Cryptocurrency Value: क्या आप जानते हैं कैसे तय होती है किसी क्रिप्टोकरेंसी की कीमत? यहां समझें पूरा गणित

Cryptocurrency Value : क्रिप्टोकरेंसी की कीमत डिमांड और सप्लाई के सीधे सिद्धांत पर तय होती है, लेकिन इसके अलावा ऐसे बहुत से दूसरे फैक्टर भी हैं, जो इनकी कीमतें तय करने में भूमिका निभाते हैं.

Cryptocurrency Value: क्या आप जानते हैं कैसे तय होती है किसी क्रिप्टोकरेंसी की कीमत? यहां समझें पूरा गणित

Cryptocurrency Price : क्रिप्टोकरेंसी की कीमतें कई फैक्टर्स को ध्यान में रखकर तय होती हैं.

क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) की शुरुआत हुए लगभग एक दशक हो चुके हैं, लेकिन इसके मुकाबले इनकी पॉपुलैरिटी पिछले कुछ सालों में बढ़ी है. बहुत से लोगों ने क्रिप्टो कॉइन्स या टोकन्स में निवेश (Crypto investment) करना शुरू कर दिया है. क्रिप्टोकरेंसी को माइनिंग (Crypto Mining) के जरिए जेनरेट किया जाता है. ये काम उत्कृष्ट कंप्यूटरों पर जटिल गणितीय समीकरण हल करके किया जाता है. समीकरण क्रिप्टोकरेंसी को समझना हल करने पर माइनर्स को इनाम में कॉइन्स मिलते हैं. डिसेंट्रलाइज्ड ब्लॉकचेन तकनीक के जरिए क्रिप्टोकरेंसी की सुरक्षा तय की क्रिप्टोकरेंसी को समझना क्रिप्टोकरेंसी को समझना जाती है.

क्रिप्टोकरेंसी कैसे काम करती है और इसकी वैल्यू कैसे तय होती है?

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यह समझने के लिए हमें ये समझना होगा कि क्रिप्टोकरेंसी फ्लैट करेंसी यानी कि हमारी ट्रेडिशनल करेंसी (रुपया, डॉलर, यूरो वगैरह) से अलग कैसे होती है. सबसे बड़ा फर्क यह होता है कि क्रिप्टो को सरकार की ओर से कानूनी वैधता मिली हुई होती है. फ्लैट करेंसी की कीमत क्रिप्टोकरेंसी को समझना इस तथ्य से तय होती है कि दो पक्ष किसी लेन-देन के लिए उस कीमत में अपना विश्वास रख रहे हैं. अधिकतर क्रिप्टोकरेंसी को समझना देश इसी सिस्टम में काम करते हैं, जिसमें एक केंद्रीय बैंक और मौद्रिक संस्थान उस करेंसी के सप्लाई और इसके जरिए मुद्रास्फीति पर नियंत्रण रखते हैं.

लेकिन क्रिप्टोकरेंसी पर सरकार का नियंत्रण या नियमन नहीं होता है, ये डिसेंट्रलाइज्ड होते हैं, यानी किसी एक केंद्र के तहत काम नहीं करते हैं. अधिकतर देशों ने इसे कानूनी वैधता नहीं दी है. क्रिप्टो के साथ ऐसा भी है कि इनकी एक फिक्स्ड सप्लाई होती है, ऐसे में मुद्रास्फीति से कीमतें गिरने का डर नहीं रहता है.

इन तथ्यों के इतर दोनों में काफी कुछ एक जैसा है. दोनों को ही किसी वस्तु या सेवा को खरीदने के लिए लेने-देन में इस्तेमाल किया जाता है. और दोनों को ही उनके वैल्यू के लिए स्टोर करके रखा जाता है.

क्रिप्टोकरेंसी पब्लिक लेजर या सार्वजनिक बहीखाता (Cryptocurrency Public Ledger)

क्रिप्टोकरेंसी में हर ट्रेडिंग अपने आप एक डिसेंट्रलाइज्ड लेजर में दर्ज हो जाती है. इस लेजर पर किसी का अधिकार नहीं होता है, यानी इसका मेंटेनेंस या एक्सेस किसी एक व्यक्ति या संस्था के पास नहीं होता है. इसे कोई भी, कभी भी, कहीं से भी एक्सेस कर सकता है. सभी ट्रांजैक्शन क्रिप्टोग्राफी की मदद से सुरक्षित रहते हैं.

