BitCoin: आईएमएफ की गीता गोपीनाथ ने मोदी सरकार को क्रिप्टोकरेंसी पर दी है यह सलाह, आपके लिए जानना है जरूरी

IMF View: अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की मुख्य अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ ने क्रिप्टोकरेंसी को विनियमित करने पर जोर देते हुए कहा कि उन पर प्रतिबंध लगाना हमेशा चुनौतीपूर्ण होगा, क्योंकि वे विदेशी बाजारों से संचालित होते क्रिप्टोमार्केट को विनियमित करने की आवश्यकता क्यों है? हैं।

FILE PHOTO: Gita Gopinath, Economic Counsellor and Director of the Research Department at the International Monetary Fund (IMF), speaks during a news conference in Santiago

हाइलाइट्स

  • क्रिप्टोकरेंसी को विनियमित करना जरूरी है क्योंकि उन पर प्रतिबंध लगाना हमेशा चुनौतीपूर्ण होगा।
  • क्रिप्टो पर एक वैश्विक नीति और समन्वित कार्रवाई का भी करना चाहिए।
  • उभरते बाजारों के लिए क्रिप्टोकरेंसी खासतौर से एक चुनौती है।
  • क्रिप्टोकरेंसी की समस्या को अपने दम पर हल नहीं कर सकता है।

उन्होंने बुधवार को आर्थिक शोध संस्थान नेशनल काउंसिल ऑफ एप्लाइड इकोनॉमिक रिसर्च (एनसीएईआर) द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘मुझे लगता है कि उभरते बाजारों के लिए क्रिप्टोकरेंसी खासतौर से एक चुनौती है। विकसित अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में उभरती अर्थव्यवस्थाओं में क्रिप्टोकरेंसी और परिसंपत्तियों को अपनाना अधिक आकर्षक लगता है।’’

भारत अनियमित क्रिप्टोकरेंसी से पैदा होने वाली चुनौतियों से निपटने के लिए संसद में एक विधेयक लाने पर विचार कर रहा है। इस समय देश में क्रिप्टोकरेंसी पर कोई विशेष नियम या कोई प्रतिबंध नहीं है।

गोपीनाथ, जो अगले साल की शुरुआत में आईएमएफ की उप प्रबंध निदेशक बनने वाली हैं, ने कहा कि विनियमन के लिए दुनिया भर के देश अलग-अलग कोशिश कर रहे हैं, हालांकि प्रतिबंध लगाने को लेकर स्पष्ट रूप से चुनौतियां हैं।

उन्होंने कहा कि कोई भी देश सीमा-पार जटिल लेनदेन को देखते हुए क्रिप्टोकरेंसी की समस्या को अपने दम पर हल नहीं कर सकता है और इसके लिए तत्काल एक वैश्विक नीति की आवश्यकता है।

भारत की राजकोषीय और मौद्रिक नीति पर एक सवाल के जवाब में गोपीनाथ ने कहा कि भारत की मुख्य मुद्रास्फीति छह प्रतिशत से थोड़ा ऊपर है, और ऐसे में नीति निर्माण को लेकर कुछ मुद्दे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘भारत की राजकोषीय नीति को कुछ और तिमाहियों तक उदार रुख पर कायम रहना चाहिए, और उसके बाद धीरे-धीरे वापस लिया जाना चाहिए।’’

सरकार को क्रिप्टो लेनदेन को विनियमित करने के लिए कानून लाना चाहिए: स्वदेशी जागरण मंच

नयी दिल्ली, 19 नवंबर (भाषा) आरएसएस से जुड़े स्वदेशी जागरण मंच ने कहा है कि सरकार को क्रिप्टोकरेंसी लेनदेन को ‘‘परिसंपत्ति वर्ग’’ के रूप में मान्यता देने और इसे विनियमित करने के लिए एक कानून लाना चाहिए। स्वदेशी जागरण मंच (एसजेएम) के सह-संयोजक अश्विनी महाजन ने पीटीआई-भाषा से बात करते हुए सुझाव दिया कि सरकार को यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि डेटा और हार्डवेयर घरेलू सर्वर पर ही रहे, जो क्रिप्टोकरेंसी के लेनदेन में उपयोग किया जाता है। उन्होंने कहा कि इससे सरकार को अवैध लेनदेन का पता लगाने और उनके खिलाफ कार्रवाई करने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा, ‘‘वर्तमान

