Birthmark Meaning : चेहरे पर ऐसे निशान गुड और बैडलक की पहचान

‘झुकना ही प्रवृत्ति, झुकना ही पहचान’ ये है बाइडन का नया अमेरिका

दुनिया को दो फाड़ में बांटने और सबको आपस में लड़वाने का दुस्साहस करने वाले अमेरिका को अब स्वीकार कर लेना चाहिए कि उसके दिन अब लद गए हैं।

दुनियाभर में उपजी समस्याओं की जड़ को यदि देखा जाए तो कहीं न कहीं हमें अमेरिका का हस्तक्षेप दिख जाएगा। फिर चाहे वह आतंकवाद की समस्या हो या अफगानिस्तान जैसे देश का सुरक्षा के नाम पर लगभग 20 साल तक शोषण किया जाता रहा हो। उदाहरण के लिए अभी कुछ महीने पहले शुरू हुए रूस-यूक्रेन युद्ध को ही देख लीजिए, अमेरिका ने कैसे अपने लाभ के लिए दो देशों को युद्ध की आग में झोंककर पूरी दुनिया को दो धुव्रों में बांट दिया। दरअसल, बाइडन इन दिनों गल्फ देशों के झुकाव को रूस की ओर देखकर चैन की सांस नहीं ले पा रहे हैं, इसलिए वह पुनः सऊदी अरब के साथ अपने सबंधों को बेहतर करना चाहता है। परन्तु यह उतना भी आसान नहीं है जितना अमेरिका सोच रहा है, क्योंकि सऊदी अरब एक बार अमेरिका के असली चेहरे को देख चुका है इसलिए वह अमेरिका के साथ जाना तो कतई पसंद नहीं करेगा।

अमेरिका और सऊदी के सबंध

ऐसा नहीं है कि अमेरिका और सऊदी के सबंध पहले से ही बहुत अच्छे थे। 2001 में प्रवृत्तियों की पहचान करने का क्या अर्थ है हुए ट्रेड टावर पर हमले और 2018 में पत्रकार जमाल ख़ाशोगी की हत्या के बाद से अमेरिका और सऊदी के संबंधों में थोड़ी खटास आई थी परन्तु इसके बीच में तेल नाम का रोड़ा आ गया था जिसके चलते अमेरिका और सऊदी के संबंध ठीक चल रहे थे, परन्तु रूस-यूक्रेन युद्ध की शुरुआत होने के बाद दुनिया दो ध्रुवों में बंटने लगी जिसके चलते सऊदी को अपनी एक साइड चुननी पड़ी और वो खुले रूप में रूस का समर्थन करने लगा। इसके अलावा OPEC+ के देशों द्वारा तेल का उत्पादन कम करने की घोषणा करने के बाद बाइडन प्रशासन खुले तौर पर सऊदी का विरोध करने लगा और इस प्रकार धीरे-धीरे सऊदी अमेरिका का साथ छोड़ रूस के साथ जाने लगा। वर्तमान समय की बात की जाए तो सऊदी के रूस के साथ संबंध अच्छे हैं।

सऊदी प्रिंस का भारत आना क्यों है विशेष?

सऊदी के प्रिंस ‘मोहम्मद बिन सलमान’ भारत आने वाले हैं और इसके पीछ का कारण गल्फ देशों के साथ अपसी प्रतिस्पर्धा है। दरअसल, सभी गल्फ देशों के साथ भारत के व्यापारिक संबंध बहुत अच्छे हैं, यूएई के साथ तो भारत ने फ्री ट्रेड पर भी समझौता किया है जिसके तहत दोनों देशों के बीच बहुत कम टैक्स पर अधिक से अधिक व्यापार किया जा सकेगा। ऐसे में आने वाले दौरे में सऊदी भी इसी प्रकार का समझौता करने की इच्छा रख सकता है।

