बच्चों की एजुकेशन के लिए पेरेंट्स इस तरह करें पहले से प्लानिंग
नई दिल्ली. कहते हैं ज्ञान ऐसी चीज है, जिसे कोई नहीं छीन सकता है। यह एक ऐसा निवेश है जो कभी घटता नहीं है। भारत के ज्यादातर युवा माता-पिता मानते हैं कि अच्छी शिक्षा बच्चे का भविष्य तय करती है। हालांकि, शिक्षा के बढ़ते खर्च के साथ माता-पिता को बचत की आदत डालनी चाहिए ताकि स्कूल से कॉलेज तक की भारी फीस का बोझ उठाया जा सके।
पढ़ाई का बढ़ता खर्च निश्चित तौर पर मध्यम वर्गीय भारतीय परिवारों के लिए बड़ी मुश्किल है। ऐसे परिवार अगर पहले से वित्तीय योजना न बनाएं तो वो बच्चों की पढ़ाई का खर्च नहीं उठा सकते हैं। ज्यादातर माता-पिता अपने बच्चों को एमबीए, इंजीनियरिंग या मेडिसिन की पढ़ाई करवाना चाहते हैं। अगर हम किसी बड़े इंस्टिट्यूट से एमबीए की पढ़ाई का उदाहरण लें तो आईआईएम-ए से एमबीए करने का खर्च 2003 में 3.16 लाख रुपए से बढ़कर 2009 में 12.5 लाख रुपए हो गया है। इस दौरान खर्च में 22 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। आईएमआरबी इंटरनेशनल के साथ एजुकेशन इनसाइट्स नाम के रिसर्च में ये बात सामने आई थी कि देश के ज्यादातर माता-पिता यानी करीब 81 फीसदी अपने बच्चे की पढ़ाई के बढ़ते खर्च को लेकर परेशान हैं, यहां तक कि उनके स्वास्थ्य, लाइफस्टाइल और शादी से भी ज्यादा।
कम उम्र में शुरू हो जाता है ज्यादा खर्च
30 फीसदी लोग स्कूल और कॉलेज में बच्चे के प्रदर्शन और नंबर से ज्यादा पढ़ाई के खर्च को लेकर चिंतित हैं। अभिभावकों का एक बड़ा समूह यानी मेट्रो में 57 फीसदी और गैर-मेट्रो में 71 फीसदी अपने बच्चों को प्ले स्कूल में भेजना चाहते हैं, जो बच्चे की पढ़ाई पर होने वाला खर्च कम उम्र से ही शुरू कर देता है। 69 फीसदी अभिभावक बच्चे के लिए प्ले स्कूल चुनते समय फीस का खास खयाल रखते हैं। साथ ही कई बच्चे अपनी स्कूल-कॉलेज की पढ़ाई के साथ कोचिंग का भी सहारा लेते हैं जो स्कूल की फीसदी के बाद अभिभावकों का दूसरा सबसे बड़ा सिरदर्द होता है। यही नहीं, हर 10 में से एक माता-पिता अपने बच्चे को आगे की पढ़ाई के लिए विदेश भेजना चाहते हैं।
इसलिए इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि नौजवान अभिभावकों में से 72 फीसदी अपने बच्चों के भविष्य के लिए बचत करते हैं, जबकि 52 फीसदी निवेश सुरक्षा और 45 फीसदी रिटायरमेंट के बारे में सोचते हैं। लेकिन, क्या अपने बच्चे के लिए ऐसी महत्वाकांक्षा और यह चिंता ज्यादा बचत और बच्चे के भविष्य के लिए योजना तय करने में झलकती है? दुर्भाग्य से नहीं। बड़ी संख्या में अभिभावक बचत को लेकर चिंतित जरूर हैं, लेकिन पढ़ाई के भावी खर्च के बारे में उन्हें ज्यादा अंदाजा नहीं है और न ही वे इसकी व्यवस्था करने के लिए सही योजना के बारे में जानते हैं। करीब 81 फीसदी अभिभावकों ने माना कि उन्हें नहीं पता कि उच्च शिक्षा पर क्या खर्च पड़ेगा।
