एक महीने के खर्च के बराबर नकदी घर में रखें

डिजिटल भुगतान में तेजी से बढ़ोतरी हुई है, खास तौर पर महानगरों और शहरी इलाकों में। लेकिन नकदी का अब भी दबदबा है। इस समय 28.5 लाख करोड़ रुपये की मुद्रा चलन में है। नोटबंदी के दौरान 18 लाख करोड़ रुपये की मुद्रा चलन में थी यानी इसमें पिछले पांच साल के दौरान 58.3 फीसदी बढ़ोतरी हुई है। मोटे तौर पर इन रुझानों को देखते हुए नकदी प्रबंधन के लिए आपकी व्यक्तिगत रणनीति होनी चाहिए?

विशेषज्ञों का कहना है कि नकदी को तीन हिस्सों में बांटा जाना चाहिए- घर पर रखी नकदी, आपात स्थिति के लिए जमा की गई नकदी और आपके पोर्टफोलियो में नकद रिजर्व।

भले ही आपके पास बहुत से भुगतान ऐप, कार्ड और बैंक खाते हो, लेकिन फिर भी कुछ नकदी घर पर रखना उचित है। टीबीएनजी कैपिटल एडवाइजर्स के संस्थापक और मुख्य कार्याधिकारी (सीईओ) तरुण बिरानी ने कहा, 'घर पर नकदी एक महीने या अधिकतम दो महीने के खर्च के बराबर होनी चाहिए।' अगर बैंक या एटीएम बंद रहते हैं या बार-बार निकासी संभव नहीं है तो यह धनराशि बहुत मददगार साबित होगी। इस समय घर पर नकदी रखने की कोई सीमा नहीं है। सीजेएस लॉ एसोसिएट्स में प्रबंध साझेदार चिराग जे शाह ने कहा, 'इस समय भारतीय रिजर्व बैंक या भारत सरकार की ऐसी कोई आधिकारिक नीति नहीं है, जो घर पर नकदी रखने की कोई सीमा तय करती है। हालांकि जांच के मामले में व्यक्ति को धन के स्रोत के बारे में बताना होगा।'

घर पर नकदी के अलावा आपको एक आपात कोष रखना चाहिए, जिसे आप इस्तेमाल कर सकें। एमबी वेल्थ फाइनैंशियल सॉल्यूशंस के संस्थापक एम बर्वे ने कहा, 'कुछ पैसा लिक्विड योजनाओं में रखें ताकि अगर आपको इलाज पर खर्च जैसा कोई भुगतान अचानक करना पड़े तो आप उसका तुरंत इस्तेमाल कर पाएं। यह कोष तीन से छह महीनों के खर्च के बराबर होना चाहिए।'

मासिक खर्च की गणना में ईएमआई और बीमा प्रीमियम को भी शामिल करें ताकि किसी आपात स्थिति में आपको सेवानिवृत्ति कोष जैसे अपने लंबी अवधि के निवेश को नहीं छूना पड़े। बिरानी ने कहा, 'अपने आपात कोष को लिक्विड फंडों, सावधि जमाओं (एफडी) और बचत खाते में रखें।'

वह कहते हैं कि इस समय आर्बिट्राज फंड में निवेश एक अच्छा विचार है क्योंकि वे कर बाद बेहतर प्रतिफल देते हैं। हालांकि इसमें आपको अपना निवेश भुनाने में तीन से पांच दिन का समय लगेगा, जबकि आप किसी लिक्विड फंड में अपना निवेश 24 घंटे के भीतर भुना सकते हैं। एफडी के लिए स्वीप-इन सुविधा चुनें। इससे यह सुनिश्चित होगा कि आपको एफडी का प्रतिफल मिलेगा, लेकिन आप एफडी से जुड़े अपने स्वीप-इन बचत या चालू खाते से तुरंत पैसा निकाल पाएंगे।

