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मैसूर के केन्द्रीय उत्पाद शुल्क की आधिकारिक वेबसाइट
मैसूर के केन्द्रीय उत्पाद शुल्क और सीमा शुल्क विभाग के बारे में जानकारी प्राप्त करें। संघ बजट, अधिनियम, टैरिफ, नियम, प्रपत्र आदि जैसे केंद्रीय उत्पाद शुल्क से संबंधित जानकारी दी जाती है। अधिनियमों, नियमों, टैरिफ, विनियमन, पुस्तिका, परिपत्रों, प्रमाणीकरण, आदि जैसे विदेशी मुद्रा व्यापार यूटिलिटीज सीमा शुल्क से संबंधित विवरण उपलब्ध हैं। प्रयोक्ता वित्त मंत्रालय, केंद्रीय उत्पाद शुल्क और सीमा शुल्क बोर्ड, बैंगलोर आदि पर सूचना प्राप्त कर सकते हैं। सलाहकार समिति, व्यापार सुविधा, सूचना अधिकार, केन्द्रीय उत्पाद शुल्क और सेवा कर (एसीईएस) स्वचालन लाभ उठाने से विदेशी मुद्रा व्यापार यूटिलिटीज संबंधित सूचना दी गई है।
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मुद्रा और विदेशी मुद्रा बाजार की अनुशंसाएं
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व्यापार डेरिवेटिव के लिए न्यूनतम निवेश कितना है?
यह कदम तब आया जब बाज़ार नियामक सेबी ने छोटे निवेशकों को उच्च जोखिम वाले उत्पादों से बचाने के प्रयास में वर्तमान में किसी भी इक्विटी डेरिवेटिव उत्पाद के लिए न्यूनतम निवेश आकार में 2 लाख रुपए से 5 लाख रुपए तक की बढ़ोतरी की।
देश के विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट जारी, एक हफ्ते में 8 अरब डॉलर घटा रिजर्व
डॉलर के मुकाबले रुपये में कमजोरी और मंदी की आशंका की वजह से विदेशी निवेशकों के द्वारा बाजारों से पैसा निकालने का असर देश के खजाने पर देखने को मिल रहा है. भारत के विदेशी मुद्रा भंडार (Forex reserves) में ताजा आंकड़ों के हिसाब से तेज गिरावट देखने को मिली है. 8 जुलाई को खत्म हुए हफ्ते में देश का विदेशी मुद्रा भंडार 8 अरब डॉलर घट कर रिजर्व बैंक (RBI) के आंकड़ों के अनुसार विदेशी मुद्रा भंडार घट कर 580 अरब डॉलर के स्तर पर आ गया है. इससे पहले 1 जुलाई के हफ्ते में भंडार 5 अरब डॉलर से ज्यादा घटा है. भंडार पिछले साल सितंबर की शुरुआत में 642 अरब डॉलर के ऊपर पहुंच गया था. इस दौरान यानि 11 महीने से कम वक्त में भंडार 63 अरब डॉलर घट चुका है.
80 रुपये के करीब पहुंचा डॉलर, गांव रहते हैं या शहर, आप पर भी पड़ने वाला है इसका असर
aajtak.in
- नई दिल्ली,
- 14 जुलाई 2022,
- (अपडेटेड 14 जुलाई 2022, 8:50 PM IST)
- बढ़ रहा देश का व्यापार घाटा
- विदेश में पढ़ाई होगी महंगी
- अशोक गहलोत ने साधा निशाना
डॉलर के मुकाबले रुपया अपने सर्वकालिक निचले स्तर पर पहुंच गया है. इस समय एक डॉलर की विनिमय दर (Dollar To INR Exchange Rate) करीब 80 रुपये हो चुकी है. ऐसे में इसका आम आदमी की जेब पर क्या असर पड़ने वाला है? आइए विदेशी मुद्रा व्यापार यूटिलिटीज जानते हैं.
महंगी हो जाएंगी इम्पोर्टेड चीजें
Rupee @ Historic Low: सबसे पहले तो ये जान लें कि भारत एक्सपोर्ट के मुकाबले इम्पोर्ट ज्यादा करने वाला देश है. यानी ऐसी बहुत सी वस्तुएं हैं जिनके लिए हम विदेशों से आयात पर निर्भर करते हैं. इनमें पेट्रोलियम उत्पाद के साथ-साथ खाद्य तेल और इलेक्ट्रॉनिक सामान महत्वपूर्ण है. ऐसे में अब जब डॉलर के मुकाबले रुपया कमजोर होकर 80 रुपये के स्तर तक पहुंच गया है, इसका मतलब हम इन सामानों के आयात के लिए ज्यादा पैसा खर्च करेंगे और अंतत: घरेलू स्तर पर इनके दाम विदेशी मुद्रा व्यापार यूटिलिटीज में बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है.
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विदेश में पढ़ाई होगी महंगी
रुपये की कमजोरी सिर्फ घर में महंगाई नहीं बढ़ाएगी. बल्कि भारत से जो बच्चे विदेश पढ़ने गए हैं उनके मां-बाप के लिए भी नया सिरदर्द बनेगी. विदेश में पढ़ाई कर रहे बच्चों को अगर उनके माता-पिता पहले हर महीने 70,000 रुपये भेज रहे थे, तो अब डॉलर में उतनी ही रकम बच्चों को भेजने के लिए उन्हें करीब 80,000 रुपये भेजने होंगे. यानी महीने का खर्च बढ़ा सीधा 10,000 रुपये.
बढ़ रहा देश का व्यापार घाटा
भारतीय रिजर्व बैंक के मुताबिक तेजी कई अंतरराष्ट्रीय कारणों की वजह से रुपये में लगातार गिरावट देखी जा रही है. वैश्विक स्तर पर महंगाई अपने चरम पर है, तो वहीं अमेरिका में तो ये अपने 41 साल के उच्च स्तर पर पहुंच गई है. इस बीच देश के विदेशी मुद्रा भंडार (India's Forex Reserve) में तेजी से गिरावट आई है. रुपये विदेशी मुद्रा व्यापार यूटिलिटीज को संभालने के लिए आरबीआई ने खुले मार्केट में डॉलर की बिक्री भी की है, लेकिन ये प्रयास ना काफी है.
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