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क्रिप्टोकरेंसी नोड काउंट (Cryptocurrency node count)

नोड काउंट यह बताता है कि किसी नेटवर्क पर कितने एक्टिव वॉलेट्स हैं. इससे समझ क्रिप्टोकरेंसी को समझना आता है कि किस क्रिप्टोकरेंसी की वैल्यू कम है, किसकी ज्यादा. अगर किसी निवेशक को यह पता लगाना है कि किसी क्रिप्टोकरेंसी की कीमतें सही हैं या नहीं या फिर ओवरबॉट के चलते बढ़ गई हैं (ओवरबॉट मतलब किसी करेंसी को ज्यादा खरीदे जाने के चलते इसकी कीमतें बहुत बढ़ जाना) तो निवेशक को उसका नोड काउंट और कुल मार्केट कैप देखना होगा. इसके बाद क्रिप्टोकरेंसी को समझना इन दोनों की दूसरे क्रिप्टोकरेंसी से तुलना करनी होगी, इससे आपको उस क्रिप्टोकरेंसी की सही कीमत पता चल जाएगी. नोड काउंट से यह भी पता चलता है कि कोई क्रिप्टो कम्युनिटी कितनी मजबूत है. जिस कम्युनिटी के जितने ज्यादा नोड काउंट होंगे वो क्रिप्टोकरेंसी को समझना उतनी ज्यादा मजबूत होगी.

क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज

किसी क्रिप्टोकरेंसी की जानकारी लेने के लिए आप ऑनलाइन क्रिप्टो एक्सचेंज चेक कर सकते हैं. इसपर आपको क्रिप्टोकरेंसी को समझना किसी भी क्रिप्टो का मार्केट कैप, पिछले हफ्तों और महीनों में उसकी परफॉर्मेंस, सर्कुलेशन में उसकी कितनी करेंसी है, उसकी मौजूदा रेट क्या है और पहले रेट क्या था, वगैरह जैसी जानकारी एक्सचेंज पर मिलती है. इन एक्सचेंज पर बिटकॉइन, इथीरियम, टेदर और डॉजकॉइन जैसी कई दूसरी कॉइन्स को कुछ फीस चुकाकर ट्रेडिंग भी की जाती है.

किसी क्रिप्टोकरेंसी की कीमत तय करना

किसी भी क्रिप्टोकरेंसी की कीमत तय करने का सबसे प्रभावी तरीका उसकी मांग को देखकर कीमत तय करना है. किसी क्रिप्टो में निवेशकों की ओर से बढ़ रही मांग के चलते उस कॉइन की कीमतें बढ़ जाती हैं. इसके उलट, अगर किसी कॉइन टोकन सप्लाई ज्यादा है, लेकिन उसकी डिमांड कम है, तो इसकी कीमतें गिर जाएंगी. इसके अलावा एक और चीज है, जिससे क्रिप्टोकरेंसी की कीमत तय होती है- वो है इसकी उपयोगिता. यानी कि वो करेंसी कितनी यूज़फुल यानी उपयोगी है. अगर किसी क्रिप्टोकरेंसी की माइनिंग प्रक्रिया ज्यादा कठिन है, तो इसका मतलब है कि उसकी सप्लाई बढ़ाना भी मुश्किल होगा, ऐसे में अगर डिमांड सप्लाई से ज्यादा हो गई तो उसकी कीमतें ज्यादा हो जाएंगी.

