सरकार ने LIC में अपनी हिस्सेदारी क्यों बेची?
एक्सपर्ट्स का इसे लेकर कहना है कि इंडियन इकोनॉमी कोरोना की वजह से मुश्किल दौर में है। सरकार की देनदारी काफी ज्यादा बढ़ गई है। सरकार को पैसे की सख्त जरूरत है और वह अपनी फंडिंग जरूरतों को पूरा करने के लिए बहुत ज्यादा उधार नहीं लेना चाहती। इस समय ऐसा करने का शायद यही सबसे बड़ा कारण है।
शेयर बाजार बेजार: सेंसेक्स ने लगाया 861 अंकों का गोता, निफ्टी 246 अंक टूटा, रिलायंस भी लाल निशान पर बंद
Share Market Closing Bell: अमेरिकी शेयर बाजारों में शुक्रवार की गिरावट का असर सोमवार को भारतीए शेयर बाजारों पर भी देखने को मिला। सेंसेक्स 861अंक लुढ़ककर 57,972.62 के स्तर पर बंद हुआ तो निफ्टी 246.00 अंक टूटकर 17,312.90 के स्तर पर बंद हुआ। निफ्टी टॉप गेनर में ब्रिटानिया, मारुति, नेस्ले, कोल इंडिया और एशियन पेंट्स रहे तो टॉप लूजर में टेक महिंद्रा, इन्फोसिस, विप्रो, कोटक महिंद्रा बैंक और एचसीएल टेक।
Stock Market: शेयर बाजार क्या है?
BSE या NSE में ही किसी लिस्टेड कंपनी के शेयर ब्रोकर के माध्यम से खरीदे और बेचे जाते हैं. शेयर बाजार (Stock Market) में हालांकि बांड, म्युचुअल फंड और डेरिवेटिव का भी व्यापार होता है.
स्टॉक बाजार या शेयर बाजार में बड़े रिटर्न की उम्मीद के साथ घरेलू के साथ-साथ विदेशी निवेशक (FII या FPI) भी काफी निवेश करते हैं.
शेयर खरीदने का मतलब क्या है?
मान लीजिये कि NSE में सूचीबद्ध किसी कंपनी ने कुल 10 लाख शेयर जारी किए हैं. आप उस कंपनी के प्रस्ताव के अनुसार जितने शेयर खरीद भारत में कुल कितने स्टॉक एक्सचेंज है लेते हैं आपका उस कंपनी में उतने हिस्से का मालिकाना हक हो गया. आप अपने हिस्से के शेयर किसी अन्य खरीदार को जब भी चाहें बेच सकते हैं.
मार्केट कैप में 5वीं बड़ी कंपनी LIC: शेयर बाजार में LIC की वैल्यू 5.53 लाख करोड़ रुपए, जानिए मार्केट कैप और इसकी अहमियत को
अगर आपके पास भी LIC के शेयर हैं तो ये जान लीजिए की स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्ट होने के साथ ये मार्केट कैपिटलाइजेशन के लिहाज से देश की 5वीं बड़ी कंपनी बन गई है। LIC से आगे केवल इंफोसिस, HDFC बैंक, TCS और रिलायंस इंडस्ट्रीज है। LIC के शेयरों की BSE पर लिस्टिंग 949 रुपए के इश्यू प्राइस से 82 रुपए नीचे 867 पर हुई है। बाजार बंद होने पर LIC का मार्केट कैप 5.53 लाख करोड़ रुपए रहा।
ऐसे में कई लोगों के मन में ये सवाल होगा कि मार्केट कैप क्या होता है? इससे शेयर का क्या लेना-देना है? मार्केट कैप कैसे बढ़ता और घटता है? मार्केट कैप के लिहाज से अडाणी और अंबानी की टॉप कंपनियों के मुकाबले LIC कहां खड़ी है? शेयर खरीदने में मार्केट कैप की जानकारी कैसे काम आती है? तो चलिए एक-एक कर इन सवालों के जवाब जानते हैं.
