Zee Business का यह सेगमेंट आपको एक दृष्टिकोण देता है कि आज वैश्विक बाजार के प्रदर्शन की उम्मीद कैसे की जाती है। इसके अलावा, उन प्रमुख ट्रिगर्स के बारे में जानें जो आज बाजार के लिए मायने रखते हैं डे ट्रेडिंग ईटीएफ और जिन शेयरों के बेहतर प्रदर्शन की संभावना है।
एस आई पी (SIPs) और गोल्ड ईटीएफ (ETF) बेहतरीन दीर्घावधि इन्वेस्टमेन्ट्स क्यों हैं?
पारंपरिक रुप से देखा जाए तो हम सब, गोल्ड कॉईन, गोल्ड बार, ज्वेलरी आदि के रुप में गोल्ड में इन्वेस्ट करते ही हैं वैसे देखें तो पारंपरिक रुप से गोल्ड ख़रीदने वाले ग्राहक को भी आज एक्स्चेन्ज ट्रेडेड फन्ड (ईटीएफ) संबंधी जानकारी चाहिये होती है क्योंकि एक इन्वेस्टमेन्ट ऑप्शन के रुप में यह गोल्ड को स्टोर करने की लागत बचाता है, इसमें इलेक्ट्रॉनिक रुप से ख़रीदी और बिक्री हो जाती है और लम्बे समय के इन्वेस्टमेन्ट के लिये यह पारदर्शी और सुरक्षित तरीक़ा होता है।
ईटीएफ के द्वारा गोल्ड ख़रीदना और कुछ नहीं, बल्कि इलेक्ट्रॉनिक तरीके से गोल्ड ख़रीदने को कहते हैं। गोल्ड ईटीएफ, गोल्ड में इन्वेस्ट करने का एक अप्रत्यक्ष तरीका है। ये म्युच्युअल फन्ड के प्रकार होते हैं, जिन्हे सही तरीक़े से स्टॉक एक्स्चेन्जों में लिस्टेड किया जाता है। गोल्ड ईटीएफ का मुख्य लक्ष्य निवेशकों को बेहतर रिटर्न्स देना होता है जो कि, ख़र्चों के लिए एकाउंटिंग से पहले, स्थानीय फिजिकल गोल्ड प्राईज के साथ नजदीकी रुप से मेल खाते हों।
Gold ETF से इन्वेस्टर्स ने 7 महीने बाद निकाले पैसे; जानें इक्विटी और डेट फंड्स में क्यों बढ़ रहा निवेश
Gold ETFs in july 2021: गोल्ड ईटीएफ से आउटफ्लो के बावजूद जुलाई के आखिर तक इनका एसेट अंडर मैनेजमेंट (AUM) 16,750 करोड़ रुपये था. जोकि जून आखिर में 16,225 करोड़ रुपये रहा था.
Gold ETFs Investments: गोल्ड ईटीएफ (Gold ETFs) से डे ट्रेडिंग ईटीएफ निवेशकों ने सात महीने तक लगातार निवेश के बाद पैसे निकाले हैं. जुलाई 2021 में निवेशकों ने गोल्ड ईटीएफ से 61 करोड़ रुपये से ज्यादा की निकासी की. निवेशकों ने अपने पैसे इक्विटी और डेट फंड्स में डायवर्ट किया, जहां उन्हें आकर्षक रिटर्न मिला. एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया (Amfi) के आंकड़ों के मुताबिक, गोल्ड ईटीएफ से आउटफ्लो के बावजूद जुलाई में फोलियो की संख्या बढ़कर 19.13 लाख हो गई, जोकि जून में 18.32 लाख थी. फरवरी 2020, नवंबर 2020 और जुलाई 2021 को छोड़कर, गोल्ड ईटीएफ में निवेश अगस्त 2019 से लगातार बढ़ रहा था.
Gold ETF: 6 महीने में 3,107 करोड़ निवेश
गोल्ड ईटीएफ कैटेगरी में दिसंबर 2020 से लगातार निवेश बढ़ रहा था. इस साल जुलाई डे ट्रेडिंग ईटीएफ में 61.5 करोड़ रुपये का आउटफ्लो हुआ. जबकि जून में 360 करोड़ और मई 288 करोड़ रुपये का निवेश गोल्ड ईटीएफ में हुआ था. इस साल के पहले छह महीने में निवेशकों ने गोल्ड ईटीएफ में 3,107 करोड़ रुपये का निवेश किया. जुलाई 2021 के आउटफ्लो से पहले नंवबर 2020 में 141 करोड़ डे ट्रेडिंग ईटीएफ और फरवरी 2020 में 195 करोड़ रुपये का आउटफ्लो गोल्ड ईटीएफ से हुआ था.
