इसी तरह फसल अच्छी होने पर यदि गेंहू के दाम गिर गए, तो आप उसे खरीद लेते हैं, बाद में जब बाजार में गेंहू की किल्लत होती है और दाम ऊपर चढ़ते हैं तो आप उसे बेच कर मुनाफा कमा सकते हैं ! खास बात यह है कि यह सारा व्यापार इंटरनेट पर होता है ! सभी खरीददारी अप्रत्यक्ष रूप से होती है ! अगर आपने 100 कुंतल गेंहू खरीदा तो वह आपके घर पर नहीं पहुंचेगा ! सिर्फ आपके नाम से 100 कुंतल गेंहू दर्ज हो जाएगा, हालांकि आप जब चाहे उसे कमोडिटी बाजार से उठा सकते हैं !
महंगाई का मूल कारण कमोडिटी सट्टा बाजार : Yogesh Mishra
आप सोच रहे होंगे कि राजनीतिक उठापटक से कमोडिटी बाजार में खड़े दलाल का क्या ताल्लुक है ! लेकिन ताल्लुक है और वह भी काफी गहरा है ! क्योंकि कमोडिटी बाजार जैसे एमसीएक्स, नैशनल कमोडिटी ऐंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज (एनसीडीईएक्स) और नेशनल मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमएमसीई) सरकार द्वारा बनाया गया वह सट्टा बाजार है, जहां हजारों सटोरियह पैसा लगाते हैं !
यह वह बाजार हैं, जहां रातों-रात रोज मर्रा की वस्तुएं जैसे गेंहू, चावल, चीनी, दाल, आदि की कीमतों में उछाल या गिरावट दर्ज हाती है ! यह वह बाजार है, जो अप्रत्यक्ष रूप से आम आदमी और किसानों की कमर तोड़ रहा है ! इन बाजारों में चीनी, गुड़, सोना, चांदी या एल्युमिनियम पर पैसा नहीं लगाया जाता, बल्कि यहां खेला जाता है आम आदमी पर सट्टा ! उस आदमी पर जिसने अपना खून पसीना एक कर फसल उगाई और उस आदमी की भी जो परिवार का पेट पालने के लिये जद्दोजहद कर रहा है ! बढ़ती महंगाई के चलते जिनके बच्चों को सेब और अनार जैसे फल नसीब तक नहीं हो पाते !
स्टॉक कमोडिटी मार्केट की मूल बातें मार्केट इंडेक्स को परिभाषित करना
स्टॉक मार्केट इंडेक्स के रूप में भी जाना जाता है, मार्केट इंडेक्स किसी चीज का माप या संकेतक होता है। आमतौर पर, यह शेयर बाजार में हो रहे परिवर्तनों के सांख्यिकीय माप को दर्शाता है। आम तौर पर,गहरा संबंध और शेयर बाजार सूचकांकों में प्रतिभूतियों का एक काल्पनिक पोर्टफोलियो शामिल होता है जो या तो एक विशिष्ट खंड या पूरे बाजार का प्रतिनिधित्व करता है।
भारत में कुछ उल्लेखनीय सूचकांकों का उल्लेख नीचे किया गया है:
बीएसई सेंसेक्स और एनएसई निफ्टी जैसे बेंचमार्क इंडेक्स
बीएसई 100 और निफ्टी 50 जैसे ब्रॉड-आधारित सूचकांक
बाजार पूंजीकरण आधारित सूचकांक जैसे बीएसई मिडकैप और बीएसईछोटी टोपी
सीएनएक्स आईटी और निफ्टी एफएमसीजी इंडेक्स जैसे क्षेत्रीय सूचकांक
भारत में स्टॉक मार्केट इंडेक्स की आवश्यकता
एक शेयर बाजार सूचकांक एक बैरोमीटर की तरह है जो पूरे बाजार की समग्र स्थितियों को प्रदर्शित करता है। वे निवेशकों को पैटर्न की पहचान करने में सक्षम बनाते हैं; और इसलिए, एक संदर्भ की कमोडिटी मार्केट की मूल बातें तरह व्यवहार करना जो यह तय करने में मदद करता है कि वे किस स्टॉक में निवेश कर सकते हैं।
यहां कुछ कारण दिए गए हैं जो शेयर बाजार सूचकांक के उपयोग को मान्य करते हैं:
स्टॉक चुनने में मदद करता है
स्टॉक एक्सचेंज में स्टॉक इंडेक्स सूची में हजारों कंपनियों को ढूंढना कोई नई अवधारणा नहीं है। मोटे तौर पर, जब आपके पास चुनने के लिए अंतहीन विकल्प होते हैं, तो निवेश के लिए कुछ शेयरों कमोडिटी मार्केट की मूल बातें का चयन करना किसी बुरे सपने से कम नहीं हो सकता है।
और फिर, उन्हें एक और अंतहीन सूची के आधार पर छाँटना परेशानी को और बढ़ा सकता है। यह वह जगह है जहां एक सूचकांक कदम रखता है। ऐसी स्थिति में, कंपनियों और शेयरों को सूचकांकों में वर्गीकृत किया जाता हैआधार महत्वपूर्ण विशेषताओं की, जैसे कंपनी का क्षेत्र, उसका आकार, या उद्योग।
इंडेक्स कैसे बनाए जाते हैं?