दूसरा कारण यह हो सकता है कि रूस पर जी-7 देश ऑइल कैप लगाने जा रहे हैं जोकि आने वाले 5 दिसंबर से लागू कर दिया जाएगा। इस ऑइल कैप के लागू होने के बाद अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल के दाम फिक्स कर दिए जाएंगे जिसका सीधा प्रभाव रूस पर देखने को मिलेगा। मोहम्मद बिन सलमान की भारत यात्रा के पीछे का दूसरा कारण रूस पर ऑइल कैप लगने के बाद उसकी अप्रत्यक्ष रूप से सहायता करना भी हो सकता है।

अमेरिका को रसातल में ले जा रहे हैं बाइडन

अब यदि अमेरिका की स्थिति की बात की जाए तो एक समय हुआ करता था जब दुनियाभर में यह देश अपने सामने किसी भी दूसरे देश को कुछ समझता ही नहीं था। परन्तु वो कहते हैं न कि हर किसी के दिन बदलते हैं तो अब अमेरिका के दिन पूरी तरह से लद चुके हैं और भारत जैस देशों के चमकने का समय है। अमेरिका के गल्फ देशों के साथ पुराने समय जैसे संबंध नहीं हो सकते हैं क्योंकि सभी गल्फ देशों ने देख लिया है कि अमेरिका सिर्फ अपने लाभ के लिए काम करता है।

निष्कर्ष यह है कि अमेरिका चाहता है कि पहले की तरह लोग उसकी हां में हां मिलाएं, उसके सामने दबे कुचलों की तरह प्रस्तुत हो जाएं लेकिन अब उसका समय जा चुका है यह उसे स्वीकार कर लेना चाहिए।

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किसी पदार्थ के प्रति एकांक चुम्बकन क्षेत्र में उत्पन्न चुम्बकन तीव्रता को उस पदार्थ की चुम्बकीय प्रवृति कहते है सत्य/असत्य

किसी पदार्थ के प्रत्येक अंग चुंबकीय क्षेत्र में उत्पन्न चुंबकीय तीव्रता को उस पदार्थ की चुंबकीय प्रवृत्ति कहते हैं यह कथन सत्य है या असत्य दिखे तो यहां पर बात किसकी हो रही है चुंबकीय प्रवृत्ति ठीक है तू चुंबक की प्रवृत्ति जो है दोस्तों अगर उसका हम लोग साधारण जो अर्थ देखते दोस्त हो तो क्या बताता तो तू किसी भी वस्तु का जो चुंबक की प्राप्ति हो क्या गुण बताता है दोस्तों की किसी वस्तु को किसी वस्तु को बाय चुंबकीय क्षेत्र में रखने पर इतना चुंबक इतना चुंबकीय तीव्रता या बोल सकते उसमें कितना चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न हुआ था दोस्तों के किसी भी वस्तु को यहां पर

तू सुबह चुंबक क्षेत्र प्रभाव से उस वस्तु में कितना चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न हुआ ठीक है तो जैसे मैं अगर चित्र बनाना चाहो तो तुम्हारी एक वस्तु है ठीक है एक वस्तु इसको मैं बाहर चुंबकीय क्षेत्र में रख देता हूं बाय एक बाय चुंबकीय क्षेत्र में रख देता हूं तो इसके अंदर इस इस वस्तु में कितना चुंबकीय क्षेत्र ठीक है उसको यह बताता है तो जो चुंबकीय प्रवृत्ति है ना दोस्तों चुंबकीय प्रवृत्ति को अगर हम लोग लिखना चाहे तो कैसे लिख सकते हैं दोस्तों की यह पूरा भी चुंबकीय प्रीति को एक चीन से दर्शाते हैं ना तो जिस को सही बोलते हैं सैक्स टाइप कर प्रवृत्तियों की पहचान करने का क्या अर्थ है आते हैं आना चाहिए ठीक है तो इसका सूत्र मिलता है आई बटाए ठीक है आई यहां देखिए जहां पर क्या बता रहे दोस्तों बाय हमने क्या लगाया जो