औसत रूप से युवा अभिभावक सालाना करीब 26,000 रुपए बचाते हैं, जो 18 साल में करीब 4.67 लाख रुपए होगा। निश्चित तौर पर अगर कोई लोन या दूसरे रास्तों से फंड ना मिले, तो यह किसी भी क्षेत्र में करियर बनाने की महत्वाकांक्षा के लिए नाकाफी है। अभिभावकों को अतिरिक्त फंड की जरूरत न सिर्फ उच्च शिक्षा (26 फीसदी) और ग्रेजुएशन (21 फीसदी) के समय होती है, बल्कि जब उनका बच्चा दसवीं क्लास में जाता है (19 फीसदी) तब से ही महसूस होती है। आज कई माता-पिता बच्चों को करियर चुनने की आजादी देते हैं। हालांकि, बहुत कम अभिभावक ऐसे हैं, जो इसके लिए फाइनेंशियल प्लानिंग और जरूरी निवेश करते हैं।
हर दो में से एक अभिभावक मानते हैं कि इंश्योरेंस बच्चे की पढ़ाई सुरक्षित करने का प्रभावी जरिया है। अकस्मात मृत्यु की स्थिति में बीमा की राशि से बच्चे की पढ़ाई पूरी हो सकती है। हालांकि, इसमें से भी महज 13 फीसदी माता-पिता अपने बच्चे की पढ़ाई के लिए सही तरीके से बचत कर रहे हैं और इसे खासतौर से पढ़ाई का फंड तैयार करने के लिए पेश की जा रही योजनाओं में लगा रहे हैं। बचत के दूसरे साधनों में बैंक या पोस्ट ऑफिस में फिक्स्ड डिपॉजिट, नैशनल सेविंग सर्टिफिकेट, ज्वैलरी या सोना और कुछ मामलों में म्यूचुअल फंड भी हैं। अपने बच्चे की पढ़ाई को लेकर योजना बनाने के मामले में किसी भी युवा अभिभावक के लिए सबसे जरूरी बात बच्चे की पढ़ाई पर आने वाले खर्च का अंदाजा और रिटर्न और रिस्क प्रोफाइल के आधार पर इसके लिए जरूरी योजनाओं और निवेश विकल्पों की समझ है। लिहाजा पूरी योजनाबद्ध तैयारी, जानकारी और निवेश इसमें भी आपकी उसी तरह से मदद करेगा जैसे बाकी वित्तीय लक्ष्यों के मामले में करता है।
टाटा ग्रुप की इस बड़ी कंपनी में 1 लाख रुपया लगाने पर 2.1 करोड़ रुपये का फायदा, आखिर कैसे?
TCS Share: टाटा ग्रुप की इस आईटी कंपनी ने निवेशकों को पिछले 8 साल में 1 लाख रुपये के निवेश पर करीब 8 गुना का रिटर्न दिया है. निवेशकों को इतना बड़ा रिटर्न कंपनी के शेयर भाव में लगातार इजाफा और 3 बार 1:1 रेश्यो में बोनस शेयर के जरिए मिला है.
बाजार के दिग्गज निवेशक हमेशा एक बात कहते हैं कि लंबी अवधि में शेयर बाजार अच्छे पैसे बनाने का मौका देता है. इसीलिए माना भी जाता है कि केवल शेयर खरीदने या बेचने से उतनी कमाई नहीं होती, जितनी बाजार में लंबी अवधि तक टिके रहने में होती है. लंबी अवधि में निवेशकों के पास कई गुना पैसे कमाने का मौका होता है. लंबी अवधि में पैसा लगाने वाला निवेशक न केवल शेयर भाव में तेजी से कमाई करता है, बल्कि लिस्टेड कंपनियों के रिजर्व से भी उन्हें कमाई का शानदार मौका मिलता है.