स्वदेशी जागरण मंच (एसजेएम) के सह-संयोजक अश्विनी महाजन ने पीटीआई-भाषा से बात करते हुए सुझाव दिया कि सरकार को यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि डेटा और हार्डवेयर घरेलू सर्वर पर ही रहे, जो क्रिप्टोकरेंसी के लेनदेन में उपयोग किया जाता है।

उन्होंने कहा कि इससे सरकार को अवैध लेनदेन का पता लगाने और उनके खिलाफ कार्रवाई करने में मदद मिलेगी।

उन्होंने कहा, ‘‘वर्तमान में, दुनिया में कहीं से भी कोई भी निजी संस्थाओं द्वारा संचालित निजी एक्सचेंजों के माध्यम से इसमें निवेश कर सकता है। और इससे भी बुरी बात यह है कि क्रिप्टोकरेंसी को किसी भी केंद्रीय प्राधिकरण द्वारा नियंत्रित नहीं किया जाता है।’’

उन्होंने कहा कि निजी एक्सचेंजों के माध्यम से एन्क्रिप्टेड लेनदेन कैसे किए जा रहे हैं, इसमें निवेश करने वाले कौन हैं और निवेशक उनके साथ क्या कर रहे हैं, यह देखने के लिए कोई तंत्र नहीं है।

महाजन ने कहा, ‘‘क्रिप्टोकरेंसी को विनियमित करने और इसके साथ किए गए लेनदेन को परिसंपत्ति वर्ग के रूप में मान्यता देने के लिए कानून की आवश्यकता है। इससे कराधान और राष्ट्रीय सुरक्षा के उद्देश्यों के लिए लेनदेन की बेहतर समझ विकसित करने में मदद मिलेगी।’’

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क्रिप्टोकरेंसी पर आ सकता है ये बड़ा फैसला, निवेशकों को मिलेगी बड़ी राहत

क्रिप्टोकरेंसी पर सरकार ने कंसल्टेशन पेपर तैयार किया है. यह पेपर जल्द ही जारी हो सकता है. भारत के लाखों निवेशकों को इस पेपर की उम्मीद लगी है. इससे पता चल पाएगा कि भारत में क्रिप्टोकरेंसी पर सरकार का क्या रुख रहेगा.

क्रिप्टोकरेंसी पर आ सकता है ये बड़ा फैसला, निवेशकों को मिलेगी बड़ी राहत

-गगन राव पाटिल

क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) को भले सरकार मान्यता देने के मूड में हाल फिलहाल नहीं दिख रही हो, लेकिन इंवेस्टर्स के हित के बारे में जरूर कहीं न कहीं सोच रही है. ताजा तस्वीर तो कुछ ऐसा ही बयां कर रही है. क्रिप्टो पर जल्द तस्वीर साफ हो सकती है. जी हां, भारत में क्रिप्टोकरेंसी को लेकर बड़ा फैसला आ सकता है. आर्थिक मामलों के सचिव अजय सेठ ने खुद इस बात की तस्दीक की है. भारत के लाखों निवेशकों ने बिटकॉइन (Bitcoin) जैसी क्रिप्टोकरेंसी में करोड़ों रुपये का निवेश किया है. सरकार को इन निवेशकों के हित की चिंता है. सरकार झटके में ऐसा कोई कदम नहीं उठाना चाहती जिससे कि निवेशकों की उम्मीदें ध्वस्त हो जाएं.

सभी स्टेकहोल्डर्स से राय लेकर क्रिप्टोकरेंसी पर कंसल्टेशन पेपर तैयार किया गया है. जल्द ही कंसल्टेशन पेपर को पेश भी किया जाएगा. कंसल्टेशन पेपर की बात कहां से आई, इसे ठीक से समझ लेते हैं. दरअसल, वित्त मंत्रालय की तरफ से आयोजित एक कार्यक्रम में सचिव ने कहा कि क्रिप्टोकरेंसी के मुद्दे पर घरेलू और अन्य भागीदारों के साथ चर्चा की गई है. उसी के आधार पर कंसल्टेशन पेपर तैयार किया गया है. इसमें यह भी कहा गया कि क्रिप्टोकरेंसी की वजह से पैदा होने वाली चुनौतियों से निपटने के लिए वैश्विक स्तर पर कदम उठाने की जरूरत है. भारत ने क्रिप्टोकरेंसी को लेकर सजग रुख अपनाया हुआ है. इस बारे में अभी तक कोई नीतिगत स्पष्टता नहीं आ पाई है. इस पर कंसल्टेशन पेपर तैयार करना इसी दिशा में उठाया गया कदम माना जा रहा है.

