यह प्रधान मंत्री के डिजिटल सलाहकार, बैरोनेस शील्ड्स के पहले भाषण का भी अवसर था, जिसमें उन्होंने iRights के लिए अपना समर्थन घोषित किया:
वायदा विकल्प से बेहतर क्यों है
अस्वीकरण :
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आमजन के मुद्दों पर बात नहीं कर रहे दिल्ली की तीनों पार्टियों को नकारने की अपील
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स्वराज इंडिया
प्रेस नोट : 20 अप्रैल 2019
आमजन के मुद्दों पर बात नहीं कर रहे दिल्ली की तीनों पार्टियों को नकारने की अपील
लोकसभा चुनाव में विकल्प की कमी के कारण NOTA का बटन दबाएं
स्वराज इंडिया ने दिल्ली की वोटरों से आमजन के मुद्दों पर बात न कर रहे दिल्ली की तीनों पार्टियों को नकारने की अपील की है। राष्ट्रव्यापी मुहिम “देश मेरा, वोट मेरा, मुद्दा मेरा” चला रहे पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष योगेंद्र यादव ने कहा कि आगामी लोकसभा चुनाव में दिल्ली की जनता के पास चुनने लायक कुछ नही वायदा विकल्प से बेहतर क्यों है है। इसलिए स्वराज इंडिया के कार्यकर्ता दिल्ली में मुहिम चलाएंगे कि इन लोकसभा चुनावों में बेहतर विकल्प की कमी के कारण नोटा का बटन दबाएं।
सिक्वंट या स्ट्राबिस्मस ,जानिए क्यों हो जाती है आंखों की ये समस्या. क्या है इसका बेहतर इलाज?
By: ABP Live | Updated at : 29 Nov 2022 06:18 PM (IST)
स्ट्रैबिस्मस का क्या कारण बनता है,
Squint Or Starbisums: हम सभी की दोनों आंखों में अच्छा तालमेल होता है दोनों एक ही दिशा में और एक ही पॉइंट पर फोकस करती है लेकिन कई लोग ऐसे होते हैं जो भैंगेपन के शिकार होते हैं. यह विकार आमतौर पर आंखों की मांसपेशियों के खराब नियंत्रण के कारण होता है. अगर आपके बच्चे के साथ ऐसी कोई भी समस्या हो रही है, तो आप सतर्क हो जाएं नहीं तो इससे आपका बच्चा अंधा भी हो सकता है. यह सिर्फ बच्चों में ही नहीं बल्कि बड़ों में भी हो सकता है.
क्या होता है भैंगापन?
भैंगापन जिसे सिक्वंट या स्ट्राबिस्मस या क्रॉस्ड आईस कहते हैं, आखों से संबंधित एक ऐसी समस्या है जिसमें दोनों आंखें ठीक तरह से अलाइन में नहीं होती है. एक आंख अंदर की ओर या बाहर की ओर या नीचे की ओर या उपर की ओर हो जाती है. ऐसी स्थिति में दोनों आंखें एक साथ एक बिंदु पर केंद्रित नहीं हो पाती है.
सरकार द्वारा कार्रवाई पर सहमति
सरकार के मंत्री, ऐबरिस्टविद के लॉर्ड बॉर्न ने अपने समापन भाषण में, इस अधिकारों, जिम्मेदारियों और लचीलापन एजेंडे का गर्मजोशी से स्वागत किया और अधिकारियों के साथ और यूकेसीआईएस के साथ बैठक करने के लिए iRights को आमंत्रित किया। लॉर्ड बॉर्न ने कहा;
“मैं उत्सुक हूं कि यह सकारात्मक रूप से आगे बढ़ना चाहिए। रईस बैरोनेस, लेडी किड्रोन, iRights में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, जबकि ट्रस्टी के रूप में इसलिए रईस बैरोनेस, लेडी लेन-फॉक्स, और मेरे रईस दोस्त लेडी शील्ड्स भी करते हैं, और मुझे लगता है कि हम इससे निर्माण कर सकते हैं।
पाँच iRights
IRights में, हम दृढ़ता से मानते हैं कि यह उस तरह से विचार करने का समय है जिस तरह से हम बच्चों और वायदा विकल्प से बेहतर क्यों है युवाओं के लिए डिजिटल तकनीक को डिजाइन करते हैं और वितरित करते हैं - और उन्हें आत्मा और पत्र दोनों का पालन करके अपनी चिंता और सोच के केंद्र में रखते हैं। UNCRC की वसीयत; 'बच्चों के सर्वोत्तम हित प्राथमिक विचार होंगे . बच्चों से संबंधित सभी कार्यों में'। "
iRights युवा लोगों के लिए एक बेहतर जाल बनाने में एक महत्वपूर्ण उपकरण है। पाँच अधिकार हैं:
1। हटाने का अधिकार
2। जानने का अधिकार
3। सुरक्षा और समर्थन का अधिकार
4। सूचित और जागरूक विकल्प बनाने का अधिकार
5। डिजिटल साक्षरता का अधिकार
प्रत्येक अधिकार का पूर्ण विवरण मिल सकता है यहाँ उत्पन्न करें.