अधिकतर लिस्टेड कंपनियां लंबी अवधि में निवेश करने वाले निवेशकों को अपने मुनाफे का कुछ हिस्सा डिविडेंड के रूप में देती है. इसके अलावा ये कंपनियां बोनस शेयर, शेयर बायबैक, स्टॉक स्प्लिट के जरिए भी निवेशकों को कमाई करने का मौका देती है. यही कारण है कि लंबी अवधि के निवेशकों को बेहतर तरीके से पैसे बनाने का मौका मिलता है.
अगर आप जानना चाहते हैं कि बोनस शेयर से कैसे किसी निवेशक को फायदा मिलता है तो आपको TCS के बोनस शेयर के बारे में जरूर जानना चाहिए. टाटा ग्रुप की इस कंपनी ने पिछले 18 साल में 3 बार 1:1 के रेश्यो में निवेश की सबसे जरुरी बात बोनस शेयर दिया है. इस प्रकार अगर निवेशक ने 1 लाख रुपये का TCS शेयर खरीदा होता तो अब उनके निवेश पर करीब 8 गुना का रिटर्न मिलता. आज ये 1 लाख रुपया करीब 2.1 करोड़ रुपये होता.
साल | बोनस शेयर |
2006 | 1:1 |
2009 | 1:1 |
2018 | 1:1 |
करीब 18 साल पहले TCS के एक शेयर का भाव करीब 120 रुपये था. ऐसे में उस दौरान निवेशकों को 1 लाख रुपये में इस कंपनी के 833 शेयर मिले होंगे. 2006 में 1:1 को बोनस शेयर के बाद इसकी 833 शेयर बढ़कर 1,666 शेयर हो गए होंगे. साल 2009 में ये 1633 शेयर एक बार फिर 1:1 के बोनस शेयर जारी होने के बाद 3,332 शेयर हुए. कंपनी ने जब 2018 में 1:1 बोनस शेयर का ऐलान किया, तब इन शेयरों की संख्या बढ़कर 6,664 शेयर हो गए होंगे.
आज TCS के एक शेयर का भाव करीब 3240 रुपये प्रति शेयर पर है. ऐसे में 18 साल पहले जिन निवेशकों ने 1 लाख रुपये इस शेयर में निवेश किया होगा, उनकी कुल कीमत करीब 2.1 करोड़ रुपये हुई होगी. आज के 3240 रुपये प्रति शेयर के भाव पर 6,664 शेयरों की कुल कीमत करीब 2.1 करोड़ रुपये है. दरअसल, निवेशकों को शेयर भाव में तेजी का फायदा तो मिला ही. साथ में उन्हें बोनस शेयर का भी लाभ मिला जिससे उनके निवेश में भारी इजाफा हुआ.
बोनस शेयर का सीधा सा मतलब है. फ्री में मिलने वाला शेयर. शेयर बाजार में लिस्टेड कंपनी अपने मौजूदा शेयरधारकों को उनके शेयरों की संख्या के आधार पर मुफ्त में देती है. मान लीजिए कि कोई कंपनी 5:1 के अनुपात में बोनस इश्यू की घोषणा करती है, तो इसका मतलब है कि अगर किसी शेयरधारक के पास 1 शेयर है, तो उसे बदले में 5 शेयर मुफ्त में मिलेंगे.
