कोरोना काल में बढ़ा विदेशी निवेश (Image: Pixabay)

Forex Reserves: विदेशी मुद्रा भंडार का आ गया लेटेस्ट अपडेट, जानें 7 दिनों में कितना हो गया उलटफेर

Forex Reserves: डॉलर में दर्शाए विदेशी मुद्रा भंडार में रखे जाने वाली विदेशी मुद्रा आस्तियों में यूरो,पौंड और येन जैसी गैर-अमेरिकी मुद्राओं में मूल्य में बढ़ोतरी या मूल्य में कमी के प्रभावों को शामिल किया जाता है.

आईएमएफ में रखे देश का मुद्रा भंडार भी 4.4 करोड़ डॉलर बढ़कर 5.014 अरब डॉलर हो गया.

Forex Reserves: देश का विदेशी मुद्रा भंडार बीते 1 जुलाई को खत्म हुए सप्ताह में 5.008 अरब डॉलर घटकर 588.314 अरब डॉलर रह गया. इसकी वजह विदेशी मुद्रा आस्तियों का घटना है.पीटीआई की खबर के मुताबिक, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के आंकड़ों के मुताबिक, 24 जून को खत्म पिछले सप्ताह के दौरान, विदेशी मुद्रा भंडार (forex reserves India) 2.734 अरब डॉलर बढ़कर 593.323 अरब डॉलर हो गया था.

विदेशी मुद्रा भंडार आई गिरावट की वजह
खबर के मुताबिक, 1 जुलाई को खत्म सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार आई गिरावट की वजह विदेशी मुद्रा आस्तियों का घटना है, जो कुल मुद्रा भंडार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. इसके अलावा स्वर्ण आरक्षित भंडार (Gold Reserve) घटने से भी विदेशी मुद्रा भंडार कम हुआ है. आंकड़ों के मुताबिक, समीक्षाधीन सप्ताह में विदेशी मुद्रा आस्तियां (एफसीए) 4.471 अरब डॉलर घटकर 524.745 अरब डॉलर रह गई.

स्वर्ण भंडार का मूल्य
डॉलर में दर्शाए विदेशी मुद्रा भंडार में रखे जाने वाली विदेशी मुद्रा आस्तियों में यूरो,पौंड और येन जैसी गैर-अमेरिकी मुद्राओं में मूल्य में बढ़ोतरी या मूल्य में कमी के प्रभावों को शामिल किया जाता है. आंकड़ों के मुताबिक,आलोच्य सप्ताह में स्वर्ण भंडार का मूल्य भी 50.4 करोड़ डॉलर घटकर 40.422 अरब डॉलर रह गया. समीक्षाधीन सप्ताह में, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के निवेश करने के बाद विदेशी मुद्रा कोष का अनुसरण करना पास जमा विशेष आहरण अधिकार (एसडीआर) 7.7 करोड़ डॉलर घटकर 18.133 अरब डॉलर रह गया. आईएमएफ में रखे देश का मुद्रा भंडार भी 4.4 करोड़ डॉलर बढ़कर 5.014 अरब डॉलर हो गया.

2015 में देश की विकास दर रहेगी 6.4 फीसदी: IMF

देश की आर्थिक विकास दर 2015 में 6.4 फीसदी रहेगी. यह बात अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने कही है.

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aajtak.in

  • वाशिंगटन,
  • 10 अक्टूबर 2014,
  • (अपडेटेड 10 अक्टूबर 2014, 10:27 PM IST)

देश की आर्थिक विकास दर 2015 में 6.4 फीसदी रहेगी. यह बात अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने कही है.

IMF ने एशिया और प्रशांत आर्थिक परिदृश्य की अक्टूबर 2014 की समीक्षा में कहा, 'गत आम चुनाव के बाद से देश की विकास दर का परिदृश्य बेहतर हुआ है. इसमें अनिश्चितता में आई कमी और कारोबारी मनोबल में आई मजबूती का भी योगदान है.'