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इसे अपनाए जाने को लेकर लोगों का रुख (Mass adoption)

अगर ज्यादा से ज्यादा लोग किसी क्रिप्टोकरेंसी में निवेश करेंगे तो उसकी कीमतें बेतहाशा बढ़ जाएंगी. लेकिन फिर भी आम जनता के बीच में इन्हें अपनाया जाना अभी बहुत दूर की बात दिखाई देती है क्योंकि इसमें कई वास्तविक पेचीदगियां हैं जो हमारे मौजूदा सिस्टम के हिसाब से परेशानी पैदा करेंगी.फ्लैट करेंसी का इस्तेमाल लेन-देन में जिस स्तर पर होता है, क्रिप्टो का वैसा इस्तेमाल नहीं हो सकता, या नहीं हो रहा है. इन कॉइन्स को मेनस्ट्रीम में लाने के लिए इनकी उपयोगिता बढ़नी जरूरी है, वहीं यह फैक्टर भी काम करेगा कि वो डील खरीददार को कितनी फायदे वाली लगती है.

कीमतों में उतार-चढ़ाव

क्रिप्टोकरेंसी बाजार अभी बहुत नया है और अधिकतर लोग इस इंडस्ट्री से बहुत परिचित नहीं हैं. ऐसे नए बाजारों में ऐसा होता है कि इसमें बहुत उतार-चढ़ाव देखा जाता है. लेकिन क्रिप्टो बाजार में काफी उतार-चढ़ाव रहने का यह कारण भी होता है कि ऐसे बहुत से व्हेल अकाउंट होते हैं, जिनके पास बड़ी संख्या में क्रिप्टोकरेंसी कॉइन्स होती हैं, और वो प्रॉफिट बुकिंग के लिए बाजार को प्रभावित करते हैं.

क्या होती है क्रिप्टोकरेंसी माइनिंग? क्यों पड़ती है इसकी जरूरत? समझें आसान भाषा में

क्रिप्टोकरेंसी में निवेश करने से पहले उससे जुड़ी कुछ अहम बातों को जान लेना और समझना बेहद जरूरी है. इनमें से एक क्रिप्टोकरेंसी माइनिंग भी है. आइए इसके बारे में डिटेल में जानते हैं.

क्या होती है क्रिप्टोकरेंसी माइनिंग? क्यों पड़ती है इसकी जरूरत? समझें आसान भाषा में

What is Cryptocurrency Mining: पिछले कुछ समय में क्रिप्टोकरेंसी में निवेश की ओर लोगों का आकर्षण तेजी के साथ बढ़ा है. बड़ी संख्या में लोग खास तौर पर युवा क्रिप्टोकरेंसी में निवेश का विकल्प चुनते हैं. लेकिन क्रिप्टोकरेंसी में निवेश करने से पहले उससे जुड़ी कुछ अहम बातों को जान लेना और समझना बेहद जरूरी है. इनमें से एक क्रिप्टोकरेंसी माइनिंग भी है. आइए इसके बारे में डिटेल में जानते हैं.

बिटक्वॉइन माइनिंग क्या है?

बिटक्वॉइन माइनिंग एक प्रक्रिया है, जिसके द्वारा नए बिटक्वॉइन सर्रकुलेशन में आ जाते हैं. इस तरीके से नेटवर्क में नए ट्रांजैक्शन भी कन्फर्म हो जाते हैं. और माइनिंग को एक बेहतर सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करके किया जाता है. इसमें एक बेहद जटिल कंप्यूटेशनल मैथ प्रॉब्लम को सॉल्व किया जाता है. दो पहला कंप्यूटर सोल्यूशन का पता लगाता है, उसे बिटक्वॉइन्स का अगला ब्लॉक मिलता है. और प्रक्रिया दोबारा शुरू हो जाती है.

क्रिप्टोकरेंसी माइनिंग महंगी, जटिल और कम रिवॉर्ड देने वाली है. इसके साथ माइनिंग की ओर बहुत ने निवेशक इसलिए आकर्षित होते हैं, क्योंकि माइनर्स को उनके काम के लिए क्रिप्टो टोकन के तौर पर इनाम मिलता है. ऐसा शायद इसलिए है क्योंकि उद्यमी की तरह लोग माइनिंग को स्वर्ग की ओर से इनाम के तौर पर देखते हैं.

माइनिंग क्यों की जाती है?