निवेश की सबसे जरुरी बात
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अभी से शुरू करें NPS में निवेश, रिटायरमेंट पर पाएं 1 करोड़ रुपये और भारी-भरकम पेंशन
बिज़नस न्यूज़ डेस्क,नेशनल पेंशन सिस्टम (एनपीएस) में निवेश के कई फायदे हैं। सबसे बड़ा फायदा यह है कि यह कई निवेश योजनाओं से बेहतर रिटर्न देती है। इसलिए, यदि आप इस योजना में जल्दी निवेश करना शुरू करते हैं, तो सेवानिवृत्ति तक आप जबरदस्त धन जमा कर सकते हैं और आपका भविष्य बिना पैसे की चिंता के गुजर सकता है। यह एक पेंशन योजना है, इसलिए आपको जमा राशि का एक हिस्सा एकमुश्त मिलता है जबकि कुछ हिस्सा वार्षिकी के लिए खरीदना पड़ता है। आप वार्षिकी को पेंशन की तरह देख सकते हैं।नेशनल पेमेंट सिस्टम में मैच्योरिटी के बाद आपको 2 फायदे मिलते हैं। आप एक बार में उत्पन्न धन का 60 प्रतिशत घर ले जाते हैं। दूसरे हिस्से यानी 40 फीसदी रकम से आपको एन्युटी खरीदनी होगी। यह आपको हर महीने, 3 महीने, 6 महीने या सालाना आधार पर मिलता है। इससे रिटायरमेंट के बाद आपकी आर्थिक स्थिति अच्छी बनी रहती है। NPS मार्केट लिंक्ड स्कीम है, इसलिए इसमें मार्केट से जुड़े रिस्क भी रहते हैं. निवेश करने से पहले इस बात का ध्यान जरूर रखें।
एक करोड़ का फंड तैयार करें
अगर आप 28 साल के हैं और एनपीएस में हर महीने 10 रुपए निवेश करते हैं और 60 साल की उम्र तक यह काम करते हैं तो आपके द्वारा जमा की गई कुल रकम 38 लाख 40 हजार रुपए होगी। हालांकि इस पर रिटर्न बहुत अच्छा है, लेकिन कभी-कभी होने वाले नेगेटिव रिटर्न को जोड़कर औसत रिटर्न को 10 फीसदी मान लेते हैं। एनपीएस में जमा कुल रकम 2.80 करोड़ रुपए हो गई है। इसमें आपको 60 प्रतिशत राशि यानी 1.6 करोड़ रुपये एकमुश्त मिलेंगे जबकि आपको हर महीने 75 हजार रुपये की पेंशन भी मिलेगी।देश में किसानों की आय बढ़ाने और उनके कल्याण के लिए सरकार कई तरह की योजनाएं (Farm Kalyan Schemes) चला रही है. कर्ज, सब्सिडी से लेकर कृषि उपकरण तक सरकार किसानों की हर संभव मदद कर रही है. बैंकों ने किसानों को कर्ज देने की प्रक्रिया भी सरल कर दी है। इसी कड़ी में पंजाब नेशनल बैंक ने मोबाइल के जरिए मिस्ड कॉल देने पर ही किसानों को कर्ज मुहैया कराने का दावा किया है.
किसान ऐसे कर सकते हैं कर्ज के लिए आवेदन
पंजाब नेशनल बैंक ने देश के किसानों को बेहद आसान तरीके से कर्ज देने की पेशकश की है. इसमें किसान बेहद आसान और मामूली शर्तों पर आवेदन कर कृषि के लिए कर्ज ले सकते हैं। किसान कर्ज लेने के लिए पीएनबी द्वारा दिए गए निम्न में से कोई भी तरीका अपना सकते हैं।
सिप कैसे काम करता है? SIP kaise kaam karta hai
SIP Kaise Kaam Karta hai सिप (SIP) जिसका फुल फॉर्म Systematic Investment Plan है. सिप एक अनुशाशित और व्यवस्थित निवेश का साधन है. यह Share Market और Mutual Fund का ही एक विकल्प है. वैसे लोग जो बहुत ज्यादा बचत और निवेश नहीं कर सकते हैं या जिनके पास शेयर बाजार में निवेश कैसे करें इसकी जानकारी नहीं है उनके लिए यह कम जोखिम वाला बेहतरीन निवेश है. आज बाजार में निवेश के लिए कई विकल्प मौजूद है. लेकिन, सिप इन सब में से बहुत अच्छा निवेश है. इसमें हर महीने यदि कुछ राशि जमा किया जाये तो एक निश्चित समय के बाद बहुत अच्छा रिटर्न मिल जाता है.
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एसआईपी काम कैसे करता है
वैसे लोग जिनके पास शेयर बाजार और म्यूच्यूअल फण्ड की जानकारी बहुत कम है, उनके लिए सिप बहुत ही बढ़िया निवेश विकल्प है. SIP में जमा किया गया राशि Mutual Fund में निवेश किया जाता है. जो हर महीने म्यूच्यूअल फण्ड की कुछ यूनिट खरीदती है. शेयर बाजार में हर दिन शेयर का मूल्य घटते बढ़ते रहता है. किसी आम आदमी जिसके पास निवेश की अच्छी जानकारी नहीं है, कब कौन सा म्यूच्यूअल फण्ड में निवेश करना चाहिए उनके लिए कंपनी खुद ही सबसे अच्छी म्यूच्यूअल फण्ड में निवेश करती है.