IMF ने कहा कि पिछले आम चुनाव के बाद से आर्थिक स्थिति बेहतर हुई है. पूंजी का प्रवाह बना है तथा निवेश व औद्योगिक गतिविधि में तेजी आई है.

IMF ने 2014 में 5.6 फीसदी और 2015 में 6.4 फीसदी विकास दर का अनुमान देते हुए कहा, 'भारत की विकास दर ने ऐसा लगता है कि निचला स्तर छू लिया है.'

IMF ने कहा, 'हालांकि महंगाई दर नीतिगत चिंता का विषय बनी रहेगी, जिसके 2014 और 2015 में क्रमश: 7.8 फीसदी और 7.5 फीसदी रहने का अनुमान है.'

समीक्षा में कहा गया कि इस क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय वित्तीय जोखिमों से निपटने की क्षमता बढ़ी है. इसमें कहा गया है कि उदाहरण के तौर पर भारत में विदेशी पूंजी भंडार बढ़ा है, चालू खाता घाटा कम हुआ है. यह भी कहा गया है कि विकास दर की गति बनाए रखने के लिए किए गए सुधार से देश की जोखिम बर्दाश्त करने की क्षमता बढ़ी है.

भारत के मामले में पहले ब्याज दर में की गई वृद्धि और अन्य नीतिगत कदमों से महंगाई बढ़ने पर अंकुश लगा है और मौद्रिक सख्ती का पूरा प्रभाव अभी सामने आना बाकी है.

हालांकि ने कहा, 'भारत को निवेश के सामने आने वाली बाधाओं को और हटाना है. इसमें प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) व्यवस्था का और उदारीकरण करना और श्रम नियमन शामिल है.' इसमें यह भी कहा गया कि देश में औद्योगिक तेजी लाने के लिए ऊर्जा नीति बनाने की भी जरूरत है.

600 अरब डॉलर से ज्‍यादा विदेशी मुद्रा रखने वाला दुनिया का 5 वां देश बना भारत, रूस से है बस इतना पीछे

बीते एक साल में भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में 100 अरब डॉलर का इजाफा हुआ है। पिछले साल 5 जून को भारत ने विदेशी मुद्रा में में 500 अरब डॉलर का आंकड़ा पार किया था। जिसके बाद से लगातार भारत की विदेशी पूंजी में इजाफा देखने को मिल रहा है।

600 अरब डॉलर से ज्‍यादा विदेशी मुद्रा रखने वाला दुनिया का 5 वां देश बना भारत, रूस से है बस इतना पीछे

कोरोना काल में बढ़ा विदेशी निवेश (Image: Pixabay)

भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 600 अरब डॉलर को निवेश करने के बाद विदेशी मुद्रा कोष का अनुसरण करना पार करने के साथ रिकॉर्ड लेवल पर पहुंच गया है। भारत अब उन देशों के क्‍लब में शामिल हो गया है जिनके पास 600 अरब डॉलर से ज्‍यादा फॉरेक्‍स रिजर्व है। वैसे भारत के मुकाबले चीन के पास 5 गुना और जापान के पास दो गुना विदेशी मुद्रा भंडार है। वहीं रूस से भारत काफी कम अंतर से पीछे है , जिसे देश काफी जल्‍दी पीछे छोड़ सकता है। वहीं टॉप थ्री में पहुंचने के लिए निवेश करने के बाद विदेशी मुद्रा कोष का अनुसरण करना भारत को थोड़ा इंतजार करना पड़ सकता है। तीसरे पायदान पर स्विट्जरलैंड है , जिसके पास एक हजार अरब डॉलर से ज्‍यादा का विदेशी मुद्रा भंडार है। जानकारों की मानें तो भारत के विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ने का कारण विदेशी निवेशकों का लगातार भारतीय बाजार में निवेश है।

भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में 4 जून को खत्‍म हुए सप्‍ताह में 6.842 अरब डॉलर का इजाफा हुआ। जिसके बाद भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 605.008 अरब डॉलर प‍हुंच गया। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के आंकड़ों के अनुसार विदेशी मुद्रा परिसंपत्ति 7.362 अरब डॉलर बढ़कर 560.890 अरब डॉलर हो गईं। आपको बता दें क‍ि 28 मई को हुए समाप्‍त सप्‍ताह में विदेशी मुद्रा भंडार 5.271 अरब डॉलर का इजाफा लेकर 598.165 अरब डॉलर हो गया था।

गोल्‍ड रिजर्व में गिरावट : अगर गोल्‍ड रिजर्व की करें तो इस दौरान इसमें गिरावट देखने को मिली है। आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार स्वर्ण भंडार 50.2 करोड़ डॉलर घटकर 37.604 अरब डॉलर पर आ गया है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष यानी आईएमएफ में विशेष आहरण अधिकार 10 लाख डॉलर घटकर 1.513 अरब डॉलर रह गए हैं। वहीं , आईएमएफ के पास आरक्षित देश का भंडार भी 1.6 करोड़ डॉलर घटकर पांच अरब डॉलर रह गया।

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दुनिया के टॉप 5 देशों में शामिल : भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 600 अरब डॉलर होने के साथ ही दुनिया के टॉप देशों में शामिल हो गया है। जिनका विदेशी मुद्रा भंडार 600 अरब डॉलर या उससे ज्‍यादा है। भारत से आगे रूस , स्विट्जरलैंड , जापान और चीन हैं। जबकि दुनिया के तमाम अमीर देश जैसे सिंगापुर , जर्मनी , यूके , फ्रांस , इटली जैसे देशों को काफी पीछे छोड़ दिया है। अमरीका इस मामले में 21 वें पायदान पर है।

अभी लंबा है टॉप 3 का सफर : भले ही दुनियाभर विदेशी निवेश भारत में पूंजी लगा रहे हों और भारत की विदेशी पूंजी में इजाफा करने में मदद कर रहे हों , लेकिन टॉप थ्री की पोजिशन हासिल करने में भारत को अभी थोड़ा लंबा सफर तय करना पड़ सकता है। आंकड़ों को देखें तो तीसरे पायदान पर स्विट्जरलैंड है जिसके पास विदेशी मुद्रा भंडार 1070.369 अरब डॉलर विदेशी भंडार है। इसी रफ्तार के साथ भारत आगे बढ़ता है तो यहां तक पहुंचने में भारत को पांच साल तक का इंतजार करना पड़ सकता है।

चीन 5 गुना तो जापान दोगुना आगे : दुनिया मतें सबसे ज्‍यादा विदेशी मुद्रा भंडार रखने वाला चीन भारत के मुकाबले इस में मामले पांच गुना आगे हैं। चीन के पास मौजूदा समय में 3330.405 अरब डॉलर विदेशी मुद्रा भंडार है। जबकि एशिया का दूसरा सबसे सबसे संपन्‍न देश जापान के पास विदेशी विदेशी मुद्रा भारत से दोगुना से भी ज्‍यादा है। जापान के पास मौजूदा समय में 1378.467 अरब डॉलर विदेशी मुद्रा भंडार है। ऐसे में भारत को पहुंचने में ज्‍यादा समय लग सकता है।

रूस को जल्‍द छोड़ सकता है पीछे : वहीं बात रूस की करें तो भारत जल्‍द पीछे छोड़ सकता है। दोनों के बीच 192 मिलियन डॉलर का अंतर है। मौजूदा समय में रूस का विदेशी मुद्रा भंडार 605.200 अरब डॉलर है। अगर भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में यही तेजी जारी रहती है तो अगले सप्‍ताह के आंकड़ों में भारत रूस को पीछे छोड़ता दिखाई दे सकता है।

