॉक उस वक्त बेचा या खरीदा जाएगा, जब स्टॉप लॉस के नुकसान क्या हैं यह विशिष्ट कीमत पर पहुंच जाता है जिसे स्टॉप प्राइस के नाम से जाना जाता है।

- जैसे ही स्टॉप-प्राइस मिल जाता है, स्टॉप ऑर्डर मार्केट ऑर्डर बन जाता है और अगले उपलब्ध अवसर पर निष्पादित हो जाता है।

- कई मामलों में स्टॉप-लॉस ऑर्डर का उपयोग उस वक्त निवेशक को नुकसान से बचाना होता है, जब सिक्योरिटी की कीमत में गिरावट आती है।

स्टॉप-लॉस ऑॅर्डर को समझना
ट्रेडर या निवेशक अपने लाभ की सुरक्षा करने के लिए स्टॉप-लॉस ऑर्डर का उपयोग करना पसंद कर सकते हैं। यह किसी ऑर्डर के निष्पादित न होने के जोखिम को हटा देता है अगर स्टॉक में गिरावट जारी रहती है क्योंकि यह मार्कट ऑर्डर बन जाता है। एक स्टॉक लिमिट ऑर्डर तब ट्रिगर होता है, जब कीमत स्टॉप प्राइस से नीचे गिर जाती है। बहरहाल, ऑर्डर के सीमित हिस्से की वैल्यू के कारण यह ऑर्डर निष्पादित नहीं भी हो सकता है। स्टॉप-लॉस ऑर्डर का एक नकारात्मक पहलू तब है, अगर स्टॉक में स्टॉप प्राइस से नीचे तेजी से गिरावट आती है।

Zerodha के CEO ने बताया कि ट्रेडिंग में नुकसान से बचने के लिए स्टॉप लॉस के इस्तेमाल का तरीका

स्टॉप स्टॉप लॉस के नुकसान क्या हैं लॉस ऑर्डर एक्सचेंज पर लगाए जाते हैं और ब्रोकरेज फर्म इसके लिए केवल एक जरिया होती है

स्टॉक मार्केट में ट्रेडिंग के दौरान ऐसी उन रिस्क को कवर करना बेहतर होता है जिन पर नियंत्रण किया जा सकता है। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) पर 27 सितंबर से ऑप्शंस के लिए स्टॉप लॉस मार्केट ऑर्डर उपलब्ध नहीं होगा और इस वजह से ब्रोकिंग फर्म Zerodha के फाउंडर और CEO नितिन कामत ने इनवेस्टर्स को स्टॉप लॉस ऑर्डर का इस्तेमाल करने का सुझाव दिया है।

कामत ने बताया कि जल्दबाजी में किए जाने वाले ट्रेड में नुकसान से बचने के लिए इनवेस्टर्स को मार्केट के बजाय लिमिट ऑर्डर और स्टॉप लॉस मार्केट के बजाय स्टॉप लॉस का इस्तेमाल करना चाहिए।

उन्होंने कहा कि दुनिया भर में अधिकतर ब्रोकरेज फर्में वोलैटिलिटी अधिक होने और कॉस्ट बढ़ने के रिस्क के कारण ऑप्शंस के लिए स्टॉप लॉस मार्केट और मार्केट ऑर्डर की सुविधा नहीं देती।

लिमिट ऑर्डर में एक तय प्राइस पर ट्रेड होने की गारंटी होती है। स्टॉप लॉस लिमिट ऑर्डर से ट्रेड में नुकसान से बचने में काफी मदद मिल सकती है।

स्टॉप लॉस ऑर्डर में ट्रेडर उस प्राइस का ट्रिगर तय करता है जिस पर एक लिमिट ऑर्डर या मार्केट ऑर्डर दिया गया है। ये ट्रिगर एक्सचेंज पर लगाए जाते हैं और इसके लिए ब्रोकरेज फर्म केवल एक जरिया होती है।

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