क्रिप्टो पर सरकार की तैयारी

क्रिप्टोकरेंसी को लेकर वैश्विक सहमति बननी बेहद जरूरी है. सरकार निवेशकों की सुरक्षा को देखते हुए क्रिप्टोकरेंसी को रेगुलेट करने से पहले दूसरे देशों द्वारा उठाए गए कदमों पर गौर करेगी. क्रिप्टो पर न केवल घरेलू हितधारकों बल्कि आईएमएफ, विश्व बैंक जैसे संगठनों से भी सुझाव लिया है. अब थोड़ा फ्लैश बैक में जाने की जरूरत है. दरअसल, वित्त वर्ष 2022-23 के बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वर्चुअल डिजिटल संपत्ति के लेनदेन से होने वाली क्रिप्टोमार्केट को विनियमित करने की आवश्यकता क्यों है? आय पर 30 फीसदी टैक्स लगाने का ऐलान किया था. साथ ही बजट में वर्चुअल डिजिटल एसेट्स के लेनदेन पर 1 फीसदी टीडीएस लगाने का भी ऐलान हुआ था.

इसके अलावा वित्त मंत्री ने अपनी अमेरिका यात्रा के दौरान क्रिप्टोकरेंसी को लेकर चिंता जाहिर की थी. उन्होंने कहा था कि वैश्विक सहमति से क्रिप्टोकरेंसी को विनियमित करने की आवश्यकता है जिससे इसका इस्तेमाल मनीलॉन्डरिंग और आतंकवाद के पोषण में न हो. उन्होंने कहा कि क्रिप्टोकरेंसी को लेकर ये भारत की बड़ी चिंताएं हैं. इधर, बिटकॉइन में तेजी देखने को मिली है. बिटकॉइन पिछले 24 घंटे में करीब 3 फीसदी की तेजी के साथ करीब 24 लाख रुपये पर ट्रेड करती दिखाई दी.

क्‍या क्रिप्‍टोकरेंसी को देश में कानूनी मान्‍यता मिल चुकी है, यहां जानिये इससे जुड़े सवालों के जवाब

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Cryptocurrency: इस साल क्रिप्टोकरेंसी के भारत में लीगल टेंडर यानी वैधानिक होने की खूब चर्चाएं थीं। सभी कारोबारी व निवेशक यह जानना चाह रहे थे कि सरकार इस पर मुहर लगाती है या नहीं। इसके चलते आम बजट पर सभी की निगाहें थीं। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के आभासी संपत्तियों पर कर लगाने के प्रस्ताव ने भारत में क्रिप्टोकरेंसी की वैधता पर बहस छेड़ दी है। जबकि कई लोगों ने डिजिटल मुद्राओं पर कर लगाने के निर्णय का स्वागत किया है, यह सोचकर कि यह आभासी मुद्राओं को पहचानने का पहला कदम है, सरकार ने अभी तक यह स्पष्ट नहीं किया है कि क्या भारत में बिटकॉइन जैसी मुद्राओं को कानूनी निविदा माना जा सकता है। आखिर सरकार ने इस विषय पर अपना पक्ष भी स्‍पष्‍ट क्रिप्टोमार्केट को विनियमित करने की आवश्यकता क्यों है? कर दिया था। गत 1 फरवरी को पेश केंद्रीय बजट 2022-23 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि इस करेंसी से होने वाली आय पर सरकार कर क्रिप्टोमार्केट को विनियमित करने की आवश्यकता क्यों है? जरूर लगाएगी लेकिन इसे देश में लीगल टेंडर किया जाना अभी तय नहीं है। हालांकि सरकार ने यह भी साफ कहा था कि इस पर फिलहाल प्रतिबंध नहीं लगाया जाएगा। इसके साथ ही सरकार ने इस आभासी डिजिटल संपत्ति के हस्तांतरण से होने वाली आय पर 30 प्रतिशत कर लगाने का भी प्रस्ताव रखा था। जानिये इसके बारे में कुछ खास बातें।

1 प्रतिशत टीडीएस लगाने की घोषणा

सीतारमण ने वर्चुअल डिजिटल संपत्ति के हस्तांतरण के संबंध में किए गए भुगतान पर 1 प्रतिशत टीडीएस लगाने की भी घोषणा की थी। इस कदम का उद्देश्य डिजिटल मुद्रा में लेनदेन के विवरण को कैप्चर करना है। विभिन्न बाजार विश्लेषकों ने डिजिटल परिसंपत्तियों पर कर लगाने को क्रिप्टोकरेंसी को वैधानिक दर्जा मिलने की प्रस्‍तावना के रूप में देखा। हालांकि, वित्त मंत्री ने स्पष्ट किया कि सरकार ने क्रिप्टोकरेंसी लेनदेन से होने वाले लाभ पर कर लगाने का निर्णय लिया है, लेकिन इसके नियमन या वैधता पर अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है।