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यहां हम आपको बता रहे हैं वे छह चीजें जो बाजार पर असर डाल सकती हैं
अधिक एफडीआई सुधार: सरकार प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के प्रावधानों में नए सुधार करने जा रही है. इसका उद्देश्य नए निवेशकों को आकर्षित करना है. विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) को हटाने के प्रस्ताव के साथ ही सरकार सिंगल ब्रांड रीटेल समेत कई सेक्टर में पहले से मंजूरी देने की योजना बना रही है. सिंगल ब्रांड रीटेल में सरकार घरेलू बाजार से 30 फीसदी जरुरी खरीदारी के क्लॉज को भी ख़त्म कर रही है. घरेलू निवेश जोर नहीं पकड़ने की वजह से सरकार इन्फ्रा पर खर्च बढ़ाने के लिए विदेशी फंड के सहारे बैठी है. अगले दस साल में भारत को रोड, पॉवर प्रोजेक्ट्स, एयरपोर्ट्स जैसे काम के लिए 1.5 लाख करोड़ डॉलर की जरूरत है.

चीनी के कारोबार पर स्टॉक लिमिट छह महीने बढ़ी: सरकार ने बुधवार को ही चीनी के कारोबार पर स्टॉक लिमिट छह महीने बढ़ाने का फैसला किया है जो अक्टूबर 2017 तक लागू रहेगा. इस समय चीनी की कीमतें 42-44 रूपये प्रति किलो पर हैं. इससे सरकार को चीनी की कीमत काबू में रखने में मदद मिलेगी.

रिजर्व बैंक के नए नियम: आरबीआई के नए नियम से बैंकों को मुश्किलें हो सकती हैं. स्टैंडर्ड एसेट प्रोविजनिंग और नॉन परफोर्मिंग एसेट के खुलासे के निर्देश बैंक को परेशानी में डाल सकते हैं. इस वजह से सरकारी बैंकों की कमाई पर पांच से 15 फीसदी तक का असर दिख सकता है.नए नियम से निजी बैंकों की कमाई पर एक-दो फीसदी का असर पड़ेगा.
एच 1-बी से आईटी कंपनियों पर असर नहीं:देश की आईटी कंपनियां चैन की सांस ले सकती हैं. इसकी वजह यह है कि ट्रम्प ने फ़िलहाल अमेरिका में वीजा कार्यक्रम से संबंधित विधायी बदलाव को टाल दिया है. इसकी जगह ट्रम्प ने अमेरिकी खरीदें-अमेरिकी को काम पर रखें संबंधी ऑर्डर पास किया है.

मेगा पॉवर पालिसी का विस्तार:मेगा पॉवर पालिसी 2009 के नियमों के विस्तार से कंटिजेंट जिम्मेदारियों को घटाने में मदद मिलेगी. इससे 25 मेगावाट के पॉवर प्रोजेक्ट की बैंकिंग लिमिट की सीमा भी हटेगी. इस प्रावधान से बैंक पॉवर सेक्टर की कंपनियों को 3.5 फीसदी या 4,000 करोड़ रूपये तक का लोन देने की संभावना बनेगी.

घरेलू निवेश बढ़ा: करीब सात सालों के बाद घरेलू निवेशक बाजार में मजबूती से उतर रहे हैं और विदेशी निवेशकों का रुख ढीला है. वित्त वर्ष 16-17 की दो साल की साइकल में शेयर बाजार में घरेलू निवेश विदेशी निवेश को पार कर गया है. यह भारतीय फंड्स निवेश करने के बाद विदेशी मुद्रा कोष का अनुसरण करना और निवेशकों के लिए अनुकूल समय बना हुआ है.

विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट थमी , 4.23 अरब डॉलर बढ़कर 597 अरब डॉलर के पार पहुंचा रिजर्व

देश का विदेशी मुद्रा भंडार फिलहाल देश के 10 महीने के आयात बिल के बराबर है. इसमें इससे पहले लगातार 9 हफ्ते गिरावट देखने को मिली थी.

विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट थमी , 4.23 अरब डॉलर बढ़कर 597 अरब डॉलर के पार पहुंचा रिजर्व

भारत के लिए आज राहत की खबर है. लगातार 9 हफ्ते की गिरावट के बाद एक बार फिर फॉरेक्स रिजर्व में बढ़त देखने को मिली है और देश का विदेशी मुद्रा भंडार (forex reserve) 20 मई को खत्म हुए हफ्ते में बढ़त के साथ 597 अरब डॉलर के पार पहुंच है. देश के रिजर्व में काफी समय से गिरावट देखने को मिल रही है. वहीं बीते 6 महीने में देश का रिजर्व 30 अरब डॉलर घट चुका है. हालांकि एक बार फिर बढ़त से राहत मिली है. रिजर्व बैंक (RBI) के द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार भंडार के चारों सेग्मेंट एफसीए, गोल्ड रिजर्व (Gold Reserve), एसडीआर और आईएमएफ के साथ रिजर्व पोजीशन सभी में बढ़त देखने को मिली है. देश का विदेशी मुद्रा भंडार फिलहाल देश के 10 महीने के आयात बिल के बराबर है.

कहां पहुंचा विदेशी मुद्रा भंडार

भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 20 मई को समाप्त सप्ताह में 4.23 अरब डॉलर बढ़कर 597.509 अरब डॉलर हो गया. भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के आंकड़ों के अनुसार यह वृद्धि विदेशीमुद्रा परिसंपत्तियों यानि फॉरेन करंसी एसेट में हुई बढ़ोतरी के कारण हुई है. इससे पूर्व 13 मई को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार 2.676 अरब डॉलर घटकर 593.279 अरब डॉलर रह गया था. रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार, सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि का कारण विदेशी मुद्रा आस्तियों में वृद्धि होना है जो कुल मुद्रा भंडार का एक महत्वपूर्ण घटक है. आंकड़ों के अनुसार विदेशी मुद्रा आस्तियां (एफसीए) 3.825 अरब डॉलर बढ़कर 533.378 अरब डॉलर हो गयी. डॉलर में अभिव्यक्त विदेशी मुद्रा भंडार में रखे जाने वाली विदेशी मुद्रा आस्तियों में यूरो, पौंड और येन जैसी गैर-अमेरिकी मुद्राओं में मूल्यवृद्धि अथवा मूल्यह्रास के प्रभावों को शामिल किया जाता है. आंकड़ों के अनुसार, सप्ताह में स्वर्ण भंडार का मूल्य भी 25.3 करोड़ डॉलर बढ़कर 40.823 अरब डॉलर हो गया. इसी दौरान सप्ताह में, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के पास जमा विशेष आहरण अधिकार (एसडीआर) 10.2 करोड़ डॉलर बढ़कर 18.306 अरब डॉलर हो गया वहीं आईएमएफ में रखे देश का मुद्रा भंडार 5.1 करोड़ डॉलर बढ़कर 5.002 अरब डॉलर पहुंच गया.

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एक साल से भी कम वक्त के आयात के बराबर भंडार

मई के लिए रिजर्व बैंक के बुलेटिन मे दिए गए आर्टिकल स्टेट ऑफ द इकोनॉमी में कहा गया है कि 6 मई को रिजर्व का 596 अरब डॉलर का स्तर मौजूदा वित्त वर्ष के लिए अनुमानित 10 महीने के आयात बिल के बराबर है. बीते 6 महीने के दौरान रिजर्व में 30 अरब डॉलर से ज्यादा की गिरावट देखने को मिली है. विदेशी मुद्रा भंडार में हाल में आई गिरावट की मुख्य वजह डॉलर के मुकाबले रुपये में कमजोरी आना है. और दुनिया भर की मुद्राओं के सामने डॉलर का मजबूत होना है. दरअसल रुपये को बचाने के लिए रिजर्व बैंक को हस्तक्षेप करना पड़ता है जिसका असर रिजर्व पर पड़ता है. वहीं दुनिया भर में कमोडिटी की कीमतों में उछाल की वजह से आयात बिल में भी उछाल देखने को मिल रहा है. जिससे जो भंडार साल निवेश करने के बाद विदेशी मुद्रा कोष का अनुसरण करना भर पहले एक साल से ज्यादा वक्त के आयात के लिए काफी था. अब वो बिल बढ़ने के साथ 10 महीने के लिए ही पर्याप्त है.

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