Rupee Cost Averaging
SIP, Rupee Cost Averaging पर काम करती है. यही इसकी सबसे खास बात है. इसके तहत जो राशि निवेशकर्ता है उससे औसत मूल्य पर Mutual Funds units खरीदती है. खाश बात यह है कि इसी औसत मूल्य की वजह से SIP, निवेश का सबसे सुरक्षित तरीका है. इससे निवेशकर्ता ऊँचे मूल्य पर म्यूचुअल फंड फंड खरीदने से बच जाता है. किसी भी प्रोडक्ट पर ज्यादा से ज्यादा लाभ के लिए उसे ज्यादा मूल्य पर बेचने से काम से कम मूल्य पर खरीदना जरूरी है.
जैसा कि चुके हो, एसआईपी में म्यूचुअल फंड की यूनिट्स अलग-अलग भाव पर ख़रीदा जाता है। हालांकि, यह कभी सस्ती और कभी महंगी होती रहती है. जब Mutual Funds unit सस्ती होती है तो निवेशकर्ता को Mutual Fund की ज्यादा यूनिट मिल जाती है. लेकिन, जब ये महंगी हो जाती है कम यूनिट्स की खरीददारी हो पाती है. सिप की मदद से Mutual Fund unit का मूल्य न ज्यादा न काम बल्कि औसत में रहता है. इस तरह SIP की वजह से औसत मूल्य पर म्यूचुअल फंड फंड यूनिट्स खरीद पाने को Rupee Cost Averaging कहते हैं। इसकी वजह से निवेशकर्ता को शेयर बाजार का सही समय का तालाश नहीं करना होता है.
सिप की खाश बात
- SIP, म्यूच्यूअल फण्ड में इन्वेस्ट करने का आसान तरीका है.
- इसके लिए म्युचअल फंड में अनुशाशित और व्यवस्थित निवेश के लिए फॉर्म भरना होता है.
- सिप में निवेश के लिए किसी Financial Advisor की मदद जरूर लेनी चाहिए.
- सिप खरीदते समय फॉर्म में ऑटो डेब्ट का विकल्प चुनना होता है.
- ऑटो डेब्ट में नियत तिथि को तय राशि ऑटो डेबिट हो जाता है.
- निवेश राशि का इस्तेमाल Mutual Fund Scheme में किया जाता है.
- सिप अन्य निवेश से ज्यादा सुरक्षित और ज्यादा रिटर्न देने वाला निवेश है.
- जिस दिन पैसे डेबिट होते हैं उस दिन के हिसाब से Mutual Fund unit ख़रीदा जाता है.
SIP Me Invest Kaise Kare
अब तक आप यह समझ चुके हो SIP Kya Hai और सिप के फायदें क्या है? (Benefits of SIP in Hindi) इसलिए अब यह जानना निवेश की सबसे जरुरी बात जरूरी है SIP me Invest Kaise Kare
जिस तरह बैंक खता खोलने के लिए, जीवन बीमा पॉलिसी खरीदने के लिए कुछ जरूरी दस्तावेज देना होता है. वैसे ही SIP शुरू करने के लिए कुछ जरूरी दस्तावेजों जरूरत होती है. जैसे एड्रेस प्रूफ(आधार कार्ड या वोटर ID), पेन कार्ड, पासपोर्ट साइज फोटोग्राफ और चेक. क्यूंकि, बैंक खता से सम्बंधित सभी जानकारी चेक पर लिखा होता है.
किसी भी फण्ड में निवेश करने के लिए KYC (Know Your Customer) अनिवार्य कर दिया गया है. KYC में नाम, जन्म-तिथि, मोबाइल नंबर, एड्रेस आदि जरूरी जानकारी देनी होती है. E-KYC के माध्यम से ऑनलाइन KYC की प्रक्रिया भी पूरा किया जा सकता है.