पुरानी पेंशन योजना को लेकर क्यों गर्मा रहा मुद्दा, उदाहरण के जरिए समझें पूरा कैलकुलेशन
नई दिल्ली | लाखों सरकारी कर्मचारी न्यू पेंशन योजना की जगह पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने की मांग पर वर्षों से अड़े हुए हैं. दरअसल, इन कर्मचारियों का मानना है कि पुरानी पेंशन स्कीम एनपीएस (NPS Vs OPS) से बेहतर है. जनवरी 2004 में नई पेंशन योजना लागू होने के बाद ओपीएस को खत्म कर दिया गया था. पुरानी पेंशन योजना वायदा विकल्प से बेहतर क्यों है के तहत कर्मचारी के सेवानिवृत्त होने पर उसे अंतिम वेतन का 50 प्रतिशत पेंशन के रूप में दिया जाता था.
पुरानी पेंशन योजना में कर्मचारी की सेवा अवधि का कोई प्रभाव नहीं पड़ा. इसके अलावा, हर साल महंगाई भत्ते में बढ़ोतरी के साथ ही वेतनमान लागू होने पर वेतन में भी इजाफा होता था. ओपीएस धारक की मृत्यु के बाद पत्नी या अन्य आश्रित को पेंशन मिलती थी. इन्हीं कारणों से कर्मचारी पुरानी पेंशन योजना को फिर से लागू करने की मांग कर रहे हैं. कुछ राज्य सरकारों ने फिर से ओपीएस लागू करने का ऐलान किया है.
सरकार ने पुरानी पेंशन योजना को इसलिए किया बंद
निवेश सलाहकार बलवंत जैन के अनुसार ओल्ड पेंशन सिस्टम या ओपीएस सरकारी कर्मचारियों को अधिक आत्मविश्वास और सुरक्षा प्रदान करता है क्योंकि इसमें सरकार की तरफ से तय बेनेफिट्स दिए जाते हैं लेकिन 2004 में तत्कालीन यूपीए सरकार ने ओपीएस को यह कहकर बंद कर दिया था कि इससे सरकार के खजाने पर बोझ बढ़ता है इसलिए सरकार ने इसका रिस्क कर्मचारियों पर डाला.
एनपीएस के आने के बाद जीपीएफ यानी जनरल प्रॉविडेंट फंड को बंद कर दिया गया, जिसमें 12 फीसदी एंप्लॉयी और 12 फीसदी एंप्लॉयर का इनवेस्टमेंट कंट्रीब्यूशन किया गया. एनपीएस में राज्य सरकार के कर्मचारी के मूल वेतन और डीए का 10 प्रतिशत काटा जाता है और इतनी ही राशि का भुगतान नियोक्ता भी करता है. लेकिन यह जीपीएफ से 2 फीसदी कम है. पेंशन और बचत दोनों ही मामलों में राज्य कर्मचारियों का एनपीएस जीपीएफ से कम है.
एनपीएस में कैसे मिलेगा एकमुश्त पैसा और पेंशन
एनपीएस का रिटर्न पूरी तरह से बाजार के जोखिम के अधीन है इसलिए सरकारी कर्मचारी इस पर ज्यादा भरोसा नहीं कर रहे हैं. अगर एनपीएस को लंबे समय तक चलाया जाए तो पेंशन के रूप में सही रकम ही मिलती है. क्योंकि नई पेंशन योजना में कर्मचारी की सेवा अवधि पर सीधा असर पड़ता है.
एनपीएस लेने वाले कर्मचारी सेवानिवृत्ति पर कुल संचित राशि का 60% एकमुश्त निकाल सकते हैं, जबकि 40% राशि को बीमा कंपनी का एन्युइटी प्लान खरीदना होगा और इस राशि पर मिलने वाले ब्याज को हर महीने पेंशन के रूप में दिया जाएगा. इससे साफ है कि एन्युटी की रकम और उसका ब्याज जितना ज्यादा होगा, पेंशन उतनी ही ज्यादा होगी.
आइए एनपीएस के इस वायदा विकल्प से बेहतर क्यों है पूरे कैलकुलेशन को एक उदाहरण के जरिए समझते हैं...
मान लीजिए आपकी उम्र 30 साल है और आप सरकारी सेवा में आए हैं. चूंकि सेवानिवृत्ति की आयु 60 वर्ष है, आप अगले 30 वर्षों के लिए एनपीएस में योगदान करेंगे. नई पेंशन योजना में अगर आपके 5 हजार रुपए हर महीने कटते हैं तो यह एक साल में 60 हजार रुपए हो जाएगा और 30 साल में यह रकम 18 लाख हो जाएगी.
एनपीएस रिटर्न पर सेवा की अवधि का प्रभाव
चूंकि, एनपीएस में रिटर्न बाजार के जोखिम के अधीन हैं, उपरोक्त राशि परिवर्तन के अधीन है. उदाहरण के लिए, हमने रिटर्न की निश्चित दर के आधार पर गणना की है. वहीं, एनपीएस में मिलने वाला रिटर्न कर्मचारी के सेवाकाल की अवधि पर निर्भर करता है क्योंकि लंबे समय तक निवेश करने से अधिक पैसा जमा होगा और उस पर बाजार में रिटर्न मिलेगा. दूसरी ओर पुरानी पेंशन योजना में सेवा की अवधि का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है क्योंकि सेवानिवृत्ति के समय अंतिम वेतन का 50 प्रतिशत पेंशन के रूप में दिया जाएगा.
अगर आप एनपीएस की तुलना पुरानी पेंशन स्कीम से न करके सिर्फ एक निवेश विकल्प के तौर पर देखें तो यह काफी आकर्षक नजर आता है. क्योंकि एनपीएस के लागू होने के बाद से अब तक इस पर सालाना औसतन 10 फीसदी का रिटर्न मिला है लेकिन कर्मचारी इसके कुछ नुकसानों को देखते हुए पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने की मांग कर रहे हैं.
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