LXME की फाउंडर प्रीति राठी गुप्ता का कहना है कि निवेशकों ने दो वजहों से गोल्ड ईटीएफ से निकासी की. गोल्ड की कीमतें ऑल टाइम हाई पर हैं. इससे निवेशकों में यह आशंका है कि कीमतें यहां से टूटेंगी. वहीं, निवेशकों ने अपना फंड आकर्षक रिटर्न वाले इंस्ट्रूमेंट्स इक्विटी और डेट फंड्स में डायवर्ट किया. जुलाई में इक्विटी म्यूचुअल फंड्स में 22,583 करोड़ और डेट फंड्स में 73,964 करोड़ रुपये का इन्वेस्टमेंट हुआ.
Gold ETF बेहतर या सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड, निवेश से पहले ये जानकारी आएगी बहुत काम
Edited By: Alok Kumar @alocksone
Published on: August 18, 2022 16:46 IST
Photo:INDIA TV Gold ETF vs डे ट्रेडिंग ईटीएफ sovereign gold bond
Gold ETF और सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड को लेकर निवेशकों में हमेशा कनफ्यूजन की स्थिति होती है। एक बार फिर से RBI सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम की दूसरी सीरीज 22 अगस्त से शुरू करने जा रहा है। इसमें निवेशक 26 अगस्त तक निवेश कर पाएंगे। अब सवाल उठता है कि गोल्ड ईटीएफ में निवेश करना बेहतर होगा या सॉवरेन बॉन्ड? अगर आपके मन में भी यह सवाल हैं तो हम उसका पूरा समाधान यहां दे रहे हैं।
दोनों उत्पाद में निवेश की सीमा
सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड और गोल्ड ईटीएफ, दोनो में निवेशकों प्रति 1 ग्राम गोल्ड की कीमत से निवेश की शुरुआत कर सकते हैं। वहीं, गोल्ड ईटीएफ में अधिकतम निवेश की कोई सीमा नहीं है। यानी आप अपनी मर्जी के अनुसार निवेश कर सकते हैं, जबकि सॉवरेन बॉन्ड में एक व्यक्ति एक वित्त वर्ष में अधिकतम 4 किलोग्राम सोने की कीमत के बराबर ही निवेश कर सकता है।
गोल्ड ईटीएफ को आप स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) पर कैश ट्रेडिंग के लिए निर्धारित समय के दौरान कभी भी खरीद या बेच सकते हैं। लेकिन सॉवरे गोल्ड बॉन्ड सरकार की तरफ से आरबीआई समय-समय पर जारी करती है। ऐसे में जब चाहें इसे बेच डे ट्रेडिंग ईटीएफ नहीं सकते हैं। सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड की मैच्योरिटी पीरियड आठ वर्ष की है। लेकिन पांचवें, छठे और सातवें वर्ष में बॉन्ड को बेचने का विकल्प यानी एग्जिट ऑप्शन है। वहीं, डीमैट फॉर्म में इस बॉन्ड को लेने वाले इसे स्टॉक एक्सचेंज पर ट्रेडिंग आवर्स के दौरान कभी भी बेच सकते हैं। ऐसे में अगर आप वैसे निवेशक हैं जो कभी भी अपना पैसा निकालने में यकीन रखते हैं तो आपके लिए गोल्ड ईटीएफ बेहतर होगा।
डीमैट अकाउंट की जरूरत?