पोर्टफोलियो में कैश रिजर्व

वारेन बफेट जैसे बहुत से बड़े निवेशक हाथ में मोटी नकदी रखते हैं। लेकिन क्या आपको वही रणनीति अपनानी चाहिए? विशेषज्ञों के इस विषय में अलग-अलग मत हैं। आनंद राठी प्रिफर्ड की हेड (प्रॉडक्ट्स) झरना अग्रवाल कहती हैं, 'अपनी धनराशि को सभी परिसंपत्ति श्रेणियों में निवेश करें। अगर कोई परिसंपत्ति श्रेणी बहुत शानदार प्रदर्शन करती है तो इसमें थोड़ी बहुत मुनाफावसूली करें और इसे उस अन्य परिसंपत्ति श्रेणी में निवेश कर दें, जिसमें आपका निवेश कम है। किसी दुर्लभ मामले में ही किसी मौके के लिए अपने हाथ में नकदी रखें, लेकिन इसे छह महीने से ज्यादा अपने हाथ में नहीं रखें।' अग्रवाल कहती हैं कि पूरी राशि के निवेश से कैश ड्रैग यानी निवेशक के अपनी 100 फीसदी धनराशि को निवेश नहीं करने से पोर्टफोलियो में कमजोरी से बचने में मदद मिलती है।

कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि आप आने वाले मौकों को भुनाने के लिए कुछ नकदी रख सकते हैं। बिरानी कहते हैं, 'निवेशकों को अपने पोर्टफोलियो मेें कोर और सैटेलाइट तरीका अपनाना चाहिए। सैटेलाइट पोर्टफोलियो में लघु अवधि के मौकों का ज्यादा से ज्यादा फायदा उठाने के लिए पैसा योजनाबद्ध तरीके से लगाया जाता है, इसलिए आपको कुछ पैसा नकद रखना होगा।' उदाहरण के लिए अगर आपने स्मॉल कैप फंडों (आपके सैटेलाइट पोर्टफोलियो में रखे हुए) में मुनाफावसूली की है तो आप उसे पैसे को कोई उपयुक्त मौका आने तक नकद रख सकते हैं। अपनी निवेश योजना खुद बनाने वाले निवेशकों के लिए बर्वे सुझाव देते हैं कि उन्हें एक आपात कोष बनाना चाहिए और उसके बाद उन्हें अपने पोर्टफोलियो में 5 फीसदी से ज्यादा नकदी नहीं रखनी चाहिए।

निवेश करने के लिए नकद जमा करें

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टैक्स की बात: कैश में ज्यादा बड़े ट्रांजेक्शन करने पर आ सकता है आयकर विभाग का नोटिस; इन 6 बातों का रखें ध्यान, नहीं तो होना पड़ सकता है परेशान

अगर आप बड़े कैश ट्रांजैक्शन करते हैं तो ये आपको परेशानी में डाल सकता है। बैंक में पैसे जमा करने, म्यूचुअल फंड में निवेश या क्रेडिट कार्ड का ज्यादा बिल भरने पर इनकम टैक्स डिपार्टमेंट आपको नोटिस भेज सकता है। इसीलिए अगर निवेश करने के लिए नकद जमा करें कोई व्यक्ति बड़े कैश ट्रांजैक्शन करता है तो इसकी जानकारी उन्हें इनकम टैक्स विभाग को देनी होती है। हम आपको ऐसे 6 कैश ट्रांजैक्शन्स के बारे में बता रहे हैं ताकि आपको परेशानी का सामना न करना पड़े।

10 लाख से ज्यादा की FD करने पर
अगर आप फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) में एक साल में 10 लाख रुपए से ज्यादा जमा करते हैं तो आपको आयकर विभाग का नोटिस मिल सकता है। भले ही वो एक बार में जमा किए हों या कई बार में या फिर कैश ट्रांजैक्शन हों या डिजिटल। इनकम टैक्स विभाग आपसे इन पैसों के स्रोत के बारे में पूछ सकता है और आपको नोटिस भेज सकता है। ऐसे में FD में अधिकतर पैसे चेक के जरिए जमा करें।