चुंबकीय क्षेत्र लगाया ना वस्तु को चुंबक किस करने के लिए यह क्या-क्या लाई दो चुंबक अंक आने वाला है ना तो चुंबकीय क्षेत्र की तीव्रता बोलेंगे और आई जो है ना वस्तु में जो चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न हुआ ठीक है यह उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र दोस्तों चुंबकीय क्षेत्र की तीव्रता लिख सकते हैं इसको अगर हम शब्दों में लिखेंगे तो कैसे लिख सकती एक आम चुंबक का क्षेत्र की तीव्रता के कारण चुंबकीय क्षेत्र की तीव्रता यही बोलेंगे जो हमारे देखे प्रश्न में जो दिया है ना किस प्रकार प्रत्येक अंग तुम बहुत पतिव्रता कुछ पता चुंबकीय यह कथन क्या हो रहा है देश में चूर है हमारा यह कथन क्या है दोस्तों सत्य है ठीक है दोस्तों धन्यवाद

मोक्ष का मार्ग है, वृत्तियों का विवेचन

वैदिक धमार्नुसार सृष्टि में प्रत्येक योनियों के जीव को ईश्वर द्वारा भिन्न भिन्न प्रवृत्ति प्राप्त है।

मोक्ष का मार्ग है, वृत्तियों का विवेचन

सांकेतिक फोटो।

कमल वैष्णव

वैदिक धमार्नुसार सृष्टि में प्रत्येक योनियों के जीव को ईश्वर द्वारा भिन्न भिन्न प्रवृत्ति प्राप्त है। मात्र मनुष्य ही अपनी वृत्तियों का विवेचन प्रवृत्तियों की पहचान करने का क्या अर्थ है करने में सक्षम है। अन्य सभी योनियों के प्राणी अपने जन्म से प्राप्त स्वाभाविक वृत्तियों सहित जीवन यापन करते हैं। मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है और समाज में उसके व्यक्तित्व की पहचान उसकी प्रवृत्ति से होती है। जीव के पूर्वजन्मों के कर्म फलस्वरूप प्रवृत्ति प्राप्त होती है और परिवेश अर्थात परवरिश से जीव की आदतें, स्वभाव, गुण दोष आदि विकसित होते हैं। प्रवृत्ति अर्थात संसार को भोगने हेतु जीव का स्वाभाविक गुण होता है जिसे वृत्तियां भी कहते हैं। प्रवृति या वृत्तियां तीन प्रकार की कही गई हैं। सात्विकवृत्ति, राजसी वृत्ति और तामसी वृत्ति।

शमो दमस्तितिक्षेक्षक तप: सत्यं दया स्मृति:तुष्टिस्त्यागोस्पृहा श्रद्धा हिरर्दयादि: स्वनिर्वृति:।।
सत्वगुण की वृत्तियां हैं – शम (मन संयम), दम (इंद्रियनिग्रह), तितिक्षा (सहिष्णुता), विवेक, तप, सत्य, दया, स्मृति, संतोष, त्याग, विषयों के प्रति अनिच्छा, श्रद्धा,लज्जा (पाप करने में स्वाभाविक संकोच) आत्मरति, दान, विनय और सरलता आदि यह सात्विक वृत्तियां कही जाती हैं। रजोगुण की वृत्तियां हैं – इच्छा, प्रयत्न, घमंड, तृष्णा (असंतोष), अकड़, देवताओं से धन आदि की याचना, भेदबुद्धि, विषयभोग, युद्ध आदि के लिए मदजनित उत्साह, अपने यश में प्रेम, हास्य, पराक्रम और हठपूर्वक उद्योग करना आदि सभी राजसी वृत्तियां कहलाती हैं।