बहुत सी माइनिंग के पीछे मुख्य वजह होती है कि आपको बिटक्वॉइन मिल सकता है. इस बात को ध्यान में रखना जरूरी है कि क्रिप्टोकरेंसी टोकन्स को हासिल करने के लिए आपका माइनर होना जरूरी नहीं है. आप fiat करेंसी का इस्तेमाल करके भी क्रिप्टोकरेंसी खरीद सकते हैं. और आप दूसरे क्रिप्टो का इस्तेमाल करके भी Bitstamp जैसे एक्सचेंज पर इसे ट्रेड कर सकते हैं. आप खरीदारी, ब्लॉग पोस्ट को पब्लिश करके भी कमा सकते हैं, जो यूजर्स को क्रिप्टोकरेंसी में भुगतान करते हैं. इसके अलावा आप ब्याज कमाने वाले क्रिप्टो अकाउंट्स को भी बना सकते हैं.

बिटक्वॉइन रिवॉर्ड, जो माइनर्स को मिलता है, वह एक इंसेंटिव है, जो लोगों को माइनिंग के मुख्य उद्देश्य में सहायता करने के लिए प्रोत्साहित करता है.

माइनर्स को उनके काम के लिए ऑडिटर्स के तौर पर पैसा दिया जाता है. वे बिटक्वॉइन ट्रांजैक्शन्स की वैधता को वेरिफाई करने का काम करते हैं.

Crypto Vs Digital Currency: क्रिप्टो करेंसी और डिजिटल करेंसी में क्या हैं अंतर, समझें यहां

Crypto Vs Digital Currency: क्रिप्टो निवेशकों का मानना है कि किसी भी रूप में क्रिप्टो पर टैक्स लगाने का मतलब साफ है कि इसको बैन नहीं किया जाएगा. लेकिन, इससे इसको कानूनी वैधता भी नहीं मिलती है. अभी यह देखना बाकी है कि सरकार देश में क्रिप्टोकरेंसी पर आगे किस तरह का कदम उठाने का फैसला करती है.

Published: February 2, 2022 3:45 PM IST

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Crypto Vs Digital Currency: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने अपने बजट 2022-2023 के भाषण के दौरान घोषणा की कि डिजिटल संपत्ति (Digital Assets), जिसमें क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) और एनएफटी (NFT) शामिल हैं, उनके हस्तांतरण से किसी भी आय पर 30 प्रतिशत क्रिप्टोकरेंसी को समझना टैक्स लगाया जाएगा. वित्त मंत्री की घोषणा ने अधिकांश क्रिप्टो और एनएफटी निवेशकों को अपनी संपत्ति के भविष्य के बारे में सोचने पर मजबूर कर दिया, लेकिन कइयों ने इसे ज्यादातर सकारात्मक घोषणा के तौर पर लिया. उनका कहना है कि किसी भी तरह का टैक्स लगाने का मतलब है कि देश में क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध नहीं लगाया जाएगा, हालांकि, इसका मतलब नियमितीकरण भी नहीं है. अभी यह देखना बाकी है कि सरकार देश में क्रिप्टोकरेंसी पर आगे किस तरह का कदम उठाने का फैसला करती क्रिप्टोकरेंसी को समझना है.

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वित्त मंत्री ने यह भी घोषणा की कि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) जल्द ही अपनी डिजिटल मुद्रा लाएगा, जिसे सीबीडीसी (CBDC) या सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी कहा जाएगा. आरबीआई डिजिटल मुद्रा पर कई महीनों से काम कर रही है और सीतारमण के मुताबिक, इसे अगले वित्तीय वर्ष में पेश किया जाएगा.

सीतारमण ने कहा कि आरबीआई की डिजिटल मुद्रा आने से डिजिटल अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा. डिजिटल मुद्रा भी अधिक कुशल और सस्ती मुद्रा प्रबंधन प्रणाली को बढ़ावा देगी.