बैंक अकाउंट में न करें ज्यादा कैश जमा
अगर किसी बैंक या को-ऑपरेटिव बैंक में आप भारी मात्रा में कैश जमा करते हैं तो उसकी सूचना बैंक या को-ऑपरेटिव बैंक आयकर विभाग को देगा। अगर कोई व्यक्ति एक वित्त वर्ष में अपने एक खाते या एक से अधिक खातों में 10 लाख रुपए या उससे अधिक की रकम कैश में जमा करता है तो आयकर विभाग नोटिस भेजकर पैसों के स्रोत की जानकारी मांग सकता है।

क्रेडिट कार्ड के बिल का नकद भुगतान करने पर भी हो सकती है परेशानी
अगर आपके क्रेडिट कार्ड का बिल निवेश करने के लिए नकद जमा करें 1 लाख से ज्यादा का है और आप एक बार में इस बिल को नकद में भर देते हैं। तो भी आपको नोटिस आ सकता है। वहीं अगर आप एक वित्त वर्ष में 10 लाख रुपए से अधिक के क्रेडिट कार्ड बिल का भुगतान कैश में करते हैं तो भी आपसे पैसों के स्रोत के बारे में पूछा जा सकता है। अगर आपने ऐसा कुछ किया है तो आपको अपने इनकम टैक्स रिटर्न में इसकी जानकारी देनी होगी।

प्रॉपर्टी खरीदने के लिए ज्यादा नकद पैसे देने पर
प्रॉपर्टी रजिस्ट्रार के पास अगर आप कैश में बड़ा ट्रांजैक्शन करते हैं तो उसकी रिपोर्ट आयकर विभाग के पास भी जाती है। अगर आप किसी 30 लाख या उससे अधिक की प्रॉपर्टी को कैश में खरीदते या बेचते हैं तो प्रॉपर्टी रजिस्ट्रार की तरफ से इसकी जानकारी आयकर विभाग को जाएगी। ऐसे में आयकर विभाग आपसे इस लेन-देन के बारे में जानकारी मांग सकता है।

शेयर और म्यूचुअल फंड में निवेश के लिए न दें ज्यादा नकदी
अगर आप शेयर, म्यूचुअल फंड, डिबेंचर और बॉन्ड में ज्यादा रकम का नकदी में लेन-देन करते हैं तो आपको दिक्कत हो सकती है। एक वित्त वर्ष में ऐसे इंस्ट्रुमेंट्स में अधिकतम 10 लाख रुपए तक का ही कैश ट्रांजैक्शन किया जा सकता है। इससे ज्यादा का नकद ट्रांजैक्शन करने पर आप मुश्किल में फंस सकते हैं।

2 लाख रुपए से ज्यादा का नकद गिफ्ट न लें
सेक्शन 269ST के अनुसार यदि कोई पर्सन 2 लाख या अधिक की राशि नकद में प्राप्त करता है, तो उस पर्सन पर पेनाल्टी लगाई जाएगी। यानी कि इस सेक्शन में पेनाल्टी कैश प्राप्त करने वाले पर लगाई जाएगी न कि राशि का भुगतान करने वाले पर। इसलिए अगर आप 2 लाख या अधिक की राशि गिफ्ट के रूप में ले रहे हैं, तो इसे सिर्फ बैंकिंग चैनल्स के माध्यम से लें, जैसे :- A /C Payee चेक, या A /C Payee बैंक ड्राफ्ट, या इलेक्ट्रॉनिक क्लीयरेंस सिस्टम के माध्यम से बैंक में ट्रांसफर। यदि पेमेंट सेल्फ चेक के माध्यम से प्राप्त किया जा रहा है, तो इसे भी कैश में किया गया लेन-देन ही माना जाएगा और पेनाल्टी लगाई जाएगी।

सेविंग अकाउंट में कैश डिपॉजिट की लिमिट क्या है जिस पर टैक्स नहीं लगता, विड्रॉल से जुड़ा नियम भी जानिए

कैश जमा के अलावा कैश निकासी का नियम भी जानना जरूरी है. कैश निकासी की भी लिमिट रखी गई है जिसे पार करने पर टैक्स विभाग कार्रवाई कर सकता है. नकद निकासी से जुड़ा नियम आपको अपने बैंक की शाखा में जाकर जान लेना चाहिए.