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तमोगुण के वृत्तियां हैं – क्रोध (असहिष्णुता), लोभ, मिथ्याभाषण, हिंसा,याचना, पाखंड,श्रम, कलह, शोक, मोह, विषाद, दीनता, निद्रा, आशा, भय और अकर्मण्यता आदि सभी तामसी वृत्तियां कहलाती हैं। इस प्रकार सत्वगुण, रजोगुण और तमोगुण की अधिकांश वृत्तियों का अलग-अलग वर्णन किया गया है। अब उनके मेल से होने वाले वृत्तियों का वर्णन इस प्रकार है जिन्हें मिश्रित वृतियां भी कह सकते हैं।

जैसे ‘मैं हूं और यह मेरा है’ इस प्रकार की बुद्धि में तीनों गुणों का मिश्रण है जिन मन, शब्दादि विषय, इंद्रिय और प्राणों के कारण पूर्वोक्त वृत्तियों का उदय होता है, वह सब के सब सात्विक, राजस और तामस हैं। जब मनुष्य धर्म, अर्थ और काम में सलंगन रहता है। तब उसे सद्गुणों से श्रद्धा, रजोगुण से रति और तमोगुण से धन की प्राप्ति होती है। यह भी गुणों का मिश्रण ही है। जिस समय मनुष्य सकाम कर्म, गृहस्थाश्रम और स्वधर्माचरण में अधिक प्रीति रखता है, उस समय भी उसमें तीनों गुणों का मेल ही समझना चाहिए।

मानसिक शांति और जितेंद्रियता आदि गुणों से सत्वगुणी पुरुष की, कामना आदि से रजोगुणी पुरुष की और क्रोध हिंसा आदि से तमोगुणी पुरुष की पहचान होती है। पुरुष हो अथवा स्त्री जब वह निष्काम होकर अपने नित्य नैमित्तिक कर्मों द्वारा ईश्वर का ध्यान करें तब उसे सत्वगुणी जानना चाहिए। सकाम भाव से अपने कर्मों के द्वारा ईश्वर का भजन पूजन करने वाला रजोगुणी है और जो अपने शत्रु की मृत्यु आदि के लिए तथा दूसरों की हानि के लिए ईश्वर का भजन पूजा करें उसे तमोगुणी ही समझना चाहिए।

सत्व, रज और तम इन तीनों गुणों का कारण जीव का चित्त है, इन्हीं गुणों के द्वारा जीव शरीर अथवा धन आदि में आसक्त होकर बंधन में पड़ जाता है। सत्वगुण प्रकाशक, निर्मल और शांत हैं। जिस समय वह रजोगुण और तमोगुण को दबाकर बढ़ता है, उस समय पुरुष सुख, धर्म और ज्ञान आदि का भाजन हो जाता है। रजोगुण भेद बुद्धि का कारण है। उसका स्वभाव है आसक्ति और प्रवृत्ति। जिस समय तमोगुण और सत्व गुण को दबाकर रजोगुण बढ़ता है, उस समय मनुष्य दु:ख,कर्म, यश और लक्ष्मी से संपन्न होता है।

तमोगुण का स्वरूप है, अज्ञान। उसका स्वभाव है आलस्य और बुद्धि की मूढ़ता। जब वह बढ़कर सत्वगुण और रजोगुण को दबा लेता है, तब प्राणी तरह-तरह की आशाएं करता है, शोक मोह में पड़ जाता है, हिंसा करने लगता है अथवा निद्रा आलस्य के वशीभूत होकर पड़ा रहता है। जब चित्त प्रसन्न हो, इंद्रियां शांत हों, देह निर्भय हो और मन में प्रवृत्तियों की पहचान करने का क्या अर्थ है आसक्ति न हो तब सत्त्वगुण की वृद्धि समझनी चाहिए। सत्वगुण ईश्वर प्राप्ति का साधन है।