KYC प्रक्रिया पूरा हो जाने पर जिस किसी भी फण्ड में निवेश करना चाहते हो उसमें निवेश कर सकते हैं. यदि खुद से सिप खरीदना चाहते हो तो कई वेबसाइट हैं जहाँ से ऑनलाइन सिप खरीद सकते हो. यदि किसी Financial Advisor की मदद से खरीदना चाहते हो तो निवेशकर्ता के लिए यह काम Financial Advisor करता है.
खुद से सिप निवेश करने के लिए सम्बंधित वेबसाइट पर रजिस्टर करना होता है. इसके बाद यूज़र नेम और पासवर्ड की मदद से ऑनलाइन निवेश शुरू कर सकते हैं. इसमें बैंक खाता की जानकारी और हर महीने कितना निवेश करना चाहते हैं वह बताना होता है. निवेशकर्ता अपनी सुविधा के अनुसार SIP Premium Date और SIP Premium Amount तय कर सकता है.
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दोस्तों उम्मीद है SIP (Systematic Investment Plan) के बारें में सभी जानकारी मिल चुकी है. आप कितना बचत कर सकते हो और उसमें से कितना SIP Investment Plan में निवेश कर सकते हैं इसे तय कीजिये औ आज से ही भविष्य के लिए कुछ बचत शुरू कीजिये। SIP से सम्बंधित अन्य किसी जानकारी के लिए नीचे कमेंट बॉक्स में पूछ सकते हैं.
SIP के जरिए निवेश को लेकर ये हैं 7 सबसे बड़े मिथक! जान लीजिए निवेश की सबसे जरुरी बात फायदे में रहेंगे
SIP Investment Myths: क्या आपके मन में भी म्यूचुअल फंड्स, SIP, निवेश जैसे शब्द सुनकर भारी भरकम ख्याल आने लगते हैं, और आपको लगने लगता है कि ये आपके बस की बात नहीं. दरअसल ऐसा इसलिए है क्योंकि आपको इन चीजों को लेकर या तो अधूरी जानकारी है, या फिर जो भी जानकारी है वो गलत है.
- SIP को लेकर निवेशकों में कुछ मिथक हैं
- SIP निवेश को लेकर 7 सबसे बड़े मिथक
- SIP को लेकर ज्यादातर लोगों में है अधूरी जानकारी
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नई दिल्ली: Common Myths of SIP: क्या आपके मन में भी म्यूचुअल फंड्स, SIP, निवेश जैसे शब्द सुनकर भारी भरकम ख्याल आने लगते हैं, और आपको लगने लगता है कि ये आपके बस की बात नहीं. दरअसल ऐसा इसलिए है क्योंकि आपको इन चीजों को लेकर या तो अधूरी जानकारी है, या फिर जो भी जानकारी है वो गलत है. हम यहां पर आपको सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) को लेकर 7 ऐसे Myth यानी मिथक बताने जा रहे हैं जो अक्सर लोगों के मन में रहते हैं.
मिथक नंबर 1- SIP सिर्फ छोटे निवेशकों के लिए है.
सच्चाई- ऐसा सोचना बिल्कुल गलत है. SIP की शुरुआत आप भले ही 500 या 100 रुपये की छोटी रकम से कर सकते हैं. लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि आप रकम बढ़ा नहीं सकते. आप 1 लाख रुपये या इससे ज्यादा की रकम भी SIP के जरिए म्यूचुअल फंड्स में निवेश कर सकते हैं. आपको SIP के जरिए कितना पैसा निवेश करना है ये इस बात पर निर्भर करता है कि आपका लक्ष्य कितना है.