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RBI की नज़र में यह आर्थिक स्थिरता के लिए खतरा

केंद्र सरकार भले ही इस करेंसी को लेकर अभी बंदिशें नहीं लगा रही हो लेकिन आरबीआई की नज़र में यह देश की माली हालत के लिए ठीक नहीं है। फरवरी माह में ही मौद्रिक नीति की घोषणाओं के बाद पत्रकारों से बात करते हुए आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा था कि "निजी क्रिप्टोकरेंसी भारत की वित्तीय क्रिप्टोमार्केट को विनियमित करने की आवश्यकता क्यों है? और व्यापक आर्थिक स्थिरता के लिए एक बड़ा खतरा हैं, साथ ही आरबीआई की इससे निपटने की क्षमता भी है। निवेशकों को यह बताना मेरा कर्तव्य है कि वे क्रिप्टोकरेंसी में क्या निवेश कर रहे हैं, उन्हें यह ध्यान रखना चाहिए कि वे अपने जोखिम पर निवेश कर रहे हैं। उन्हें यह ध्यान रखना चाहिए कि इन क्रिप्टोकरेंसी में कोई संपत्ति नहीं है।

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सरकार चाहती है सामूहिक प्रयास हों

इससे पहले वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले साल दिसंबर में कहा था कि क्रिप्टोकरेंसी को विनियमित करने के लिए सामूहिक प्रयास की आवश्यकता है क्योंकि तकनीक लगातार विकसित और बदल रही है। बजट के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान, सीतारमण ने कहा कि क्रिप्टो विनियमन पर परामर्श चल रहा है और नियामक दस्तावेज को अंतिम रूप देने के बाद क्या कानूनी है, क्या स्पष्ट नहीं होगा।

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बिटकॉइन या एथेरियम जैसी क्रिप्टोकरेंसी के लिए राह मुश्किल

दूसरी तरफ वित्त सचिव टीवी सोमनाथन का कहना था कि बिटकॉइन या एथेरियम जैसी क्रिप्टोकरेंसी कभी भी कानूनी निविदा नहीं बनेगी। सोमनाथन ने कहा कि डिजिटल रुपया आरबीआई द्वारा समर्थित होगा जो कभी भी डिफॉल्ट नहीं होगा। पैसा आरबीआई का होगा लेकिन प्रकृति डिजिटल होगी। आरबीआई द्वारा जारी डिजिटल रुपया कानूनी निविदा होगी। हम डिजिटल रुपये के साथ गैर-डिजिटल संपत्ति खरीद सकते हैं जैसे हम अपने वॉलेट या यूपीआई प्लेटफॉर्म के जरिए भुगतान करके आइसक्रीम या अन्य चीजें खरीदते हैं।

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सरकार नहीं कर सकती मूल्‍य को अधिकृत

सोमनाथन के अनुसार क्रिप्टो संपत्ति ऐसी संपत्ति है जिसका मूल्य दो लोगों के बीच निर्धारित किया जाता है, आप सोना, हीरा और क्रिप्टो संपत्ति खरीद सकते हैं, लेकिन उस मूल्य को सरकार द्वारा अधिकृत नहीं किया जाएगा।निजी क्रिप्टो में निवेश करने वाले लोगों को यह समझना चाहिए कि इसके पास सरकार का प्राधिकरण नहीं है। इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि आपका निवेश सफल होगा या नहीं, किसी को पैसा गंवाना पड़ सकता है और इसके लिए सरकार जिम्मेदार नहीं है। हालांकि, वित्त सचिव ने स्पष्ट किया कि जो चीजें कानूनी नहीं हैं, उनका मतलब यह नहीं है कि वे अवैध हैं। अगर क्रिप्टोकुरेंसी के लिए विनियमन क्रिप्टोमार्केट को विनियमित करने की आवश्यकता क्यों है? आता है तो यह कानूनी निविदा नहीं होगी।"