गोल्ड ईटीएफ के लिए डीमैट अकाउंट होना जरूरी है। वहीं, साॅवरेन गोल्ड बॉन्ड के लिए डीमैट अकाउंट होना जरूरी नहीं है। हां, अगर आप सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड की एक्सचेंज पर ट्रेडिंग करना चाहते हैं तो आपको बॉन्ड को डीमैट फॉर्म में लेना होगा, जिसके लिए डीमैट अकाउंट का होना जरूरी है। सबस्क्रिप्शन के दौरान ही आपको सॉवरिन डे ट्रेडिंग ईटीएफ बॉन्ड फिजिकल फॉर्म (सर्टिफिकेट) के अतिरिक्त डीमैट फार्म में भी लेने का विकल्प मिलता है।
निवेश पर किसमें ज्यादा जोखिम
साॅवरेन गोल्ड बॉन्ड सरकार की तरफ से आरबीआई जारी करती है। इसलिए इसमें डिफॉल्ट का कोई जोखिम नहीं है। वहीं, गोल्ड ईटीएफ म्यूचुअल फंड हाउस कंपनियों द्वारा जारी किया जाता है। ऐसे में इसमें डिफॉल्ट का खतरा होता है लेकिन वह काफी कम होता है।
किस पर कितना ब्याज
साॅवरेन बॉन्ड पर 2.5 फीसदी की दर से सालाना ब्याज मिलता है। यह हर 6 महीने में देय होता है। अंतिम ब्याज मैच्योरिटी पर मूलधन के साथ दिया जाता है। ब्याज की रकम टैक्सेबल होती है। वहीं, गोल्ड ईटीएफ पर आपको कुछ भी ब्याज नहीं मिलता। यानी आप ब्याज से इनकम चाहते हैं और सोने की बढ़ी कीमत का लाभ तो सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड एक बेहतर उत्पाद है।
गोल्ड ईटीएफ मैनेज करने के एवज में म्यूचुअल फंड हाउस निवेशक से टोटल एक्सपेंस रेश्यो (टीईआर) चार्ज वसूलते हैं। जब भी आप यूनिट खरीदते या बेचते हो ब्रोकर को ब्रोकरेज चार्ज देना होता है। जबकि सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड में इस तरह का कोई अतिरिक्त एक्सपेंस नहीं है। हां, अगर आप सॉवरिन बॉन्ड को एक्सचेंज पर खरीदोगे या बेचोगे तो आपको ब्रोकरेज चार्ज देना होगा। जरूरत पड़ने पर सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड के डे ट्रेडिंग ईटीएफ एवज में बैंक से लोन भी लिया जा सकता है। वहीं, गोल्ड ईटीएफ पर यह सुविधा नहीं है।
Gold ETF Dhanteras 2022: गोल्ड ईटीएफ सोने में निवेश करने डे ट्रेडिंग ईटीएफ का एक सुविधाजनक तरीका
शुभ अवसरों पर सोना खरीदने की परंपरा हमेशा से भारतीय परंपरा का हिस्सा रही है और इस फेस्टिव सीजन में भारतीय परिवार एक बार फिर फेस्टिव सीजन में गोल्ड की खरीदारी के लिए बाहर निकलने लगे हैं। एक भारतीय निवेशक के रूप में सोने के खरीदारों के पास कई प्रकार के सोने के प्रोडक्ट खरीदकर इसमें निवेश करने के मौके होते हैं। उपलब्ध सभी विकल्पों या प्रोडक्ट्स में से खरीदार को यदि गहनों की आवश्यकता नहीं है, तो जो डे ट्रेडिंग ईटीएफ विकल्प जो सबसे अधिक उम्दा है और जो सबसे बढ़िया निवेश विकल्प के रूप में सामने आता है वह है गोल्ड ईटीएफ।
गोल्ड ईटीएफ गोल्ड बुलियन में निवेश करना फिजिकल मेटल में निवेश करने जितना ही अच्छा है, लेकिन इसे इलेक्ट्रोनिक रूप में म्यूचुअल फंड यूनिट्स जैसा रखा जाता है, जो एक डीमैट खाते में संग्रहीत होते हैं। गोल्ड ईटीएफ की प्रत्येक यूनिट बहुत उच्च शुद्धता के फिजिकल गोल्ड डे ट्रेडिंग ईटीएफ जैसी होती है। हर दूसरे ईटीएफ की तरह, गोल्ड ईटीएफ भी स्टॉक एक्सचेंजों में लिस्टिंग और ट्रेडिंग होती है। इसलिए, कोई भी व्यक्ति किसी भी समय गोल्ड ईटीएफ को आसानी से खरीद और बेच सकता है। इसलिए, यदि आप निवेश के दृष्टिकोण से सोना खरीदना चाह रहे हैं, तो गोल्ड ईटीएफ एक बेहतरीन विकल्प हो सकता है। पोर्टफोलियो आवंटन के नजरिए से भी, गोल्ड ईटीएफ बेहतर स्थिति में हैं।
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