समान स्टॉक के साथ एक सूचकांक विकसित किया जाता है। वे कंपनी के आकार, उद्योग के प्रकार, बाजार पूंजीकरण, या किसी अन्य पैरामीटर पर आधारित हो सकते हैं। शेयरों का चयन करने के बाद, सूचकांक के मूल्य की गणना की जाती है।
हर स्टॉक की अलग कीमत होती है। और, एक विशिष्ट स्टॉक में मूल्य परिवर्तन आनुपातिक रूप से किसी अन्य स्टॉक में मूल्य परिवर्तन के बराबर नहीं होता है। हालांकि, अंतर्निहित शेयरों की कीमतों में कोई भी बदलाव समग्र सूचकांक मूल्य को बहुत प्रभावित कर सकता है।
उदाहरण के लिए, यदि प्रतिभूतियों की कीमतों में वृद्धि होती है, तो सूचकांक साथ-साथ बढ़ता है और इसके विपरीत। इसलिए, मूल्य की गणना आम तौर पर सभी कीमतों के एक साधारण औसत के साथ की जाती है। इस तरह, एक स्टॉक इंडेक्स कमोडिटी, वित्तीय या कमोडिटी मार्केट की मूल बातें किसी अन्य बाजार में उत्पादों की दिशा के साथ-साथ समग्र बाजार की भावना और कीमत की गति को प्रदर्शित करता है।
ध्यान रखने योग्य बातें
यह पता लगाना कि क्या किसी फंड ने बेंचमार्क से बेहतर प्रदर्शन किया है, किसी स्कीम को चुनने का एकमात्र तरीका नहीं है। हालांकि, यह एक आवश्यक कारक है जो आपकी मदद कर सकता हैम्युचुअल फंड में निवेश. इसके अलावा, आपको यह भी सत्यापित करना होगा कि स्टॉक मार्केट इंडेक्स के माध्यम से फंड महत्वपूर्ण अंतर के साथ वर्षों से अपने बेंचमार्क से बेहतर प्रदर्शन कर रहा है या नहीं।
इसके अलावा, केवल एक त्वरित निर्णय न लें। बाजार में अपना पैसा लगाने से पहले आपको रिटर्न रेट, अपनी वित्तीय स्थिति और निवेश के प्रकार को भी ध्यान में रखना चाहिए। समस्याओं से बचने के लिए आप एक ऐसे फंड हाउस का भी चयन कर सकते हैं, जिसके पास इस स्ट्रीम में उपयुक्त अनुभव और ज्ञान रखने वाला मैनेजर हो।
मंडी में हड़ताल, सब्जियों में लगी आग
मुंबई में सब्जियों में आग लग गई है। मंडी में हड़ताल के कारण जो सब्जियां कल तक 40 रुपए किलों में बिक रही थीं अब वो 120 रुपये किलो पर पहुंच गई हैं। इधर एंजेंट धमकी दे रहे हैं कि सरकार ने उनकी मांग नहीं मानी तो हड़ताल लंबी चलेगी।
मुंबई में हड़ताल के कारण सब्जियों की कीमत में मचा है हाहाकार। हड़ताल अभी शुरू ही हुई है और कई सब्जियों की कीमत दोगुनी हो गई है। पिछले हफ्ते मुंबई में गोभी जहां 40 रुपये किलो बिक रही थी वहां अब इसकी कीमत 120 रुपये हो गई है। लौकी 50 से 110 रुपये किलो हो गई है। टमाटर 60 से 100 रुपये का हो गया है। भिंडी 40 से 100 तो करेला 40 से 80 रुपये का हो गई है। टिंडा, प्याज और आलू का भी यही आलम है।
दरअसल महाराष्ट्र सरकार एपीएमसी की लिस्ट से सब्जियों और फलों को निकालना चाहती है। इससे किसान खुले बाजार में अपना माल बेच पाएंगे। बस इसी बात से मंडियों के व्यापारी और एजेंट नाराज हैं। सरकार और व्यापारियों की इस लड़ाई में पिस रहे हैं ग्राहक। कमीशन से मोटी कमाई के आदि हो चुके एजेंटों ने चेतावनी दी है कि अगर सरकार नहीं झुकी तो हड़ताल लंबी चलेगी।
संबंधित खबरें