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उद्योग के विशेषज्ञ और वकील क्रिप्टोकरेंसी लेनदेन (Cryptocurrency Transactions) की बेहतर निगरानी और धोखाधड़ी गतिविधियों के लिए दंड के दिशानिर्देशों को सुनिश्चित करने के लिए नियमों की अपेक्षा करते हैं। क्रिप्टो संपत्ति और संबंधित सेवाओं पर कैसे कर लगाया जाएगा, इस पर स्पष्टता की प्रतीक्षा है।

Cryptocurrency Bill 2021: Every Cryptocurrency Investor Needs to Know

बिजनेस डेस्‍क। भारत सरकार (Indian Government) क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) पर प्रतिबंध लगाएगी या नहीं, इसको लेकर इस समय काफी शोर है। वैसे क्रिप्‍टोकरेंसी को रेगुलेट करने वाला बिल संसद के शीतकालीन सत्र में पेश किया जाना है। वैसे कुछ और जानने और समझने पहले यह जान लेना काफी जरूरी है आख‍िर दो साल पहले यानी 2019 के क्रिप्‍टो बिल और 2021 के फ्रेश क्रिप्‍टो बिल में क्‍या अंतर है?

2019 में इस नाम का था क्रिप्‍टो बिल
2019 में, बिल के नाम में क्रिप्‍टो पर पूर्ण प्रतिबंध का सुझाव है। 2019 में बिल का नाम ‘बैनिंग ऑफ क्रिप्‍टोकरेंसी एंड रेगुलेशन ऑफ ऑफ‍िश‍ियल डिजिटल करेंसी बिल 2019’को पढ़ें पता चलता है कि किसी को भी क्रिप्टोकरेंसी की माइनिंग, जेनरेट, होल्‍ड, बिक्री, डील, इश्‍यू, ट्रांसफर, डिस्‍पोज या यूज करने के लिए मना किया क्रिप्टोमार्केट को विनियमित करने की आवश्यकता क्यों है? गया है।

दो साल में बदल गया बिल
2021 आते-आते चीजें काफी तेजी के साथ बदल गईं। बिल को अब 'क्रिप्टोकरेंसी एंड रेगुलेशन ऑफ ऑफिशियल डिजिटल करेंसी बिल, 2021' नाम दिया गया है, और इसे पहली बार बजट सत्र के लिए लिस्‍ट भी कर लिया गया था, लेकिन व्यापक परामर्श के लिए इसे टाल दिया गया। उसके बाद सरकार ने क्रिप्टो यूनियंस, एक्सचेंजों और अन्य विशेषज्ञों से परामर्श किया है। जिससे स्‍टेक होल्‍डर्स में क्रिप्‍टो कारोबार को लेकर काफी आशावादी दिख रहे हैं।

2021 के बिल से क्या उम्मीद करें?
पिछले कुछ महीनों में, सरकारी सूत्रों ने खुलासा किया है कि सरकार क्रिप्टोकरेंसी को रेगुलेट करने पर विचार करेगी, उन्हें असेट के रूप में मानेगी, न कि करेंसी के रूप में और इंवेस्‍टमेंट पर मिलने वाले रिटर्न पर टैक्‍स लगाने पर विचार करेगी। एक बात तय हो गई है कि देश में क्रिप्टो को करेंसी के तौर पर नहीं चलने दिया जाएगा। खेतान एंड कंपनी में इनडायरेक्ट टैक्स प्रैक्टिस ग्रुप की पार्टनर रश्मि देशपांडे कहती हैं कि 2019 के बिल में बदलाव करना होगा क्योंकि उस बिल में क्रिप्टोकरेंसी कारोबार को समझने में काफी खामियां थी। मौजूदा माहौ में जहां हर कोई क्रिप्टोकरेंसी में निवेश कर रहा है और इसके आसपास बहुत सारे व्यवसाय हैं, इसे प्रतिबंधित नहीं किया जा सकता है। सीएनएन न्‍यूज 18 की रिपोर्ट के अनुसार, जिसमें सरकारी सूत्रों का हवाला दिया गया है, कोई पूर्ण प्रतिबंध नहीं होगा, लेकिन एक रेगुलेटरी मैनेनिज्‍म स्थापित किया जाएगा।

बि‍ल में किन किन को कि‍या जाएगा रेगुलेट?
सबसे पहले क्रिप्टो ट्रेडिंग की अनुमति केवल उन प्लेटफॉर्म और एक्सचेंजों के माध्यम से दी जाएगी जिन्हें सरकार द्वारा आधिकारिक रूप से मान्यता प्राप्त है। यहां तक कि एक नई रेगुलेट बॉडी भी बनाई जा सकती है। साथ ही क्रिप्टोकरेंसी को भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के दायरे में लाया जा सकता है।