डिजिटल संपत्ति के लिए कराधान की घोषणा के तुरंत बाद सीबीडीसी की घोषणा ने बहुत से लोगों को यह सोचकर भ्रमित कर दिया कि सीबीडीसी पर भी कर लगाया जाना चाहिए. हालांकि, ऐसा बिल्कुल नहीं है. डिजिटल मुद्राएं क्रिप्टोकरेंसी या एनएफटी जैसी डिजिटल संपत्ति नहीं हैं. डिजिटल मुद्राएं सरकार द्वारा जारी मुद्रा के इलेक्ट्रॉनिक रूप हैं, जबकि क्रिप्टोकरेंसी मूल्य का एक भंडार है जो एन्क्रिप्शन द्वारा सुरक्षित है. लोगों ने विशेष रूप से महामारी के दौरान जिन डिजिटल वॉलेट का उपयोग करना शुरू किया, उनमें डिजिटल मुद्रा और क्रिप्टोकरेंसी दोनों हो सकते हैं, लेकिन वे वास्तव में विनिमेय नहीं हैं.

डिजिटल मुद्रा से दो पार्टियों के बीच संपर्क रहित लेनदेन में उपयोग किया जा सकता है. जैसे आपके बैंक खाते से इलेक्ट्रॉनिक रूप से किसी और को भुगतान किया जाता है. सभी ऑनलाइन लेनदेन में डिजिटल मुद्रा शामिल होती है, एक बार जब आप उस पैसे को बैंक या एटीएम से क्रिप्टोकरेंसी को समझना निकाल लेते हैं, तो वह डिजिटल मुद्रा तरल नकदी में बदल जाती है.

क्रिप्टोकरेंसी, या डिजिटल सिक्के, मूल्य का एक भंडार है जो एन्क्रिप्शन द्वारा सुरक्षित है. ये डिजिटल सिक्के सभी निजी स्वामित्व में हैं और बनाए गए हैं और अभी तक अधिकांश देशों में नियमित नहीं किए गए हैं.

डिजिटल मुद्रा को एन्क्रिप्शन की आवश्यकता नहीं है, लेकिन हैकिंग और चोरी की संभावना को कम करने के लिए सभी उपयोगकर्ताओं को अपने डिजिटल वॉलेट और बैंकिंग ऐप को मजबूत पासवर्ड और बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण के साथ सुरक्षित करने की आवश्यकता है. यही बात डेबिट और क्रेडिट कार्डों पर भी लागू होती है जो इन डिजिटल मुद्रा लेनदेन की कुंजी हैं.

क्रिप्टोकरेंसी को मजबूत एन्क्रिप्शन द्वारा संरक्षित किया जाता है और क्रिप्टो में व्यापार करने में सक्षम होने के लिए, उपयोगकर्ताओं के पास पैसे के साथ एक बैंक खाता होना चाहिए और इस डिजिटल मुद्रा का आदान-प्रदान एक ऑनलाइन एक्सचेंज के माध्यम से किया जा सकता है ताकि संबंधित मूल्य की क्रिप्टोकरेंसी प्राप्त की जा सके.

जब विनियमन की बात आती है, तो डिजिटल मुद्राओं को भारत में एक केंद्रीय प्राधिकरण द्वारा सपोर्ट किया जाएगा, जो कि आरबीआई होगा. आीबीआई तरल, नकद और डिजिटल मुद्रा लेनदेन दोनों को नियंत्रित करता है. क्रिप्टोकरेंसी के मामले में, यह एक विकेन्द्रीकृत प्रणाली है और एक केंद्रीय प्राधिकरण द्वारा विनियमित नहीं है. हालांकि, सभी क्रिप्टो लेनदेन एक विकेन्द्रीकृत खाता बही में दर्ज किए जाते हैं जो सभी के लिए उपलब्ध है.

स्थिरता के मोर्चे पर, जब लेनदेन की बात आती है तो डिजिटल मुद्राएं स्थिर और प्रबंधन में आसान होती हैं क्योंकि उन्हें वैश्विक बाजार में व्यापक रूप से स्वीकार किया जाता है. दूसरी ओर, क्रिप्टो बहुत अस्थिर है और दरें लगभग नियमित रूप से बढ़ती और गिरती हैं.

डिजिटल मुद्रा लेनदेन का विवरण केवल इसमें शामिल लोगों, प्रेषक और रिसीवर और बैंक के लिए उपलब्ध है. क्रिप्टो लेनदेन का विवरण विकेन्द्रीकृत खाता बही के माध्यम से जनता के लिए उपलब्ध है.

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