जब काम करते-करते जीव की बुद्धि चंचल, ज्ञानेंद्रियां असंतुष्ट, कर्मेंद्रियां विकारयुक्त, मन भ्रांत और शरीर अस्वस्थ हो जाए, प्रवृत्तियों की पहचान करने का क्या अर्थ है तब समझना चाहिए कि रजोगुण जोर पकड़ रहा है। जब चित्त ज्ञानेंद्रियों के द्वारा शब्दादि विषयों को ठीक-ठीक समझने में असमर्थ हो जाए और खिन्न होकर लीन होने लगे, मन सुना सा हो जाए तथा अज्ञान और विषाद की वृद्धि हो तब समझना चाहिए कि तमोगुण वृद्धि पर है।

सत्वगुण के बढ़ने पर मनुष्यों में दैविक बल पड़ता है, रजोगुण के बढ़ने से मनुष्यों में आसुरी बल बढ़ता है और तमोगुण के बढ़ने पर मनुष्यों में राक्षसी बल बढ़ जाता है। वृत्तियों में भी सत्वादि गुणों की अधिकता होने पर देवत्व (सभी का हित चाहना, करना) असुरत्व (पाखंड द्वारा अन्यों की हानि करना) और राक्षसत्व (अपने स्वार्थवश धर्म व धर्मियों की हानि करना) प्रधान निवृत्ति, प्रवृत्ति अथवा मोह की प्रधानता हो जाती हैं। सत्त्वगुण से जाग्रत अवस्था, रजोगुण से स्वप्नावस्था और तमोगुण से सुषुप्ति अवस्था होती है। तुरीय इन तीनों में एक सा व्याप्त रहता है।

वही शुद्ध और एक रस आत्मा है। वेदों के अभ्यास में तत्पर ब्राह्मण सत्वगुण के द्वारा उत्तरोत्तर ऊपर के लोकों में जाते हैं। तमोगुण से जीवो को वृक्षादिपर्यंत अधोगति प्राप्त होती है और रजोगुण से मनुष्य शरीर मिलता है। जिसकी मृत्यु सत्त्वगुणों की वृद्धि के समय होती है उसे स्वर्ग की प्राप्ति होती है। जिसकी रजोगुण की वृद्धि के समय होती है उसे मनुष्य लोक मिलता है और जो तमोगुण की वृद्धि के समय मृत्यु को प्राप्त होता है उसे नर्क की प्राप्ति होती है परंतु जो पुरुष त्रिगुणातीत जीवन मुक्त हो गए हैं उन्हें ईश्वर की प्राप्ति होती है।

‘झुकना ही प्रवृत्ति, झुकना ही पहचान’ ये है बाइडन का नया अमेरिका

दुनिया को दो फाड़ में बांटने और सबको आपस में लड़वाने का दुस्साहस करने वाले अमेरिका को अब स्वीकार कर लेना चाहिए कि उसके दिन अब लद गए हैं।

दुनियाभर में उपजी समस्याओं की जड़ को यदि देखा जाए तो कहीं न कहीं हमें अमेरिका का हस्तक्षेप दिख जाएगा। फिर चाहे वह आतंकवाद की समस्या हो या अफगानिस्तान जैसे देश का सुरक्षा के नाम पर लगभग 20 साल तक शोषण किया जाता रहा हो। उदाहरण के लिए अभी कुछ महीने पहले शुरू हुए रूस-यूक्रेन युद्ध को ही देख लीजिए, अमेरिका ने कैसे अपने लाभ के लिए दो देशों को युद्ध की आग में झोंककर पूरी दुनिया को दो धुव्रों में बांट दिया। दरअसल, बाइडन इन दिनों गल्फ देशों के झुकाव को रूस की ओर देखकर चैन की सांस नहीं ले पा रहे हैं, इसलिए वह पुनः सऊदी अरब के साथ अपने सबंधों को बेहतर करना चाहता है। परन्तु यह उतना भी आसान नहीं है जितना अमेरिका सोच रहा है, क्योंकि सऊदी अरब एक बार अमेरिका के असली चेहरे को देख चुका है इसलिए वह अमेरिका के साथ जाना तो कतई पसंद नहीं करेगा।