क्रिप्टो में क्रॉस बॉर्डर ट्रांजेक्‍शंस भी शाम‍िल है, इसलिए ट्रेडों की निगरानी के लिए भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) जैसी संस्था की आवश्यकता होगी। जानकारों के अनुसार इंवेस्‍टर्स की सेफ्टी सबसे महत्वपूर्ण है। निवेशकों के खिलाफ धोखाधड़ी के मामलों में दंड के मानदंड बनाने होंगे। निशीथ देसाई एसोसिएट्स के टेक्‍नोलॉजी लॉयर जयदीप रेड्डी कहते हैं कि उनके द्वारा पहले भी सिफारिश की गई है कि मौजूदा कानून जैसे उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, फेमा, आईपीसी, सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, पीएसएस अधिनियम, पीएमएलए, पुरस्कार चिट अधिनियम, जमा-संबंधित कानून, प्रतिभूतियां क्रिप्टो-एसेट व्यावसायिक गतिविधि के संबंध में कानूनों और कर कानूनों को सक्रिय रूप से लागू किया जाना चाहिए।

टैक्स क्या होगा?
इंडस्‍ट्री टैक्‍सेशन को लेकर काफी सतर्क हैं। क्रिप्‍टोकरेंसी पर अगर टैक्‍स की दर ज्‍यादा होती है तो सेंटीमेंट को क्रिप्टोमार्केट को विनियमित करने की आवश्यकता क्यों है? कम कर सकती है और पिछले दो वर्षों में भारतीय क्रिप्टो एक्सचेंजों की भीड़ को धीमा कर सकती है। टैक्‍सेशन के लिए, क्रिप्टोकरेंसी को उनके कार्य के अनुसार अलग करना पड़ सकता है। निशीथ देसाई एसोसिएट्स के एक पेपर में तीन बकेट का सुझाव दिया गया है- पेमेंट टोकन, सिक्‍योरिटी टोकन और यूटिलिटी टोकन। जानकारों की मानें तो इस पर पूरे क्‍लैरिफ‍िकेशन की जरुरत है। सवाल यह है कि क्रिप्‍टोकरेंसी से मिलने वाले रिटर्न को इनकम टैक्‍स के तहत कैपिटल असेट माना जा सकता है। हमें यह जानने की जरूरत है कि क्या इसे सामान या सेवाओं के रूप में माना जाएगा और यह भी कि यह किस टैक्स स्लैब के तहत आ सकता है।

भ्रमित कर कर रहे हैं सर्कूलर के शब्‍द
बिल पर जारी किए गए सर्कुलर में कहा गया है कि यह "भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जारी की जाने वाली ऑफिशि‍यल डिजिटल करेंसी के निर्माण के लिए एक सुविधाजनक ढांचा का निर्माण करना चाहता है। इससे भी महत्वपूर्ण बात, यह कहता है कि बिल "भारत में सभी निजी क्रिप्टोकरेंसी को प्रतिबंधित करना चाहता है"। भारत में निजी क्रिप्टोकरेंसी को ऐसी किसी भी क्रिप्टोकरेंसी के रूप में समझा जाता है जो सरकार द्वारा स्वयं विनियमित या जारी नहीं की जाती है, जैसे कि बिटकॉइन, एथेरियम और डॉगकॉइन। लेकिन निजी क्रिप्टोकरेंसी की आधिकारिक परिभाषा पर कोई स्पष्टता नहीं है।

"निजी क्रिप्टोकरेंसी' फ्रेज के उपयोग के कारण अनावश्यक भ्रम है। सरकार 'पब्‍ल‍िक सेक्‍टर' और 'प्राइवेट सेक्‍टर' जैसे शब्‍दों का प्रयोग अपने डॉक्‍युमेंट में करती है। इसलिए प्राइवेटनिजी, नॉन सॉवरेंट यूनिट द्वारा जारी किए गए किसी भी उपकरण को निजी क्रिप्टो माना जाता है। सरकारी सूत्रों के हवाले से सुबह से कई न्‍यूज रिपोर्ट ने जनता को आश्वासन दिया है कि कोई पूर्ण प्रतिबंध नहीं होगा। फिर निषेध जैसे शब्दों का प्रयोग क्यों छोड़े? कई लोगों का मानना है कि यह बिल ड‍िटेल को पिछली लिस्टिंग से कॉपी-पेस्ट किए जाने से हुआ है।

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