क्या होता है बीमा का वेटिंग पीरियड, टर्म इंश्योरेंस क्लेम करने के लिए कब होते हैं आप एलिजिबल?

टर्म इंश्योरेंस खरीदने के एक साल के अंदर सुसाइड के लिए राशि क्लेम नहीं की जा सकती.

टर्म इंश्योरेंस खरीदने के एक साल के अंदर सुसाइड के लिए राशि क्लेम नहीं की जा सकती.

हेल्थ इंश्योरेंस लेने का यह मतलब नहीं होता कि आपको इंश्योरेंस खरीदने के अगले दिन से ही बीमा कवर मिलना शुरू हो जाएगा. बी . अधिक पढ़ें

  • News18Hindi
  • Last Updated : November 12, 2022, 07:13 IST

हाइलाइट्स

टर्म इंश्योरेंस में सब्सक्राइबर की मृत्यु के बाद उसके नॉमिनी को बीमा राशि दी जाती है.
वेटिंग पीरियड वह तय अवधि होती है जिससे पहले आप भुगतान क्लेम नहीं कर सकते.
आमतौर पर बीमा खरीदने के बाद 15-90 दिनों का वेटिंग पीरियड होता है.

नई दिल्ली. स्वास्थ्य को लेकर लोगों के बीच सजगता काफी बढ़ी है. कोविड-19 के भयावह दौर के बाद लोगों ने इंश्योरेंस को गंभीरता से लेना शुरू कर दिया है और अधिक-से-अधिक भारतीय इसे सब्सक्राइब कर रहे हैं. केवल स्वास्थ्य बीमा ही नहीं टर्म इंश्योरेंस के प्रति भी लोगों में जागरुकता बढ़ी है. बता दें कि टर्म इंश्योरेंस में ग्राहक की मृत्यु की स्थिति में उसके नॉमिनी या परिवार को इंश्योरेंस की रकम दी जाती है.

हालांकि, किसी भी तरह का बीमा खरीदने से पहले कुछ बहुत आधारभूत बातों को समझ लेना जरूरी है. इससे आप भुगतान क्लेम करते समय किसी भी अनावश्यक परेशानी बचेंगे. ये बात टर्म इंश्योरेंस पर भी लागू होती है. कई ग्राहक अन्य इंश्योरेंस की तरह टर्म इंश्योरेंस पर वेटिंग पीरियड को लेकर असमंजस की स्थिति में रहते हैं. क्या टर्म इंश्योरेंस पर भी कोई समझ कैसे बीमा दलाल पैसा बनाते हैं वेटिंग पीरियड होता है? इसे जानने से पहले यह समझ लें कि वेटिंग पीरियड आखिर होता क्या है.

क्या होता है इंश्योरेंस में वेटिंग पीरियड?
हेल्थ इंश्योरेंस लेने का यह मतलब नहीं होता कि आपको इंश्योरेंस खरीदने के अगले दिन से ही बीमा कवर मिलना शुरू हो जाएगा. बीमा खरीदने के बाद एक तय समय तक आप बीमा कंपनी से कोई लाभ क्लेम नहीं कर सकते हैं. यही अवधि वेटिंग पीरियड कहलाती है. वेटिंग समझ कैसे बीमा दलाल पैसा बनाते हैं पीरियड 15 से 90 दिनों तक का हो सकता है. इसके साथ ही आपकी पुरानी बीमारियों का वेटिंग पीरियड और लंबा होता है. कुछ इंश्योरेंस कंपनियां 36 महीने यानी 3 साल तो कुछ 48 महीने बाद पुरानी बीमारियों को कवर करना शुरू करती हैं. इसके लिए भी आपको पुरानी बीमारी के बारे में बीमा कंपनी को सूचित करना होता है. इसलिए बीमा खरीदने से पहले वेटिंग पीरियड की पूरी जानकारी ले लेना बेहद फायदे का सौदा होता है.

क्या टर्म इंश्योरेंस का भी है वेटिंग पीरियड?
जैसा कि हमने बताया कि टर्म इंश्योरेंस किसी इंश्योरेंस सब्सक्राइबर की मृत्यु पर ही उसके परिवार को बीमा की रकम मुहैया कराता है. यह आमतौर पर बड़ी रकम होती है. टर्म इंश्योरेंस में, प्राकृतिक, बीमारियों या एक्सीडेंट से हुई मौत को कवर किया जाता है. इसके लिए कोई वेटिंग पीरियड नहीं होता है. यानी बीमा समझ कैसे बीमा दलाल पैसा बनाते हैं खरीदने के अगले दिन से ही आपको कवर मिलना शुरू हो जाता है. हालांकि, यहां एक अपवाद है. आत्महत्या के मामले में वेटिंग पीरियड करीब 1 साल का होता है.

क्लेम पास करने से पहले होती है जांच
अगर किसी सब्सक्राइबर के परिजन या नॉमिनी टर्म इंश्योरेंस खरीदने के कुछ समय बाद ही इसे क्लेम करते हैं तो कंपनी इसकी पूरी जांच करती है. इसका मकसद यह देखना होता है कि क्या बीमा की राशि लेने के लिए कोई जालसाजी तो नहीं की गई है. साथ ही कंपनी यह भी जांचती है कि जिस बीमारी से शख्स की मृत्यु हुई है क्या उसकी जानकारी इंश्योरेंस खरीदते समय मुहैया कराई गई थी. अगर इसमें कोई गड़बड़ नहीं पाई जाती है तो क्लेम तुरंत पास कर दिया जाता है.

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