सेविंग अकाउंट में कैश डिपॉजिट की लिमिट क्या है जिस पर टैक्स नहीं लगता, विड्रॉल से जुड़ा नियम भी जानिए

हर बचत खाता या सेविंग अकाउंट में नकद जमा रखने की एक सीमा होती है, जिसे भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा निर्धारित किया गया है. सेविंग अकाउंट में अधिक से अधिक कितने रुपये नकद जमा रख सकते हैं, आज इसके बारे में बात करेंगे. बचत खाते सभी के लिए उपलब्ध होते हैं और ये सबसे बुनियादी बैंक सुविधाओं में से एक है. आप अपना पैसा एक बचत खाते में जमा कर सकते हैं और बाद में इसका इस्तेमाल बिलों का पेमेंट करने, ऑनलाइन सामान खरीदने और निवेश करने के लिए कर सकते हैं. जैसे-जैसे दुनिया तेजी से कैशलेस इकोनॉमी की ओर बढ़ रही है, बचत खातों में नकद लेनदेन की मात्रा में गिरावट आई है.

कई बातों को ध्यान में रखकर सेविंग खातों से जुड़े कुछ नियम बनाए गए हैं. ये नियम खाताधारक और इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की सेवा के लिए बनाए गए हैं. ऐसे में जरूरी हो जाता है कि हम सेविंग अकाउंट के नियमों को जानें. चूंकि सेविंग खाता ही सबसे अधिक खुलता है, इसलिए हर आदमी को खाते से जुड़े नियमों को जरूर जानना चाहिए.

कैश डिपॉजिट का नियम जानिए

सेविंग खाते में पैसे जमा करना बहुत ही आसान है. आपको बस नकद रुपये लेकर बैंक की ब्रांच में जाना होता है और रसीद भरकर कैशियर को देना होता है. कैशियर कुछ लिखा-पढ़ी करने के बाद आपका पैसा जमा कर लेता है और बदले में उस रसीद का एक हिस्सा फाड़ कर आपको पकड़ा देता है. यह काम बहुत आसानी से निपट जाता है, लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि आसानी भरा यह काम भारी मुश्किल में डाल सकता है? जी हां. अगर आप टैक्स के नियमों का ध्यान न रखें, कैश डिपॉजिट की लिमिट न जानें तो इनकम टैक्स ऑफिस से नोटिस आ सकता है.

क्या है कैश डिपॉजिट की लिमिट

सेविंग बैंक अकाउंट में कैश जमा करने की लिमिट 1 लाख रुपये है. सेविंग खाते में अगर 1 लाख रुपये से अधिक जमा करते हैं तो टैक्स विभाग के कान खड़े हो सकते हैं. आपके डिपॉजिट का सोर्स पता लगाया जा सकता है और गड़बड़ी पाए जाने पर नोटिस चस्पा किया जा सकता है. कैश जमा के अलावा कैश निकासी का नियम भी जानना जरूरी है. कैश निकासी की भी लिमिट रखी गई है जिसे पार करने पर टैक्स विभाग कार्रवाई कर सकता है. नकद निकासी से जुड़ा नियम आपको अपने बैंक की शाखा में जाकर जान लेना चाहिए.

करंट अकाउंट का रूल भी समझिए

सेविंग खाते के अलावा और भी कई कैश ट्रांजेक्शन के नियम हैं जिनका ध्यान न रखें और अधिक कैश जमा करें तो टैक्स लग सकता है. करंट अकाउंट में कैश डिपॉजिट की सीमा 50 लाख रुपये रखी गई है. करंट अकाउंट खास तौर पर बिजनेस के उद्देश्य से चलाए निवेश करने के लिए नकद जमा करें जाते हैं, इसलिए सेविंग अकाउंट से ज्यादा इसमें 50 लाख रुपये तक कैश जमा करने पर छूट मिलती है. करंट अकाउंटहोल्डर अगर इस लिमिट को पार करते हैं तो उनके खिलाफ टैक्स विभाग की कार्रवाई हो सकती है. उन्हें नोटिस मिल सकता है.

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