मिथक नंबर 2: SIP एक 'निवेश प्रोडक्ट' है
सच्चाई- SIP का मतलब होता है, सिस्टमैटिक इनवेस्टमेंट प्लान, ये कोई प्रोडक्ट नहीं है बल्कि एक तरीका है जिसके जरिए आप म्यूचुअल फंड में नियमित अंतराल पर निवेश करते हैं. मतलब आप SIP के जरिए निवेश करते हैं, SIP में निवेश नहीं करते. SIP के जरिए आप उस म्यूचुअल फंड को चुनते हैं जिसमें आप निवेश करना चाहते हैं और पैसे डालते हैं. आप अपनी रिस्क क्षमता के मुताबिक इक्विटी या डेट म्यूचुअल फंड्स का चुनाव करते हैं.
मिथक नंबर 3- बाजार में उछाल के दौरान SIP न करें
सच्चाई: ये आमतौर पर हर दूसरा व्यक्ति सोचता है कि बाजार जब गिरेगा तब हम SIP के जरिए निवेश करेंगे. जबकि ऐसा बिल्कुल नहीं है. लंबी अवधि के लिए SIP करने पर बाजार के उतार चढ़ाव का आपके निवेश पर असर नहीं पड़ता, यानी आप रेगुलर SIP करते हैं तो बाजार की गिरावट में आपको ज्यादा यूनिट मिलती हैं, और जब बाजार चढ़ता है तो कम, ऐसे में लंबी अवधि में बाजार के उतार चढ़ाव का असर खत्म हो जाता है.
मिथक नंबर 4: SIP की रकम को बदल नहीं सकते
सच्चाई: इस भ्रम को दिमाग से निकाल दीजिए, SIP इतना फ्लेक्सिबल है कि आप जब चाहें निवेश की राशि को घटा या बढ़ा सकते हैं. जब आपको लगे कि आप SIP की रकम में इजाफा करना चाहते हैं या घटाना चाहते, आप कर सकते हैं. आप निवेश की समय सीमा को भी घटा या बढ़ा सकते हैं.
हालांकि कुछ फंड्स के लिए SIP की न्यूनतम राशि और समयसीमा तय होती है. आपको इसे बदलने के लिए दस्तावेज और फॉर्म भरने की जरूरत होगी. लेकिन कोई जुर्माना या शुल्क नहीं लगेगा.
मिथक नंबर 5- जब बाजार गिरे तो SIP रोक दें
सच्चाई- जब शेयर बाजार में गिरावट होती है तो SIP के जरिए आप ज्यादा से ज्यादा यूनिट्स हासिल करते हैं, ऐसे में ये कहना कि जब शेयर बाजार टूट जाए तो अपनी SIP रोक देना चाहिए, सही सलाह नहीं है. बल्कि अगर आप ऐसा करते हैं तो आप बाजार में बेहतरीन कमाई का मौका गंवा रहे हैं. SIP के जरिए निवेश करने का मकसद ही फेल हो जाएगा अगर आप बाजार की गिरावट में निवेश बंद कर देंगे. हां आप ये जरूर कर सकते हैं कि अपने निवेश लक्ष्यों को हासिल करने के लिए अच्छे म्यूचुअल फंड्स का चुनाव करें और रेगुलर SIP जारी रखें
मिथक नंबर 6- एक ही SIP सालों तक चलाएं
सच्चाई- अक्सर लोग एक ही SIP की राशि को सालों तक जारी रखते हैं, बल्कि अगर आप मोटा पैसा जमा करना चाहते हैं तो समय समय पर आपको SIP की रकम को भी बढ़ाते रहना चाहिए. जैसे हर साल आपकी सैलरी बढ़ती है तो उसी अनुपात में आपकी SIP की रकम भी बढ़नी चाहिए.
मिथक नंबर 7- SIP गारंटीड रिटर्न देता है
सच्चाई- SIP के जरिए म्यूचुअल फंड्स में निवेश से आपको रिटर्न की कोई गारंटी नहीं मिलती है. म्यूचुअल फंड्स मार्केट लिंक्ड होते हैं इसलिए जैसे जैसे मार्केट परफॉर्म करता है आपका रिटर्न भी प्रभावित होता है. लेकिन लंबी अवधि में SIP के जरिए निवेश से आप अच्छा रिटर्न हासिल करते हैं. जो आमतौर पर दूसरे पुराने डेट इंस्ट्रूमेंट्स से ज्यादा होता है.
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