अमेरिका और सऊदी के सबंध

ऐसा नहीं है कि अमेरिका और सऊदी के सबंध पहले से ही बहुत अच्छे थे। 2001 में हुए ट्रेड टावर पर हमले और 2018 में पत्रकार जमाल ख़ाशोगी की हत्या के बाद से अमेरिका और सऊदी के संबंधों में थोड़ी खटास आई थी परन्तु इसके बीच में तेल नाम का रोड़ा आ गया था जिसके चलते अमेरिका और सऊदी के संबंध ठीक चल रहे थे, परन्तु रूस-यूक्रेन युद्ध की शुरुआत होने के बाद दुनिया दो ध्रुवों में बंटने लगी जिसके चलते सऊदी को अपनी एक साइड चुननी पड़ी और वो खुले रूप में रूस का समर्थन करने लगा। इसके अलावा OPEC+ के देशों द्वारा तेल का उत्पादन कम प्रवृत्तियों की पहचान करने का क्या अर्थ है करने की घोषणा करने के बाद बाइडन प्रशासन खुले तौर पर सऊदी का विरोध करने लगा और इस प्रकार धीरे-धीरे सऊदी अमेरिका का साथ छोड़ रूस के साथ जाने लगा। वर्तमान समय की बात की जाए तो सऊदी के रूस के साथ संबंध अच्छे हैं।

सऊदी प्रिंस का भारत आना क्यों है विशेष?

सऊदी के प्रिंस ‘मोहम्मद बिन सलमान’ भारत आने वाले हैं और इसके पीछ का कारण गल्फ देशों के साथ अपसी प्रतिस्पर्धा है। दरअसल, सभी गल्फ देशों के साथ भारत के व्यापारिक संबंध बहुत अच्छे हैं, यूएई के साथ तो भारत ने फ्री ट्रेड पर भी समझौता किया है जिसके तहत दोनों देशों के बीच बहुत कम टैक्स पर अधिक से अधिक व्यापार किया जा सकेगा। ऐसे में आने वाले दौरे में सऊदी भी इसी प्रकार का समझौता करने की इच्छा रख सकता है।

दूसरा कारण यह हो सकता है कि रूस पर जी-7 देश ऑइल कैप लगाने जा रहे हैं जोकि आने वाले 5 दिसंबर से लागू कर दिया जाएगा। इस ऑइल कैप के लागू होने के बाद अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल के दाम फिक्स कर दिए जाएंगे जिसका सीधा प्रभाव रूस पर देखने को मिलेगा। मोहम्मद बिन सलमान की भारत यात्रा के पीछे का दूसरा कारण रूस पर ऑइल कैप लगने के बाद उसकी अप्रत्यक्ष रूप से सहायता करना भी हो सकता है।

अमेरिका को रसातल में ले जा रहे हैं बाइडन

अब यदि अमेरिका की स्थिति की बात की जाए तो एक समय हुआ करता था जब दुनियाभर में यह देश अपने सामने किसी भी दूसरे देश को कुछ समझता ही नहीं था। परन्तु वो कहते हैं न कि हर किसी के दिन बदलते हैं तो अब अमेरिका के दिन पूरी तरह से लद चुके हैं और भारत जैस देशों के चमकने का समय है। अमेरिका के गल्फ देशों के साथ पुराने समय जैसे संबंध नहीं हो सकते हैं क्योंकि सभी गल्फ देशों ने देख लिया है कि अमेरिका सिर्फ अपने लाभ के लिए काम करता है।

निष्कर्ष यह है कि अमेरिका चाहता है कि पहले की तरह लोग उसकी हां में हां मिलाएं, उसके सामने दबे कुचलों की तरह प्रस्तुत हो जाएं लेकिन अब उसका समय जा चुका है यह उसे स्वीकार कर लेना चाहिए।