क्रूड में दबाव, एमसीएक्स पर 6400 के नीचे आया भाव, दरें बढ़ने से डरा सोना
सरकारी गोदामों में घटा गेहूं का स्टॉक, 6 साल के निचले स्तर पर पहुंचा, जाानिए क्या है वजह
Commodity Market- कच्चे तेल की कीमतों में तेजी जारी, जानिए क्या है सोने-चांदी का हाल
मार्केट यार्ड में थोक व्यापारी उसके उत्पाद का दाम लगाते हैं और किसान उन्हें अपना उत्पाद बेच देता है। इसके बाद नंबर आता है सब ब्रोकर का जो अपना कमीशन काटकर उत्पाद को रिटेलर के हाथों बेच देते हैं। तब कहीं जाकर वह उत्पाद कंज्यूमर के सामने आ पाता है। इस प्रक्रिया में कंज्यूमर तक पहुंचते पहुंचते किसान के उत्पाद की कीमत करीब 40 से 60 फीसदी तक बढ़ जाती है। यानि अगर ये सिस्टम हटा तो किसान को 60 फीसदी तक ज्यादा कीमत मिलने की संभावना बनेगी। लेकिन इसमें बिचौलियों की कमाई मारी जाएगी तो इनकी नाराजगी समझी जा सकती है। अब जरा ये समझिए कि नए नियमों के तहत क्या होगा।
जवाब कमोडिटी बाजार के
कमोडिटी को हिंदी में जिंस और स्पॉट को हाजिर व फ्यूचर को वायदा कहते हैं। लेकिन हम बोलचाल के कारण इनके लिए अंग्रेजी शब्दों का ही इस्तेमाल करेंगे। स्पॉट भाव तो सीधा-सीधा वह भाव है जिस पर हम नकद देकर कोई जिंस खरीदते हैं। इसमें भी रिटेल और होलसेल भाव अलग होते हैं। फ्यूचर भाव भविष्य की किसी तारीख को उसी जिंस के भाव होते हैं। जैसे, सोने का भाव स्पॉट भाव अगर आज 16,800 रुपए प्रति दस ग्राम है तो आज ही इसके एक महीने के फ्यूचर का भाव 16,900 रुपए और दो महीने के फ्यूचर का भाव कमोडिटी मार्केट की मूल बातें 17,150 रुपए हो सकता है। फ्यूचर और स्पॉट भाव के अंतर को कॉस्ट ऑफ कैरी कहते हैं। इस लागत में ब्याज, भंडारण व बीमा वगैरह का खर्च गिना जाता कमोडिटी मार्केट की मूल बातें है।
आम तौर पर फ्चूयर भाव स्पॉट भाव से अधिक होते हैं। लेकिन अगर इसका उल्टा हो जाए तो इसे बैकवर्डेशन कहते हैं। ऐसा कृषि जिंसों में बराबर होता है क्योंकि जब भी नई फसल आएगी, उस वक्त फ्यूचर भाव स्पॉट के कम ही रहते हैं।
We hereby warn about the following risks:
1. Digital signs (tokens) (hereinafter referred to as “tokens”) are not legal tender and are not required to be accepted as a means of payment.
2. Tokens are not backed by the state.
3. Acquisition of tokens may lead to complete loss of funds and other objects of civil rights (investments) transferred in exchange for tokens (including as a result of token cost volatility; technical failures (errors); illegal actions, including theft).
4. The distributed ledger technology (blockchain), other distributed information system and similar technologies are innovative and constantly updated, which implies the need for periodic updates (periodic improvement) of the information system of Dzengi Com CJSC and the risk of technical failures (errors) in its operation.
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 820