क्या है 'डार्क फाइबर' केस, जिसके तहत चित्रा रामाकृष्णा सहित 18 लोगों पर लगाया गया है 44 करोड़ रुपये का जुर्माना
'डार्क फाइबर' केस
अपूर्वा राय
- नई दिल्ली,
- 30 जून 2022,
- (Updated 30 जून 2022, 11:08 AM IST)
सेबी भारत में कुल कितने स्टॉक एक्सचेंज है ने देश के सबसे बड़े एक्सचेंज एनएसई पर 7 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया है।
कैपिटल मार्केट रेगुलेटर सेबी ने नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) सहित 18 लोगों और कंपनियों पर करीब 44 करोड़ का जुर्माना लगाया है. कंपनियों और उसके पूर्व अधिकारियों पर 2015 के डार्क फाइबर केस का आरोपी बनाया गया है. सेबी के आदेश के अनुसार, इन्हें 45 दिनों के भीतर जुर्माने की राशि का भुगतान करना है.
क्या है डार्क फाइबर
एक डार्क फाइबर या अनलिमिटेड फाइबर एक अप्रयुक्त ऑप्टिकल फाइबर है, जिसे बिछाया जा चुका है लेकिन उसका उपयोग अभी तक नहीं हुआ है. यह फाइबर-ऑप्टिक संचार में उपयोग के लिए उपलब्ध होता है. डार्क फाइबर को नेटवर्क सर्विस प्रोवाइडर से लीज पर लिया जा सकता है.
चुनिंदा ब्रोकरों को पहुंचाया फायदा
एनएसई और संपर्क ने कुछ चुनिंदा ब्रोकर्स को उनका सर्वर एक्सचेंज परिसर में लगाने की अनुमति दी जिससे उन्हें बाकी के मुकाबले शेयरों की कीमतों की जानकारी कुछ पहले मिल जाती थी. इसका लाभ उठाकर वे भारी मुनाफा कमा रहे थे. सेबी ने 2009 से 2016 के दौरान कुछ इकाइयों के साथ डीलिंग को लेकर जांच शुरू की थी. सेबी ने अपनी जांच में पाया कि संपर्क इंफोटेनमेंट द्वारा डार्क फाइबर केबल इस तरह से बिछाई गई थी कि इससे way2wealth और GKN सिक्योरिटीज जैसे ब्रोकरेज को फायदा हुआ. यह मामला 2014-15 का है. इस मामले में सीबीआई ने एफआईआर भी दर्ज की थी. बता दें, चित्रा रामाकृष्ण अप्रैल 2013 से दिसंबर 2016 तक नेशनल स्टॉक एक्सचेंज की एमडी और सीईओ थीं. रामाकृष्ण पर नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का संचालन करने और संवेदनशील जानकारी साझा करने का आरोप है.
इंदौर शहर – परिचय
इंदौर के इतिहास से पता चलता है कि शहर के संस्थापकों के पूर्वज मालवा के वंशानुगत जमींदार और स्वदेशी भूस्वामी थे। इन जमींदारों के परिवारों ने शानदार जीवन व्यतीत किया। उन्होंने होल्कर के आगमन के बाद भी एक हाथी, निशान, डंका और गाडी सहित रॉयल्टी की अपनी संपत्ति को बनाए रखा। उन्होंने दशहरा (शमी पूजन) की पहली पूजा करने का अधिकार भी बरकरार रखा। मुगल शासन के दौरान, परिवारों को सम्राट औरंगज़ेब, आलमगीर और फ़ारुक्शायार ने अपने जागीर के अधिकारों की पुष्टि करते हुए, सनद दी।
मध्य प्रदेश के पश्चिमी क्षेत्र पर स्थित इंदौर, राज्य के सबसे महत्वपूर्ण वाणिज्यिक केंद्रों में से एक है। इंदौर का समृद्ध कालानुक्रमिक इतिहास गौर करने लायक है। योर के दिनों में भी यह एक महत्वपूर्ण व्यापारिक केंद्र था। लेकिन आज कॉर्पोरेट फर्मों और संस्थानों के प्रवेश भारत में कुल कितने स्टॉक एक्सचेंज है के साथ, इसने देश के वाणिज्यिक क्षेत्र में एक बड़ा नाम कमाया है। जैसे ही कहानी आगे बढ़ती है, होलकर कबीले के मल्हारो होल्कर ने 1733 में मालवा की विजय में अपनी लूट के हिस्से के रूप में इंदौर को प्राप्त किया। उनके वंशज, जिन्होंने मराठा संघ के मुख्य भाग का गठन किया, पेशवाओं और सिंधियों के साथ संघर्ष में आए और जारी रखा गोर की लड़ाई। ईस्ट इं
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