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Birthmark Meaning : चेहरे पर ऐसे निशान गुड और बैडलक की पहचान

हस्तरेखा विज्ञान और समुद्रशास्त्र में बताया गया है कि शरीर पर मौजूद निशान और चेहरे पर दिखने वाले जन्म चिह्न जिन्हें बर्थ मार्क कहते हैं उनका भी हमारे जीवन पर भविष्य पर बड़ा महत्वपूर्ण प्रभाव होता है। बर्थ मार्क भी कुछ शुभ संकेत देते हैं तो कुछ प्रतिकूल फल को दर्शाते हैं।

Birthmark Meaning : चेहरे पर ऐसे निशान गुड और बैडलक की पहचान

Birthmark Meaning : चेहरे पर ऐसे निशान गुड और बैडलक की पहचान

हाइलाइट्स

  • माथे के बीच में बर्थ मार्क
  • गाल पर बर्थ मार्क
  • गर्दन पर बर्थ मार्क
  • चेहरे पर बर्थ मार्क
  • गर्दन के पीछे बर्थ मार्क
  • पीठ पर बर्थ मार्क
  • अगर किसी व्यक्ति के चेहरे पर जन्म से ही कोई निशान है तो इसका अर्थ है की वह व्यक्ति काफी भावुक प्रवृति का है। साथ ही ऐसे लोग खूब बातूनी भी होते हैं। जिनके चेहरे पर निशान होता है उनके पास धन की कोई कमी नहीं होती है।
  • अगर किसी व्यक्ति के माथे पर बर्थ मार्क है तो इसका अर्थ है की उस व्यक्ति का दिमाग बहुत प्रवृत्तियों की पहचान करने का क्या अर्थ है तेज है। ऐसे लोग करियर और व्यापार दोनों में भी काफी अच्छा प्रदर्शन करते हैं। ऐसे लोगों खूब मान सम्मान कमाते हैं और इनकी लोकप्रियता भी अच्छी खासी होती है।
  • अगर किसी व्यक्ति के माथे के बीच में बर्थ मार्क है तो इस तरह का व्यक्ति काफी आकर्षक पर्सनालिटी के होते हैं। ऐसे लोगों की तरफ लोग जल्दी आकर्षित हो जाते हैं इसलिए ऐसे लोगों के कई सारे रिलेशनशिप भी सकते हैं। हालांकि, ये लोग सभी को खुश करने की कोशिश में रहते हैं। इसलिए इनका रिलेशनशिप ज्यादा दिन तक नहीं चल पाता।
  • अगर किसी की गर्दन प्रवृत्तियों की पहचान करने का क्या अर्थ है पर बर्थ मार्क है तो इसका मतलब है की आप जीवन में कोई बड़ी सफलता हासिल करने वाले हैं। हालांकि, ये तभी संभव है जब आप थोड़ा कम भावुक होंगे। वहीं, अगर किसी व्यक्ति के गर्दन के पिछले हिस्से पर बर्थ मार्क है तो इसका मतलब है कि वह व्यक्ति बहुत आक्रामक प्रतिक्रिया देने वाला है। ऐसे लोगों को गुस्सा ज्यादा आता है।
  • अगर किसी पुरुष के गाल पर बर्थ मार्क है तो इसका मतलब है कि आप अपनी काम को लेकर बहुत उत्साहित होंगे। इतना ही नहीं आप अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रवृत्तियों की पहचान करने का क्या अर्थ है बहुत सक्रिय रूप से प्रतिबंध रहेंगे।
  • अगर किसी पुरुष के दाहिने गाल पर बर्थ मार्क है तो इसका मतलब है कि ऐसे व्यक्ति को आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। वहीं अगर किसी महिला के दाहिने गाल पर बर्थमार्क है तो ऐसी महिला को बहुत ही सम्मानित पति से उसकी शादी होगी। आप अपने पति के साथ शादीशुदा जीवन का आनंद लेंगे।

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